इंटरनेशल डे ऑफ हैप्पीनेस

इंटरनेशल डे ऑफ हैप्पीनेस: क्या आज के समय में हम सच में खुश हैं?

हम सबके जीवन में खुशी का अपना अलग-अलग मतलब होता है और हम सबको अलग-अलग चीज़ों से खुशी मिलती है। अपनी खुशी की वजह पहचान लेना हमारा काम है और खुद को खुश रखना भी।

अगर मैं आपसे पूछूं कि, आज सुबह से आप कितनी बार हंसे? अगर आज आप हंसे तो वो क्या वजहें थीं जिन्होंने आपके दिल को गुदगुदाया? क्या आप खुश हैं? तो शायद आप अपने दिन की पूरी दिनचर्या याद करें और कहें कि अरे! आज तो मैं खुलकर हंसा ही नहीं, या अरे! मैंने तो इस बारे में सोचा ही नहीं कि मैं खुश हूं (happiness in hindi) या नहीं।

हम अक्सर अपनी कामकाज भरी ज़िदंगी में इतना व्यस्त हो जाते हैं कि खुशी के असली मायनों को ही नज़रअंदाज़ कर देते हैं। खुश रहना कितना ज़रूरी है और खुश रहने से हमारे दिमाग और शरीर पर क्या-क्या प्रभाव पड़ते हैं, यही समझाने के लिए तो इंटरनेशनल डे ऑफ हैप्पीनेस (International Day Of Happiness) मनाया जाता है।

इंटरनेशनल डे ऑफ हैप्पीनेस का दिन चाहता है कि हम जान सकें कि खुश रहना कोई काम नहीं है, जिसके लिए हमें मेहनत करनी है, बल्कि खुशी तो हमारे जीवन का अहम हिस्सा है, जिसके बिना ज़िंदगी एक खाली कैनवास जैसी बेरंग है। हमें किसी और को दिखाने के लिए नहीं बल्कि खुद के लिए खुश होना है, अपने होंठों पर हर दम एक प्यारी सी मुस्कान रखनी है और दिल में चैन और सुकून की सांस भरनी है। तो चलिए हम जानते हैं कि कैसे हम सचमुच में खुश रह सकते हैं।

खुशी क्या है? (Khushi kya hai?)

खुशी शब्द का इस्तेमाल मानसिक या भावनात्मक अवस्थाओं के लिए किया जाता है, जिसमें संतोष से लेकर तेज़ आनंद तक की सकारात्मक या सुखद भावनाएं शामिल हैं। खुशी एक ऐसा भाव है, जब मन शांत होता है और जीवन से संतुष्ट होता है। हम सबके जीवन में खुशी का अपना अलग-अलग मतलब होता है और हम सबको अलग-अलग चीज़ों से खुशी मिलती है। अपनी खुशी की वजह पहचान लेना हमारा काम है और खुद को खुश रखना भी। आपकी इसी खुशी का ख्याल रखने के लिए इंटरनेशनल डे ऑफ हैप्पीनेस मनाया जाता है।

खुशी खुद व खुद आपके चेहरे पर झलकेगी (Khushi khud v khud aapke chehre se jhalkegi)

खुश रहना कौन नहीं चाहता? हम सब अक्सर खुश होने की वजह ढूंढते हैं या अपनी व्यस्त दिनचर्या में हमें खुश रहना है, इस बात को ही भूल जाते हैं। आपको पता है, खुशी जवान रहने का सबसे बेहतर उपाय है।

ये ज़िदंगी है। यहां दुख-सुख, हंसना-रोना, सही-गलत और दुनियाभर की उलझनें और तकलीफें लगी रहेंगी। सच कहें तो इन्हीं चीज़ों का संगम ही तो ज़िंदगी को स्वादिष्ट बनाता है। बस शर्त ये है कि, ये संगम मिला-जुला रहना चाहिए, यानी दुख है तो खुशी भी हो और दर्द है तो राहत भी मिले। किसी एक चीज़ की अति भी तो ठीक नहीं। हम अक्सर उदासी को खुद पर ऐसे हावी कर लेते हैं कि उसके जंजाल से निकलना बहुत मुश्किल हो जाता है। एक पुरानी कहावत है, “खुशी की वजह ढूंढने से बेहतर है कि बिना वजह खुश हुआ जाए।”

ज़िंदगी में दुखी होने की तमाम वजह मिल जाती है। ऐसे में खुशी की एक छोटी सी झलक भी दिखे तो उछल कर उसका हाथ पकड़ लें। टेंशन को अलविदा कह दें, क्योंकि जो हमारे बस में नहीं उसके लिए फिक्र करने से बात नहीं बनती।

खुश रहने का एक और तरीका है, वो है खुद को और दूसरों को माफ कर देना। जो जैसा है वैसा स्वीकार कर लेना हमारी आधी से ज़्यादा परेशानियों को हल कर सकता है। हमारे पास जो है हमें उसी में खुश रहना सीखना चाहिए। दूसरों से ज़्यादा उम्मीदें लगाना भी अक्सर हमारे दुखों का कारण बनता है। इसलिए ऐसी आदतों को छोड़ दें और अपने अंदर सुकून और शांति का अनुभव करें। फिर देखना खुशी कैसे खुद चलकर आपके मन में घर कर जाएगी।

कब मनाया जाता है हैप्पीनेस डे? (Kab manaya jata hai Happiness Day?)

हर साल 20 मार्च को दुनिया भर के लोगों में खुशी के महत्व और खुश रहने की ज़रूरत को समझाने के लिए इंटरनेशनल डे ऑफ हैप्पीनेस मनाया जाता है।

कैसे हुई वर्ल्ड हैप्पीनेस डे मनाने की शुरुआत? (Kaise hui World Happiness Day manane ki shuruaat?)

संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 12 जुलाई 2012 को इंटरनेशनल डे ऑफ हैप्पीनेस मनाने के बारे में विचार किया। इस दिवस को मनाने के पीछे मशहूर समाजसेवी जेमी इलियन ने बहुत से प्रयास किए और उन्हीं के विचारों ने संयुक्त राष्ट्र के महासचिव ‘जनरल बान की मून’ को प्रेरित किया। उनकी इसी मेहनत का नतीजा है कि 20 मार्च 2013 को इंटरनेशनल डे ऑफ हैप्पीनेस घोषित किया गया। 2013 में, संयुक्त राष्ट्र के विभिन्न देशों के 193 सदस्यों ने खुशी का पहला अंतर्राष्ट्रीय दिवस मनाया गया और आज हम सब हर साल इंटरनेशनल डे ऑफ हैप्पीनेस मनाकर खुशी का महत्व समझते हैं। 

2022 के अनुसार वर्ल्ड हैप्पीनेस इंडेक्स (World Happiness Index 2022) में फिनलैंड को नंबर 1 होने का खिताब मिला था, जबकि दूसरे नंबर पर डेनमार्क और तीसरे नंबर पर आइसलैंड है। फिनलैंड के लोग सबसे ज़्यादा खुश हैं क्योंकि वहां क्राइम रेट बेहद कम और पर्यावरण बेहद साफ सुथरा और खूबसूरत है। भारत को विश्व प्रसन्नता सूची में 136वां स्थान मिला था, जबकि वर्ष 2021 में भारत 139वें पायदान पर था। तो चलिए हम अपने-अपने स्तर पर खुश रहकर इन आंकड़ों को बदल दें, अपने लिए और अपने आस-पास के लोगों के लिए शांत और स्वस्थ वातावरण बनाएं ताकि हम सब मिलकर एक खुशहाल जीवन जिएं।

हमें हैप्पीनेस डे की ज़रूरत क्यों है? (Humein Happiness Day ki zarurat kyon hai?)

आज की इस भागदौड़ भरी ज़िंदगी में हम अक्सर अपनी खुशी तलाशते हैं, क्योंकि बढ़ती टेक्नोलॉजी के दौर में लोगों में स्ट्रेस भी काफी तेज़ी से बढ़ रहा है, जिसके कारण न सिर्फ उनकी मेंटल हेल्थ बल्कि फिजिकल हेल्थ पर भी काफी असर पड़ता है। आपने अक्सर सुना होगा कि हंसने से खून बढ़ता है, क्योंकि जब आप खुश होते हैं, तो आप दूसरी बीमारियों से आसानी से लड़ सकते हैं और आपका दिमाग सही तरीके से काम करता है। तो सोचिए खुश रहने को आदत बना लेना कितना ज़रूरी है। दुनिया में ऐसे बहुत से लोग हैं जो अपनी सारी ज़िंदगी बिना हंसी-खुशी और उत्साह के बिता देते हैं। इसलिए ऐसे लोगों को सही वक्त पर खुशियों के मायने समझाना बहुत ज़रूरी है, ताकि सभी एक खुशहाल और सुखी जीवन जी पाएं।

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