राष्ट्रीय सादगी दिवस: खुश रहने के लिए क्यों जरूरी है जिंदगी में सिम्पलिसिटी?

राष्ट्रीय सादगी दिवस: खुश रहने के लिए क्यों जरूरी है जिंदगी में सिम्पलिसिटी?

मानव की इच्छाओं का कोई अंत नहीं है। इच्छाओं का स्रोत मन है, जो ‘बिन पेंदे का लोटा’ कहलाता है। ऐसा इसीलिए है क्योंकि एक के बाद एक चाहे जितनी ही इच्छाएं पूरी हो जाएं, वह फिर भी खाली ही बना रहता है और हर बार नई इच्छाओं को पैदा कर देता है…

एक पुरानी कहावत है‌, “सादा जीवन उच्च विचार”, यानी जीवन सादगी से भरा हो और विचारों से आपका कौशल झलके।

हम लोग अकसर ही चमक धमक और महंगी सुख सुविधाओं के पीछे दौड़ते रहते हैं और सादगी में छिपे आनंद का मज़ा लेना भूल जाते हैं। मानव की इच्छाओं का कोई अंत नहीं है। इच्छाओं का स्रोत मन है, जो ‘बिन पेंदे का लोटा’ कहलाता है। ऐसा इसीलिए है क्योंकि एक के बाद एक चाहे जितनी ही इच्छाएं पूरी हो जाएं, वह फिर भी खाली ही बना रहता है और हर बार नई इच्छाओं को पैदा कर देता है।

कई दफा तो हम सिर्फ इच्छाओं के वश में आकर, ऐसी चीजों को अपनी जिंदगी में जगह दे देते हैं, जिसकी असल में कोई जरूरत नहीं थी। हमें सुख सुविधाओं की इतनी आदत लग चुकी है कि हम उनके आगे घुटने टेक देते हैं। इसी आदत से छुटकारा पाने के लिए हमें सादगी भरे जीवन के महत्व को नजरंदाज करने से बचना होगा।

सादगी जिंदगी में इतनी जरूरी है कि हमारे देश में राष्ट्रीय सादगी दिवस भी मनाया जाता है। आइए जानते हैं राष्ट्रीय सादगी दिवस कब और क्यों मनाया जाता है।

राष्ट्रीय सादगी दिवस या सिम्पलिसिटी डे क्यों मनाया जाता है?

एक अमेरिकी लेखक, पर्यावरणविद् (environmentalist), उन्मूलनवादी (abolitionist) और कवि हेनरी डेविड थोरो ने कहा, “जैसे-जैसे आप अपने जीवन को सरल बनाते हैं, ब्रह्मांड के नियम भी सरल होते जाएंगे।”

सर हेनरी डेविड ने सरल जीवन और बुनियादी बातों की ओर लौटने की बातें की, उनके विचारों ने लाखों लोगों को प्रभावित किया। इसलिए उनके जन्मदिवस 12 जुलाई को राष्ट्रीय सादगी दिवस के रूप में मनाया जाता है।

उन्होंने कभी भी लोगों को अपना जीवन छोड़कर जंगलों में रहने के लिए नहीं कहा, बल्कि उन्हें सलाह दी कि, वे लोग दूसरे लोगों से अपनी जीवनशैली की तुलना करके और अधिक चीजें जमा करने की इच्छा बढ़ाकर अपने जीवन को मुश्किल न बनाएं।

सिम्पलिसिटी डे हमें एहसास कराता है कि जिंदगी में थोड़ा ठहरकर सादगी अपनाने में कोई हर्ज नहीं है। राष्ट्रीय सादगी दिवस या सिम्पलिसिटी डे मनाने का उद्देश्य ही यही है कि लोग चका-चौंध की दुनिया से निकलकर, चीजों के लालच और ऐशो-आराम की जिंदगी से निकलकर एक सादा जीवन जीने की ओर बढ़ें।

क्या लोग सच में सिम्पलिसिटी अपना रहे हैं?

राष्ट्रीय सादगी दिवस ने लोगों पर सच में अपना असर दिखाया है। सादी जीवनशैली ने लोगों को इतना प्रभावित किया है कि वे लोग इस दिन पर कई प्रोग्राम्स रखकर, अन्य लोगों को भी सादी जीवनशैली अपनाने के लिए प्रेरित करते हैं। यही नहीं वे लोग अपने जीवन से ज्यादा सुख सुविधाओं को निकाल कर बाहर कर देते हैं। अपनी एक्स्ट्रा चीजों को, उन लोगों को दान कर देते हैं, जिन्हें सच में उन चीजों की जरूरत है। लोग सादगी भरा जीवन जीना पसंद कर रहे हैं। ऐसा करके उन्हें आंतरिक खुशी भी मिलती है।

खुश रहने के लिए जीवन में सिम्पलिसिटी क्यों जरूरी है?

आपने अकसर ही खुद को और दूसरों को अन्य लोगों से तुलना करते हुए देखा होगा। ‘उसने फिर से एक नई कार खरीद ली, जबकि मेरे पास एक पुरानी घिसी हुई बाइक है।’ ‘अरे देखो वो महीने में तीसरी बार घूमने गए हैं, जबकि हम साल में एक बार भी नहीं जाते। मुझे लगता है हमें भी घूमने जाना चाहिए।’ ‘उसके घर का इंटीरियर बहुत अच्छा है। हमें भी उससे अच्छा इंटीरियर करवाना चाहिए।’

क्या आप इन सब बातों से खुद को जोड़ पा रहे हैं? हो सकता है आपने कार, घूमने या इंटिरियर से तुलना नहीं की हो। पर कुछ ऐसा तो जरूर ही होगा जब आपको दूसरे से बेहतर होने का मन किया हो। यही वो वजह है जो हमारे दुख का कारण बन जाती है।

हम क्यों ना इस दुख को खत्म कर दें? हमारे पास जो है उसी में खुश रहकर, सादी जीवनशैली अपनाएं, और एक खुशहाल जीवन जिएं। तो चलिए एक पहल करें। सादे जीवन की ओर चलकर अपनी खुशियों को तलाशें।

अब आप सोचेंगे कि ऐसा कैसे मुमकिन है? पर कुछ बातों और आदतों को बदल कर हम सिम्पलिसिटी में भी खुश रह सकते हैं। राष्ट्रीय सादगी दिवस के अवसर पर यह हमारे लिए खुद की तरफ से एक तोहफा होगा।

जानिए कुछ महत्वपूर्ण बातें जिन्हें अपनी आदत बनाकर हम सादी जीवनशैली का आनंद ले सकते हैं।

सोशल मीडिया से दूरी

सादी जीवनशैली को अपनाकर, खुश रहने के लिए सबसे जरूरी है कि सोशल मीडिया से थोड़ी दूरी बना ली जाए। सोशल मीडिया पर हम सब अपनी सबसे अच्छी दिखने वाली फोटो ही पोस्ट करते हैं। हम दूसरों की सबसे बढ़िया पिक्चर को देखकर खुद को उनसे कम्पेयर करने लगते हैं और अनजाने में उनके जैसा बनने के लिए अपनी जिंदगी में ऐसी चीजों को जोड़ लेते हैं, जिनकी हमें असल में कोई जरूरत नहीं थी। इसलिए हमें ये समझ लेना होगा कि जो हम सोशल मीडिया में देख रहे हैं, वो सब सच नहीं है और जो दिख रहा है उसकी भी एक डार्क साइड है, जो यहां नहीं दिखाई जाती। अगर एक बार हमने यह समझ लिया तो फिर सोशल मीडिया हमारे जीवन पर कोई असर नहीं डाल पाएगा और हम सादगी में ही खुश रहने लगेंगे।

नेचर से जुड़ाव

दुनिया में सबसे ज्यादा सादगी का मज़ा प्रकृति के साथ आता है। आप चाहे कितने ही परफ्यूम्स सूंघ लें, पर जो ताजगी फूलों को सूंघने से मिलती है, उसकी बात ही अलग है। मैं आपसे सुविधाओं से दूर होने के लिए नहीं कह रही पर एक बार फ्रिज की बजाय मिट्टी के घड़े से पानी पीकर देखिए। किसी क्लब में नाचने की बजाय समुद्र के किनारे पड़े रेत पर नंगे पांव दौड़कर देखिए। आपको सादगी का मज़ा अपने आप समझ आ जाएगा।

अच्छा खान-पान

अपने खाने में नैचुरल और सिंपल खाने को जगह दीजिए। तड़कीले व्यंजनों से दूरी बनाकर, हरी सब्जियों को अपनी थाली में जगह देने से आप स्वस्थ रहेंगे। क्या कभी आपने गार्डेनिंग के बारे में सोचा है? अगर नहीं तो अब सोचिए। अपने घर के किसी भी कोने या छत पर एक ऐसी जगह बनाइए, जहां आप अपनी पसंद की सब्जियां उगा सकें। ऐसा जल्दबाजी में करने की जरूरत बिल्कुल नहीं है। शुरुआत किसी छोटे बर्तन या गमले से करें। आप शुरुआत में सिर्फ धनिया उगा सकते हैं। जब आप अपने गार्डन से धनिया लेकर सब्जी बनाएंगे तो आपको एक अलग ही आनंद का एहसास होगा।

मानसिक स्वास्थ्य

सादगी भरा जीवन जीने के लिए हमें अपने मानसिक स्वास्थ्य को स्वस्थ रखना होगा। जब तक हमारे दिमाग पर हमारा कंट्रोल नहीं होगा तब तक हम हमेशा ही ज्यादा चमक-धमक से आकर्षित होते रहेंगे। अगर हमारा दिमाग हमारे बस में है तो हम न सिर्फ हर बात को अच्छे से समझ पाएंगे बल्कि सिम्पल लाइफ को भी अपना आएंगे। मानसिक स्वास्थ्य को स्वस्थ रखने के लिए हमें योगा और व्यायाम को अपने जीवन में शामिल करना चाहिए।

इस राष्ट्रीय सादगी दिवस पर सिम्पलिसिटी अपनाने की एक बार कोशिश तो करके देखिए, फिर खुशियां आपके पीछे दौड़ती हुई चली आएंगी। ऐसे ही आर्टिकल पढ़ते रहें सोलवेदा हिंदी पर।

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