दूसरों से अपनी जिंदगी की तुलना करना कैसे बंद करें

अपनी तुलना दूसरे से करना बंद करें, जानें उपाय

हमारे पास क्या है हमें इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता, लेकिन हमारे पास क्या नहीं है और दूसरों के पास क्या है, हमें इस बात से बहुत फर्क पड़ता है। हमें खुद पर तरस आने लगता है और हम सोचने लगते हैं कि हमने ज़िंदगी में कुछ भी हासिल नहीं किया है।

जिस चीज के लिए हम मेहनत करें, वो हम पा सकते हैं। लेकिन, इसका यह मतलब बिल्कुल नहीं है कि हमारे पास दुनिया की हर चीज हो। इसके बारे में अच्छी तरह जानते हुए भी हम ज्यादातर समय उन चीजों का दुख मना रहे होते हैं, जो हमारे पास नहीं है। हम जिस इंसान को जानते तक नहीं हैं, उससे अपनी सैलरी, घर और यहां तक कि अपने लुक की तुलना भी करना शुरू कर देते हैं। हम खुद की ज़िंदगी पर ध्यान देने की बजाय दूसरों की चमकती हुई ज़िंदगी पर ध्यान लगाने लगते हैं। तुलना के कारण, खुद के बारे में हम बहुत ही बुरा सोचने लगते हैं, खुद को असफल मान लेते हैं। ऐसी आदतें हमें तुलना के ऐसे उधेड़बुन में फंसा देती है, जिससे हम जितना निकलना चाहते हैं, उतना ही और फंसते चले जाते हैं। धीरे-धीरे हम उदास रहना शुरू कर देते हैं और खुद को हीन-भावना से देखने लगते हैं।

वैसे तो लोग तुलना पहले भी करते रहें हैं, लेकिन सोशल मीडिया के जमाने में तुलना करने की आदत पहले से कहीं अधिक हो गई है। एक अध्ययन के मुताबिक, “सोशल मीडिया पर ऐसी जानकारी शेयर होती है, जिसकी तुलना आसानी से की जा सकती है, जैसे लाइक्स, फॉलोअर्स, कमेंट और रीट्वीट के नंबर। इस तरह की जानकारी हमें, दूसरों लोगों लिए एक खास धारणा बना लेने की खुली छूट देती है।” एक अन्य शोध से पता चलता है कि “कई लोग सोशल मीडिया का इस्तेमाल, किसी से प्रेरणा लेने और जीवन में अपने मकसद का पता लगाने के लिए करते हैं। लेकिन, धीरे-धीरे, वे अपने ज़रूरी मकसद को भूल जाते हैं और दूसरों की अच्छी लाइफ स्टाइल देखकर उदास रहने लगते हैं। इसके बाद लोग मन ही मन अधूरा महसूस करने लगते हैं, खुद को कम आकंते हैं और नेगेटिव फील करने लगते हैं।”

तो, आप दूसरों से अपनी तुलना करना कैसे बंद कर सकते हैं? तुलना की आदत से बाहर निकलने के लिए यहां कुछ ज़रूरी टिप्स दिए गए हैं।

अपना ध्यान अपने ऊपर शिफ्ट करें (Apna dhyan apne upar shift karen)

अपने ऊपर ध्यान शिफ्ट करने का मतलब है, खुद के सपनों की तुलना दूसरों से किए बिना, अपनी ज़िंदगी की कमान अपने हाथों में लेना। ऐसा करने के लिए आप अपने पास एक डायरी रखें, जिसमें अपने अनुभवों की लिस्ट बनाएं, कुछ नया करने के लिए खुद को चुनौती दें। जब आप अपना ध्यान अपनी ओर लगाने लगाते हैं, तो आप ज़िंदगी को सही ढंग से जीना शुरू कर देते हैं। ऐसा आप जितना ज्यादा करते जाएंगे, उतनी जल्दी आप अपनी तुलना दूसरों से करना बंद कर देंगे और जो आपके पास है उसमें खुश रहने लगेंगे।

आभारी बनें (Aabhari banen)

हर छोटी-बड़ी बात पर खुद की तुलना दूसरों से करने की आदत को छोड़ें। आपके पास जो भी है, उसके लिए आभारी महसूस करने की कोशिश करें और उसमें खुश रहना सीखें। जो चीज आपके पास नहीं है उसके बारे में बेफिजूल की चिंता न बढ़ाएं। आपकी ज़िंदगी में जो भी चीज आपके दिल के करीब है, उसके लिए ऊपर वाले को शुक्रिया कहें, वो चाहे आपका परिवार, दोस्त या कोई नौकरी ही क्यों न हो। किसी चीज के लिए आभार की भावना रखने से, आप आसानी से दुखी महसूस नहीं करते हैं और आपको अपने जीवन को सकारात्मक तरीके से देखने में मदद मिलती है। शोध के अनुसार, “आभार सकारात्मक भावनाओं को बढ़ावा देता है, जिसके शरीर में कई लाभ हो सकते हैं, जैसे स्ट्रेस हार्मोन कोर्टिसोल के लेवल का घटना और ऑक्सीटॉसिन का बढ़ना।” ऑक्सीटॉसिन बॉन्डिंग हार्मोन है, जिसके रीलीज होने से हम पॉजिटिव महसूस करते हैं।

खुद की तुलना खुद से करें (Khud ki tulna khud se karen)

अगर आप चाहते हैं कि आप खुद की तुलना दूसरों से करना बंद कर दें, तो इसके लिए सबसे पहले खुद में बदलाव लाना शुरू करें। जिस व्यक्ति से आपको अपनी तुलना करनी चाहिए, वह आप खुद हैं। अपने आप से सवाल पूछें, क्या मैं बढ़ रहा/रही हूं? क्या मैं सीख रहा/रही हूं? क्या मैं अपने लक्ष्यों के करीब आ रहा/रही हूं? ये सवाल आपको अपनी ग्रोथ को ट्रैक करने में मदद करेंगे। अपने जीवन में छोटी-छोटी जीत की, लक्ष्य को पूरा करने की खुशी मनाएं, क्योंकि ये आपके अंदर एनर्जी लाते हैं और आपका ध्यान एक जगह रखने में आपकी मदद करते हैं। अपनी सफलता का कारण आपको खुद बनना पड़ेगा। इस तरह से आप अपनी ज़िंदगी वैसे जी पाएंगे, जैसे आप जीना चाहते हैं, वो भी बिना किसी की इजाजत लिए।

डर को न करने दें अपनी पसंद का फैसला (Dar ki na karne den apni pasand ka faisla)

अक्सर हम गलत फैसले करते हैं, क्योंकि हम किसी बात से डरे हुए होते हैं। हमारे मन का डर हमें गलत फैसले लेने पर मजबूर कर देता है। हो सकता है आप कुछ नया करना चाहते हों, लेकिन आपके मन का डर आपको आगे बढ़ने से रोक रहा हो। इसके कारण धीरे-धीरे आप एक्टिव कम होने लगते हैं और बेचैन ज्यादा। अगर, आप इसे बदलना चाहते हैं, तो आपको ये सोचना पड़ेगा कि ‘आप असल में क्या चाहते हैं?’ बजाय ये सोचने के कि ‘आप क्या नहीं चाहते’? खुद से सवाल पूछना शुरू करें कि ‘मुझे किस बात का डर है?’,’मुझे यह फैसला करने से क्या रोक रहा है?’,’ मैं अपने सपने का पीछा करने की बजाय आराम का रास्ता क्यों अपना रहा/रही हूं?’ ये सभी सवाल आपके डर का असल कारण पता लगाने में आपकी मदद करेंगे।

तुलना करने की बजाय प्रेरणा लें (Tulna karne ki bajay prerna len)

किसी से प्रेरणा लेना और उससे अपनी तुलना करने लगना, दो बिल्कुल अलग बातें हैं। जो लोग आपको पसंद हैं या आपको प्रेरणा देते हैं, उनकी संघर्ष की कहानियों को देखें। उनके यहां तक के सफर को देखें न कि उनकी आज की ज़िंदगी से खुद की ज़िंदगी की तुलना करने लगे। कोशिश करें कि आप ऐसे लोगों के संपर्क में रहें, जो आपकी तारीफ करते हैं, आपके मेहनती रूप को आपको दिखाते हैं और आगे बढ़ने के लिए आपको प्रोत्साहित करते हैं। यह न भूलें कि दूसरों से जलने और दूसरों से सीखने के लिए ज़िंदगी पड़ी है, आप क्या चुनते हैं यह आप पर निर्भर करता है। अपना लक्ष्य निर्धारित करें, लोगों से प्रेरणा लें और आगे बढ़ें।

अपनी ताकत और उपलब्धियों को पहचानें (Apni takat aur uplabdhiyon ko pahchane)

ज़िंदगी में आगे बढ़ने के लिए बेहद ज़रूरी है कि आप अपनी खूबियों और ताकत को पहचानें। अपनी उपलब्धियों पर ध्यान लगाने से ऐसा महसूस होता है जैसे आप ज़िंदगी में तेजी से आगे बढ़ रहें हैं और आपने काफी कुछ हासिल किया है। जो खूबियां आपके अंदर नहीं है, उनके बारे में चिंता न करें बल्कि उन स्किल को बेहतर बनाएं जो आपके पास हैं। हर वो बात एक डायरी में लिखें, जो आप अपने बारे में पसंद करते हैं या जिन्हें आप अपनी ताकत के रूप में देखते हैं। एक अध्ययन के अनुसार, “जब आप अपनी ताकत को बढ़ाने पर ध्यान देते हैं, तो आप उस समय की तुलना में तेजी से आगे बढ़ते हैं, जब आप अपनी कमजोरियों पर काम करने की कोशिश में लगे होते हैं। इससे आप खुश भी रहते हैं, आपका मानसिक स्वास्थ्य अच्छा रहता है और आप एक एक्टिव लाइफ जीने लगते हैं।”

कोई परफेक्ट नहीं होता (Koi perfect nahi hota)

आप अक्सर ऐसे लोगों से मिलते होंगे जो आपसे ज्यादा अमीर या तेज़ होंगे। लेकिन, उनसे मिलने के बाद ऐसा बिल्कुल नहीं होना चाहिए कि आप खुद को उनसे छोटा समझने लगें। आप इस बात को अच्छी तरह समझते होंगे कि दुनिया में कोई भी परफेक्ट नहीं होता है। ऐसी कोई भी बात जो आपको खुद के लिए अच्छा महसूस नहीं कराती, उन्हें ज़िंदगी से बाहर निकाल दीजिए। खुद को ज़रूरी समझें, अपनी खूबियों को पहचानें और दूसरों से अपनी तुलना करना बंद करें। इस बात को कभी न भूलें कि आपकी सफलता में किसी और का हाथ नहीं होता, बल्कि सिर्फ आपकी मेहनत होती है। जब आप खुद के जीवन से खुश रहने लगते हैं, तो आपको इस बात की कोई परवाह नहीं रह जाती कि दूसरे क्या कर रहे हैं, क्या कह रहें हैं और क्या सोच रहें हैं। इसलिए जो असल में आपके लिए मायने रखता है उसपर ध्यान देना शुरू करें।

सोशल मीडिया को अपनी सफलता का पैमाना न बनाएं (Social Media ko apni safalta ka paimana na banaye)

आज की दुनिया सोशल मीडिया की है। इस डिजिटल जमाने में अगर आप अपनी तुलना दूसरों से करते हैं, तो आप अपनी ज़िंदगी, उनके अनुसार जीना शुरू कर देते हैं। यहां आप अक्सर दूसरे लोगों की सुख-सुविधाओं की तुलना अपने जीवन से करते हैं। ऐसी तुलना आपको दुखी करने के लिए ही होती है। सोशल मीडिया पर ज्यादातर लोग अपनी ज़िंदगी के अच्छे पलों को ही दिखाते हैं, भले पोस्ट की गई उस तस्वीर या वीडियो के पीछे की सच्चाई कुछ और ही हो। इसलिए यह ज़रूरी है कि आप इसे अपनी सफलता का पैमाना न समझें।

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