सूरज की रोशनी

मानसिक स्वास्थ्य को रखना हो दुरुस्त, तो लें सूरज की रोशनी

हल्की मात्रा में सूरज की रोशनी लेने से संभवत: अधिक फायदा मिल सकता है। बशर्ते, इस बात से आप पूरी तरह से वाकिफ हों कि आप धूप में कितना समय व्यतीत करते हैं। आपको इसका फायदा ज़रूर मिलेगा। आमतौर पर दोपहर के वक्त 10 से 30 मिनट तक धूप में रहना शरीर के लिए काफी होता है।

सेहतमंद रहने के लिए जितनी शुद्ध हवा ज़रूरी है, उतना ही सूरज की रोशनी भी ज़रूरी है। सूरज की रोशनी में मानव शरीर के शिथिल अंगों को फिर से मज़बूत बनाने की अद्भुत क्षमता है। ज़रा सोचो, जब सुबह में ठंड में कमरे से बाहर निकलते ही आपके चेहरे पर गुनगुनी धूप पड़ जाए, तो आप भीतर से कैसा महसूस करेंगे? इसमें कोई शक नहीं कि वह आपके लिए सबसे सुकून भरा पल होगा। सुबह की गुनगुनी धूप आपके मूड को तुरंत ठीक कर देती है और आपको दिनभर तरोताजा और ऊर्जा से भर देती है। हमारे ऋषि-मुनि सूरज की रोशनी के महत्व को बखूबी पहचानते थे। वहीं, दुनिया के नंबर वन फुटबॉल खिलाड़ी और 5 बार बैलन डी’ व विजेता रहे क्रिस्टियानो रोनाल्डो भी गुनगुनी धूप के फायदों को बखूबी पहचानते हैं। अमेज़न की डॉक्यूमेंट्री ऑल ऑर नथिंग: जुवेंटस में रोनाल्डो ने इस बात का उल्लेख किया है,” हमारी बॉडी के लिए धूप काफी अच्छा है। इसमें कोई शक नहीं, अगर मैं सारा दिन यहां पर यूं ही पड़े रहूंगा, तो मेरी सेहत के लिए इससे बुरा कुछ नहीं हो सकता। मेरे चेहरे पर झुर्रियां पड़ जाएंगी, लेकिन अगर मैं 30 मिनट भी धूप ले लेता हूं, तो इससे मुझे काफी सुकून महसूस होता है। ”

अगर आप गुनगुनी धूप में कुछ देर बिताते हैं, तो यह आपके संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए काफी लाभदायक है। इससे न सिर्फ शारीरिक, बल्कि मानसिक रूप से भी सेहतमंद रहेंगे। हार्वर्ड स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के न्यूट्रिशनल एपिडेमियोलॉजिस्ट अल्बर्ट एस्चेरियो के मुताबिक, “हल्की मात्रा में धूप लेने से संभवत: अधिक फायदा मिल सकता है। बशर्ते, इस बात से आप पूरी तरह से वाकिफ हों कि आप धूप में कितना समय व्यतीत करते हैं। आपको इसका फायदा ज़रूर मिलेगा।

हेल्थलाइन के मुताबिक, आमतौर पर दोपहर के वक्त 10 से 30 मिनट तक धूप सेंकना शरीर के लिए काफी होता है। हालांकि, यह कितने समय तक धूप लेना चाहिए यह इस बात पर भी निर्भर कर सकता है कि आपकी स्किन सूरज की रोशनी के प्रति कितनी संवेदनशील है। अगर, आप अधिक धूप लेते हैं, तो यह शरीर के लिए नुकसानदायक भी हो सकता है। इस बात का हमेशा ख्याल रखें कि अगर आप धूप में अधिक समय बिताते हैं, तो इससे त्वचा कैंसर, समय से पहले बुढ़ापा, सनबर्न जैसी स्वास्थ्य संबंधी गंभीर परेशानियों का भी सामना करना पड़ सकता है।

इस लेख में जानें मानसिक स्वास्थ्य के लिए गुनगुनी धूप किस तरह फायदा पहुंचा सकती है।

आपके मूड को ठीक रखता है

कुछ देर के लिए अपनी आखें बंद कर आप उन पुराने पलों को याद करें, जो आपके जीवन में अबतक के सबसे खराब दिन थे। जब आप हताश और परेशान होकर बाहर ताजी हवा में घूमने निकल पड़े हों। क्या आप उस पल को याद कर सकते हैं, जब हल्की धूप और ताजी हवा लेने के बाद आपने महसूस किया होगा? संभवत: वह आपके लिए सबसे सुकून भरा पल होगा। ऐसा लगा होगा कि जैसे कि आपके कंधों से किसी ने कोई बड़ा बोझ उठा लिया हो। अगर, आप बाहर निकलकर गुनगुनी धूप और ताजी हवा लेते हैं, तो आप खुद को एक तनावपूर्ण माहौल से दूर रखते हैं। इसके अलावा सूरज की रोशनी आपके मस्तिष्क में सेरोटोनिन नामक केमिकल को बढ़ावा देने में काफी सहायता करती है। यह आपके दिलो-दिमाग को शांत रखती है और आपको सकारात्मक और ध्यान केंद्रित करने में भी मदद करती है। ब्रिघम यंग यूनिवर्सिटी के एक अध्ययन के मुताबिक, अगर आप पर्याप्त मात्रा में धूप ले सकते हैं, तो आपके इमोशनल डिस्ट्रेस का लेवल स्थिर रहना चाहिए। अगर आप धूप के लिए समय नहीं निकालेंगे, तो आपकी परेशानियां और बढ़ सकती हैं।

बाहर घूमने के लिए प्रेरित करता है 

अगर आप अक्सर धूप लेने के लिए बाहर निकलते हैं, तो यह आपके भीतर सामाजिकता का भाव पैदा करती है और आपको मिलनसार बनाने में मदद करती है। अब आप सोच रहे होंगे कि ऐसा कैसे हो सकता है? लेकिन, आपको बाहर घूमने के लिए प्रेरित करने में धूप की महत्ती भूमिका है। ज़रा सोचिए, जब बाहर बारिश हो रही होती है या कड़कड़ाके की ठंड पड़ रही होती है, तो बमुश्किल ही आप बाहर निकलते हैं। लेकिन, दिन में धूप खिली रहती है तो बाहर जाने, अपने साथियों से मिलने और दिन में अधिक से अधिक समय बिताने के लिए आपको बस एक बहाना मिलना चाहिए। वास्तव में धूप को देखकर आपको भीतर से काफी अच्छा महसूस होता है। क्या ऐसा नहीं है? चूंकि खिली-खिली धूप को देखने के बाद आपका मन कभी नहीं चाहेगा कि आप घर में बैठे-बैठे अपना दिन यूं ही गुजार दें। कम से कम आप कुछ देर तक धूप सेंकना और उसकी गर्माहट का लुत्फ उठाना ज़रूर चाहेंगे।

डिप्रेशन सिज़ोफ्रेनिया के खतरों को कम करता है

कई अध्ययनों से पता चला है कि डिप्रेशन और सिज़ोफ्रेनिया का जुड़ाव विटामिन डी की कमी से भी है। एक अध्ययन के मुताबिक, “विटामिन डी की कमी वाले मरीजों में सिज़ोफ्रेनिया के ठीक होने की संभावना उन लोगों की तुलना में दोगुनी होती है, जिनके पास विटामिन का पर्याप्त स्तर होता है।” दरअसल, भोजन, दवा या धूप के माध्यम से इसकी खुराक को पूरी की जा सकती है। इससे सिज़ोफ्रेनिया के लक्षणों को दुरुस्त करने में काफी मदद मिल सकती है। विटामिन डी एंड डिप्रेशन: वेयर इज ऑल द सनशाइन? नामक एक अध्ययन के मुताबिक, “जो व्यक्ति डिप्रेशन या कोई मानसिक बीमारियों से जूझ रहे हैं, ऐसे लोगों में बीमारी के कारकों का प्रभावी ढंग से पड़ताल करके और अपार्यप्त विटामिन डी के स्तर का समुचित इलाज करके काफी आसानी से ठीक किया जा सकता है। उनकी थेरेपी पर भी बेहद कम खर्च आता है। ऐसे लोग इलाज के बाद लंबे समय तक स्वस्थ और बेहतरीन जीवन जी सकते हैं।”

अगर कभी आपको भी लगे कि आप काफी उदास और हताश महसूस कर रहे हैं या आपके भीतर सिज़ोफ्रेनिया के लक्षण जैसा प्रतीत हो रहा है, तो आप घर से निकलकर बाहर ताजी हवा में घूमें और कुछ समय धूप में बिताएं। अगर, आप ऐसा करते हैं, तो आप अपने मूड को बेहतर कर सकते हैं और इस तरह की मानसिक बीमारियों से खुद को दूर रख सकते हैं।

पर्याप्त नींद लेने में मदद करता है

स्वस्थ्य रहने के लिए पर्याप्त नींद बहुत ज़रूरी है। अगर आप अनिद्रा की समस्या से परेशान हैं और रात में सुकून की नींद लेना चाहते हैं, तो धूप सेंकने के लिए समय ज़रूर निकालें। आप रोजाना कुछ देर तक गुनगुनी धूप लेते हैं, तो यकीन मानिए आपकी नींद की गुणवत्ता में काफी सुधार हो सकता है। यूनिवर्सिटी ऑफ ग्रोनिंगन के शोधकर्ताओं का मानना है कि कुछ देर तक धूप में रहने से लोग रात में अधिक गहरी और अच्छी नींद ले सकते हैं। एक अन्य अध्ययन से पता चला है कि जिन लोगों ने सुबह के वक्त 8 बजे से लेकर दोपहर के बीच कुछ देर तक धूप में समय बिताया, वे रात में जल्दी सो गए और रात के समय नींद में किसी तरह की परेशानी बाकियों की तुलना में कम हुई, जो धूप में नहीं निकल पाए थे।

सीजनल अफेक्टिव डिसऑर्डर को दूर करने में कारगर

सीजनल अफेक्टिव डिसऑर्डर (एसएडी) एक तरह से मौसमजनित बीमारी है। जिन लोगों में सीजनल अफेक्टिव डिसऑर्डर की समस्या होती है, वे लोग वसंत और गर्मी के मौसम में बेहतरीन महसूस करते हैं, लेकिन ठंड शुरू होने के साथ ही ऐसे लोगों में डिप्रेशन के लक्षण दिखने लगते हैं। ज्यों-ज्यों दिन छोटे और रातें लंबी होती जाती हैं ऐसे लोगों के भीतर एक अजीब-सी उदासी और निराशा का भाव उत्पन्न होने लगता है। वे काफी उदासीन महसूस करते हैं और उनकी ऊर्जा कम होती जाती है। इसकी मुख्य वजह पर्याप्त मात्रा में धूप नहीं लेना है। इसके चलते इंसान के शरीर में विटामिन डी की कमी हो जाती है। अगर आप एसएडी जैसी मानसिक बीमारी से खुद को बचाना चाहते हैं, तो पर्याप्त मात्रा में धूप लेना शुरू कर दें। इससे आपके शरीर को मिलने वाला सेरोटोनिन सीजनल अफेक्टिव डिसऑर्डर को दूर रखने में काफी मददगार साबित हो सकता है।

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