राष्ट्रीय युवा दिवस: देश की सबसे मजबूत नींव हैं युवा

किसी भी देश की मजबूत नींव वहां के युवाओं के कंधों पर टिकी रहती है। युवा देश का भविष्य हैं। उनके हाथों में देश की सूरत बदलने की कलम होती है।

अगर देश एक धड़ है तो युवा रीढ़ की हड्डी है। किसी भी देश की मजबूत नींव वहां के युवाओं के कंधों पर टिकी रहती है। युवा देश का भविष्य हैं। उनके हाथों में देश की सूरत बदलने की कलम होती है। वो देश की प्रगति की राहें बनाने वाले ऐसे मजदूर हैं, जिनके बिना देश की कोई अहमियत नहीं हैं। किसी भी युवा के लिए युवावस्था, जीवन में मौज का समय है। युवावस्था एक ऐसा चरण है जिसमें छोटे बच्चे अपने सुरक्षा कवच से बाहर आ चुके हैं और आशा और सपनों की दुनिया में अपने पंख फैलाने के लिए तैयार हैं।

युवावस्था का दूसरा मतलब है, सपने बुनना। ये अवस्था सपनों को पूरा करने का वक्त है, ये आगे बढ़ने और परिवर्तन का वक्त है। युवा हमारे समाज के विकास में अहम भूमिका निभाते हैं, उनमें सीखने और वातावरण के अनुकूल ढलने की क्षमता होती है। उनमें सामाजिक सुधार और समाज में सुधार लाने की क्षमता है। राष्ट्र निर्माण या विकास में युवाओं की भूमिका बहुत खास होती है और ऐसा इसलिए है क्योंकि किसी भी राष्ट्र या समुदाय का विकास उसकी भावी पीढ़ी के हाथों में होता है।

लोकतंत्र, अर्थव्यवस्था, प्रौद्योगिकी और चिकित्सा विज्ञान में सुधार सभी युवाओं के हाथों में हैं। दुनिया के हर कोने में हर क्षेत्र में युवा अपना कौशल दिखा रहे हैं। उनके विचार और नई योजनाएं सिर्फ उन्हें ही तरक्की नहीं दिलाती बल्कि पूरे देश के लिए गर्व करने की वजह बनती है। आज हमारे देश में चाहे वो कोई सरकारी क्षेत्र हो या प्राइवेट, या फिर कोई रचनात्मक काम हो, हर जगह युवा अपनी छाप छोड़ रहे हैं और तरक्की कर रहे हैं। इसलिए देश के युवा देश के अभिन्न अंग हैं। उनके बिना तो देश की कल्पना भी नहीं की जा सकती।

राष्ट्रीय युवा दिवस कब है और क्यों मनाते हैं युवा दिवस? (Rashtriya Yuva divas kab hai aur kyun manate hain Yuva divas?)

हर साल 12 जनवरी को देशभर में राष्ट्रीय युवा दिवस मनाया जाता है। देश के युवाओं को समर्पित इस दिन को मनाने का एक खास मकसद होता है। दरअसल, इस दिन स्वामी विवेकानंद जी का जन्मदिन होता है। हर साल संत विवेकानंद का जन्मदिन युवा दिवस के रूप में मनाया जाता है क्योंकि उनके विचार युवाओं को प्रभावित करने वाले थे, जिनसे प्रेरणा लेकर आज के युवा तरक्की के रास्ते अपना सकें। राष्ट्रीय युवा दिवस 2024 भी 12 जनवरी को पूरे भारत में उत्साह के साथ मनाया जाएगा।

युवाओं को करना होगा जागरूक (Yuvaon ko karna hoga jagruk)

जहां देश, युवाओं को अपना भविष्य मानता है, वहीं युवा खुद कैसे देश के भविष्य को निखार सकते हैं? युवा देश और समाज के लिए ऐसा क्या कर सकते हैं कि जिससे देश का विकास और प्रगति हो पाए? युवावस्था एक ऐसी अवस्था है जहां बालक बड़ों की श्रेणी में आ जाता है। वो अपने फैसले लेने के लिए स्वतंत्र होता है और अपने भविष्य की नींव खुद रखने के लिए तैयार होता है। युवावस्था केवल निजी आजादी नहीं देती, बल्कि बहुत से ऐसे अधिकार भी देती है जिससे युवा समाज की कई बुराईयों और कमियों को मिटाकर, एक बेहतर समाज का निर्माण कर सकता है।

एक बेहतर समाज कैसे बनता है? एक बेहतर समाज बनता है वहां के युवा की बेहतर सोच से। पढ़े-लिखे और सभ्य समाज की नींव, पढ़े-लिखे युवा ही रखते हैं। युवाओं को मतदान का अधिकार दिया जाता है ताकि वे खुद सही-गलत पहचानकर अपने लिए एक अच्छे लीडर का चुनाव कर सकें। आज की पीढ़ी आधुनिक सोच और विचारों के साथ जन्म ले रही है और ऐसी सोच किसी भी क्षेत्र में तरक्की के रास्ते खोलने के लिए काफी है। युवाओं को अपनी शक्तियों को पहचानना होगा तभी हम देश की प्रगति के बारे में सोच सकते हैं। युवा दिवस युवाओं को उनके इन्ही शक्तियों के प्रति जागरूक करने का काम करता है ताकि हमारे देश के युवा न केवल खुद अपना भविष्य रोशन करें बल्कि देश को बुलंदियों पर पहुंचा सकें

युवा दिवस का इतिहास (Yuva divas ka itihaas)

देश का भविष्य कहे जाने वाले युवाओं के लिए स्वामी विवेकानंद के जन्मदिन को युवा दिवस के रूप में मनाने की शुरुआत साल 1984 में की गई थी। उस समय की सरकार का ऐसा मानना था कि स्वामी विवेकानंद के विचार, आदर्श और उनके काम करने का तरीका भारतीय युवाओं के लिए प्रेरणा का एक स्रोत हो सकता है। ऐसे में इस बात को ध्यान में रखते हुए 12 जनवरी, 1984 से स्वामी विवेकानंद की जयंती को राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाने की शुरुआत की गई थी।

अपने विचारों और आर्दशों के लिए मशहूर स्वामी विवेकानंद धर्म, दर्शन, इतिहास, कला, सामाजिक विज्ञान, साहित्य सभी के ज्ञाता थे। इतना ही नहीं वो भारतीय संगीत में माहिर होने के साथ ही एक अच्छे खिलाड़ी भी थे। उनकी इन्हीं खूबियों की वजह से उनका व्यक्तित्व सभी के लिए प्रेरणा बना। उन्होंने कई मौकों पर युवाओं के लिए अपने अनमोल विचार भी साझा किए, ताकि देश के युवा अपने कर्तव्य और देश के विकास की तरफ ध्यान दें।

कौन थे विवेकानंद? (Kaun the Vivekananda?)

स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी सन् 1863 को बंगाल के कोलकाता में हुआ था। उनका असली नाम नरेंद्रनाथ दत्त था और बाद में उनका नाम स्वामी विवेकानंद पड़ा। वे वेदांत के विख्यात और प्रभावी आध्यात्मिक गुरु भी थे। केवल 25 साल की उम्र में ही उन्होंने सांसारिक मोह माया का त्याग कर दिया और संन्यासी बन गए। स्वामी विवेकानंद को धर्म, दर्शन, इतिहास, कला, सामाजिक विज्ञान, साहित्य के ज्ञाता कहा जाता है। शिक्षा के साथ ही वे भारतीय शास्त्रीय संगीत का भी ज्ञान रखते थे। विवेकानंद जी एक अच्छे खिलाड़ी भी थे। उन्होंने अमेरिका के शिकागो में सन् 1893 में आयोजित विश्व धर्म महासभा में भारत की तरफ से सनातन धर्म का प्रतिनिधित्व किया था।

भारत का आध्यात्मिकता से परिपूर्ण वेदान्त दर्शन अमेरिका और यूरोप के हर एक देश में स्वामी विवेकानन्द की वजह से ही पहुंच पाया। उन्होंने रामकृष्ण मिशन की स्थापना की थी जो आज भी अपना काम कर रहा है। वे रामकृष्ण परमहंस के योग्य शिष्य थे। उन्हें अमेरिका में भाषण देते वक्त 2 मिनट का समय दिया गया था, पर उन्हें अपने भाषण की शुरुआत ‘मेरे अमेरिकी बहनों एवं भाइयों’ के साथ करने के लिये जाना जाता है। उनके संबोधन के इस पहले वाक्य ने सबका दिल जीत लिया था। विवेकानन्द ने संयुक्त राज्य अमेरिका, इंग्लैंड और यूरोप में हिंदू दर्शन के सिद्धान्तों का प्रचार किया। भारत में विवेकानन्द को एक देशभक्त सन्यासी के रूप में माना जाता है और उनके जन्मदिन को राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाया जाता है।

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