इंद्रधनुष के सात रंगों से भी रंगीन है भारतीय कला, जानें इसका महत्व

भारत के अलग-अलग क्षेत्रों में आपको अलग-अलग तरह की संस्कृति के साथ, कला का भी अलग रूप देखने को मिलेगा। इन कलाओं की अपनी अलग-अलग खासियत भी है, जिसके कारण ये पूरे विश्व में जानी जाती है।

भारतीय कला (Indian Art) पूरे विश्व में सबसे ज़्यादा समृद्ध है और क्रिएटिवी से भरपूर है। इसका इतिहास भी काफी प्राचीन है। यहां कला का विकास आज के समय में नहीं हुआ है। माना जाता है कि भारत में कला की शुरुआत देवी-देवताओं से हुई है। भारतीय कला के बारे में कहा जाता है कि यह इंद्रधनुष के सात रंगों से भी रंगीन है।

भारतीय कला में लोक नृत्य (Folk Dance) से लेकर लोकगीत तक, सब समाहित हैं। भारत के अलग-अलग क्षेत्रों में, आपको अलग-अलग तरह की संस्कृति के साथ, कला के भी अलग-अलग रूप देखने को मिलेंगे।

इन कलाओं की अपनी अलग-अलग खासियत भी है, जिसके कारण ये पूरे विश्व में जानी जाती है। कला और संस्कृति के मामले में भारत हज़ारों सालों से समृद्ध रहा है। यहां के कला को लेकर कई सारे रिसर्च भी किए गए हैं।

सोलवेदा हिंदी के इस आर्टिकल में हम आपको भारतीय कला का महत्व बताने के साथ ही, इसकी समृद्धि के बारे में भी बताएंगे। साथ ही यहां की कला किस तरह से औरों से अलग है, इसके बारे में भी बताएंगे।

भारतीय कला का इतिहास (Bharateey kala ka itihaas)

भारतीय कला का इतिहास काफी समृद्ध रहा है। हड़प्पा काल से ही भारत देश में कला अलग-अलग रूपों में देखने को मिलती है। हड़प्पा काल के बाद मौर्य वंश के शासन काल में भी कला को काफी महत्व मिला। इस वक्त कला को मंदिरों में काफी संरक्षण मिला। इसके अलावा अलग-अलग राजाओं ने भी कला को काफी प्रोत्साहित किया।

मुगल काल में भी इंडियन आर्ट को सहयोग मिला, जिसके कारण यहां के कला में निखार आया। वहीं, आज के दौरान भारत के लोगों ने अपनी कलाकृति के माध्यम से पूरे देश में लोहा मनवाया है। चाहे वो डोकरा आर्ट हो या फिर मधुबनी पेंटिंग।

भारत में 50 से अधिक कलाएं हैं (Bharat mein 50 se adhik kalayein hain)

भारत विविधताओं का देश है। यहां के अलग-अलग क्षेत्रों की अपनी अलग संस्कृति है और वहां की अपनी कला भी है। भारत में 50 से अधिक पारंपरिक लोक और आदिवासी कलाएं हैं। इन सभी की खूबी और खासियत भी अलग-अलग है। प्राचीन काल से ही भारतीय आर्ट की पूरे विश्व में काफी ज़्यादा महत्व मिलता रहा है, जो आज के दौर में काफी बढ़ गया है। 

भारतीय कला के क्षेत्र में पुराने दौर से ही काफी कार्य हुए हैं। इन वजहों से आप चाहें किसी पुराने मंदिर में जाएं या फिर ऐतिहासिक स्थलों पर, आपको वहां कला का अनोखा संगम दिख जाएगा। 

भारतीय कला के हैं अलग-अलग रूप (Bharateey kala ke hain alag-alag roop) 

इंडियन आर्ट के कई रूप हैं। इसमें चित्रकला, वास्तुकला, भारतीय मूर्तिकला और अन्य शामिल हैं। आपको भारत के विभिन्न क्षेत्रों में, इन सभी के अलग प्रकार देखने को मिल जाएंगे। भारत के हर शहर और गांव की अपना कला है, जिसमें कई ऐसी कलाएं हैं, जो आज भी लोगों की पहुंच से काफी दूर हैं। 

समय के साथ कुछ कलाकृति धूमिल होती चली गई, लेकिन अन्य कलाओं ने समाज और देश में ही नहीं बल्कि विश्व में अपनी जगह बनाई। देश के किसी भी शहर में आप चले जाएं, वहां किसी मंदिर में, किसी पुरानी इमारत में या फिर किसी पुरानी तस्वीर में आपको कला की एक अलग कहानी दिखेगी।

भारतीय कला का महत्व (Bharateey kala ka mahatv) 

जैसा कि हम सब जानते हैं, भारत की संस्कृति विविधताओं से भरी हुई है। इसलिए यहां की कला भी विविधताओं वाली है। भारतीय समाज में कलाकृति पूरी तरह से समाहित है। पर्व-त्योहार में भी आपको इस देश में कला का संगम दिखता है, जो आज पूरे विश्व को अपनी ओर आकर्षित कर रहा है। भारतीय धार्मिक ग्रंथों में कला को काफी महत्व दिया गया है। आज भारत के कई ऐसे कलाकार हैं, जो अपने हुनर के बदौलत पूरी दुनिया में अपना नाम कमा रहे हैं। 

इस आर्टिकल में हमने भारतीय कला के महत्व के बारे में बताया। साथ ही कला किस तरह से भारतीय संस्कृति में समाहित है, उसके बारे में भी बताया है। इसी तरह के और भी आर्टिकल पढ़ने के लिए सोलवेदा हिंदी से जुड़े रहें।

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