महिला वैज्ञानिक दिवस: साइंस की दुनिया में महिलाओं का परचम

महिलाएं विज्ञान के क्षेत्र में तरक्की कर रही हैं, जिससे समय-समय पर पूरी दुनिया को ये एहसास होता रहता है कि महिलाओं के हाथ सिर्फ रंग-बिरंगी चूड़ियां पहनने और गोल रोटियां सेंकने के लिए नहीं बने।

“दुनिया चांद पर पहुंच गई है।”  ये लाइन अब किसी कहावत की तरह नहीं रही बल्कि ये साबित हो चुका है। भारत ने कुछ ही दिनों पहले चंद्रयान विक्रम रोवर के ज़रिए चांद पर अपना परचम लहराया दिया है। ये सब संभव हुआ टीम इसरो की वजह से। टीम इसरो के महान वैज्ञानिकों में सिर्फ पुरूष नहीं बल्कि महिलाओं ने भी अपनी बुद्धि और ज्ञान के बल पर पूरे देश का दिल जीत लिया। महिलाएं विज्ञान के क्षेत्र में तरक्की कर रही हैं, जिससे समय-समय पर पूरी दुनिया को ये एहसास होता रहता है कि महिलाओं के हाथ सिर्फ रंग-बिरंगी चूड़ियां पहनने और गोल रोटियां सेंकने के लिए नहीं बने, वो हाथ तो रंग-बिरंगी चूड़ियां पहनकर भी कई रसायनों को आपस में मिलाकर, कुछ नया अविष्कार करने का भी दम रखते हैं।

आज हर क्षेत्र में महिलाएं, पुरुषों के कदम से कदम मिलाकर चल रहीं हैं। हर फील्ड की तरह महिलाएं अब साइंस की दुनिया में भी पीछे नहीं छूटी हैं। भारत की पहली प्रधानमंत्री हो या तत्काल की वित्त मंत्री। लड़कियां और महिलाएं हर ज़िम्मेदारी को बखूबी निभाती आई हैं। उन्हें घर में रहकर बच्चा पालना भी आता है और बाहर ऑफिस में हर काम को वक्त पर पूरा करना भी आता है। 

इतना कुछ संभालने के बाद भी जब विज्ञान और गणित की बात आती है, तो फिर भी लड़कियों को कम आंका जाता है। हालांकि, आज की महिलाएं अपनी चतुराई और विवेक के बल पर अपने हर प्रतिद्वंद्वी का डट कर सामना कर रही है। विज्ञान और प्रौद्योगिकी (Technology) में महिलाओं और बालिकाओं की खास भूमिका की तारीफ करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय महिला वैज्ञानिक दिवस दिवस मनाया जाता है। महिला वैज्ञानिक दिवस को मनाने का उद्देश्य विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में लैंगिक समानता को बढ़ावा देना है। आइए हम महिला वैज्ञानिक दिवस के विषय में और भी बहुत ही ज़रूरी बातें जानते हैं।

किसी दिन मनाया जाता है महिला वैज्ञानिक दिवस? (Kis din manaya jata hai Mahila Vaigyanik Divas?)

विज्ञान में लड़कियां और महिलाओं का अंतर्राष्ट्रीय दिवस हर साल 11 फरवरी को मनाया जाता है। सिर्फ भारत देश ही नहीं बल्कि पूरा विश्व महिला वैज्ञानिक दिवस को काफी गर्व के साथ मनाता है। इस दिन को मनाने का लक्ष्य है कि विज्ञान के क्षेत्र में महिलाएं और लड़कियां भी उतना ही आगे बढ़कर आएं जितना कि पुरुष हैं। इस दिन हर महिला और बालिकाओं से समाज की जंजीर तोड़ने की उम्मीद की जाती है।

महिला वैज्ञानिक दिवस की शुरुआत (International Day of Women and Girls in Science ki shuruaat)

महिला वैज्ञानिक दिवस को मनाने के लिए 22 दिसंबर, 2015 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने संकल्प पारित किया था। महिला वैज्ञानिक दिवस को विज्ञान और प्रौद्योगिकी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली महिलाओं और लड़कियों को याद किया जाता है।

विज्ञान में लड़कियों और महिलाओं का अंतर्राष्ट्रीय दिवस, यूनेस्को और संयुक्त राष्ट्र महिला संग ने लागू किया है, जिसका उद्देश्य अंतर-सरकारी एजेंसियों और संस्थानों के साथ-साथ नागरिक समाज के साथ मिलकर, विज्ञान में महिलाओं और लड़कियों को बढ़ावा देना है। महिला वैज्ञानिक दिवस महिलाओं और लड़कियों के लिए विज्ञान में भागीदारी करने और समाज में समानता की सोच को बढ़ाने के लिए मनाया जाता है।

कितना आगे बढ़ीं हैं देश की बेटियां? (Kitna aage badhi hain desh ki betiyan?)

महिलाओं और लड़कियों के लिए बनी समाज की कुरीतियों से तो हम सब ही वाकिफ हैं। महिलाएं हमेशा से ही समाज से अपने अधिकारों के लिए लड़ती रही हैं और इस जंग में उन्हें बहुत हद तक सफलता भी मिली है। इसके फल के रूप में, भारतीय महिलाएं ऊर्जा से लबरेज, दूरदृष्टी रखने वाली, साहस और निडरता के साथ सभी चुनौतियों का सामना करने में सफल हैं। भारत के प्रथम नोबेल पुरस्कार विजेता रवींद्रनाथ टैगोर ने कहा है कि “हमारे लिए महिलाएं न केवल घर की रोशनी हैं, बल्कि इस रोशनी की लौ भी हैं। अनादि काल से ही महिलाएं मानवता की प्रेरणा का स्रोत रही हैं।” 

झांसी की रानी लक्ष्मीबाई से लेकर भारत की पहली महिला शिक्षिका सावित्रीबाई फुले तक, महिलाओं ने बड़े पैमाने पर समाज में बदलाव के बड़े उदाहरण दिए हैं। आनंदीबाई गोपालराव जोशी (1865-1887) पहली भारतीय महिला चिकित्सक थीं और संयुक्त राज्य अमेरिका में पश्चिमी चिकित्सा में दो साल की डिग्री के साथ स्नातक होने वाली पहली महिला चिकित्सक रही हैं। हरियाणा की संतोष यादव ने दो बार माउंट एवरेस्ट फतेह किया। मौसम वैज्ञानिक के तौर पर मशहूर अन्ना मणि न सौर विकिरण, ओजोन परत और वायु ऊर्जा के क्षेत्र में उल्लेखनीय काम किया। भारतीय इतिहास महिलाओं की उपलब्धि से भरा पड़ा है और ये उपलब्धियां अब भी जारी हैं। 

महिलाओं ने समानता की खोखली दीवारों को गिरा दिया है और आज वो हर क्षेत्र में अपना परचम लहरा रही हैं। देश की महिलाओं की तरक्की ही देश की तरक्की है और इसी बात को उजागर करने के लिए महिला वैज्ञानिक दिवस मनाया जाता है।

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