ग्रामीण महिला दिवस

ग्रामीण महिला दिवस: शहर से दूर बसी महिलाओं की ज़िंदगी पर एक नज़र

ग्रामीण महिलाओं का जीवन घर-परिवार, शादी, बच्चे और आर्थिक समस्याओं में जूझते हुए गुज़र जाता है। ऐसे में महिलाओं का लैंगिक समानता हासिल करना और उन्हें सशक्त बनाना न केवल सही काम है बल्कि बहुत ज़्यादा गरीबी, भूख और कुपोषण के खिलाफ लड़ाई में एक महत्वपूर्ण घटक है।

दुनिया अपनी तरक्की के चरम पर है। चाहे चांद पर पहुंचना हो या अपने पूरे परिवार का पेट भरना, महिलाएं दोनों ही काम को पूरा करने का कौशल रखती है। बड़े-बड़े मेट्रो शहर में आज हर दूसरी महिला घर के साथ ऑफिस को भी बखूबी संभाल रही है।

वहीं ग्रामीण महिलाओं का जीवन आज़ादी के इतने सालों बाद भी वहीं का वहीं है। वो आज भी सिर्फ घर के चूल्हे तक सीमित हैं। उन औरतों को अब भी शिक्षा से दूर रखा जाता है। वो हर रोज़ लैंगिक असमानता का सामना करती हैं। उन्हें पुरुषों की तरह राजनीतिक और सामाजिक कार्यों में बोलने की आज़ादी नहीं है।

ग्रामीण महिलाओं का जीवन घर-परिवार, शादी, बच्चे और आर्थिक समस्याओं में जूझते हुए गुज़र जाता है। ऐसे में महिलाओं का लैंगिक समानता हासिल करना और उन्हें सशक्त बनाना न केवल सही काम है बल्कि बहुत ज़्यादा गरीबी, भूख और कुपोषण के खिलाफ लड़ाई में एक महत्वपूर्ण घटक है।

महिलाओं को पुरुषों के समान अवसर देने से सबसे गरीब क्षेत्रों में कृषि उत्पादन 2.5 से 4 प्रतिशत तक बढ़ सकता है और कुपोषित लोगों की संख्या 12 से 17 प्रतिशत तक कम हो सकती है। महिलाओं को समान अधिकार मिलने से सिर्फ उनका ही जीवन नहीं बदलता है बल्कि पूरे समाज को इससे फायदा मिल सकता है।

अगर उन्हें सही शिक्षा मिले तो महिलाएं खेती में निपुण बन सकती हैं। महिलाएं और ग्रामीण लड़कियां भी शहरों में रहने वाली महिलाओं की तरह नौकरी और परिवार दोनों संभालने की हिम्मत रखती है। वो अपने कलात्मक विचारों और सोच से देश की उन्नति में मदद करने योग्य हैं। हमें बस उन्हें सही शिक्षा और अवसर देने की ज़रूरत है। 

शहर से दूर बसी ग्रामीण महिलाओं पर ध्यान देते हुए ‘ग्रामीण महिला दिवस’ मनाने की शुरुआत हुई। आइए इसके बारे में और जानते हैं।

ग्रामीण महिला दिवस कब है? (Gramin mahila divas kab hai?)

हर साल 15 अक्टूबर को पूरे विश्व में ‘अंतरराष्ट्रीय ग्रामीण महिला दिवस’ (International Day of Rural Woman) मनाया जाता है।

बीजिंग में महिलाओं पर चौथे विश्व सम्मेलन में, नागरिक समाज संगठनों द्वारा 1995 में पहली बार ‘ग्रामीण महिलाओं का अंतर्राष्ट्रीय दिवस’ मनाया गया था। वहीं, वर्ष 2007 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा इस दिवस को आधिकारिक रूप से संयुक्त राष्ट्र दिवस के रूप में घोषित किया गया था। 

ग्रामीण महिला दिवस क्यों मनाया जाता है? (Gramin mahila divas kyon manaya jata hai?)

‘अंतरराष्ट्रीय ग्रामीण महिला दिवस’ को मनाने का उद्देश्य कृषि विकास, ग्रामीण विकास, खाद्य सुरक्षा और ग्रामीण गरीबी को जड़ से मिटाने में, महिलाओं के महत्व के प्रति लोगों को जागरूक करना है। 

इस दिन को मनाने का कारण यह भी है कि समाज की नज़र ग्रामीण महिलाओं की ओर पड़े और सब एकजुट होकर उन्हें भी विकसित होने में मदद करें।

ग्रामीण महिला दिवस 2023 की थीम (Gramin mahila divas 2023 ki theme)

अंतर्राष्ट्रीय ग्रामीण महिला दिवस 2023 की थीम है, ‘डिजिटऑल (DigitALL): इनोवेशन एंड टेक्नोलॉजी फॉर जेंडर इक्वेलिटी’। इसका उद्देश्य उन महिलाओं और लड़कियों की पहचान करना है, जो प्रौद्योगिकी (Technology) और डिजिटल शिक्षा की उन्नति में योगदान दे रही हैं।

ग्रामीण भारत की स्थिति (Gramin bharat ki sthiti)

देश का 64.13% हिस्सा ग्रामीण है। हम बड़े-बड़े शहरों में और महंगी सुख-सुविधाओं में रहने वाले लोग, असल मायने में ग्रामीण जीवन पर निर्भर हैं। ग्रामीण क्षेत्रों से हमें अन्न प्राप्त होता है, तब हम अपनी थाली भर पाते हैं। पिछले कई सालों से असंख्य ग्रामीण विकास योजनायें और परियोजनायें लाईं गईं, मगर दुर्भाग्यवश, भारतीय गांव आज भी बहुत सारी परेशानियों से जूझ रहे हैं।

भारतीय गांवों में बेरोज़गारी, अशिक्षा, अंधकार, पानी, बिजली, आवास, अंधविश्वास, सड़क, सिंचाई आदि जैसी कई समस्याएं किसी से छुपी नहीं है। उद्योग धंधों की कमी के कारण, गांव के लोग रोज़गार के लिए मुख्य रूप से कृषि पर निर्भर हैं। कृषि रोज़गार का मुख्य स्रोत होने के कारण किसान मौसमी बेरोज़गारी से भी जूझ रहे हैं। 

यह भी सच है कि सिंचाई की कमी के कारण, भारतीय कृषि मॉनसून पर निर्भर होती है। अगर किसान खेती भी करें तो मानसून की देरी के कारण फ़सलें खराब हो जाती हैं। गरीबी और शिक्षा व्यवस्था की खराब हालत की वजह से ग्रामीण बच्चे अशिक्षित रह जाते हैं। अशिक्षा के कारण, लोग अंधविश्वास, जातिवाद, महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार जैसे कई अन्य समस्याओं से घिरे रहते हैं। 

ग्रामीण जीवन की ऐसी बहुत-सी समस्याएं हैं, जिनसे आज भी गांव में रहने वाले लोगों और खासकर महिलाओं को रोज़ दो-चार होना पड़ता है। वो इतनी परेशानियों के बीच भी आत्मनिर्भरता और संयुक्त परिवारों के महत्व को जानते हैं। हमें अपने ग्रामीण भारत के विकास की तरफ ध्यान देना होगा ताकि ग्रामीण भारत भी नगरीय भारत की तरह विकसित हो सकें और वहां रहने वाली महिलाओं, बच्चों और सामान्य नागरिकों को सामाजिक, आर्थिक और वैश्विक समस्याओं का सामना न करना पड़े।

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