महान व्यक्ति

दुनिया के 7 महान व्यक्ति, जिन्हें देर से मिली सफलता

जब तक आपके मन में कुछ कर गुज़रने का जज्बा बरकार है, तब तक आप अपनी ज़िंदगी में हर मुकाम पा सकते हैं। तब यह मायने नहीं रखता है कि आप उम्र के किस पड़ाव पर पहुंच गए हैं।

“ज़िंदगी में आप नया लक्ष्य तय करने या एक नए सपना देखने के लिए कभी भी बूढ़े नहीं होते हैं।” -सीएस लुईस

जीवन में हर सक्सेस स्टोरी की बुनियाद सपने के साथ पड़ती है। सपने जीवन के वे सार तत्व हैं, जो हमें हर मुश्किल चीज़ को पाने के लिए उत्साहित करते हैं। लेकिन, सभी सपने साकार हो जाते हैं, यह कहना थोड़ी अतिश्योक्ति लग सकती है। जीवन में किसी को जल्दी मुकाम मिल जाता है, तो किसी को बहुत देर से सफलता हाथ लगती है। कभी-कभार जैसे-जैसे आप उम्र के आखिरी पढ़ाव पर पहुंच जाते हैं, तो आपका ध्यान भटकने लगता है। जिम्मेवारियां बढ़ जाती हैं और एक अज्ञात डर से आपके सपने कमजोर पड़ने लगते हैं। इसके बाद आप हार मान लेते हैं और अपने सपनों के आगे घुटने टेक देते हैं। अब आप अपने वर्तमान हालात के बीच ही सामंजस्य बैठाने की जुगत में लग जाते हैं। इससे पहले कि आप अपनी कमियों पर कुछ विचार करते, आपके बाल पकने लगते हैं। साथ ही आपके सपने जो सोते-जागते आपको याद दिलाते थे, अब आप देखेंगे कि समय के साथ वे भी धूमिल पड़ने लगते हैं।

जहां तक सफलता का सवाल है, इसे किसी उम्र के नज़रिए से आकलन करना बेमानी होगी। भले ही आपकी उम्र 30 की हो या 70 की। अगर आप अपने सपनों के प्रति ईमानदार हैं, तो वे उम्र के आखिरी पड़ाव तक आपका पीछा करते हैं और जब तक आप उसे पूरा कर नहीं लेते तब तक आपके साथ बने रहते हैं। जब तक आपके भीतर हार न मानने का जुनून सवार है, तब तक आप जो भी मुकाम पाना चाहते हैं वो ज़रूर पा लेंगे। सिर्फ और सिर्फ आपको अपने आसपास उन सक्सेस स्टोरी पर नज़र बनाए रखने की ज़रूरत है, जो हमें प्रेरित कर सकती हैं। आप देखेंगे कि ऐसे तमाम महान व्यक्तियों की कहानियां हमारे आसपास मौजूद हैं। इन लोगों को लेट ब्लूमर कहते हैं, यानि जिन्हें देर से सफलता हाथ लगी है। इन लोगों ने सपनों को कभी पीछा करना नहीं छोड़ा, चाहे भले ही उनके रास्ते में लाख परेशानियां ना आई हों। यदि ऐसे लोगों में कुछ कर गुजरने की चाहत है, तो आप मान लीजिए कि आप भी अपने मुकाम को ज़रूर हासिल कर सकते हैं।

यहां कुछ ऐसे महान व्यक्तियों की सक्सेस स्टोरी बता रहे हैं, जिन्होंने अपने जीवटता के दम पर सफलता हासिल की है। जो हमें भी कुछ कर गुजरने के लिए मोटिवेट करते हैं। ये सीख देते हैं कि ज़िंदगी में कुछ भी असंभव नहीं है। बस ज़रूरत है कि आप सपने देखना कभी न छोड़ें और आखिरी दम तक उन्हें साकार करने में पूरा दमखम लगा दें।

कर्नल सैंडर्स

अपने उम्र के आखिरी पढ़ाव पर पहुंचने के बाद 62 वर्ष की आयु में महान व्यक्ति कर्नल सैंडर्स उर्फ ​​हरलान डेविड सैंडर्स ने केंटकी फ्राइड चिकन (केएफसी) की नींव रखी। साल 2020 तक केंटकी फ्राइड चिकन (केएफसी) दुनिया के करीब 150 से अधिक देशों में फैल चुका है। आज यह निश्चित तौर पर स्वर्गीय कर्नल सैंडर्स उर्फ ​​हरलान डेविड सैंडर्स के लिए बड़ी कामयाबी है। महान व्यक्ति कर्नल सैंडर्स की उम्र में पहुंचने तक हम लोगों में से अधिकतर लोग रिटायरमेंट के बाद घर पर सुकून की ज़िंदगी जीना चाहते हैं, लेकिन कर्नल सैंडर्स ने इस धारणा को तोड़ा है। उन्होंने अपने जीवन में आने वाली तमाम परेशानियों को दरकिनार कर अपने सपने को पूरा करने में जुट गए। आखिरकार, अधेड़ उम्र में पहुंचने के बाद उन्हें सफलता हाथ लगी।

अपने जीवन में देर से मुकाम हासिल करने वाले कर्नल सैंडर्स की कहानी बड़ी दिलचस्प है। आज वे जिस मुकाम पर पहुंचे हैं वह यूं ही नहीं मिली है। इसके पीछे संघर्ष की लंबी दास्तां है। जब वे 5 साल के थे तब उनके पिता की मृत्यु हो गई। इंडियाना में अपने भाई-बहनों का पालन-पोषण करने के लिए  उन्होंने अपने शुरुआती दिनों में खेती-किसानी, बस में कंडक्टर व इंश्योरेंस कंपनी में बतौर एक एजेंट तक का काम किया। भले ही आज उनका पाक कला के क्षेत्र में बड़ा नाम है।

अपने जीवन में तमाम विफलताओं व दुश्वारियां झेलने के बाद कर्नल सैंडर्स  जैसे महान व्यक्ति ने साल 1952 में केएफसी की पहली फ्रैंचाइज़ी की नींव रखी। ऐसा कहा जाता है कि उस वक्त करीब एक हजार से भी ज्यादा रेसिपी को लोगों ने रिजेक्ट कर दिया था। लेकिन, उन्होंने हार नहीं मानी। कई विफलताओं के बाद आखिरकार उन्हें वह सीक्रेट रेसिपी हाथ लग गई, जो केएफसी को आज आसमान की ऊंचाई पर ले जा रही है। आज पूरी दुनिया में लाखों लोग केएफसी की रेसिपी का स्वाद लेते हैं। भले ही कर्नल सैंडर्स को देर से सफलता मिली, लेकिन उनकी इस कहानी का लब्बोलुबाब यह है कि ज़िंदगी में उम्र महज एक नंबर के अलावा कुछ भी नहीं है।

जेके रॉउलिंग

प्रतिभा की धनी जेके राउलिंग की पहचान किसी से छिपी नहीं है, उन्हें हर कोई जानता है और वह एक महान व्यक्ति हैं। वे भी उन लोगों में शुमार हैं, जिन्हें जीवन में सफलता बहुत देर से मिली है। वह कलम की जादूगर हैं। फैंटसी फिक्शन की महारानी जेके रॉउलिंग ने अपनी लेखनी के दम पर हैरी पॉटर जैसे किरदार को जन्म दिया है। लेकिन, उनकी शुरुआती ज़िंदगी बहुत मुश्किल भरी रही है। जब उनकी उम्र 30 साल होने वाली थी तभी उन्हें गर्भपात करना पड़ा। इसके बाद एक बच्चा होने के बाद उनके पति ने तलाक दे दिया। ऐसी स्थिति में बच्चे की देखभाल की जिम्मेवारी उन पर आ गई। उस वक्त वह बेरोजगारी का दंश झेल रही थी। सरकार से मिलने वाली राशि से वह अपना गुजर-बसर करती थीं। हार्वर्ड विश्वविद्यालय में एक कार्यक्रम के दौरान जैसा कि उन्होंने बताया था कि उनकी ज़िंदगी में महज दो चीज़ें बची थीं। एक उनका पुराना टाइपराइटर और दूसरा आइडिया। साल 1995 में उन्होंने हैरी पॉटर का पहला ड्राफ्ट लिखा। लेकिन, किस्मत ने यहां भी साथ नहीं दिया। उसे भी 12 पब्लिशर्स ने रिजेक्ट कर दिया। पर उन्होंने अपना प्रयास कभी नहीं छोड़ा। करीब दो साल बीतने के बाद ब्लूम्सबरी चिल्ड्रन बुक्स ने हैरी पॉटर की 1000 प्रतियां छापने के लिए राजी हो गया और उनके साथ करार कर लिया। वह उनके हिसाब से कुछ ज्यादा नहीं थी, लेकिन शुरुआत के लिए इतनी काफी थी।

कुछ महीने बाद आखिरकार उनकी मेहनत साकार हो गई और पूरी दुनिया में हैरी पॉटर को लेकर एक गजब का आकर्षण पैदा हो गया।

ग्रैंड मा मूसा

आपकी उम्र कितनी ढल गई है? लोगों की तरफ पूछे जाने वाले इस प्रश्न को सुनकर अन्ना मैरी रॉबर्टसन मूसा उर्फ ​​ग्रैंड मा मूसा अपने जीवन में कभी परेशान नहीं हुईं और वह एक महान व्यक्ति हैं। अर्थराइटिस की मरीज होने के बावजूद अपनी उम्र की आखिरी दहलीज पर खड़ी ग्रैंड मा मूसा को पेंटिंग से इतना लगाव था कि वह अपने हाथों में ब्रश लेकर पेंटिंग करती थीं। 76 साल की उम्र में अन्ना मैरी रॉबर्टसन जैसी महान व्यक्ति ने अपनी पहली पेंटिंग तैयार की। इसके बाद जब तक वह जिंदा रहीं, पेंटिंग की यह यात्रा 25 साल तक यूं ही जारी रही। इस उम्र में भी वह अपनी कलात्मक कौशल से पूरी दुनिया को काफी प्रभावित करती रहीं। उनकी पेंटिंग सुगरिंग ऑफ साल 2006 में करीब 1.2 मिलियन अमेरिकी डॉलर में बिकी थी।

जूलिया चाइल्ड

जूलिया चाइल्ड की ज़िंदगी और उनकी कामयाबी लोगों के लिए काफी प्रेरित करने वाली रही है। 49 साल की उम्र में मुकाम हासिल करने वाली महान व्यक्ति जूलिया चाइल्ड की पहली बुक ‘मास्टरिंग द आर्ट ऑफ फ्रेंच कुकिंग’ छपी। इसके बाद जब वह 51 साल की हुईं, तो पहली बार टेलीविजन पर उनका कुकिंग शो को दुनिया ने देखा। यह बात साल 1963 की है। अपनी उम्र की आखिरी पड़ाव पर पहुंचते-पहुंचते अपने दम पर 69 साल की उम्र में इस महान व्यक्ति ने अमेरिकन इंस्टीट्यूट ऑफ वाइन एंड फूड की नींव रखी। इसके बाद भी उनका जज्बा बरकार रहा है। 72 साल की उम्र में वह ‘द वे टू कुक’ नामक 6 वीडियो टेप की सीरिज पूरी कर चुकी थीं। महान व्यक्ति जूलिया चाइल्ड की ज़िंदगी पर एक बॉयोपिक फिल्म ‘जूली एंड जूलिया’ भी बन चुकी है। इसमें मशहूर अभिनेत्री मेरिल स्ट्रीप ने उनका किरदार निभाया है।

कैथरीन जोस्टेन

हॉलीवुड की दुनिया में पैर रखने से पहले महान व्यक्ति कैथरीन जोस्टेन अपने शुरुआती दिनों में वह शिकागो में एक मनोरोग नर्स का काम करती थीं। मेडिकल पेशे में रहते हुए उन्होंने एक मनोचिकित्सक से शादी कर रखी थीं। उन्हें लगता था कि उनकी ज़िंदगी अब बहुत ही सुकून से कट जाएगी। लेकिन, यह सपना जल्द ही टूट गया। उनके पति को शराब की बुरी लत लग गई। इसके बाद उन्होंने अपनी शादी तोड़ दी और ज़िंदगी फिर से संघर्ष के मोड़ पर आ गई। जीविका चलाने के लिए उन्होंने वॉलपेपर और पेंटिंग बेची और अपने बच्चों की परवरिश के लिए सेल्सपर्सन तक का काम किया। आखिरकार अपने सपने को पूरा करने के लिए 56 साल की उम्र में यह महान व्यक्ति एक्ट्रेस बनने के लिए उन्होंने हॉलीवुड का रूख किया। अगर आपकी कोई पहचान ना हो या कोई काम का अनुभव ना हो, तो जिंदगी में इस तरह के सपने देखना आम लोगों की बस की बात नहीं है। लेकिन, कैथरीन जोस्टेन ने ऐसे सपने देखने व हिम्मत जुटाई, जिससे वो सफल भी हुईं। शुरुआती दिनों में फिल्मों के छोटे-छोटे रोल मिलने के बाद उन्हें फैमिली मैटर्स, द वेस्ट विंग और कई हिट टेलीविजन सीरीज़ में लीड रोल मिला। एक फिल्म में परेशान रहने वाली हाउसवाइफ का किरदार निभाने के लिए उन्हें दो एमी अवॉर्ड भी मिले। वह वास्तव में एक महान व्यक्ति थीं।

ताइकिचिरो मोरी

पेशे से इकोनॉमी के प्रोफेसर रहे ताइकिचिरो मोरी जैसे महान व्यक्ति ने 55 साल की उम्र में अपनी नौकरी छोड़ रियल एस्टेट निवेश की दुनिया में अपनी किस्मत आजमाने के लिए आए। हालांकि, उन्हें यह कारोबार पुश्तैनी मिला था। जब वर्ष 1993 में यह महान व्यक्ति ताइकिचिरो मोरी दुनिया छोड़कर चले गए, तो फोर्ब्स मैगजीन ने दो बार उन्हें दुनिया के सबसे अमीर आदमी होने की सूची में शुमार किया।

रेमंड अल्बर्ट क्रोक

मिल्क शेक मशीन बेचने वाला यह महान व्यक्ति कैसे एक अरब डॉलर की फास्ट-फूड कंपनी का मालिक बन गया? इस सपने को पूरा करने वाले शख्स का नाम है रेमंड अल्बर्ट क्रो। उनकी सक्सेस स्टोरी भी किसी प्रेरणा से कम नहीं है। 52 साल की उम्र में एक हैमबर्गर बेंचर को मिल्क शेक मशीन बेचते-बेचते उन्होंने मैकडॉनल्ड्स जैसे फूड चेन को खरीद लिया। इस दौरान उन्हें काफी आर्थिक संकटों के दौर से गुजरना पड़ा, लेकिन आज यह दुनिया की सबसे बड़ी फास्ट-फूड कंपनी है।

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