भाई बहन का दिन

भाई बहन के दिन को मनाकर करें बचपन की यादें ताज़ा

कहते हैं, सिबलिंग एक-दूसरे को ज़रूरत पड़ने पर अपने शरीर का कोई भी पार्ट दे सकते हैं, पर अगर आप उनसे एक ग्लास पानी मांग लें, तो वो आपको कभी लाकर नहीं देंगे। वाकई भाई-बहन का यह रिश्ता बहुत खास होता है।

वैसे तो भाई-बहन का ये प्यारा-सा रिश्ता किसी एक दिन का मोहताज नहीं है, पर फिर भी जैसे बाकी के सभी रिश्तों के लिए एक खास दिन चुना गया है, वैसे ही भाई-बहन के लिए भी एक खास दिन हर साल आता है। हालांकि, भाई-बहन का प्यार सेलिब्रेट के लिए रक्षाबंधन मनाया जाता है, पर मैं यहां बात कर रही हूं सिबलिंग डे यानी कि भाई-बहन के दिन की। सिबलिंग डे पर भाई-बहन के खट्टे-मीठे रिश्ते को अहमियत दी जाती है। 

मैं अपने एक भाई और तीन बहनों में सबसे छोटी हूं। भाई सबसे बड़े हैं और हम सबके चहेते भी हैं। चहेते होने का मतलब ये नहीं कि कभी हममें लड़ाई नहीं हुई, पर बावजूद इसके ये रिश्ता कुछ ऐसा होता है, जो कभी आपसे दूर नहीं हो सकता। मुझे याद है, बचपन में एक बार मम्मी बहुत बीमार थी, तब हम छोटी-छोटी बहनों को, उन्होंने अपनी छोटी-सी उम्र में ही खाना बनाकर खिलाया था। जब हम बड़े हुए तो हम सब हर छोटी-बड़ी बातों पर खूब लड़ा करते थे। भईया गुस्से में मम्मी-पापा से बड़ी बहन की शादी कर देने को कहते, पर जब उनकी सच में शादी हुई तो विदाई में सबसे ज़्यादा वही रोये थे। मेरी बहनों ने मुझे हमेशा एक छोटे बच्चे की तरह रखा। मम्मी अगर कोई काम मुझे करने को कहकर जातीं, तो मेरी बहनें वो काम खुद कर दिया करती थीं और ये भी सच है कि उन्होंने बहुत बार मुझे मम्मी से ये कहकर खूब डांट भी पड़वाई है कि मैं घर में कोई काम नहीं करती। मगर, जब-जब मम्मी ने मुझे डांटतीं, तो बचाने भी वे खुद आ जाया करती थीं। 

बहन-बहन या भाई-बहन के प्यार में एक बात तो सच है कि आप ये पता नहीं लगा सकते कि सामने वाला आपका दोस्त है या दुश्मन! ये रिश्ता होता ही ऐसा है चुलबुला और प्यारा। कहते हैं, सिबलिंग एक-दूसरे को ज़रूरत पड़ने पर अपने शरीर का कोई भी पार्ट दे सकते हैं, पर अगर आप उनसे एक ग्लास पानी मांग लें, तो वो आपको कभी लाकर नहीं देंगे। वाकई भाई-बहन का यह रिश्ता बहुत खास होता है। तो चलिए आज सोलवेदा के साथ मैं और आप मिलकर अपने बचपन की कुछ यादें ताज़ा करें और भाई बहन के दिन को सेलिब्रेट करें।

खट्टा-मीठा है ये भाई-बहन का रिश्ता (Khatta mitha hai ye bhai bahan ka rishta)

पापा की डांट और मम्मी की फटकार से जो बचा लेता है, अगर आपको कहीं घर से बाहर दोस्तों के साथ घूमने जाना हो, तो मम्मी-पापा से आपकी सिफारिश लगा देता है, वो भाई-बहन का रिश्ता बहुत अनमोल होता है। बचपन से मेरे भाई ने कभी मुझे मेरे असली नाम से नहीं बुलाया, वो हमेशा एक नए और परेशान करने वाले नाम से बुलाते हैं। बचपन में इन नामों से बहुत चिढ़ा करती थी, पर फिर धीरे-धीरे समझ आया कि ये तो उनका प्यार है। जब कभी गलती से उनके मुंह से अपना असली नाम सुन लेती हूं, तो ऐसा लगता है कि जैसे वो मुझसे नाराज़ हैं। 

भाई-बहन बचपन से लेकर जवानी तक अपने कितने दुख-सुख, बचपन की सुनहरी यादें साथ जीते हैं और बड़े होते-होते एक दूसरे के कभी क्राइम पार्टनर्स तो कभी दोस्त बन जाते हैं। खुद एक-दूसरे को चाहे कितना भी तंग कर लें, किसी दूसरे ने ऐसा करने की सोचा भी तो उससे लड़ जाते हैं। सच में भाई-बहन के रिश्ते बहुत निराले होते हैं।

भाई-बहन दिवस की खासियत (Bhai Bahan Divas ki khasiyat)

भाई बहन के दिन को मनाने के पीछे एक बहुत ही भावुक कहानी है। न्यू यॉर्क में रहने वाली एक महिला क्लाउडिया इवर्ट (Claudia Evart) ने बचपन में अपने भाई-बहनों को दुर्घटना में खो दिया था। अपने भाई-बहनों के बिना जीना उनके लिए बहुत तनाव से भरा रहा। वो इस बात को अच्छे से समझती हैं कि किसी के लिए भी भाई-बहनों के बिना जीना बहुत मुश्किल होता है। इसलिए 1995 में, न्यू यॉर्कर की मूल निवासी होने की वजह से क्लाउडिया इवर्ट ने भाई-बहनों का सम्मान करने और इस रिश्ते का जश्न मनाने के लिए राष्ट्रीय भाई-बहन दिवस या सिबलिंग डे की नींव रखी। अपने दो भाई-बहनों को बचपन में ही अलग-अलग दुर्घटनाओं में खो देना, किसी के लिए भी बहुत बुरा अनुभव है, पर क्लाउडिया इवर्ट न सिर्फ इस अनुभव से गुज़रीं बल्कि किसी के जीवन में भाई-बहन की ज़रूरत और मायने क्या हैं, ये दिखाने के लिए भाई-बहन के दिन की स्थापना भी की। 

उन्होंने सिब्लिंग्स डे फाउंडेशन (Siblings Day Foundation) बनाया, जो एक कर-मुक्त संगठन है। क्लाउडिया ने अपनी दिवंगत बहन लिसेट के जन्मदिन के दिन सिबलिंग डे मनाने की सोची। ये क्लाउडिया इवर्ट की तरफ से अपनी बहन के लिए श्रृद्धांजलि और सम्मान था कि 10 अप्रैल को सभी लोग भाई बहन के दिन को मनाएं। यह दिन मदर्स डे और फादर्स डे से पहले आता है।

सिबलिंग डे कब मनाया जाता है? (Siblings Day kab manaya jata hai?)

संयुक्त राष्ट्र अमेरिका में हर साल 10 अप्रैल को राष्ट्रीय बहन-भाई दिवस मनाया जाता है। हालांकि, यूरोप में सिबलिंग डे 31 मई को मनाया जाता है। 

सिबलिंग डे पर अपने सिबलिंग को कहें थैंक्यू (Siblings Day par apne siblings ko kahein thank you)

हम और हमारे भाई-बहन एक परिवार हैं। हमने परिवार की हर मुश्किल का सामना साथ मिलकर किया है। ज़िंदगी के मुश्किल दौर में एक-दूसरे का साथ दिया है। एक-दूसरे का, कभी मां की तरह तो कभी पापा की तरह ख्याल रखा है। हां! झगड़े और लड़ाइयां भी खूब की हैं, पर अंत में बिना एक-दूसरे को सॉरी कहे, एक-दूसरे को माफ किया है। जब जीवन में किसी ने डराया तो बड़े भाई ने अपनी बाजुओं का ज़ोर दिखाया और जब मम्मी-पापा की डांट से बचना हो, तो छोटी बहन ने हमारी सारी गलतियों को छिपाया। हम सब एक-दूसरे के बिना अधूरे हैं, हमारे भाई-बहन हैं, तभी तो हम पूरे हैं। तो चलिए, इस सिबलिंग डे पर अपने इस अनमोल रिश्ते को मनाएं। उन्हें कोई बड़ा-सा गिफ्ट भले ही न दें, मगर एक बार प्यार से थैंक्यू ज़रूर बोल दें। आप सभी को सोलवेदा की तरफ से भाई-बहन के दिन यानी सिबलिंग डे की बहुत सारी बधाई।

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