आध्यात्मिक शांति

पेट से होकर गुजरता है आध्यात्मिक शांति का रास्ता

इंडियन रॉ वेगन फाउंडेशन की संस्थापक अंजलि सांघी ने सोलवेदा से शाकाहारी बनने के बारे में बात की। इसमें उन्होंने शाकाहारी की आदत किस तरह से शरीर और दिमाग को पोषण देती है। इसके बारे में बताया।

कच्चा भोजन और शाकाहारी खाना तेज़ी से लोकप्रिय हो रहा है। विश्व के ज्यादातर लोग इसकी ओर आकर्षित हो रहे हैं। कई अध्ययनों से पता चलता है कि आपके भोजन की आदतों में बदलाव आपको पूरी तरह से बदल सकता है। यह अभी से नहीं है, सदियों पहले भी भारतीय संत व महात्मा शाकाहारी थे। सिर्फ स्वास्थ्य के लिए ही नहीं, बल्कि आध्यात्मिक खोज के लिए भी शाकाहारी आहार उत्तम है। इस प्राचीन जीवन शैली का पता लगाने के लिए सोलवेदा ने इंडियन रॉ वेगन फाउंडेशन की संस्थापक अंजलि सांघी से बात की। उनसे बातचीत में हमें अप्रत्याशित उत्तर मिले व शरीर, मन तथा आत्मा के बीच के संबंध के बारे में अनेक रहस्यों का पता चला। प्रस्तुत है इस लुभावनी अवधारणा, दर्शन, लाभ व अंजलि के अनुभव समेटे हुए इस साक्षात्कार के अंश :

क्या आप अपने काम के बारे में हमें कुछ बता सकती हैं?

मैं कच्चे भोजन पर काम कर रही हूं। भारतीय शाकाहारी व्यंजनों और कच्चे भोजन वाली उच्च जीवनशैली पर लिखती और बोलती हूं। मैं एक लेखक और प्रेरक वक्ता भी हूं। मैंने इंडियन रॉ वेगन फाउंडेशन की स्थापना की, जो लोगों को सशक्त बनाने के लिए जीवनशैली कार्यक्रम करता है, ताकि उन्हें शरीर, मन और आत्मा का पोषण मिल सके।

क्या आपने इन विषयों का विधिवत अध्ययन किया है या फिर यह जुनून अपने आप पैदा हुआ? आपने इसके साथ पहला प्रयोग कब किया?

एक दशक से अधिक समय पहले मैंने नई दिल्ली में आध्यात्मिक विज्ञान संस्थान का दौरा किया। वहां मैंने ऊर्जा उपचार और ध्यान के विभिन्न रूपों को सीखा और इनका अभ्यास किया। इसने जीवन में कई संभावनाओं के लिए मेरी आंखें खोल दी। यह मेरे लिए नया और सुंदर प्रयोग था। इसके बाद मैंने समग्र स्वास्थ्य सेवा, खुशहाली और शिक्षा पर राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों और गुरुओं से शिक्षा ली। पोषण मेरे द्वारा पढ़े गए विषयों में से ही एक है। इसी समय के दौरान जब मैं ईमानदारी से इन उत्तरों की खोज कर रही थी, तभी से इसका अध्ययन मेरी और मेरे परिवार की जीवनशैली बन गया।

कच्चा भोजन और शाकाहार कुछ वर्षों से लोकप्रिय हो रहा है। इस अवधारणा को आप सरल शब्दों में समझा सकती हैं?

कच्चा भोजन हरी व पकी हुई अवस्था में पौधे से प्राप्त होने वाला भोजन है। फल, सब्ज़ियां, साग, अंकुरित अनाज, ताज़ी फलियां व बीज कच्चे भोजन हैं। धूप में सुखाए हुए खाद्य पदार्थ या 47 डिग्री सेल्सियस से नीचे गरम किए गए भोजन को भी कच्चा माना जाता है। कच्चे भोजन में पौष्टिकता इसके सम्पूर्ण रूप में मौजूद रहती है। यह इसे बहुत लाभकारी बनाता है। सभी लोगों से यह अनुशंसा की जाती है कि वे (उनकी जीवनशैली चाहे जैसी भी हो) प्रतिदिन ताज़ा कच्चा भोजन 5-8 बार लें।

शाकाहार ऐसे भोजन को कहा जाता है, जो पूरी तरह से पौधों पर आधारित है। इसमें दूध और शहद सहित जानवरों से मिलने वाले कोई भी उत्पाद शामिल नहीं है।

शारीरिक लाभ के अतिरिक्त, इसके पीछे के दर्शन के बारे में बताएं?

हज़ारों भारतीयों ने कच्चे खाद्य की जीवनशैली अपना रखी है। ऐसा इसलिए है, क्योंकि आंतरिक स्वास्थ्य, सौंदर्य और शक्ति जैसे शारीरिक लाभों के अतिरिक्त भी ऐसा बहुत कुछ है, जो इससे मिलता है। शाकाहार एक प्राचीन व प्राकृतिक जीवनशैली है। यह भारतीय संतों, ऋषियों और जनजातियों के साथ-साथ दुनिया भर में कई स्वदेशी संस्कृतियों की विरासत है। यह एकमात्र जीवनशैली है, जो स्वाभाविक रूप से और सहजता से आपके शरीर, मन और सम्पूर्ण अस्तित्व का पोषण करती है। यह आपकी कई खतरनाक व अज्ञात बीमारियों से बचाने में मदद करती है। भारत में इसने लोगों को कैंसर, कुष्ठ रोग, ऑटो-इम्यून बीमारियों और अन्य बीमारियों से उबरने में मदद की है। यह मादक पदार्थों की लत को छुड़ाने में भी मदद करती है।

कच्चा शाकाहारी होने के नाते, क्या आप कहेंगी कि यह परिवर्तन आपके लिए आसान था? ऐसे परिवर्तन लाने में क्या आध्यात्मिक प्रभाव पड़ा?

मैं और मेरा बेटा 4 वर्षों से कच्चे शाकाहार की जीवनशैली में रह रहे हैं। यह एक सुंदर और आत्मा को परिपूर्ण करने वाली यात्रा रही है। हमने बाह्य प्रतिबंधों को इस परिवर्तन के दौरान व अधिक सीखने और साझा करने के अवसरों के रूप में लिया है। चरण-दर-चरण कई परिवर्तनों से गुज़रने के बाद, मैंने अपनी जीवनशैली में परिवर्तन देखा है। हम अपने में आने वाले बदलाव को एक आसान और आनंदपूर्ण अनुभव बना सकते हैं।

मेरे बेटे ने और मैंने इस बदलाव की दिशा में जो भी कदम उठाया है, उसने हमें आध्यात्मिक रूप से स्वच्छ किया है। कच्चे भोजन ने आध्यात्मिक रूप से दूसरों का सम्मान करना सिखाया है। इस बात की परवाह किए बिना कि वे क्या खाते हैं या कैसे रहते हैं, वो जैसे भी हैं, हम उन्हें वैसे ही स्वीकार करते हैं।

इस परिवर्तनकारी दृष्टिकोण को अपनाने के पीछे आपका क्या नज़रिया रहा है?

संतुलित विकास के प्रति सच्चा समर्पण किसी भी परिवर्तन को लाने की कुंजी है। लंबे समय में विकास अंततः जीवन के सभी क्षेत्रों में स्पष्ट दिखाई देगा। हर परिवर्तन अपना समय लेता है, लेकिन यह मूल्यवान है। एक परिवार के रूप में हमें लगा कि यह समझना ज़रूरी है कि परिवर्तन के प्रत्येक चरण में हम अपने अंदर से आने वाली सच्चे मार्गदर्शन की आवाज़ को कितनी गंभीरता से सुनते और समझते हैं। अंतत: अभ्यास ही मनुष्य को परिपूर्ण बनाता है

क्या आप सभी को कच्चे शाकाहार की सलाह देंगी?

हां, कम से कम शार्ट-टर्म डेटॉक्स अपनाएं। हम कच्चे शाकाहार से विषमुक्ति के लाभ से अवगत हैं। हालांकि, एक अनुभवी डॉक्टर से इसके बारे में सीखना महत्वपूर्ण है। अपनी आयु के अनुसार और पोषण आवश्यकताओं के बारे जानकारी रखना भी महत्वपूर्ण है।

क्या अध्यात्मिकता और भोजन आदतों में संबंध है?

मेरे विचार में जैसे-जैसे हमारी आध्यात्मिक प्रगति होती है, तो हम अपने अंतस से ज़्यादा जुड़ते जाते हैं। यह जुड़ाव हमें अस्वास्थ्यकर भोजन आदतों से दूर ले जाता है। यह हमारी पूर्व की आदतों या लत को हतोत्साहित करता है। इसके विपरीत आप बुद्धिमत्तापूर्ण जीवनशैली चुनने योग्य बन जाते हैं। ये चयन आपके सामाजिक और आध्यात्मिक जीवन और पर्यावरण के प्रति आपके प्यार को समायोजित करने के लिए पूर्ण संतुलित होते हैं।

क्या आप यह कहेंगी कि कच्चा भोजन व शाकाहार अपनाने से किसी के सम्पूर्ण अस्तित्व और प्रसन्नता पर असर पड़ता है?

निसंदेह! जीवनशैली के बुद्धिमत्ता पूर्ण चयन से सम्पूर्ण स्वास्थ्य व खुशहाली की खोज में मदद मिलती है। ताज़े कच्चे भोजन में मौजूद प्राकृतिक जल पाचन योग्य व अवशोषित अवस्था में उपलब्ध होता है। मानव शरीर और धरती में 70% जल उपलब्ध है। जब हम ताज़े फल, सब्जियां और हरित पदार्थ लेते हैं, तो हम जैविक रूप से उपलब्ध पानी भी लेते हैं। यह जल हमें प्रकृति से जोड़ता है। यह हमारे भीतर एक आरामदायक और शांति की स्थिति को उत्पन्न करता है और हमें संतुष्ट व खुशहाल करता है।

  • अंजलि सांघी इंडियन रॉ वेगन फाउंडेशन की अध्यक्ष एवं संस्थापक ट्रस्टी हैं। वे लेखिका भी हैं और भारतीय कच्चे शाकाहारी व्यंजन और जीवनशैली पर सक्रिय रूप से लिखती रही हैं। अपने अनुभव व पूर्वाभ्यासों को समाहित करते हुए अंजलि लोगों को उनकी खुशहाली, शक्ति और शांति से जोड़ने में मदद करती हैं। उन्होंने सम्पूर्ण स्वास्थ्य देखभाल व खुशहाली और पोषण का अध्ययन किया है।
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