सेल्फ डेवलपमेंट

आप जितना ज्यादा आभारी रहेंगे, उतना अधिक खुश रहेंगे

‘सेल्फ डेवलपमेंट एक्सपर्ट’ बेकी वॉल्श (Self Development Expert Becky Walsh) ने ‘सोलवेदा’ के साथ विशेष बातचीत में कहा कि ‘यदि आपके पास जो कुछ उपलब्ध है उसको लेकर आभारी रहेंगे, तो आप अपने भीतर एक खुशी महसूस करते चले जाएंगे’।

ऐसा कहा जाता है कि अगर आप लीक (ढर्रा) पर ही चलते रहते हैं, तो आप भीतर से खोखले हो जाएंगे। यह रास्ता आपको निराशा, हार या फिर इससे भी खराब स्थिति अर्थात आत्मसंतोष की ओर ले जाएगा। लेकिन क्या यह कहा जा सकता है कि ढर्रे की ज़िंदगी में भी कुछ अच्छा हो सकता है? यह तो वही बात हो गई कि बुराई में भला क्या अच्छाई हो सकती है। समझदार लोगों का तो मानना है कि हां, हो सकती है। समझदार लोग यह भी कहते हैं कि खराब स्थिति में ही आदमी विजय हासिल करने की हिम्मत जुटाता है। इतिहास गवाह है कि सबसे बड़ी त्रासदियों ने ही दुनिया को सुनहरा भविष्य दिया है। लीक पर चलना भी संक्रमण की ही तरह होता है। एक ऐसा रास्ता जो हमें कष्ट से गुजारते हुए अटूट खुशी की ओर ले जाता है। लेकिन हम टनल की दूसरी ओर दिखाई दे रही आशा की किरण (Ray of hope) की ओर खुद को लेकर कैसे जाएं?

इस सवाल के जवाब की खोज में ‘सोलवेदा’ ने ब्रिटेन की ‘सेल्फ डेवलपमेंट एक्सपर्ट’ (Self-development expert) बेकी वॉल्श के साथ शिक्षाप्रद और ज्ञानवर्धक बातचीत की, जो आश्वस्त करने वाली साबित हुई।

प्रस्तुत हैं इस विशेष साक्षात्कार के कुछ अंश :

इस बात को आप कैसे समझाएंगी कि ज़िंदगी चलाने के लिए आप क्या करती हैं?

मैं कहूंगी कि मैं एक कैटलिस्ट, इन्ट्यूटिव कैटलिस्ट (उत्प्रेरक, सहज उत्प्रेरक) हूं। मैं लोगों की नए आइडियाज को पाने में मदद करती हूं। मेरा मानना है कि ‘स्टक’ होना अर्थात ज़िंदगी में अटक जाना एक ऐसी स्थिति है, जहां आप अधिक जानकारी चाहते हैं। यह जानकारी आपको मिलते ही आपको आइडिया आता है, जो आपके जीवन को प्रेरित कर आगे ले जाता है। तो मैं अपने जीवन में क्या करती हूं यह उस सवाल का जवाब है। बेशक अपने जीवन का उपयोग मैं किताबें लिखने, सार्वजनिक बोलने, स्टैंड-अप कॉमेडी करने, फिल्में, टीवी और रेडियो-शो बनाने में करती हूं। यह सब कुछ एक ही छतरी के तले होता है।

सेल्फ हेल्प के संदर्भ में ऐसा कौन सा विशेष क्षेत्र है, जहां आप काम करती हैं?

सेल्फ हेल्प (Self-help) अर्थात स्वयं-सहायता के संदर्भ में मैं इन्ट्यूशन यानी सहज ज्ञान का उपयोग करती हूं। इसका उपयोग करते हुए मैं लोगों को खुद के प्रयास से ही अनस्टक (खुला) होने को कहती हूं। सहज ज्ञान से ही हम आसानी से अपने अहंकारी मन को खोल सकते हैं। अहंकारी मन (Ego mind) हमेशा ही सर्कल्स में सोचता रहता है। यह ब्रेन के लेफ्ट हेमिस्पियर (दिमाग के बाएं) में होता है। राइट हेमिस्पियर ब्रेन का वह हिस्सा है, जहां आइडिया, क्रिएटिविटी और न जानें क्या-क्या चलता रहता है।

आपने यह सफर कब शुरू किया?

सच कहूं तो मुझे लगता है कि मैंने अपनी पूरी ज़िंदगी इसमें गुजारी है। जब मैं स्कूल में थी, तो बहुत से लोग मेरे पास सलाह और राय के लिए आते थे। कहते थे मैं एक लड़के को पसंद करती हूं, क्या वह भी मुझे पसंद करता है? इसी तरह की और न जाने क्या-क्या बातें थी। फिर जब मैं स्टेज मैनेजर के रूप में काम करने लगी, तो इसका उपयोग स्टेज पर स्ट्रगल कर रहे अभिनेताओं और कलाकारों की सहायता करने के लिए किया। यह मेरे साथ लगातार होता रहा। ऐसे में मैं ऐसे लोगों के साथ रिलेशनशिप में भी रही, जिनकी मैंने सहायता की थी। मुझे लगता है मैं ऐसी ही हूं और वह नहीं जो मैं करती हूं।

आप ज़िंदगी की लीक में फंसे लोगों को क्या सलाह देंगी?

मेरा मानना है कि लीक में फंसने का मतलब है आप अपने कंफर्ट जोन (Comfort zone) के एंड में पहुंच गए हैं और अब आप वापस वहीं पर ही जाएंगे जहां आप थे। मेरा मानना है कि हमें यह सोचना चाहिए कि किसी भी इंसान के जीवन में यदि वह अटकता नहीं तो उसका जीवन कैसा होता? क्योंकि अटकने का मतलब यह है कि वह कल्पना यानी सोचने की क्षमता का उपयोग नहीं करता। तो यह कल्पना करें कि यदि मेरे पास कोई जादू की छड़ी होती, तो मैं उससे आपकी ज़िंदगी में कोई भी बदलाव करती और आप अपने मन के हिसाब से नई ज़िंदगी जी सकते। मैं आमतौर पर यह बता सकती हूं कि यह व्यक्ति खुद को अपनी लीक से हटकर देखने के लिए तैयार है या नहीं। यदि वह व्यक्ति ऐसा करने को तैयार नहीं है, तो फिर अगला सवाल पूछा जाता है। वह यह कि क्या आप अपने दिमाग का उपयोग कर सकते हैं? अगर आप ऐसा करेंगे तो आप विफल तो नहीं होंगे ना? इसमें तो आपका कोई पैसा खर्च नहीं होने वाला। यदि आपको एक दिन ऐसे ही गुजारना होगा तो आप क्या करेंगे? इसके जवाब से मिलने वाला संकेत काफी दिलचस्प होता है। कभी-कभी लोगों के लिए यह सोचना आसान होता है कि वे कोई दिन कैसा गुजारेंगे, लेकिन यदि आप उन्हें कहें कि आप ज़िंदगी कैसे गुजारेंगे तो वह परेशान हो जाते हैं। कुछ लोग सोचेंगे कि मैं क्वाई नदी में राफ्ट हट पर आराम करना चाहूंगा। इससे आपको पता चलेगा वह कहां अटका हुआ है। शायद वह थके हुए हैं। शायद वह बातों को टालते रहते हों और इसी वजह से उनका शरीर उन्हें संकेत दे रहा हो कि अब आराम करने का वक्त है। आप महज एक सहज सवाल पूछकर काफी कुछ पता लगा सकते हैं। कुछ इसी तरह मैं लीक पर चलने वाले लोगों को सलाह देती हूं कि उन्हें अब उसी जगह वापस लौटना है जहां वह यहां आने से पहले हुआ करते थे।

‘जितना अधिक आप खुद से प्यार करते हैं, जितना अधिक आप खुशी बांटते हैं, जितना अधिक आप आभार व्यक्त करते हैं, उतना ही अधिक जो आपके पास है उससे खुश रहते हैं’।

आप अक्सर 6 थिंग्स पिपल कान्ट स्टॉप डुइंगकी बात करते हुए कहती हैं कि यह हमारी जन्मजात थीम पैटर्न को दर्शाने वाली होती है? क्या इस पर विस्तार से बात करेंगी?

जी हां, यह एक अभ्यास है। मैं कहती हूं कि उन 6 चीज़ों के बारे में सोचें जिन्हें आप करना बंद नहीं कर सकते। ये कोई कम्पलशन या एडिक्शन (Compulsion or Addiction) नहीं होने चाहिए, बल्कि ऐसी चीज़ें हों जो आप रोज़ करते हैं। इसमें रोजाना ब्रश करने की आदत भी शामिल नहीं होनी चाहिए। ये आपके लिए उल्लेखनीय और व्यक्तिगत चीज़ें होनी चाहिए। ऐसे में आप खुद की जन्मजात थीम और पैटर्न को देखने लग जाते हैं। जब आप अपने स्वभाव को समझने लगते हैं, तो आपको पता चलता है कि आपके लिए कौन-सा करियर (career) चुनना बेहतर होगा, जो आपके स्वभाव से मेल खाता हो। उदाहरण के लिए मेरा स्वभाव कुत्ते के साथ खेलना, फोन के साथ समय बिताना, फेसबुक देखना और बाहर खाना खाना हो सकता है। इन आदतों में हमें कम्युनिकेशन (संचार), प्लेफुलनेस (खेल) और नर्चर (पालन-पोषण) देखने को मिलता है। इसे देखने के बाद साफ है कि मेरा स्वभाव मुझे एक सफल एकाउंटेंट नहीं बनने देगा।

आप अक्सर हार्टब्रेन कॉनसेप्ट (Heart-brain concept) की बात करती हैं। कृपया इसके बारे में बताएं?

दरअसल, आपके हार्ट में भी एक ब्रेन होता है। यह उसी फिजिकल मैटर से बना होता है, जिससे आपका ब्रेन बना होता है। इसी प्रकार आपके आंत में भी एक ब्रेन होता है। पूरा हार्ट ही ब्रेन नहीं होता, बल्कि हार्ट का एक हिस्सा ब्रेन होता है, जिसमें वेगास नर्व भी होती है। ऐसे में हार्ट-ब्रेन आपके दिमाग में बने ब्रेन को संदेश भेजता है और दिमाग का ब्रेन हार्ट-ब्रेन से आए इस संदेश का जवाब देता है। हार्ट-ब्रेन हमें संदेश देते हैं कि हमें किन चीज़ों की दिशा में आगे बढ़ना है, हमारे लिए क्या अच्छा हो सकता है। मेरा मानना है कि हम बायोलॉजिकली प्रोग्राम्ड हैं, ताकि हम उस दिशा में आगे बढ़ें जहां हमें राहत मिलती है। ऐसे में हार्ट-ब्रेन के टूल का उपयोग कर हम यह पता कर सकते हैं कि हमारे लिए सही राह कौन-सी होगी।

आप अपने अब तक के सफर को किस नज़र से देखती हैं? इसने आपकी व्यक्तिगत और सेल्फ हेल्प प्रोफेशनल के रूप में कैसे सहायता की?

मेरा मानना है कि हार्ट-ब्रेन आपको राहत की ओर ले जाता है। इसके उपयोग से ही आप अपने को लेकर जो सीमित नजरिया बना लेते हैं, उससे बाहर निकलकर आगे बढ़ सकते हैं। यह आपको चुनौतीपूर्ण स्थितियों की ओर धकेलता है। इसलिए इन वर्षों में मेरी यात्रा रोमांचक, चुनौतीपूर्ण और दिलचस्प रही है। मुझे लगता है कि मैंने जितना सफर तय किया है उसके अनुभव का उपयोग मैंने अपने ज्यादा से ज्यादा ग्राहकों की भलाई के लिए किया है। मुझे मेरे जीवन में आने वाली हर परेशानी ने एक सबक सिखाया है और मैं हर कठिनाई की शुक्रगुज़ार हूं। मेरी हर कठिनाई अब मेरे ग्राहक के लक्षण पता करने में मेरी सहायता करती है। मैं इस काम को काफी पसंद करती हूं।

अपनी किताब यू डू नोके बारे में हमें बताएं?

‘यू डू नो’ में हार्ट-ब्रेन, गट-ब्रेन, 4 सहज ज्ञान के प्रकारों में सीमैटिक, इमोशनल (मसलन एम्पैथी यानी सहानुभूति जैसे), मेंटल और आध्यात्मिक (Spiritual) की बात की है। यह इस तथ्य के बारे में भी बात करती है कि जो लोग अपने ही विचारों होते हैं उनके लेफ्ट हेमिस्पियर (दिमाग के बाएं हिस्से) में कुछ शानदार स्कील्स मसलन नंबर और नाम याद रखने जैसी क्षमताएं होती हैं। जो लोग डिस्लेक्सिया (Dyslexia) से पीड़ित होते हैं उनके राइट हेमिस्पियर (Right hemisphere) में ऐसे गुण होते हैं, जो उनकी सामाजिक सहज ज्ञान की मदद से थीम और पैटर्न देखने में सहयता करते हैं। इसलिए मैंने ‘यू डू नो’ में जो लिखा है, वह यह है कि एक मस्तिष्क (Brain) सभी के लिए समान नहीं होता। लेफ्ट और राइट ब्रेन (Left and right brain) के गुणों में काफी फैलाव/अंतर होता है। लेकिन इन्हें दिव्यांगता (Disability) के रूप में देखा जाता है। जैसे कि मानसिक विकारों वाले अथवा डिस्लेक्सिया पीड़ितों को संख्या का ज्ञान नहीं होता या फिर ऑटिज्म से परेशान लोग सामाजिक अंतर ज्ञान या सामाजिक संबंध बनाने में सक्षम नहीं होते हैं। लेकिन अगर आपके पास एक सुपर पावर है, जो कहती है कि आप सामाजिक अंतर ज्ञान और लोगों को पढ़ने में सक्षम हैं, तो लोग आपको पागल या बनावटी कहते हैं। इसलिए मेरे लिए लोग जिनको मानसिक क्षमता के रूप में देखते हैं, वह वास्तव में एक्सट्रीम राइट हेमिस्पियर स्किल (Extreme Right Hemisphere Skill) हैं, जो कोई भी विकसित कर सकता है। यही बात मैंने ‘डू यू नो’ में समझाने और सिखाने की कोशिश की है।

आपके अनुसार खुश रहने का रहस्य क्या है

बड़ा सवाल! मेरे हिसाब से आपको अनहैप्पिनेस (Unhappiness) के सीक्रेट पर ध्यान देना चाहिए, आपके पास जो चीज़ें मौजूद नहीं हैं, यह उनकी ओर धकेलते हुए आपको दुखी करता रहता है। यह आपको उन बातों के लिए सोचने पर मजबूर करते हुए आपको परेशान करता रहता है। हम देखते हैं कि हमारे पास क्या नहीं है और लगता है कि ओह, अगर मेरे पास यह होता तो मैं ज्यादा खुश रहता। इसलिए हम नाखुशी की परिभाषा में अटक जाते हैं। यदि आप आपके पास जो कुछ उपलब्ध है, उसको लेकर आभारी रहेंगे तो आप अपने भीतर एक खुशी महसूस करते चले जाएंगे। जितना अधिक आप खुद से प्यार करते हैं, जितना अधिक आप खुशी बांटते हैं, जितना अधिक आप आभार व्यक्त करते हैं, उतना ही अधिक जो आपके पास है, उससे खुश रहते हैं। इसका मतलब यह नहीं है कि हमें बोरिंग लाइफ (Boring life) गुजारनी चाहिए और बेहतर पाने की इच्छाओं को साकार करने का प्रयास नहीं करना चाहिए। उदाहरण के लिए मैं शायद कोई ऐसी व्यक्ति हूं जो अगली चीज़ और अगली चीज़, ग्रोथ और पर्सनल डेवलपमेंट  को लेकर प्रयास करती रहती हूं। लेकिन मैं यह भी समझती हूं कि यह चीज़ें मुझे ज्यादा खुशी नहीं दे सकती। मैं समझती हूं कि उन चीज़ों को पाने का सफर तय करने में मुझे खुशी मिलनी चाहिए, क्योंकि इन्हें पाने के बाद मुझे वह खुशी नहीं मिल सकती।

  • बेकी वॉल्श (Becky Walsh) ब्रिटेन की एक सेल्फ डेवलपमेंट एक्सपर्ट हैं। बेकी ने अपना टीवी शो ‘बेकीज़ लाइफ हैक्स’ भी बनाकर पेश किया है। बेकी ने ‘यू डु नो’ : लर्निंग टू एक्ट ऑन इंट्यूशन इंस्टेंटली, सहित 5 किताबें भी लिखी हैं। बेकी सायकोलॉजी, आध्यात्मिक, इंट्यूशन और न्यूरोसाइंस के मिश्रण की सहायता से उपचार करती हैं। बेकी का खुद का इंटरएक्टिव लाइव वन वीमेन शो भी है। इसमें वह पर्सनल ट्रान्सफॉर्मेशन, डिमॉन्स्ट्रेशन्स ऑफ इंट्यूशन के साथ स्टैंड अप कॉमेडी भी करती हैं।
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