गोवा की सैर

समंदर, हरियाली और सुकून का संगम है गोवा

गोवा... एक ऐसी जगह है जहां जाना मेरा सपना था, क्योंकि फिल्मों में यहां के समंदर, रेत, हरियाली के बारे में मैंने काफी कुछ सुना था। शहर के शोर से दूर गोवा में मुझे सुकून की तलाश थी। मेरी गोवा ट्रिप खास क्यूं रही इसके बारे में जानने के लिए पढ़ें ये आर्टिकल।

बैंगलोर एक खूबसूरत शहर है, मगर सालों यहां रहने के बाद आपको महसूस होता है कि इस शहर में भीड़ बहुत है। मैं इस भीड़ से निकलकर दो पल शांति और सुकून के गुजारना चाहता था। हालांकि, बैंगलोर में रहने की दो अच्छी बातें हैं, एक यहां का सदाबहार मौसम और दूसरा कि इस शहर के बेहद नजदीक है गोवा।

वैसे तो गोवा का नाम का आते ही हममें से ज्यादातर के दिमाग में दोस्तों के साथ बनाया गया वो ‘गोवा प्लान’ जरूर आएगा, जो आज तक सफल नहीं हो पाया। मगर, मैं ठहरा सोलो ट्रैवलर और वीकएंड पर निकल पड़ा अपने नए सफर गोवा की ओर।
मेजिस्टिक बस स्टैंड से मेरे गोवा के सफर की शुरुआत हुई। बस पकड़ते ही रात-भर का सफर कब गुज़रा पता ही नहीं चला। सुबह नींद खुली वो भी बस के कंडेक्टर की आवाज़ से। नींद खुलते ही जैसे ही मेरी नजर बस की खिड़की से बाहर पड़ी तो एक पल के लिए मुझे लगा मैं जन्नत में आ गया हूँ। ऊंचे-ऊंचे पहाड़, पहाड़ से गुजरती हुई ठंडी हवा, हरियाली और नीला आसमान… मैंने सोचा स्वर्ग भी तो ऐसा ही होता होगा। इस खूबसूरत मंज़र ने मेरी नींद के साथ-साथ मेरे होश भी उड़ा दिए।

मेरा ध्यान टूटा क्योंकि बस में कुछ कॉलेज के बच्चे थे, जो तेज़ आवाज़ में गाना गाते हुए सफर कर रहे थे, वहीं कुछ पारिवारिक लोग भी थे। कितना अजीब है न हम सब की मंजिल और रास्ते दोनों एक ही है मगर हम सब का नजरिया अलग। कोई गाने की शोर की में खुश है, कोई खिड़की से बाहर खोकर खुश है तो कोई मैप में नजदीक आते गोवा के बीच को देखकर खुश। लेकिन, खुश… सभी हैं।

गोवा पहुंचने से पहले के नजारों की बात ही अलग है। यहां के जंगल की खूबसूरती को शब्दों में बयां कर पाना मुश्किल है। कभी मुझे सीढ़ीनुमा जंगल दिख रहे थें, तो कभी समुद्र दिख जाता था। ये देखकर मुझे लग रहा था कि किसी जगह को फिल्मों में हम किसी और की आंखों से देखते हैं। उसी जगह को हकीकत में देखने के लिए हमें उस जगह पर खुद होना पड़ता है। इस बात का एहसास आपके चेहरे पर आती ठंडी हवा, आंखों में उतरती किसी शहर की खूबसूरती, वहां के लोकल लोगों के चेहरे की मुस्कान बयां करती है।

गोवा में सबसे खास मुझे यहां के घर लगे। शहर पहुंचने से कुछ दूरी पर टाली की छत वाले पुराने स्टाइल में बने घर बरबस ही मेरा ध्यान अपनी ओर खींच रहे थे। वहीं मन ही मन मैं सोच रहा था, अगर मैं भी अपना घर बनाउंगा तो बिल्कुल इसी तरह और इसी जगह।

हम कहां जान पाते हैं कि किसी भी घर में रह रहें लोग, वहां रहकर कैसा महसूस करते हैं। लेकिन जब बात चारों तरफ हरियाली की हो तो लगता है यहां के घरों में किसी को दुख हो ही कैसे सकता है। इन्हें कहां जरूरत पड़ती है मास्क लगाने की, न दीवार पर किसी पेड़ की तस्वीर लगाने की और न ही घूमने के लिए कहीं दूर जाने की। क्योंकि घर के अंदर और घर के बाहर शुद्ध हवा है, पेड़-पौधों से इनका घर घिरा है और जिस जगह जाने के लिए हम इंतजार करते हैं, उसी जगह पर हर रोज़ इनकी सुबह होती है।

एक लंबे सफर के बाद अब मैं पहुंच चुका था गोवा। यहां आने के पहले मैंने अपने दोस्तों से पूछ लिया था कि कहां जाना बेहतर रहेगा। लोगों ने मुझे बताया कि अगर आपके पास बजट लिमिटेड है, तो नार्थ गोवा या फिर साउथ गोवा में से किसी एक ही जगह को चुनें।

मैंने बीच के पास में ही अपना होटल लिया था, क्योंकि मैं जानता था कि बीच पर घूमने के बाद काफी थकान हो जाती है। अगर आपका रूम पास में हो तो होटल में जाकर आप आराम कर सकते हैं। मैंने करीब 10 बजे के आस-पास अपने होटल में चेक इन कर लिया था। इसके बाद मैं निकल गया अपने सफर पर।

स्कूटी से गोवा घूमना सिर्फ सस्ता ही नहीं बल्कि मजेदार भी है। यहां की संकरी सड़कों पर स्कूटी की रफ्तार बिल्कुल फिट बैठती है। हालांकि, अगर घूमते वक्त आप अपनी नजर नजारों पर ही रखना चाहते हैं तो आप कार भी रेंट पर ले सकते हैं।

गोवा में मेरे सफर की शुरुआत हुई कैलंगुट नाम की जगह से। यहां पर बीच और बाजार भी हैं। कैलंगुट मोटर राइडिंग, पैरा ग्लाइडिंग, बोट राइडिंग व अन्य एक्टिविटी से भरा हुआ है। ऐसे में मैंने भी कुछ राइड्स का आनंद लिया। इसके बाद मैं बीच के किनारे पर बैठकर यहां के नजारों में खो गया।

अगर आपके मन में एक हलचल है, कोई बात है जो आपको परेशान कर रही है तो दुनिया का सबसे अच्छा इलाज है समंदर के पास बैठना। समंदर की लहरें किसी इंसान की तरह आपके पास तेजी से आती हैं और आपके अंदर की हर बेचैनी को अपने लहरों के साथ वापस ले जाती हैं। मैंने लोगों को कहते सुना है कि आज कल एक वीडियो पर लोग अधिक देर समय नहीं बिता पाते। लेकिन, मुझे लगता है कि समंदर आपको घंटों तक अपनी ओर आकर्षित रख सकता है। आप अपनी भूख, प्यास और हर बेचैनी सब कुछ पल के लिए भूल सकते हैं।

कैलंगुट से करीब डेढ़ किलोमीटर दूर बाघा बीच था। यहां पहुंचते ही पहले तो मुझे बाजार दिखा, जहां फूल-पत्तियों वाली टी-शर्ट व शर्ट टंगे हुए थे। इसके अलावा यहां काफी भीड़ भी थी। इस बीच के किनारे मैंने अपनी गाड़ी पार्क की और नंगे पैर ही घूमने निकल गया। यहां का बीच नीला और काफी साफ था, दिल कर रहा था कि अभी उसमें उतरकर जी भर के नहा लूं।

यहां की खूबसूरती इसलिए भी बढ़ जाती है क्योंकि यहां पर बीच होने के साथ पहाड़ भी हैं, जो यहां की खूबसूरती में चार-चांद लगाते हैं। इसे देखकर आप सोचने पर मजबूर हो जाएंगे कि पहाड़ जो आसमान को छूने को है और समंदर जो पहाड़ के कदमों तले है, दोनों एक-दूसरे के इतने करीब कैसे हैं! प्रकृति का जादू ऐसे ही नजारों में तो नजर आता है।
मैंने अंजूना बीच के बारे में भी काफी कुछ सुना था। अंजुना बीच यहां के सबसे पुराने बीच में से एक है, लेकिन जब मैं यहां पहुंचा तो मुझे सब कुछ सामान्य ही लगा। कारण है ये बीच काफी गंदा हो चुका है। लेकिन यहां जाने के रास्ते में मैंने खूबसूरत नज़ारों का खूब आनंद लिया। वो कहते हैं न किसे पता मंजिल कैसी है, तो क्यूं न रास्तों में भी डूबा जाए।

वैसे एक बात बता दूं गोवा में सड़कों पर बिना किसी वजह के घूमने का अलग मज़ा है। ऐसा इसलिए है क्योंकि सड़कों के सफर पर आपको खूबसूरत घर देखने को मिलते हैं, हरियाली देखने को मिलती है और हां सबसे खास बात, कई एंटीक रेस्टोरेंट भी देखने को मिलते हैं। जब भी आपको इच्छा हो तो आप यहां खान-पान का लुत्फ भी उठा सकते हैं।

ट्रिप के दूसरे दिन मैंने अगौड़ा फोर्ट गोवा जाने की प्लानिंग की, ये कैलंगुट बीच से करीब 12 किलोमीटर की दूरी पर था। बता दूं कि यहां पर मुझे किला देखने को मिला, जो काफी पुराना था। मुझे सालों पुराने बने ये किले काफी आकर्षक लगते हैं। इनकी एक-एक ईंट हजारों कहानियां सुना रहीं होती हैं। लोगों से पूछा तो उन्होंने मुझे बताया कि इसे अंग्रेजों ने आजादी के पहले बनाया था।

अगौड़ा फोर्ट से लौटने के क्रम में तीन किलोमीटर का सफर तय कर मैं पहुंचा सेनक्योरिम बीच। यहां पर समुद्र किनारे हरियाली के बीच एक किला भी देखने को मिला। इसके साथ यहां के समंदर का पानी भी बिल्कुल नीला दिखा। मुझे लगता है समंदर का नीला पानी आसमान की परछाई है, जो हमें एहसास कराता है कि आसमान हमारे ऊपर भी और हमारे आंखों के सामने भी।

अगर आपको शांतिमय वातावरण पसंद है और आप प्रकृति प्रेमी हैं, तो आपको साउथ गोवा जाना चाहिए। साउथ गोवा में भीड़ कम होती है। ऐसे में यहां आपको खुद से अच्छी तरह मिलने का वक्त और महौल मिलेगा। इन दो जगहों में लगभग 50 किलोमीटर की दूरी है और इनका एहसास भी एक-दूसरे से काफी अलग।

गोवा आएं और यहां के खूबसूरत चर्च न जाएं, ऐसा भला कैसे हो सकता है। आप चाहें तो ओल्ड गोवा के बेसिलिका ऑफ बोम जीसस चर्च में जा सकते हैं। ये यहां के सबसे पुराने चर्च में से एक है। इसके अलावा आप असीसी के सेंट फ्रांसिस का चर्च, सेंट कैजेतन चर्च, अवर लेडी ऑफ द इमैक्युलेट कांसेप्शन चर्च को भी अपनी लिस्ट में शामिल कर के घूम सकते हैं। आप किसी भी चर्च में जाएं, हर चर्च में काफी शांति होती है। सब एक साथ प्रार्थना कर रहें होते हैं। एक बार को आप यहां आंखें बंद कर लें तो आप बता नहीं पाएंगे कि आपके बगल में कोई मौजूद भी है या नहीं।

गोवा का ये सफर किसी सपने की तरह मेरी आंखों में कैद हो चुका है, जिसे मैं बंद और खुली आंखों से भी देखना चाहता हूँ। आपको जब भी मौका मिलें आप अपनी दो आंखों के अलावा अपने दिल से भी इस जगह को देखें। यह जगह आपके दिल में हमेशा के लिए कैद हो जाएगी।

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