जीवन में ध्यान क्यों है ज़रूरी

शांति के लिए ध्यान है ज़रूरी, जानें इसके प्रकार और करने का तरीका

दुनिया-भर में कई लोग डिप्रेशन, दिमागी भटकाव, भूलने की बीमारी, एडिक्शन जैसी समस्याओं से जूझ रहे हैं। दिमाग हमारे पूरे शरीर को संचालित करता है। ऐसे में दिमाग को ब्रेक देना भी जरूरी है और इसके लिए जरूरी है ‘ध्यान लगाना’।

आंखें बंद कर के किसी एक चीज के बारे में सोचना ही ध्यान लगाना नहीं होता है, बल्कि ध्यान की परिभाषा इससे काफी बड़ी है। साधारण शब्दों में अगर कहा जाए, तो ध्यान लगाने (meditation in hindi) का मतलब है, खुद के अंदर शांति ढूंढना। अपने आस-पास चल रही व्यस्त जिंदगी में थके हुए शरीर और दिमाग को एक ब्रेक देना।

ध्यान कोई भी लगा सकता है। इसके कई मानसिक और शारीरिक लाभ होते हैं। एक रिसर्च में यह देखा गया कि जिन लोगों ने लंबे समय तक ध्यान का अभ्यास किया, उनके चिंता और बेचैनी से संबंधित दिमाग के हिस्सों में सकारात्मक बदलाव हुए।

एक और रिसर्च बताती है कि ध्यान का अभ्यास करने से भावनाओं को कंट्रोल करने की क्षमता बढ़ती है। यह लोगों को वर्तमान में चल रहे विचारों पर ध्यान केंद्रित करने में मदद कर सकता है, जिसके कारण व्यक्ति सचेत रहता है और अपने आस-पास की चीजों और घटनाओं पर बेहतर ढंग से प्रतिक्रिया दे सकता है।

जिन लोगों ने कभी ध्यान नहीं लगाया है, उन्हें इसकी शुरुआत में थोड़ी परेशानी हो सकती है, लेकिन अभ्यास के साथ-साथ ध्यान लगाना आपके लिए आसान होता चला जाएगा। आइए, देखते हैं कि जीवन में ध्यान लगाना क्यों जरूरी है, ध्यान के कितने प्रकार हैं और ध्यान लगाने का सबसे अच्छा तरीका क्या है?

ध्यान लगाना क्यों है ज़रूरी?

आज के समय में भी लोग शारीरिक बीमारियों पर तुरंत एक्शन लेते हैं, लेकिन मानसिक स्वास्थ्य को ज्यादातर नजरअंदाज कर देते हैं। दुनिया-भर में कई लोग डिप्रेशन, दिमागी भटकाव, भूलने की बीमारी, एडिक्शन जैसी समस्याओं से जूझ रहें हैं। दिमाग हमारे पूरे शरीर को संचालित करता है। ऐसे में दिमाग को ब्रेक देना भी बेहद जरूरी है और इसके लिए जरूरी है ‘ध्यान लगाना’।

नियमित रूप से ध्यान लगाने पर एकाग्रता बढ़ती है, यादाश्त अच्छी होती है, दिमाग कंट्रोल में रहता है और मन में नकारात्मक विचार आने कम हो जाते हैं। जब आप ध्यान लगा रहे होते हैं, तब आपकी दिमाग की तमाम इंद्रियां किसी एक चीज पर फोकस कर रही होती हैं। इससे मन शांत होता है, तनाव कम होता है और एकाग्रता बढ़ती है।

ध्यान के कितने प्रकार हैं?

ध्यान के कई प्रकार होते हैं, लेकिन नीचे दिए गए ध्यान के पांच प्रकार सबसे ज्यादा पसंद किए जाते हैं। हर इंसान के लिए ध्यान का हर प्रकार सही नहीं हो सकता है। आप जिस तरह से ध्यान लगाने में सहज महसूस करते हैं, अपने लिए वही चुनें।

माइंडफुलनेस मेडिटेशन है विचारों से जुड़ा

‘माइंडफुलनेस मेडिटेशन’ में आपको अपना ध्यान दिमाग में आने वाले विचारों पर लगाना होता है। दिमाग को बिल्कुल फ्री छोड़ दें और देखें कि आपके दिमाग में किस तरह के विचार आ रहे हैं। इन विचारों पर आपको किसी तरह की प्रतिक्रिया नहीं देनी होती है, बल्कि बस इन्हें नोटिस करना होता है। हर दिन ऐसा करने से आप समझ पाएंगे कि आपके दिमाग में विचार ज्यादातर किस पैटर्न में आते हैं।

आध्यात्मिक ध्यान में की जाती है भक्ति

‘आध्यात्मिक ध्यान’ का मतलब है, अपने भगवान को याद करते हुए ध्यान करना। यह अलग-अलग धर्म के लोगों के लिए अलग हो सकता है। आध्यात्मिक ध्यान में आपको अपना ध्यान अनदेखी शक्ति के ऊपर लगाना होता है और उससे जुड़ाव महसूस करने की कोशिश करनी होती है। आप जिस भी अनदेखी शक्ति में यकीन करते हैं, आप उनके ऊपर ध्यान लगा सकते हैं।

केंद्रित ध्यान में होता है इंद्रियों का इस्तेमाल

अगर आपको ध्यान केंद्रित करने में परेशानी होती है, तो ‘केंद्रित ध्यान’ आपके लिए सबसे अच्छा है। इसमें आपको अपना ध्यान किसी एक चीज पर पूरी तरह केंद्रित करना होता है। शरीर की पांच इंद्रियों में से किसी भी एक इंद्री के इस्तेमाल से ‘केंद्रित ध्यान’ का अभ्यास किया जा सकता है। उदाहरण के तौर पर, आप एक माला लेकर मंत्रजाप कर सकते हैं, एक दीपक की जलती हुई लौ पर अपना ध्यान लगा सकते हैं या फिर अपनी सांसों पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं।

मंत्र ध्यान में करें मंत्र पाठ

‘मंत्र ध्यान’ का अर्थ है मंत्र पर ध्यान लगाना यानि किसी भी तरह के धार्मिक शब्द का उच्चारण एकाग्रता के साथ करना। उदाहरण के तौर पर हिंदू धर्म में ‘ॐ’ शब्द का उच्चारण किया जाता है। इसी तरह आप अपने धर्म से जुड़े किसी भी शब्द का उच्चारण कर के ‘मंत्र ध्यान’ का अभ्यास कर सकते हैं। इस तरह के ध्यान में आप कोई प्रार्थना भी कर सकते हैं।

काल्पनिक ध्यान के तीन तरीके

काल्पनिक ध्यान कई तरीके से किया जा सकता है। आप इसे वर्तमान, भूत और भविष्य में बांट सकते हैं।

वर्तमान: ‘वर्तमान काल्पनिक ध्यान’ में आप वर्तमान में हो रही चीजों के ऊपर अपना ध्यान लगाते हैं, जैसे – आपके आस-पास की आवाजें, आपका शरीर, हवा में किसी तरह की खुशबू आदि।

भूत: ‘भूत काल्पनिक ध्यान’ में आप अपनी बीती हुई जिंदगी के खुशी या गम वाले पल पर ध्यान लगाते हैं और फिर अपने दिमाग को उनसे आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करते हैं।

भविष्य: ‘भविष्य काल्पनिक ध्यान’ में आप अपने सपनों के बारे में सोचते हैं, जैसे – आपकी मनचाही नौकरी का ऑफर आना, पढ़ाई में मनचाहे नंबर लाना आदि। इसे अंग्रेजी में ‘मैनिफेस्टेशन’ भी कहा जाता है, जिसमें आप जो चीज पाना चाहते हैं, उसके बारे में बार-बार सोचते हैं। यह अपने सपनों को खुद की तरफ आकर्षित करने का प्रभावी तरीका माना जाता है।

ध्यान लगाने का सबसे अच्छा तरीका क्या है?

ध्यान लगाने के लिए ये जरूरी नहीं है कि बाहरी वातावरण शांत हो, बल्कि जरूरी यह है कि आपके मन में शांति हो। आइए देखते हैं 10 स्टेप्स में ध्यान लगाने का तरीका।

ध्यान लगाने के 10 स्टेप्स: 

  1. सबसे पहले खुद को साफ-सुथरा करें।
  2. किसी साफ जगह पर आसन लगाकर सुखासन (पालथी मारकर बैठना) में बैठ जाएं।
  3. किसी भी मुद्रा को धारण कर के हाथों को घुटनों पर रखें।
  4. हल्के से अपनी आंखें बंद करें।
  5. अपने दिमाग पर फोकस करें।
  6. दिमाग को बिल्कुल शांत करें।
  7. अपनी सांसों पर फोकस करते हुए ध्यान लगाएं।
  8. मन में भटकाव आने पर, एक बार फिर कोशिश करें।
  9. ध्यान पूरा होने पर, हाथों को आपस में रगड़ें।
  10. आखिर में हथेलियों को अपनी आंखो पर लगाते हुए, धीरे से आंखें खोलें।

शुरुआती समय में हो सकता है कि आप 10 मिनट भी ध्यान न लगा पाएं। लेकिन, हार न मानें और हर दिन प्रयास करें। धीरे-धीरे समय बढ़ाते जाएं। नियमित रूप से ध्यान लगाने पर आप अधिक सचेत और शांत महसूस करने लगेंगे।

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