मौका देना, अवसर देना

एक मौका तो मिलना ही चाहिए

वह बस काम से थोड़ा ब्रेक चाहती थी। जब वह काम से घर पहुंची तो उसका शरीर बुखार से तपने लगा था।

प्रिया अपने काम में डूबी हुई थी। पिछले हफ्ते रिसोर्स अलोकेशन की मीटिंग वैसी नहीं हुई थी, जैसी उसे उम्मीद थी। उसे अपने नए प्रोजेक्ट के लिए वह टीम चुनने का मौका (Opportunity) नहीं मिला जो वह चाहती थी। अब वह फ्रेशर्स के एक ग्रुप के साथ फंस गई थी, जिसके पास काम करने का थोड़ा या बिलकुल अनुभव नहीं था।

प्रिया ने ज्यादातर काम खुद ही किया। वह कोई भी क्रिटिकल काम के लिए नौसिखियों को मौका देना नहीं चाहती थी। लेकिन जैसे-जैसे डेडलाइन पास आती गई वह बेचैन होती गई। वह घबराई, ‘मैं यह सारा काम अकेले कैसे कर पाऊंगी?’। स्ट्रेस की वजह से उसके दिल की धड़कनें तेज़ हो रही थी और सिर में दर्द भी होने लगा था। इससे उसका काम भी प्रभावित हो रहा था।

वह बस काम से थोड़ा ब्रेक चाहती थी।  वह काम से घर पहुंची ही थी कि उसका शरीर बुखार से तपने लगा। प्रिया ने एक दवा की गोली खाई और सो गई। सुबह जब वह उठी तो ऑफिस के लिए उसे देर हो रही थी। थकान की वजह से वह खुद को बिस्तर से बाहर भी नहीं निकाल पा रही थी।

10 वर्षीय आर्यन ने बड़ी सी मुस्कान से उसका दरवाज़ा खटखटाते हुए कहा, ‘गुड मॉर्निग मॉम!’

प्रिया ने गहरी सांस के नीचे दबी धीमी आवाज़ में कहा, ‘हाय, बेबी’।

आर्यन ने पूछा, ‘मॉम, क्या तुम्हारी तबीयत ठीक नहीं है?

प्रिया ने जवाब दिया, ‘मैं बस थोड़ा थक गई हूं’।

आर्यन बोला, ‘तुम बीमार लग रही हो मॉम। वेट! मुझे अच्छे से पता है कि आपको बेहतर महसूस करने के लिए क्या चाहिए। मैं आता हूं।’

प्रिया ने उसे रोकने की कोशिश की, हे…, लेकिन आर्यन जा चुका था। उसके पास इतनी ताकत नहीं थी कि वह उठकर यह देख सके कि आखिर वह कर क्या रहा है। कुछ देर वहीं पड़ी रहने के बाद वह सो गई।

आर्यन ने जैसे ही दरवाज़े को खोलने के लिए धक्का दिया तो वह चरमराया। प्रिया भौंचक्की होकर उठी। वहां आर्यन खड़ा था। वह उसकी ओर सतर्क नज़रों से देख रहा था। उसने पूछा, ‘मॉम, क्या आपको लगता है कि आप मेरे साथ किचन में आ सकती हैं?’

प्रिया ने शक से उसे देखते हुए पूछा, ‘तुम क्या कर रहे हो? उम्मीद है किचन में तुम अकेले नहीं गए होगे’।

आर्यन ने भरोसे के साथ कहा, ‘प्लीज़ कम, मॉम! मुझे विश्वास है आपको अच्छा लगेगा’।

प्रिया ने बिस्तर से उठने के लिए पूरी ताकत जुटाई और अपने बेटे के साथ किचन में चली गई।

बेहद चिंतित प्रिया ने कहा, ‘क्या तुम खाना पका रहे थे? मैंने तुम्हें कितनी बार कहा है कि किचन से दूर रहा करो। अभी तुम सिर्फ 10 साल के हो। क्या होगा यदि तुम जल जाओगे?’। प्रिया को भरोसा ही नहीं हो रहा था कि आर्यन यह काम बगैर किसी अनुभव के कर लेगा।

मुस्कुराते हुए आर्यन ने कहा, ‘डोंट वरी मॉम। मैंने ग्रैंड मां को बुला लिया था। उन्होंने भी मेरी सहायता की। मैंने आपका फेवरेट सूप बनाया है’।

प्रिया हैरान थी। लेकिन वह अपनी (रिलक्टंस) अरुचि को छोड़कर सूप पीने लगी।

उसने अपने बच्चे को गले लगाते हुए कहा, यह बहुत टेस्टी है। आई एम प्राउड ऑफ यू। आर्यन ने भी विश्वास के साथ कहा, ‘थैंक्स, मॉम। आखिरकार मैं कोई बात कब सीखूंगा यदि मैं कभी कुछ करने की कोशिश ही न करूं तो’।

आर्यन के शब्द मानों उसे कुछ जता रहे थे। प्रिया को अपने नौसिखिए सहयोगियों को लेकर बनी गलत राय का एहसास हो गया था। मौका देने के लिए उसने अपनी टीम को कॉल कर बाकी बचे प्रोजेक्ट को लेकर मार्गदर्शन दिया। उसने ज़ोर देकर अपनी टीम से कहा, ‘लेट्स ऐस इट डू टुगेदर गायस’। (चलो इसे मिलकर करते हैं, दोस्तों!)

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