सफलता के लिए बेहद जरूरी है गुणवत्ता नियंत्रण

सफलता के लिए बेहद ज़रूरी है गुणवत्ता नियंत्रण

कोई अपने संस्थान या कंपनी में अलग-अलग उत्पादों और सेवाओं की गुणवत्ता कैसे निर्धारित करता है? इसके लिए यहां कुछ दिए गए टिप्स आपके लिए कारगर साबित हो सकते हैं।

उद्योग जगत के किसी भी क्षेत्र में दो तरह के प्रतिद्वंद्वी होते हैं। एक ऐसे जो अधिक मूल्य पर अच्छी गुणवत्ता वाली चीज़ें मुहैया कराते हैं और दूसरे वे जो किफायती कीमत पर कम गुणवत्ता वाली चीज़ें लोगों के लिए उपलब्ध कराते हैं। अब एक ग्राहक अपनी प्राथमिकता के मुताबिक उन चीज़ों का चयन करता है कि उसे अच्छी गुणवत्ता वाली चीज़ चाहिए कि कम गुणवत्ता वाली।

फिर भी जब बात खाने-पीने की चीज़ों, पेय पदार्थ और दवा जैसी महत्वपूर्ण ज़रुरत की चीज़ों की आती है, तो इस मामले में कोई भी व्यक्ति क्वालिटी से समझौता नहीं करना चाहता है। अगर कोई ग्राहक इससे समझौता करता है, तो उसे काफी नुकसान का सामना करना पड़ सकता है।

इस मामले में चाणक्य ने न सिर्फ गुणवत्ता जांच पर बल दिया है, बल्कि किसी वस्तु या सामान की गुणवत्ता खराब न हो, यह सुनिश्चित करने लिए उन्होंने अपने समय और कार्यकाल में सरकारी नियंत्रण की प्रणालियों को सख्ती से लागू करने की वकालत भी कर चुके हैं। वे कहते हैं,” अगर कोई सामान खराब हो गया है, तो ऐसी सूरत में इसे कहीं और नहीं बेचा जाना चाहिए, बल्कि कुछ प्रतिबंध के साथ इसे वापस लेने की अनुमति दी जा सकती है। अगर इन कायदे-कानून का कोई उल्लंघन करता है, तो ऐसी स्थिति में चौबीस पण या माल का 10वां हिस्सा वसूला जाना चाहिए।”

उपरोक्त वकत्व्य से हमें पता चलता है कि चाणक्य ने सिर्फ खराब होने वाली चीजें को लेकर ही एक खास नीति सुनिश्चित कर रखा था। उनके मुताबिक, खराब गुणवत्ता वाले सामानों का इस्तेमाल एक विशेष क्षेत्र में ही किया जाना चाहिए। अगर इन नियमों का कोई पालन नहीं करता है, तो उसके लिए उन्होंने दंड के प्रावधान का भी उल्लेख किया है।

ऐसे में कोई अपने संस्थान में उत्पादों और सेवाओं की गुणवत्ता कैसे निर्धारित करता है? इसके लिए यहां कुछ दिए गए टिप्स आपके लिए कारगर साबित हो सकते हैं।

गुणवत्ता के निहितार्थ को समझें

गुणवत्ता के मायने व्यक्ति और बाजार के मुताबिक बदलता रहता है। यह एक सेगमेंट से दूसरे सेगमेंट में पहुंचने पर वह पूरी तरह से अलग हो जाता है। मिसाल के तौर पर एक व्यक्ति जो हमेशा फटे कपड़े ही पहनता रहा है, उसे सेकेंड हैंड या उपयोग हो चुके कपड़े ही पसंद आएंगे, वहीं नया शर्ट उसे हमेशा हाई क्वालिटी वाला ही लगेगा।

वहीं एक ऐसा इंसान, जिसे साफ-सुथरे और अच्छे कपड़े पहनने का शौक है और अपनी  खास हैसायित रखता है, तो उस तरह के लोगों की नज़र में सिर्फ ब्रांडेड शर्ट या डिजाइनर वाले कपड़े ही हाई क्वालिटी वाले होते हैं। ऐसे में इस तरह की मन:स्थिति और अपने ग्राहक की ज़रुरत समझ से पता चलता है कि एक इंसान से दूसरे इंसान के लिए गुणवत्ता के क्या मायने हैं। इसका एक जीता-जागता उदाहरण वे निर्यातक हैं, जो घरेलू कपड़ा उद्योग की बजाय पुराने भारतीय कपड़ों को निर्धन देशों में निर्यात करते हैं।

गुणवत्ता के लिए खास पैरामीटर सेट करें

किसी सामान या किसी सर्विस की मार्केटिंग या उसे बाहर भेजने से पहले यह सुनिश्चित करना ज़रूरी है कि वह उत्पाद गुणवत्ता के मानकों पर खरा उतर रहा या नहीं। सभी मशहूर ब्रांडों में क्वालिटी कंट्रोल डिपार्टमेंट होता है। यह डिपार्टमेंट सिर्फ तैयार सामान की गुणवत्ता पर नज़र नहीं रखता है, बल्कि अपने कारखानों में हर स्तर पर अलग-अलग प्रक्रियाओं बारीकी से निगरानी रखता है, जिससे सामान की गुणवत्ता खराब न हो।

इसमें हैरान होने वाली कोई बात भी नहीं है कि इन विभागों को क्वालिटी कंट्रोल की बजाय क्वालिटी एशुरेंस कहा जाए। इस विभाग में उत्पादन के हर स्तर पर प्रत्येक व्यक्ति गुणवत्ता की गारंटी के लिए जवाबदेह होता है।

गुणवत्ता में लगातार सुधार करें

आज बाजार की मांग में लगातार वृद्धि हो रही है। उपभोक्ताओं की ज़रुरतें बदल रही हैं। ऐसे में गुजरते समय के साथ गुणवत्ता के मायने भी बदल रहे हैं। इसलिए इस बदलाव को समझें और उसी के अनुरूप गुणवत्ता में सुधार लाएं।

सिमटती दुनिया में यह ज़रूरी है कि आगे बढ़ें और वैश्विक मानकों के सामान तैयार करें। इसलिए आज के बदलते दौर में टिके रहने के लिए अपनी कार्यप्रणाली और व्यवस्था में टीक्यूएम (टोटली क्वालिटी मैनेजमेंट), आईएसओ सर्टिफिकेशन आदि पर विशेष ध्यान दें। इससे भी ज़रूरी बात यह है कि आप अपनी गलतियों से सीखें और उपभोक्ताओं की ओर से मिल रहे फीडबैक को स्वीकार करें और इन बातों को आगे से अपनी गुणवत्ता में सुधार लाने की दिशा में इस्तेमाल करें।

डॉ राधाकृष्णन पिल्लई एक भारतीय मैनेजमेंट थिंकर है, लेखक और आत्म-दर्शन और चाणक्य आंविक्षिकी के संस्थापक हैं। डॉ पिल्लई ने तीसरी सदी ईसा पूर्व के ग्रंथ कौटिल्य के अर्थशास्त्र पर रिसर्च की है और इसे माॉडर्न मैनेजमेंट में शामिल किया है ।

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