बड़े भाई का प्यार

बड़े भाई का प्यार

मार्च में 12वीं की परीक्षाएं शुरू होनी वाली थीं। सबकुछ ठीक चल रहा था। मैं भी पूरी शिद्दत के साथ तैयारी में जुटा था, आखिरकार मम्मी-पापा का अफसर बेटा जो बनना था। लेकिन, खुशी के पल उसी पल खत्म हो गए, जब पापा के ऑफिस के एक साथी ने खबर दी कि उनका एक्सीडेंट हो गया है। है।

राजू को आज काफी फक्र महसूस हो रहा था। भला हो भी क्यों न…आज उसका छोटा भाई अजय डॉक्टर जो बन गया है। छोटे भाई की कामयाबी को देखकर उसकी आंखों से खुशी के आंसू छलक पड़े। फिर राजू घर में पड़ी कुर्सी पर अपना सिर टिकाकर बैठ गया और आंखें मूंदकर पुराने ख्यालों में खो गया।

वो भी क्या खुशियों खुशी भरे दिन थे, जब पापा के ड्यूटी से वापस घर आने पर, उनके स्कूटर की आवाज कान में पड़ते ही हम भाई-बहन कमरे से निकल कर दरवाजे के पास खड़े हो जाते थे और उनका बैग लेने के लिए आपस में भिड़ जाते थे। दसवीं में जब मैंने अपने स्कूल में टॉप किया, तो मेरा रिजल्ट देखकर पापा कितना खुश हुए थे। उस दिन हम तीनों भाई-बहन को उन्होंने खूब मिठाई खिलाई थी। उस दिन मैंने सोच लिया कि मैं पढ़-लिखकर मम्मी-पापा का नाम रौशन करूंगा। मुझे देर रात तक पढ़ाई करते देखकर पापा बोल भी देते थे, “बस करो राजू और कितनी देर तक पढ़ोगे।”

मार्च में 12वीं की परीक्षाएं शुरू होनी वाली थीं। मैं भी पूरी शिद्दत के साथ तैयारी में जुटा था, आखिरकार मम्मी-पापा का अफसर बेटा जो बनना था। लेकिन, खुशी के पल उसी पल खत्म हो गए, जब पापा के ऑफिस के एक साथी ने खबर दी कि उनका एक्सीडेंट हो गया है और वो अस्पताल में भर्ती हैं। मम्मी और भाई-बहन अस्पताल पहुंचे, तो बेड पर पापा को देख दंग रह गए, वो कोमा में जा चुके थे। कुछ दिनों बाद वे हम सब को छोड़कर चले गए।

पापा के चले जाने का दुख परिवार में किसी से सहा नहीं जा रहा था। दूसरी तरफ मेरा अफसर बनने का ख्वाब रेत की तरह बिखर गया। 12वीं की परीक्षा धरी की धरी रह गई। बस अब यहीं सोचता था कि अपने छोटे भाई-बहन को कैसे अच्छी परवरिश दे पाऊंगा। इतनी कम पढ़ाई में कोई नौकरी भी नहीं मिल सकती थी।

लेकिन, पड़ोस में रहने वाले मेरे दोस्त रोहन के भाई उन दिनों कॉल सेंटर में काम किया करते थे। रोहन ने अपने भाई को बोलकर मेरी कॉल सेंटर में नौकरी लगवा दी। खुद तो पढ़ नहीं पाया, लेकिन छोटे भाई अजय और बहन शुभि की पढ़ाई पर मैंने पूरा ध्यान दिया। अजय भी पूरी शिद्दत के साथ पढ़ाई करता। जब अजय ने प्री मेडिकल टेस्ट पास किया, तो परिवार को एक उम्मीद की किरण दिखी। लेकिन, अजय मायूस था। वह सोच रहा था कि भैया मेडिकल कॉलेज में एडमिशन के लिए इतनी रकम कहां से लाएंगे।

राजू को पता था कि मेडिकल की पढ़ाई के लिए अच्छी-खासी फीस लगती है। लिहाजा, उसने पहले ही एजुकेशन लोन के लिए अप्लाई कर दिया था।

अजय को उदास देखकर राजू ने कहा, ‘अरे, तुम उदास क्यों हो?’

अजय ने निराश होते हुए कहा, ‘भैया, आपने मुझे इतना पढ़ा दिया। अब मेडिकल की पढ़ाई के लिए इतने पैसे कहां से आएंगे?’

‘अरे.. छोटू, इसकी चिंता मत करो और अपने एडमिशन की तैयारी करो’, राजू ने कहा।

इतना सुनते ही बड़े भाई के प्यार को देखकर अजय की आंखों से आंसू छलक पड़े।

पांच साल बाद आज छोटे भाई को डॉक्टर बनता देखकर राजू को ऐसा लग रहा था, मानो उसने सारा संसार ही जीत लिया हो। राजू ने बहन की ओर देखकर कहा ‘अब तुम्हारी बारी है।’ भीगी आंखो के साथ शुभि ने हां में सिर हिला दिया। मां को आज राजू के चेहरे में उसके पापा दिखाई दे रहे थे, जिनका सीना गर्व से चौड़ा नजर आ रहा था।

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