ज़िंदगी में खुद के लिए निर्णय लेना कैसे करता है हमारी मदद?

ज़िंदगी में खुद के लिए निर्णय लेना कैसे करता है हमारी मदद?

आप ज़िंदगी में क्या पाते हैं और क्या खोते हैं ये पूरी तरह से इस बात पर निर्भर करता है कि आपने क्या निर्णय लिया था। अगर जीवन में सफल होना चाहते हैं, तो ज़रूरी है कि आप जो भी निर्णय लेते हैं, वो सोच समझ कर लें।

जीवन में सफलता और विफलता इस बात पर निर्भर करती है कि आप क्या निर्णय ले रहे हैं। आप जब भी कोई निर्णय लेंगे तो इससे आप कामयाबी की सीढ़ी चढेंगे या फिर इसका उलट होगा। आप ज़िंदगी में क्या पाते हैं और क्या खोते हैं ये पूरी तरह से इस बात पर निर्भर करता है कि आपने क्या निर्णय लिया था। तो अगर जीवन में सफल होना चाहते हैं, तो ज़रूरी है कि आप जो भी निर्णय लेते हैं, वो सोच समझ कर लें।

सोच समझ कर निर्णय लेना, एक समझदार इंसान की सबसे बड़ी निशानी है। वहीं, सोचने के चक्कर में ओवरथिंकिंग (Overthinking) न करें, क्योंकि इससे डिसीजन (Decision) लेने में परेशानी होगी और निर्णय गलत भी हो सकते हैं।

कई बार ऐसा होता है कि हम आस-पास के लोगों के बताई वजहों के कारण भी गलत निर्णय ले लेते हैं। इसके कारण हमें बाद में परेशानियों का भी सामना करना पड़ता है। वहीं, कई बार हम किसी सिचुएशन को एक्सेप्ट नहीं करते हैं और गलत निर्णय लेते हैं, जिसके कारण हमारा समय और प्रयास दोनों बेकार हो जाता है।

तो सोलवेदा हिंदी के इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे कि ज़िंदगी में खुद के लिए निर्णय लेना कैसे हमारी मदद करता है। साथ ही हम आपको सही डिसीजन लेने के कुछ आसान उपाय भी बताएंगे।

निर्णय लेने में भावनाओं का महत्व (Nirnay lene mein bhawanaon ka mahatv)

जब भी हम कोई निर्णय लेते हैं, तो उसमें भावनाओं की भूमिका बहुत अहम होती है। बहुत से लोग भावनाओं को तर्कहीन और निर्णय लेने के लिए सही चीज़ नहीं मानते हैं, लेकिन ऐसा नहीं है। इमोशन्स किसी भी निर्णय को लेने का एक प्रमुख हिस्सा है। हमें सिर्फ ध्यान रखना चाहिए कि निर्णय लेने के दौरान इमोशन्स को कितनी स्पेस देनी है, जिससे हम इसके गलत और सही परिणामों को देखते हुए अपना डिसीजन सही तरीके से ले सकें।

गीता के छठे अध्याय में श्रीकृष्ण ने कहा है कि मानसिक स्थिरता की ही स्थिति में कोई भी निर्णय लेना सही होता है। इसका मतलब ये है कि जब आप ज़्यादा खुश हैं या फिर दुखी हैं, तो उस समय कोई भी निर्णय न लें, क्योंकि ऐसे समय में निर्णय लेना गलत भी साबित हो सकता है। डिसीजन लेने में परेशानी होने पर अच्छे विचारों को पढ़ें, इससे आपको जीवन को देखने का नया नज़रिया मिलेगा।

निर्णय लेने से पहले खुद से करें सवाल (Nirnay lene se pahle khud se karein sawal) 

आप जब भी कोई निर्णय ले रहे हैं, तो उस डिसीजन को लेकर खुद से सवाल करें कि क्या यह सही है या गलत? इससे आपके निर्णय लेने की क्षमता काफी बढ़ जाएगी और आप सही निर्णय बहुत ही आसानी से ले पाएंगे। इस दौरान यह भी ध्यान रखें कि आप खुद के जवाब से संतुष्ट हों, क्योंकि जब तक आप अपने जवाब से संतुष्ट नहीं होंगे, तब तक सही निर्णय लेने में परेशानी होगी। 

निर्णय लेने के बाद बदलाव से न डरें (Nirnay lene ke baad badlav se na darein)  

आप जब भी कोई डिसीजन लेते हैं, तो उससे बहुत से बदलाव भी होते हैं। इसलिए निर्णय लेने से पहले इन बदलावों के बारे में सोच लें। इससे ये फायदा होगा कि आपके डिसीजन लेने के बाद जो भी बदलाव होगा, उसके लिए आप पहले से ही तैयार होंगे। इससे आपको जीवन में किसी भी तरह की परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा और बदलाव होने पर आप डरेंगे नहीं। इससे आपके अंदर लीडरशिप के गुण भी डेवलप होंगे।  

ज़रूरी नहीं कि हर निर्णय परफेक्ट ही हो (Zaruri nahi ki har nirnay perfect hi ho)

आपने अपने आस पास रहने वालें लोगों से हमेशा सुना होगा कि हर काम परफेक्शन से करो। हालांकि, ये सही है कि काम हमेशा परफेक्शन से करना चाहिए। लेकिन, निर्णय लेते समय ये भी ध्यान रखें कि आप जो डिसीजन ले रहे हैं, उसमें परफेक्शन कितना मायने रखता है। आप डिसीजन लेते समय अपनी प्राथमिकताओं का ध्यान रखें, इससे आपके निर्णय लेने की क्षमता पर पॉजिटिव असर पड़ेगा। 

हो सकता है आपके पास दो ऑप्शन हों और दोनों में से कोई निर्णय भी परफेक्ट न हो। निर्णय लेते समय परफेक्शन पर ध्यान कम दें। परफेक्ट कुछ नहीं होता। इसके बजाय ध्यान दें कि निर्णय लेते वक्त आप खुद पर भरोसा कर रहें हों।

निर्णय लेते समय अपने करीबी लोगों से करें बात (Nirnay lete samay apne karibi logon se karein baat) 

आप जब भी डिसीजन लेते समय कंफ्यूज हो रहे हों, तो अपने करीबी लोगों से बात करें। वो आपको निर्णय लेने में मदद करेंगे, क्योंकि वो हमेशा आपकी अच्छाई चाहते हैं। साथ ही अपने सीनियर्स से भी बात करें, क्योंकि उन्हें आपसे ज़्यादा एक्सपीरियंस होता है। वो आपको डिसीजन मेकिंग में हेल्प करेंगे और उनकी मदद से आप सही निर्णय ले पाएंगे। 

खुद के लिए निर्णय लेना कैसे करता है हमारी मदद? (Khud ke liye nirnaye lena kaise karta hai hmari madad?)

अब तक आपने जाना कि निर्णय लेने का सही तरीका क्या होना चाहिए। लेकिन, कभी आपने सोचा है कि जब हम खुद के फैसले खुद करते हैं तो इससे हमें क्या फायदा होता है। चलिए जानते हैं।

खुद के लिए निर्णय लेने से अनुभव बढ़ता है और हम हर निर्णय के साथ बेहतर बनते चले जाते हैं।

खुद के लिए सही निर्णय लेने पर हमें खुद पर गर्व होता है और गलत निर्णय लेने पर हमें सीख मिलती है।

हम समझते हैं कि एक छोटा है फैसला भी हमारी ज़िंदगी को किस हद तक प्रभावित कर सकता है।

हम आत्मनिर्भर महसूस करते हैं और खुद के बारे में अच्छा सोचने लगते हैं।

आज हम खुद के लिए निर्णय लेकर भविष्य में अपने परिवार के लिए भी सही निर्णय लेने की ट्रेनिंग करते हैं।

अगर हमारे अंदर निर्णय लेने का कौशल होगा तो ज़िंदगी की किसी भी मुश्किल से आसानी से बाहर निकल सकते हैं।

इस आर्टिकल में हमने आपको निर्णय लेने का तरीका बताया। इसके साथ ही हमने बताया कि निर्णय लेना ज़िंदगी को कैसे प्रभावित करता है और यह क्यों ज़रूरी है।

आर्टिकल पढ़कर आपको कैसा लगा कमेंट करके हमें ज़रूर बताएं। साथ ही इसी तरह के और भी ज्ञानवर्द्धक आर्टिकल पढ़ने के लिए सोलवेदा हिंदी से जुड़ें रहें।

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