आत्मनिर्भरता

ज़िंदगी की किन मुश्किलों से लड़ने के लिए आत्मनिर्भरता है ज़रूरी?

जब हम किसी पर अपनी ज़रूरतें या काम पूरा करवाने के लिए निर्भर नहीं होते बल्कि खुद अपना काम पूरा करने का कौशल रखते हैं, तब हम आत्मनिर्भर हो चुके होते हैं।

बच्चा जब जन्म लेता है तो वो अपनी मां पर पूरी तरह से आश्रित होता है। उसका खाना-पीना, नहाना सब कुछ मां ही कराती है। फिर धीरे-धीरे बच्चा बड़ा होने लगता है, और अपनी ज़रूरतें समझने लगता है। लेकिन, तब भी वो अपनी ज़रूरतें पूरी करने के लिए किसी न किसी पर निर्भर होता है, जो उसको पानी या खाना दे सके।

फिर एक दिन वही बच्चा इतना बड़ा हो जाता है कि उसे किसी से कुछ मांगने की ज़रूरत नहीं पड़ती। वो खुद अपने लिए जाकर खाना ले सकता है। खुद नहा सकता है और अकेले स्कूल भी चला जाता है। जब हम किसी पर अपनी ज़रूरतें या काम पूरा करवाने के लिए निर्भर नहीं होते बल्कि खुद अपना काम पूरा करने का कौशल रखते हैं, तब हम आत्मनिर्भर बन चुके होते हैं।

ज़िंदगी में हमेशा हर कदम पर कोई हमारे साथ नहीं चल सकता। वो मां जो बचपन में हमें अपने हाथ से खिलाती, नहलाती थी, बड़े होने पर स्कूल में आकर हमें अपने हाथ से नहीं खिला सकती। न ही हमें स्कूल छोड़ने वाले पिता रोज़ दफ्तर तक हमें छोड़ने आ सकते हैं। समय के साथ हर चीज़ बदल जाती है और अंत में दुनिया की बड़ी से बड़ी लड़ाई, हमें खुद पर निर्भर होकर ही लड़नी पड़ती है।

आत्मनिर्भरता क्या है? (Aatmnirbharta kya hai?)

“आत्मनिर्भरता स्वतंत्र रूप से कार्रवाई का एक तरीका चुनने और निष्पादित (execute) करने की क्षमता है, जिसके परिणामस्वरूप आपको वह चीज़ मिलती है जो आप चाहते हैं” – मनोवैज्ञानिक बंडुरा (1977)

ऊपर कही गई बात बिल्कुल सत्य है। जीवन में खुद पर निर्भर होना बहुत ज़रूरी है। हर छोटी-बड़ी चीज़ या काम के लिए दूसरों पर निर्भर रहना ठीक नहीं है। आत्मनिर्भरता अपनी ज़रूरतें और फैसलों के लिए स्वतंत्र होना है।

मुझे याद है जब मैं पहली बार घर से कॉलेज के लिए अकेली निकली थी। दिल में अजीब-सा डर और घबराहट थी। हालांकि, मैंने हिम्मत नहीं हारी और रोज़-रोज़ अकेले जाने से मेरा डर भी खत्म हो गया।

मेरी ज़िंदगी में बहुत से मौके ऐसे भी आएं, जब मुझे फैसले खुद लेने थे, और मैंने फैसले लिए भी। मुझे आत्मनिर्भर बनने की खुशी है। आत्मनिर्भरता व्यक्ति को स्वतंत्र बनाती है। बड़ी-बड़ी मुश्किलों से निकलना सिखाकर जीवन को नई दिशा देती है

सेल्फ हेल्प क्यों ज़रूरी है? (Self help kyon zaruri hai?)

सेल्फ हेल्प या स्वयं सहायता, आत्मनिर्भरता के ही अलग-अलग नाम हैं। आर्थिक, बौद्धिक या भावनात्मक रूप से खुद अपना सुधार करना आत्म-समुन्नति (self-improvement) या स्वावलम्बन (self-help) कहलाता है।

आत्मनिर्भरता के संबंध में ये भी सच है कि कोई भी व्यक्ति पूरी तरह से खुद पर निर्भर नहीं रह सकता। उसे कहीं-न-कहीं किसी रूप में तो दूसरों की ज़रूरत पड़ ही जाती है। मगर इसका ये मतलब नहीं कि आत्मनिर्भरता आवश्यक नहीं है। जीवन के विभिन्न पहलुओं में अपने आप पर निर्भर होना बहुत ज़रूरी है।

ज़िंदगी की मुश्किलों से लड़ने के लिए आत्मनिर्भर बनें (Zindgai ki mushkilo se ladne ke liye aatmnirbhar bane)

आत्मनिर्भरता हमें ज़िंदगी के कई पड़ाव पार करने में मदद करती है। असल में जब एक व्यक्ति खुद पर निर्भर बनता है तभी वो खुद का ख्याल रखना भी सीख जाता है।

ज़िंदगी में इस तरह से काम आती है आत्मनिर्भरता:

आत्मनिर्भरता से हम खुद पर विश्वास और खुद से प्यार करना सिख जाते हैं।

विचारों में सकारात्मकता आती है। सेल्फ-डिपेंडेंट होने से हम नकारात्मक चीज़ों, व्यक्ति और विचारों से खुद ही दूर हो जाते हैं।

हम जीवन में अपने लक्ष्यों और सफलताओं के लिए खुद ही जिम्मेदार होते हैं।

जब हमें लगता है कि हम कुछ नहीं कर पाएंगे, तब आत्मनिर्भर होकर हम खुद के डर पर जीत हासिल कर लेते हैं।

आत्मनिर्भर होने से हम खुद पर शक करना और खुद को कम समझना, छोड़ देते हैं।

अगर आप भी ज़िंदगी की मुश्किलों से डटकर सामना करना चाहते हैं और सफल होना चाहते हैं तो आज से सेल्फ-डिपेंडेंट बन जाएं।

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