World Elephant Day: कब और किस कारण से शुरू हुई इस दिन को मनाने की प्रथा?

विश्व हाथी दिवस: कब और किस कारण से शुरू हुई इस दिन को मनाने की प्रथा?

मानव अपने फायदे के लिए जानवरों को अपना शिकार बनाता रहा है। हाथी दांत की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए हाथियों का शिकार लगातार होता रहा है। जंगलों की कमी और बढ़ती आबादी से उनके रहने की जगह कम हो गई है। इस वजह हाथी की प्रजातियां भी दिन प्रति दिन कम होती जा रही है।

आपने बाज़ार में हाथी दांत से बनी बहुत सारी चीज़ों को बिकते हुए देखा होगा। खूबसूरत आकृतियों में ढले हुए हाथी दांत को लोग अपने घरों की सुंदरता बढ़ाने के लिए मुंह मांगी कीमत देकर खरीदते हैं। हाथी दांत से बने झुमके और गहने काफी चलन में है। लोग हमेशा से उन्हें खरीदते और बेचते आए हैं। पर क्या कभी आपने सोचा है कि वो हाथी दांत जिसको आपने अपने घर या शरीर की शोभा बढ़ाने को रखा है, जिसका ये दांत है उस हाथी का क्या हुआ होगा? उस बेचारे से ये दांत कैसे छीना गया होगा और कितनी बेरहमी से उसका शिकार किया गया होगा?

मानव अपने फायदे के लिए जानवरों को अपना शिकार बनाता रहा है। हाथी दांत की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए हाथियों का शिकार लगातार होता रहा है। जंगलों की कमी और बढ़ती आबादी से उनके रहने की जगह कम हो गई है। इस वजह हाथी की प्रजातियां भी दिन प्रति दिन कम होती जा रही है। इसी कमी को रोकने और हाथियों की सुरक्षा के लिए विश्व हाथी दिवस की नींव रखी गई।

विश्व हाथी दिवस कब मनाया जाता है? (Vishv hathi divas kab manaya jata hai?)

हर साल 12 अगस्त को, विश्व हाथी दिवस के रूप में मनाया जाता है। दुनियाभर में इस दिन पर लोगों को हाथियों के प्रति जागरूक किया जाता है।

कैसे हुई हाथी दिवस मनाने की शुरुआत? (Kaise hui hathi divas manane ki shuruaat?)

फिल्म निर्माता ‘पेट्रीसिया सिम्स’ और थाईलैंड के ‘एलिफेंट रीइंट्रोडक्शन फाउंडेशन’(Elephant reintroduction foundation) के द्वारा पहली बार विश्व हाथी दिवस की शुरुआत की गई। इसे पहली बार 12 अगस्त 2012 को मनाया गया था। इस पहल को फिल्म स्टार और स्टार ट्रेक के दिग्गज विलियम शैटनर ने काफी समर्थन दिया था, जिन्होंने डॉक्यूमेंट्री ‘रिटर्न टू द फॉरेस्ट’ का वर्णन किया था। ‘रिटर्न टू द फॉरेस्ट’ बंदी बने हुए एशियाई हाथियों को जंगल में वापस लाने के बारे में 30 मिनट की एक बहुत ही अच्छी फिल्म है। विश्व हाथी दिवस का मकसद पूरी दुनिया के लोगों का हाथियों की दुर्दशा की तरफ ध्यान खींचना था। अपने प्यारे और बुद्धिमान स्वभाव की वजह से लोग हाथियों को बहुत पसंद करते हैं, मगर फिर भी इस शानदार जीव को अपने अस्तित्व के लिए कई खतरों का सामना करना पड़ता है। उन्हें इन खतरों से बचाने के लिए विश्व हाथी दिवस मनाने की शुरुआत हुई।

विश्व हाथी दिवस मनाने का क्या उद्देश्य है? (Vishv hathi divas manane ka uddeshye kya hai?)

हाथियों को अवैध शिकार से बचाना

हाथी दांत की मांग चीन में सबसे ज़्यादा है। अफ्रीकी और एशियाई लोग हाथियों का अवैध शिकार करते हैं। दुनिया के सबसे बड़े हाथियों में से एक, ‘सताओ’ को हाल ही में उसके बड़े और शानदार दांतों के लिए मार दिया गया था। ऐसे ही एक और कनियाई हाथी ‘माउंटेन बुल’ को भी शिकारियों ने मार डाला था। हाथी दांत की कीमत अब सोने से भी अधिक हो गई है, जिसकी वजह से अफ्रीकी हाथियों को अवैध शिकार होता रहता है। मांस, चमड़े और शरीर के अंगों के लिए भी हाथियों का शिकार किया जाता है। हाथियों की ऐसी दुर्दशा को देखकर ही विश्व हाथी दिवस की शुरुआत हुई है ताकि लोगों को हाथियों की सुरक्षा के लिए जागरूक किया जा सके। 

हाथियों के रहने के लिए जगह बनाना

बढ़ती आबादी ने उनसे उनके रहने की जगह छीन ली हैं। कम जंगल और पेड़ होने की वजह से वो अपना परिवार बढ़ाने में नाकाम रहते हैं। प्रजनन की कमी से नई पीढ़ियां नहीं आ पातीं। लंबे समय तक ऐसा चलता रहा तो हाथियों के विलुप्त होने का खतरा भी है। प्रकृति का हर प्राणी एक-दूसरे से जुड़ा हुआ है। एक कड़ी के कमजोर पड़ने पर भी मानव जाति खतरे में आ सकती है। हालांकि, इस चिंता को नज़रअंदाज़ करते हुए लगातार हाथियों का घर छीना जा रहा है। विश्व हाथी दिवस मनाने का यह भी उद्देश्य है कि लोग हाथियों का घर छिनना बंद करें।

हाथियों को कैद होने से बचाना

चिड़ियाघर, सर्कस और पर्यटन में हाथियों की देखभाल और इलाज के लिए कोई कानून न होने की वजह से उनके साथ बुरा बर्ताव होता है। हाथियों के लिए कैद में रहना बहुत ख़तरनाक होता है और भारत में हाथियों को अक्सर जंगल से पकड़ लिया जाता है और पर्यटन उद्दयोग में उनकी तस्करी की जाती है। उनको न चाहते हुए भी भारी-भरकम सामान को अपने पीठ पर ढोना पड़ता है।

हाथियों के साथ होने वाली इसी तरह की हिंसा को रोकने के लिए विश्व हाथी दिवस की शुरुआत हुई और हर साल 12 अगस्त को हाथी दिवस के रूप में मनाया जाने लगा। जानवरों के प्रति होने वाली हिंसा को रोकने में मदद करने के लिए हमें खुद को और दूसरे लोगों को जागरूक करना होगा ताकि किसी बेज़ुबान को मानव जाति से कोई खतरा न हो। प्रकृति का संरक्षण करना और इस धरती से जुड़े हर जीव और पेड़-पौधे का ख्याल रखना, हम सब की ज़िम्मेदारी है।

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