विश्व संगीत दिवस

जानें वर्क फ्रॉम होम में संगीत कैसे उत्पादकता को बढ़ा सकती है…

संगीत आपको भटकाव की स्थिति से बाहर निकलने में मदद कर सकती है। अगर आप वर्क फ्रॉम होम कर रहे हैं, तो भी आपकी प्रोडक्टिविटी लेवल को बढ़ाकर कार्यक्षमता को बढ़ा सकती है।

जिस तरह से म्यूजिक आपके मूड को चेंज कर सकता है, वैसी क्षमता शायद ही किसी दूसरी चीज़ में है। किस तरह म्यूजिक का एक खास पैटर्न, स्वर और लय इंसानी दिमाग को खुश करती है। इसके प्रभाव देखकर आप आश्चर्यचकित हुए बिना नहीं रह पाएंगे। हर इंसान के जीवन में म्यूजिक के मायने अलग हैं। कोई अपने अकेलेपन को दूर करने के लिए संगीत सुनता है तो कोई गुस्से को कम करने के लिए। कोई क्रिएटिविटी को बढ़ाने के लिए सुनता है तो कोई काम से बोर न हो इसलिए संगीत सुनना पसंद करता है। म्यूजिक हर मामले में खास है। लेकिन क्या यह वर्क फ्रॉम होम के दौरान भी इतना ही कारगर साबित हो सकता है?

चलिए विश्व संगीत दिवस (World music day) पर इस मुद्दे पर थोड़ा सोचते हैं। बीते दिनों वर्क फ्रॉम होम में रहने के बाद आप एक निष्कर्ष पर पहुंच गए होंगे। उस दौरान आप एक खास तरह की रूटीन में खुद को फंसा हुआ महसूस करते होंगे, बिल्कुल नीरस लगने वाला काम। शुरुआत में आरामदेह लगने वाला वर्क फ्रॉम होम आगे चलकर काफी नीरस, ऊबाउ व भटकाव जैसा लगने लगा था, जिसमें कोई उत्साह नहीं था। इसके बाद आपने किताब में दिए गए उन सभी उपायों को ज़रूर आजमाया होगा, जो आपके भीतर ऊर्जा का संचार और दिलचस्पी पैदा कर सके। लेकिन बाद में आपने महसूस किया होगा कि ये उपाय तो किसी काम के ही नहीं हैं। इसके बाद मन ही मन ख्याली पुलाव की तरह उम्मीद करते होंगे कि कल का दिन बहुत ही प्रोडक्टिविटी वाला होगा। लेकिन आपको क्या मालूम है कि कल कभी नहीं आता है। आने वाले कल के फेर में आपकी उत्पादकता यूं ही प्रभावित होने लगती है। ऐसे में अपने तमाम प्रयासों के बावजूद अपनी सोच पर खरा नहीं उतरने की इस कशमकश से कैसे निपटेंगे?

विश्व संगीत दिवस पर हम बताना चाहते हैं कि समस्या का समाधान आपके म्यूजिक प्लेलिस्ट में मौजूद है। वैसे संगीत आपके हर परिस्थिति में मददगार होती है। लेकिन ज़िंदगी की दुविधाओं के बीच संगीत आपको भटकाव की स्थिति से बाहर निकलने में सहायता कर सकती है। अगर आप वर्क फ्रॉम होम कर रहे हैं, ऑफिस में हैं तब भी आपकी प्रोडक्टिविटी लेवल को बढ़ाकर कार्यक्षमता को बढ़ा सकते हैं।

कार्यक्षमता पर म्यूजिक का कितना असर पड़ता है, इस मुद्दे पर कई विशेषज्ञ वर्षों से अध्ययन व तर्क-वितर्क कर चुके हैं। कुछ लोगों का मानना है कि संगीत से मन भटकता है। जबकि कुछ लोगों का कहना है कि संगीत बाहरी शोर-शराबे को रोककर उत्पादकता को बढ़ा सकती है। यही कारण है कि काफी लोग म्यूजिक सुनने के दौरान ही काम करना पसंद करते हैं।

लेकिन, इसका कुछ दुष्प्राव भी है। विश्व संगीत दिवस पर आपको बता दें कि आपकी प्रोडक्टिविटी इस बात पर भी निर्भर करती है कि आप किस तरीके का म्यूजिक सुनना पसंद करते हैं। एक स्टडी के अनुसार इस मामले में इन्स्ट्रुमेंटल म्यूजिक का काफी बेहतर परिणाम देखने को मिला है। वहीं, भारी-भरकम लिरिक्स और गीत सुनने से आपकी मेमोरी और किसी काम में एकाग्रचित्त होने में परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।

ऐसे में आपकी उत्पादकता पर संगीत कितना असर डालती है, आइए विश्व संगीत दिवस पर इस पर गंभीरता से विचार करते हैं।

म्यूजिक रचनात्मकता को बढ़ाता है (Music rachnatmakta ko badhata hai)

जब काम के दौरान आप लगातार कंप्यूटर स्क्रीन पर अपनी नज़र टिकाए रहते हैं, तो उस दौरान यह उम्मीद करते हैं कि कुछ-न-कुछ बेहतर समाधान ज़रूर निकलेगा। लेकिन आपका दिलो-दिमाग इसे मानने के लिए तैयार नहीं होता है। आप सोच-सोचकर इतना थक जाते हैं कि आपका सभी आइडिया और क्रिएटिविटी पूरी तरह खत्म हो जाता है या कुछ इसी तरह का भाव मन में आ जाता है। इस स्थिति में आप इंसपरेशन कहां से लाते हैं? वो हम आपको विश्व संगीत दिवस पर बताने की कोशिश कर रहे हैं।

ऐसे में आप संगीत सुनकर अपने थके-हारे दिमाग को फिर से तरोताज़ा कर सकते हैं। जब आप म्यूजिक सुनते हैं, तो आपके दिमाग की कुछ सेल्स और न्यूरोट्रांसमीटर सक्रिय हो जाते हैं, खासकर डोपामाइन या मस्तिष्क को उत्प्रेरित करने वाले तत्व। म्यूजिक दिमाग की डोपामाइन के स्तर को बढ़ाने में सहायता करता है। इससे आपको सुखद अनुभूति होगी। साथ ही आप बहुत उत्साहित व क्रिएटिव महसूस करेंगे। संगीत सुनने के बाद आपके दिमाग की बंद नसें खुल जाती हैं। इसके बाद आपके भीतर एक से बढ़कर एक नए आइडियाज व सकारात्मक विचार आते हैं। इस तरह आपकी रचनात्मकता खुलकर बाहर लाने में एक प्रभावकारी उपाय का काम करता है।

संगीत सुनने से आप काम से उबते नहीं हैं (Sangeet sunne se aap kaam se ubte nahi hain) 

अगर आप लंबे समय तक कंप्यूटर स्क्रीन पर काम करते हैं, तो यह एक तरह से काफी थकावट भरा हो सकता है। विशेषकर, उस वक्त यह और भी बोरिंग लग सकता है, जब आप वर्क फ्रॉम होम में हों। लंबे समय से एक ही तरह का काम करने जैसे पैटर्न से हटकर काम करते हैं, तो इससे एनर्जेटिक महसूस करेंगे। जब बात उबाउपन खत्म करने की आती है, तो म्यूजिक आपके लिए काफी कारगर साबित हो सकता है। विश्व संगीत दिवस पर हम इसके बारे में बता रहे हैं। जर्नल ऑफ न्यूरोसाइंस ऑफ बिहेवियर एंड फिजियोलॉजी में छपी एक स्टडी के अनुसार जब बैकग्राउंड में किसी का पसंदीदा गीत बज रहा हो, तो इंसान में चिरपरिचित पैटर्न को समझने की क्षमता में बढ़ोतरी होती है। इस तरह म्यूजिक उबाउपन वाले काम से निजात दिलाने में आपकी मदद कर सकता है। इसके बाद आपको अपने काम में भी मन लगने लगेगा व बोरियत भी महसूस नहीं करेंगे।

तनाव से दिलाता है निजात (Tanav se dilata hai nizat)

सप्ताह के पहले दिन का तनाव या अवसाद कोई मिथक नहीं है। वह भी उस वक्त जब आप वर्क फ्रॉम में हों। जैसे-जैसे आपका वीकेंड नज़दीक आता है, तो आपके भीतर डर का माहौल घर करने लगता है। काम पर लौटने का विचार सामान्य तौर पर निराशाजनक लग सकता है। इसलिए जब बात उत्पादकता की आती है, तो लोग पूरे सप्ताह में सोमवार के दिन को सबसे खराब मानते हैं। हालांकि, सोमवार को इतना भी बुरा नहीं समझना चाहिए। विश्व संगीत दिवस पर हम बता रहे हैं कि म्यूजिक से आप इससे कैसे बच सकते हैं। शुक्र मनाइए कि इस दिन म्यूजिक आपके लिए काफी मददगार साबित हो सकता है। काम के दौरान संगीत सुनने से आपकी उत्पादकता व मोटिवेशन को बढ़ाने में काफी मदद कर सकता है। लाइव बीट्स व आपके फेवरेट लिरिक्स आपकी अंतरात्मा को जगाने में सहायता करते हैं। इससे आपका दिन काफी प्रोडक्टिव, संतोषप्रद और मन को सुकून देने वाला हो सकता है।

ब्रेकटाइम में लाता है सुधार (Breaktime mai lata hai sudhar)

भले ही आप कोई रूटीन काम या कोई अन्य एक्टिविटी कर रहे हों। इन सभी कामों के लिए आपको हमेशा चिंता करने की ज़रूरत पड़ती है और तय दिशा से हटकर सोचना पड़ता है। ऐसी स्थिति में आपको थोड़े-थोड़े अंतराल पर ब्रेक भी लेना बहुत आवश्यक है। थोड़े-थोड़े अंतराल पर ब्रेक लेने पर आपका दिमाग तरोताज़ा महसूस करने लगेगा और इस तरह काम पर भी आपका ध्यान बेहतर ढंग लगेगा। लेकिन जब आप वर्क फ्रॉम होम में हों, तो काम के दौरान फोकस और एनर्जी लेवल कम होने पर ब्रेक टाइम और काम के समय के बीच बना परस्पर सामंजस्य बिगड़ जाता है। इसलिए हम आपको विश्व संगीत दिवस के अवसर पर म्यूजिक के माध्यम से सामंजस्य बनाने के बारे में बता रहे हैं। समय के साथ सामंजस्य बनाने का एकमात्र उपाय संगीत सुनने के साथ अपने ब्रेक का समय निकालना है। यह न सिर्फ आपको अपने समय के साथ काम की लयता बनाने में मदद करेगा, बल्कि किसी काम को निपटाने से पहले आपके मन-मस्तिष्क को फिर से तरोताज़ा कर देगा।

आपकी दिनचर्या को निर्धारित करने में मददगार (Aapki dincharya ko nirdharit karne mein madadgar)

विश्व संगीत दिवस पर हम बताना चाहते हैं कि आप जब रोजाना काम शुरू करते हैं, तो उस दौरान आपका मूड कैसा है यह आपकी उत्पादकता के लिए काफी मायने रखता है। दरअसल, अगर आप डेली वर्क में फेवरेट किताब पढ़ते हैं, पंसदीदा प्लेलिस्ट सुनते हैं, तो ये सब आपके शेष दिनों को बेहतर बनाने में काफी सहायता कर सकते हैं। लेकिन जब आप वर्क फ्रॉम होम में हों, तो आप अपने आलस्य को बढ़ाने और काम करने की गति को कैसे दुरुस्त करेंगे? इसका सीधा उपाय एक बार फिर म्यूजिक सुनना ही हो सकता है। काम के दौरान अकेले कॉफी और सिगरेट जैसे कैफीन लेने की बजाय कोशिश करें कि आप अपना फेवरेट म्यूजिक सुनें। फिर भी आपको अपनी प्लेलिस्ट के पहले गाने को सुनते ही आपकी उत्पादकता में बहुत कुछ फेरबदल हो जाएगा, इसकी अपेक्षा नहीं करनी चाहिए। ऐसा सोचने की बजाय अपने आप को स्लो मोड में इस परिस्थिति से बाहर आने के लिए खुद को तैयार करें। उम्मीद है विश्व संगीत दिवस पर बताई गई तमाम जानकारी का फायदा उठाएंगे व बेहतर प्रोडक्टिविटी दे पाएंगे।

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