माइंडफुलनेस

माइंडफुलनेस का अभ्यास क्यों करें?

होलिस्टिक वेलबींग कोच संदीप पंडित ने माइंडफुलनेस (सचेतना) के बारे में अपने विचार साझा कर बताया कि यह अभ्यास क्यों महत्वपूर्ण है।

हम अपने दैनिक जीवन को कितना कॉन्शियसली (सचेत) जीते हैं? जिस पल से हम जागते हैं, उस पल से लेकर जब तक हम बिस्तर पर जाते हैं। हम अपने वर्तमान पल से कितना जुड़े होते हैं? सच कहा जाए, तो हम इस बात से सहमत होंगे कि हम अपना अधिकांश जीवन अपने दिमाग में चल रही अपनी ही काल्पनिक दुनिया में जीते हैं। हम अपने अतीत को दोबारा जीते हैं। भविष्य के बारे में सोचते हुए हम बेवजह झल्लाने और चिंता करने लगते हैं। ऐसा करते हुए हम अपने वर्तमान को खो देते हैं। कई बार तो हमें यह तक पता नहीं चलता कि हम क्या खा रहे हैं। हम तैयार होते हैं और ऐसे काम पर चले जाते हैं जैसे कि हम ऑटो-पायलट मोड पर हों। हम मल्टीटास्क अर्थात एक साथ बहुत से काम करते हैं। एक साथ कई चीजों के बारे में सोचते हैं। हकीकत यह है कि हम एक समय पर केवल किसी एक चीज पर अपना ध्यान केंद्रित ही नहीं करते हैं।

ऐसे में यदि हम खुद को माइंडलेस लिविंग का विक्टिम मान लें, तो कोई बड़ी बात नहीं होगी। दुर्भाग्यवश इस तरह की ज़िंदगी तनाव के स्तर और चिंता को बढ़ाकर हमारे स्वास्थ्य को प्रभावित करती है। हालांकि, कई लोगों ने अब महसूस करना शुरू कर दिया है कि माइंडफुलनेस रहने की प्रैक्टिस करना, उनकी लाइफ को बेहतर बनाने का एक प्रभावी तरीका है। हार्वर्ड के एक रिसर्च के अनुसार, माइंडफुलनेस फिजिकल और मेंटल हेल्थ में सुधार करता है। इससे स्ट्रेस कम करने में मदद मिलती है। इससे हमारा ब्लड प्रेशर कम होता है और हम एंग्जायटी डिसऑर्डर का उपचार करने में सफल होते हैं।

जो लोग यह तय नहीं कर पाते हैं कि कहां से शुरू करें। उनके लिए हमेशा कुछ ऐसे लोग होते हैं, जो मदद करने के लिए तैयार रहते हैं। होलिस्टिक वेलबींग और माइंडफुलनेस कोच संदीप पंडित एक ऐसे ही व्यक्ति हैं। उन्होंने माइंडफुलनेस का अभ्यास करके ना केवल अपना जीवन बदला है, बल्कि दूसरों की भी ऐसा करके मदद करने के लिए उन्होंने अपना जीवन समर्पित कर दिया है। एक विशेष बातचीत में पंडित ने माइंडफुलनेस के बारे में अपनी राय साझा करते हुए बताया कि यह अभ्यास क्यों महत्वपूर्ण है।

आपने कॉर्पोरेट सेक्टर में 15 साल तक काम किया था। क्या आप बता सकते हैं कि आपको नौकरी छोड़ने और माइंडफुलनेस प्रशिक्षक बनने के लिए किसने प्रेरित किया?

बचपन से ही मुझे इस बात को समझने की इच्छा थी कि हमारा दिमाग हमारे जीवन में एक शक्तिशाली ताकत कैसे हो सकता है। मैंने 10 वर्ष की उम्र में एक छोटी-सी शारीरिक चुनौती को दूर करने के लिए ध्यान करना शुरू किया और उसमें मुझे बहुत शांति मिली। इसके बाद मैंने इसमें और गहरे जाने की कोशिश करते हुए अपने दिमाग को होलिस्टिक वेलबींग की दिशा में लगाने का निर्णय लिया।

कॉर्पोरेट जगत में काम करते हुए मैंने महसूस किया कि मैं और मेरे सहकर्मी हकीकत में एक ऐसा जीवन जी रहे हैं, जो हमारी पहचान से काफी अलग है। इसलिए मैंने अपनी आध्यात्मिक समझ का उपयोग करके अपने जीवन को बदलने का फैसला किया। साथ ही अपने साथियों की भी मदद करने का निर्णय लिया। यह प्रयास इतना अच्छा साबित हुआ कि आखिरकार मुझे अपनी नौकरी छोड़नी पड़ी। मैंने लाइफ कोचिंग और माइंडफुलनेस वर्कशॉप आयोजित करने के लिए एक संगठन बना ली।

आपके लिए माइंडफुलनेस का क्या मतलब है?

माइंडफुलनेस केवल वर्तमान पल पर ध्यान केंद्रित करना है। इस पल में जो अच्छाई हमारे अंदर है, उसे स्वीकार करना और कृतज्ञ होने की भावना को महसूस करना है। हमें इस बात का एहसास करना है कि हमारे पास गुजरे वक्त को लेकर पश्चाताप करने और भविष्य की चिंता करने की कोई गुंजाइश नहीं है, क्योंकि वर्तमान पल ही सबसे मूल्यवान उपहार है। यदि हम केवल वर्तमान पल में रहने का अभ्यास करते हैं। हमारे पास जो मौजूद है, यदि हम उसकी सराहना करते हैं, तो हम अपने मन में शांति का अनुभव करेंगे। इसके परिणामस्वरूप हमारे पास एक सफल जीवन के साथ भीतर की शांति भी होगी। बहुत से लोग इस कॉम्बिनेशन की चाहत रखते हैं।

माइंडफुलनेस की प्रैक्टिस से आपको व्यक्तिगत रूप से कैसे मदद मिली है?

मैं बचपन से ही ध्यान करता था। अपने साथियों के विपरीत मैं बाहरी परिस्थितियों से परेशान नहीं होता था। मुझे जीवन में जो चाहिए था वह मुझे मिला या नहीं इसके बावजूद मैं खुश रहता था। कभी-कभी मुझे लगने लगा था कि शायद मैं जीवन में अलग-थलग हो रहा था और शांत जीवन जीने लगा था। आखिरकार ध्यान करने से मुझे पता चला कि मैं जीवन की किसी भी स्थिति के साथ सहज हो गया हूं। मैं जीवन में कुछ हासिल करने के लिए कड़ी मेहनत करने के लिए तैयार हूं, लेकिन अगर मुझे वह नहीं मिलता है, तो भी मैं खुश रहता हूं। संक्षेप में, मैंने एक ऐसा माइंड विकसित कर लिया है, जो हर चीज को स्वीकार करने के लिए खुला है और किसी भी चीज के साथ जुड़ा नहीं है।

माइंडफुलनेस कोच के रूप में आप किस तरह से लोगों को गाइड करते हैं?

कई लोग जीवन की चुनौतियों की कल्पना कर उन्हें खुद ही बड़ा कर लेते हैं। उन्हें लगता है कि उनसे ज्यादा दुर्भाग्यपूर्ण कोई नहीं हो सकता। इसी सोच के कारण उनके पास जो कुछ उपलब्ध है, वे उस पर ध्यान देना बंद कर देते हैं। केवल उस पर ध्यान केंद्रित करना जारी रखते हैं, जो वे पाना चाहते हैं या फिर जो उनके पास उपलब्ध नहीं है। इसका नतीजा यह होता है कि वे भावनात्मक रूप से निराश होकर हतोत्साहित होते हुए ऐसी स्थिति में पहुंच जाते हैं, जहां वे खुद से भी प्रेम करना बंद कर देते हैं।

अपने काउंसेलिंग सेशन और वर्कशॉप में मैं किसी भी व्यक्ति को हकीकत के करीब लाकर उसे सशक्त बनाने और उनके पास पहले से मौजूद चीजों का वास्तव में आनंद लेने पर ध्यान केंद्रित करता हूं। इस तरह लाइफ को लेकर उनका अप्रोच पॉजिटिव, कन्सट्रक्टिव और होलसम हो जाता है।

माइंडफुलनेस से होलिस्टिक वेलबींग कैसे इंप्रूव होती है?

अगर हम व्याकुलता, चिंता, तनाव, नाखुशी, भावनात्मक थकावट और बोरियतस के दुश्चक्र को तोड़ना चाहते हैं, तो हमें हियर एंड नाव को स्वीकार करना होगा। इससे हमारी बॉडी और माइंड सुपरचार्ज हो जाए। माइंडफुलनेस की प्रैक्टिस ही हमें हमारे रूट्स तक पहुंचाकर हमें वर्तमान पल में ले जा सकती है।

वर्तमान पल में ही सभी खुशी, शांति और होलिस्टिक वेलबींग है। जिस पल हम गुजरे वक्त के बारे में पश्चाताप करना शुरू करते हैं और भविष्य की चिंता करने लगते हैं। हम अपने वर्तमान पल में अर्थात वेलबींग की बलि चढ़ा देते हैं। जैसा कि आध्यात्मिक शिक्षक एकहार्ट टोले कहते हैं: ‘द ओनली थिंग दैट इस अल्टीमेटली रियल अबाउट योर जर्नी इस द स्टेप दैट यू आर टेकिंग एट दिस मोमेंट, दैट्स ऑल देयर एवर इस’। अर्थात केवल एक चीज जो आपकी यात्रा के बारे में वास्तविक है, वह यही कदम है, जो आप इस समय उठा रहे हैं। बस यही पल तो है’।

  • संदीप पंडित एक कॉर्पोरेट प्रोफेशनल टर्नड होलिस्टिक वेलबींग एंड माइंडफुलनेस कोच हैं। वे ‘सोल इन हार्मनी’ संगठन जो इन्ट्यूटीव लाइफ कोचिंग, माइंडफुलनेस वर्कशॉप्स, रेकी हीलिंग और क्लिनिकल हिप्नोथेरेपी प्रदान करता है उसके संस्थापक हैं। विश्व स्तर पर प्रमाणित माइंडफुलनेस प्रशिक्षक पंडित दुनिया भर में अपने जीवन-प्रशिक्षण कार्यक्रमों में आध्यात्मिकता, रहस्यवाद और मन की शक्ति को भी शामिल करते हैं।
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