पाक कला

पाक कला में ढूंढा नया जीवन: गटलेस फूडी की कहानी, उन्हीं की ज़ुबानी

सोलवेदा के साथ एक खास बातचीत में नताशा दीदी ने न सिर्फ अपनी स्वास्थ्य समस्या से उबरने का किस्सा बताया, बल्कि एक प्रसिद्ध शेफ और लेखक बनने की अपनी प्रेरक कहानी भी साझा की।

ज़िंदगी… कैसी है पहेली हाए… कभी ये हंसाए, कभी ये रुलाए… ‘आनंद’ फिल्म का ये गीत हम सभी के जीवन से कहीं ना कहीं जुड़ा हुआ है। क्योंकि जीवन जीना आसान नहीं है। समय-समय पर जीवन में हमारी परीक्षाएं चलती रहती हैं। कभी अच्छा वक्त होता है, तो कभी बुरा वक्त होता है। बुरे वक्त में आशा ही ऐसा दीपक है, जो हमें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता है। आपकी उम्मीद के साथ आपकी कड़ी मेहनत रंग लाती है और बुरे दिन अच्छे दिनों में तब्दील हो जाते हैं। 46 वर्षीय शेफ नताशा दीडे की ज़िंदगी में उनकी उम्मीद और पाक कला (Culinary Skills) ही उनका आखिरी सहारा थी।

अक्सर आपने सुना होगा कि जीवन की जंग सिर्फ पेट के लिए है। दो वक्त की रोटी कमानी है, क्योंकि पेट भरना है। लेकिन अगर आपके शरीर से पेट ही निकाल दिया जाए, तो आप जीवन जीने की कल्पना कर सकते हैं! शायद यह असंभव लगता है। लेकिन नताशा दीडे, जिन्हें @thegutlessfoodie के नाम से जाना जाता है, 2012 में दो अल्सर और एक बड़े ट्यूमर के कारण उन्हें अपना पूरा पेट ऑपरेशन के द्वारा निकलवाना पड़ा। लेकिन आज वह अपनी पाक कला से समाज में मशहूर हैं। सोलवेदा के साथ एक खास बातचीत में नताशा ने अपनी प्रेरक कहानी साझा की। जो न सिर्फ उनके अस्तित्व के लिए बल्कि जीवन जीने के संकल्प को दर्शाती है।

बिना पेट के जीने की कल्पना मुश्किल है। फिर भी, आप न केवल आज बिना पेट के जीवन जी रही हैं, बल्कि खुद को आगे भी बढ़ा रही हैं। हमें अपनी बीमारी व स्वास्थ्य समस्या के बारे में बताएं।

लंबे वक्त से मैं कंधे के दर्द से गुज़र रही थी। दर्द इतना भयानक था कि मुझे दो सोल्डर रिकंस्ट्रक्शन सर्जरी करानी पड़ी। इसके बाद भी दर्द कम होता नहीं दिख रहा था। लगभग 6 वर्षों तक मुझे कई डॉक्टरों द्वारा गलत समस्या और समाधान बताए गए थे।

एक बार डॉ. भाल्लेराव मुझसे मिलने आए, क्योंकि उन्हें मेरे केस में रुचि थी। मेरे बैठने के तरीके को देखकर ही उन्हें पता चल गया कि मुझे पेट में अल्सर की समस्या है। यह मेरे और मेरे परिवार के लिए चौंकाने वाली बात थी, क्योंकि हमने अल्ट्रासाउंड कराया था। लेकिन रिपोर्ट में सब कुछ सामान्य ही दिखा था। डॉक्टर ने लैप्रोस्कोपिक टेस्ट कराने की सलाह दी।

टेस्ट में मेरे पेट के आकार का एक ट्यूमर पाया गया। ट्यूमर इतना बढ़ चुका था कि पेट का आकार ले लिया था, यही कारण था कि स्कैन में उसका पता नहीं चल पाता था। लेकिन अब यह बहुत बड़ा हो गया था और पेट को निकालने के अलावा दूसरा रास्ता नहीं था। हालांकि, उस समय यह प्रक्रिया अनसुनी थी। मेरे माता-पिता और मेरे पति ने सर्जरी कराने का फैसला किया। सर्जरी के द्वारा पेट को निकाल दिया गया और भोजन-नली को आंतों से जोड़ दिया गया। जहां भोजन से पोषक तत्व को अवशोषित करने की प्रक्रिया को दुरुस्त रखा जा सके। सर्जरी सफल रही और इतने साल के बाद आखिरकार मैं दर्द से मुक्त हो गई। लेकिन अब मेरे सामने एक अलग ही चुनौती थी कि “क्या खाऊं?”

सर्जरी के बाद का समय आपके लिए कठिन होगा, क्योंकि एक नई वास्तविकता के साथ जीवन जीना था। किस बात ने आपको आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया?

सर्जरी के बाद मुझे कठिन और देखरेख वाली डाइट दी जाने लगी। जब तक मैं अस्पताल में थी, तब तक मैंने एस्ट्रो-फूड (अंतरिक्ष यात्रा के दौरान अंतरिक्ष यात्रियों का भोजन) खाया। धीरे-धीरे मुझे हाई प्रोटीन डाइट पर शिफ्ट किया गया। जीवन एक बार फिर से सामान्य हो रहा था। लेकिन ऑपरेशन के 8 साल के बाद भी कई ऐसे दिन थे, जब मैं उदास महसूस करती थी। खासकर तब, जब मैं अपने शॉट्स नहीं ले पाती या चेक-अप नहीं करा पाती थी।

पाक कला

उन दिनों मुझे सबसे ज्यादा सशक्त बनाने में मेरे भोजन पकाने के प्यार ने ही मेरी मदद की।

वक्त गुजरता गया, धीरे-धीरे मैं बहुत से लोगों से मिली। जिन्होंने अपने परिवार के सदस्यों के बारे में बताया, जिनकी भी मेरी तरह ही सर्जरी हुई थी। लेकिन वे सफल नहीं हो सके थे। इस वास्तविकता ने मेरे दृष्टिकोण में बदलाव ला दिया। मैंने अपने जीवन को आभार व्यक्त किया और सकारात्मक नज़रिया रखने लगी। लेकिन उन दिनों मुझे सबसे ज्यादा सशक्त बनाने में मेरी पाक कला के प्यार ने ही मेरी मदद की। यह मेरे लिए मर्ज़ की दवा थी।

क्या आपके जीवन में कुछ ऐसा था, जिसने आपको अपने कठिन समय में सबसे ज़्यादा प्रेरित किया?

जहां से भी संभव था, मैंने जीवन के लिए प्रेरणा ली। मेरे सर्कल में ऐसे लोग थे, जिन्होंने मुझे अपने जीवन को सार्थक बनाने के लिए प्रोत्साहित किया। इसके अलावा, यह मेरा अपना विचार और जीवन की समझ थी, जिसने मुझे सकारात्मक और आशावादी बने रहने के लिए प्रेरित किया।

सर्जरी के बाद मैंने मान लिया था कि जो होना था, सो हो गया। यह मेरे जीवन को नहीं बदल सकता। सिर्फ एक चीज है, जो मैं बदल सकती हूं, वह है जीवन जीने का तरीका। अगर मैं कुछ नहीं करती हूं तो उदास रहती हूं। अब जब जीवन ने मुझे दूसरा मौका दिया है, तो मैं इसे बर्बाद नहीं करूंगी। मैंने जीवन काटने के बजाय उसे अपनी पाक कला के साथ जीना शुरू किया। मुझे लगता है कि यह बात मेरे लिए हार नहीं मानने का जीता जागता उदाहरण था।

जब आप किशोरी थी, तब अभिनय में आप अच्छा करती थी। खाना बनाना आपका पेशा कैसे बन गया?

जब मैं छोटी थी, तब मेरे स्कूल में एक नाटक का आयोजन हुआ था, जिसमें मैंने मुख्य भूमिका निभाई थी। उस प्रदर्शन के लिए मुझे खूब तारीफ मिली। तभी मैंने अभिनेता बनने का फैसला किया था। लेकिन जब मैंने अपनी मां से कहा कि मैं अभिनय करना चाहती हूं, तब उन्होंने मुझे एक ऐसा पेशा अपनाने की सलाह दी, जो ज़्यादा स्थिर और सुरक्षित हो। जैसा कि मैं बचपन से ही खाने की शौकीन थी, इसलिए मेरी मां ने पाक कला में करियर बनाने का सुझाव दिया।

जब मैं पहली बार कॉलेज गई, तब मुझे एहसास हुआ कि मुझे पाक कला की दुनिया पसंद है। इसके बाद मैंने खाना पकाने की वोकेशनल ट्रेनिंग ली। लेकिन ऑपरेशन के बाद तक मेरा खाना पकाने का प्यार और मजबूत हो गया।

शेफ होने के अलावा, क्या आपका कोई और सपना था, जिसे पूरा करना चाहती थी?

मेरे अंदर एक कहानी मौजूद थी, जिसे मैं हमेशा बताना चाहती थी। इसके लिए किताब लिखने से बेहतर तरीका और क्या हो सकता था! जब मैंने किताब के विमोचन की घोषणा की, तब सभी को यह लगा कि यह पाक कला पर आधारित किताब होगी। यह एक स्टीरियोटाइप बात है। लेकिन कोई भी मेरी किताब को प्रकाशित करने के लिए तैयार नहीं हुआ, इसलिए मैंने इसे खुद ही प्रकाशित किया। उसके बाद प्रकाशकों ने मुझसे संपर्क करना शुरू किया कि मैं ‘तनाव से कैसे निपटा जाए’ इस मुद्दे पर लिखूं, क्योंकि तनाव मेरे ट्यूमर का कारण था। लेकिन मेरा मानना ​​है कि सभी मनोवैज्ञानिक समस्याओं का समाधान करने का कोई एक ही तरीका नहीं होता है। तनाव से निपटने का हर किसी का अपना तरीका होता है और उन्हें अपने अनुभव के साथ ही रास्ता ढूंढना होता है।

ऐसे लोगों के लिए क्या संदेश देना चाहेंगी, जो ज़िंदगी में आशा और प्रेरणा की तलाश कर रहे हैं?

अपने अतीत से बाहर निकलिए। यह आपका वर्तमान बर्बाद कर देगा। इससे भी जरूरी यह है कि स्वयं को दूसरों के द्वारा परिभाषित न होने दें या कोई दूसरा आपको जज न कर पाए। जिंदगी अपनी शर्तों पर जिएं, अपना नियम खुद बनाएं। एक बार जब आप खुद के लिए जीना शुरू कर देंगे, तो आप पाएंगे कि जीवन कितना सुंदर है। याद रखें कि अगर आप रोजाना कड़ी मेहनत नहीं करते हैं तो आप प्रेरित होकर भी बहुत दूर तक नहीं जा सकते हैं। जब तक आप प्रेरणा के साथ काम करते हैं, तब तक आप अच्छा कर पाते हैं। मुझे पाक कला के इतर लिखने की प्रेरणा मिली, इसलिए मैंने लिखा और किताब को प्रकाशित किया। इसी तरह, अपनी प्रेरणा पर काम करें और दुनिया के लिए एक मिसाल बनें।

  • नताशा दीदी शेफ, लेखक और TEDx स्पीकर हैं। जिन्होंने 2012 में दो छिद्रित अल्सर और एक ट्यूमर के कारण अपना पेट गंवा दिया। लेकिन इसके बाद उन्होंने पाक कला के साथ अपने जीवन का पुनर्निर्माण किया। आज वह विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर अपने फूड ब्लॉग्स के लिए जानी जाती हैं, जिसने उन्हें गटलेस फूडी के नाम से मशहूर कर दिया है।
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