इतिहास के पन्ने प्रेम कथाएं, असफलताओं और निराशा की कहानियों से भरे पड़े हैं। इन कहानियों के पात्रों में से कुछ ने प्रेम के लिए युद्ध किए तो कुछ ने ईंट और पत्थरों से अपनी प्रेम कथाएं को अमर बनाने की कोशिश की। आज ईंट पत्थरों से बने यह स्मारक ऐसे ही महान पुरुषों और महिलाओं के प्रतीक के रूप में खड़े हैं। ये ताज़ा हवा के झोंको के रूप में उनकी असीम प्रेम गाथाओं को बयान कर रहे हैं।
प्रेम में ऐसी ताकत है कि वह समाज की कठोर सच्चाइयों को दरकिनार करते हुए आगे निकल जाता है। आइए, आपको यादों के इस गलियारे में लेकर चलते हैं। हमें पूरा विश्वास है कि ये प्रेम कहानियां आपकी आंखों को नम कर देंगी और संभवत: आपको फिर से प्रेम में बंधने को विवश कर देंगी।
एक असफल प्रेम कथा (Ek asafal prem katha)
ऐसा कहा जाता है कि प्रेम पर्वतों को भी डिगा देता है। लेकिन दुर्भाग्यवश ऐसा लॉर्ड मॉरिस एगर्टन के साथ नहीं हुआ। वह अपनी पंसद की युवती को रिझाने में सफल नहीं हो सके। ऐसा मानना है कि जब मॉरिस इंग्लैंड की यात्रा कर रहे थे तो उन्हें आस्ट्रेलियाई मूल की एक महिला से प्रेम हो गया। महिला की सुंदरता से प्रभावित होकर उन्होंने उसके समक्ष विवाह का प्रस्ताव रख दिया। लेकिन महिला ने उनका प्रस्ताव ठुकरा दिया क्योंकि वह 6 कमरों के एक ऐसे मकान में रहते थे जिस पर फूस की छत थी। महिला ने उसे जानवरों की रहने की जगह बताकर मॉरिस का प्रस्ताव ठुकरा दिया। मॉरिस ने हार नहीं मानी और अपने प्रेम को सफल बनाने के लिए 1930 और 1940 के बीच 53 कमरों वाला एक विशाल किला 100 एकड़ ज़मीन पर बनवाया और अपनी प्रेयसी को दोबारा विवाह का प्रस्ताव दिया लेकिन उसने इसे फिर यह कहते हुए ठुकरा दिया कि यह संग्रहालय जैसा लगता है। मॉरिस को इससे इतना दुख पहुंचा कि बाकी सारा जीवन उसने महिलाओं से दूरी बना ली। मॉरिस ने अपने नौकरों से कहा कि वह किले में किसी भी महिला को न आने दें। अपना शेष जीवन मॉरिस ने अकेले ही किले में व्यतीत कर दिया। केन्या में औपनिवेशिक शासन के दौरान की यह सबसे दुखद प्रेम कथाएं (Love stories) मानी जाती है।
प्रेमिका के लिए अफ्रीका की यात्रा की (Premika ke liye Africa ki yatra)
जब आप प्रेम में होते हैं तो उसके लिए किसी भी हद तक चले जाते हैं। इवार्ट ग्रोगन ने 24 साल की आयु में कुछ ऐसा ही कर दिखाया। उसने अपनी प्रेमिका गर्ट्रूड वाट के सौतेले पिता के सामने अपने महत्व को बताने के लिए ढाई साल की अवधि में केप ऑफ गुड होप से लेकर काहिरा तक की यात्रा कर डाली और वापस एक हीरो की तरह लौटकर अपनी प्रेमिका से विवाह किया और 40 साल बाद उसकी मृत्यु के बाद उसकी याद में ग्रोगन ने गर्ट्रूड चिल्ड्रन्स हॉस्पिटल (बच्चों का एक अस्पताल) बनवाया और 1947 में उसे पूर्वी अफ्रीका के बच्चों के नाम समर्पित कर दिया।
एक रानी की श्रद्धांजलि (Ek Rani ko shradhanjali)
प्रेम कथा की कड़ी में राजाओं द्वारा अपनी रानियों की याद में स्मारक बनाने के अनगिनत किस्से मौजूद हैं लेकिन गुजरात में रानी-की-वाव या सीढ़ीदार कुआं बनाए जाने की कहानी अपने आपमें अनूठी है। 11वीं शताब्दी में रानी उदयमती ने सोलंकी वंश के अपने प्रिय राजा भीमदेव प्रथम की प्रेम स्मृति में यह सीढ़ीदार कुआं बनवाया था। इस कुएं की नक्काशीदार दीवारों और स्तंभों पर भगवान विष्णु के विभिन्न अवतारों की कहानियां उकेरी गई हैं। श्रावस्ती नदी के तट पर बना वास्तुकला का यह बेहतरीन नमूना प्रेम और आकांक्षा की भावना के साथ बना एक स्मारक है।
मानवता के लिए एक उपहार (Manavta ke liye uphar)
ऐसा कहा जाता है कि कोई पदचिह्न इतना छोटा नहीं होता जो दुनिया में अपनी छाप न छोड़ सके। यह कहावत लेलैंड स्टैनफोर्ड जूनियर के मामले में बिल्कुल सही बैठती है। लेलैंड स्टैनफोर्ड और जेन लैथरॉप स्टैनफोर्ड का पुत्र 16 वर्ष की आयु में चल बसा था। उसके माता-पिता ने अपना सारा जीवन अपने बेटे की याद में एक विश्वविद्यालय बनाने के लिए समर्पित करने का फैसला किया और इसी जज़्बे के परिणामस्वरूप 1885 में स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय छात्रों के लिए बनकर तैयार हो गया। किसी के लिए भी अपने बच्चे को खोना बेहद दुखद होता है लेकिन अपने इस दुख को एक ऐसे काम में तब्दील कर देना जिससे हज़ारों बच्चे लाभान्वित हो सके, इस जज़्बात के लिए बड़े साहस की ज़रूरत होती है।
भव्य मकबरा (Bhavya Makbara)
ताजमहल प्रेम का सबसे मर्मस्पर्शी स्मारक है। इसके पीछे की प्रेम कथा कुछ ऐसी है कि 14 वर्षीय शहजादा शाहजहां फारस की शहजादी मुमताज़ महल को दिल दे बैठा। इसके 5 साल बाद उनका विवाह हो गया। हालांकि शाहजहां की और भी पत्नियां थीं लेकिन मुमताज़ उसे सबसे प्रिय थी। इनकी खुशहाल ज़िंदगी का तब अचानक अंत हो गया जब बच्चे को जन्म देते समय कुछ जटिलताओं की वजह से मुमताज़ की मृत्यु हो गई। मुमताज़ के मरते समय शाहजहां ने उससे वादा किया कि वह उसकी याद में एक ऐसा भव्य और अनोखा स्मारक बनवाएगा जिसका आने वाले दिनों में कोई मुकाबला न कर सकेगा। कुरान से प्रेरणा लेकर शाहजहां ने आगरा में यमुना नदी के किनारे ताजमहल बनवाया। सफेद संगमरमर की यह इमारत फारसी, इस्लामी और भारतीय वास्तुकला के मेल का एक ऐसा बेहतरीन नमूना है जिसका आज तक कोई मुकाबला नहीं कर सका है।
हम जो कुछ करते हैं, प्रेम के लिए करते हैं (Hum jo kuch karte hain, Prem ke liye karte hain)
जानी मानी कवयित्री माया एंजिलो का यह कहना पूरी तरह सही है कि ‘प्रेम किसी सीमा को नहीं मानता। वह उम्मीदों से भरे अपने गंतव्य तक पहुंचने के लिए दीवारों को भेदते हुए निकल जाता है, रास्ते में आने वाली बाधाओं को लांघ जाता है, बाड़ो को कूदकर पार कर जाता है।’ गुज़रे दौर में लोगों ने अपने प्रियजनों की याद में स्मारक बनवाए, कुछ ने अपने आसपास के लोगों के कल्याण के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया जबकि कुछ ने उनकी याद में ही सारा जीवन गुज़ार दिया। प्रेम कथाएं यह बताती हैं कि इन पुरुषों और महिलाओं की कोई बड़ी आकांक्षाएं नहीं थीं बल्कि केवल एक बड़ा हृदय था जिसमें वे अपने प्रियजनों की स्मृतियों को सहेज कर रखना चाहते थे। यह प्रेम कथाएं बताती हैं कि अपने समर्पण और लगन से इन्होंने दुनिया में यह साबित किया कि प्रेम सबसे श्रेष्ठ है।