विश्व आत्मकेंद्रित जागरूकता दिवस

World Autism Awareness Day: खामोशी को जुबां देता एक दिन

आपने अपने आस-पास ईशान जैसे बहुत से बच्चों को देखा होगा, जो बिल्कुल शांत एकांत में रहना पसंद करते हैं। ऑटिस्टिक बच्चों को बोलने और घुलने-मिलने में बहुत परेशानी झेलनी पड़ती है।

हम बहुत सी फिल्में देखते हैं। वो फिल्में हमें बहुत कुछ सिखाती हैं। ऐसी ही एक फिल्म थी, ‘तारे ज़मीं पर!’ इस फिल्म के ज़रिए हमें ऑटिज़्म के बारे में पता चलता है। फिल्म में मौजूद कलाकार ने एक ऐसे बच्चे (ईशान) का किरदार निभाया है, जिसे ऑटिज़्म है। वो बच्चा सब बच्चों के जैसा दिखते हुए भी उनसे बहुत अलग है और यह बात जहां ईशान के मम्मी-पापा भी नहीं समझ पाते, वही बात उसके एक टीचर समझ जाते हैं और ईशान को उसकी परेशानी से लड़ने में मदद करते हैं।

आपने अपने आस-पास ईशान जैसे बहुत से बच्चों को देखा होगा, जो बिल्कुल शांत एकांत में रहना पसंद करते हैं। ऑटिस्टिक बच्चों को बोलने और घुलने-मिलने में बहुत परेशानी झेलनी पड़ती है। हालांकि, ऑटिज़्म को लेकर हमारे समाज में एक बहुत बड़ा मिथ है कि ऑटिज़्म एक बीमारी है। पर क्या आपको पता है? ऑटिज़्म या स्वलीनता कोई बीमारी नहीं है, यह तो एक मानसिक विकार है।

यह कोई बीमारी नहीं है तो इसकी कोई दवाई भी नहीं है, पर इसका इलाज होता है। ऑटिज़्म का इलाज है ऑटिस्टिक व्यक्ति को समझना और उनकी मदद करके उनकी ज़िंदगी को आसान बनाना। ऑटिज़्म को थोड़े से साथ और देखभाल से बहुत हद तक नियंत्रित किया जा सकता है। ऑटिज़्म दूसरों से घुल-मिल पाने में परेशानी, दिमाग का सोच-विचार न पाना, पढ़ने और व्यवहार करने में दिक्कत का सामना करने जैसे बहुत से रूपों में एक बच्चे में मौजूद हो सकता है। ऑटिज़्म से पीड़ित अलग-अलग बच्चों या व्यक्तियों में इसके अलग-अलग लक्षण होते हैं। हमें तो बस सही समय पर अपने बच्चे में मौजूद ऑटिज़्म के लक्षणों को पहचान कर उसे मनोवैज्ञानिक परामर्श (Psychological Counseling) के साथ-साथ अपना प्यार और सहयोग देना है। ऑटिज़्म को लेकर बहुत से मिथ को दूर करने और इसके प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए ही तो विश्व आत्मकेंद्रित जागरूकता दिवस या वर्ल्ड ऑटिज़्म अवेयरनेस डे (World Autism Awareness Day in hindi) मनाया जाता है। आइए हम सोलवेदा के साथ मिलकर ऑटिज़्म से जुड़ी कुछ ज़रूरी जानकारी और इसको नियंत्रित करने के उपाय जानते हैं।

क्या है ऑटिज़्म? (Kya hai Autism?)

ऑटिज़्म एक मानसिक स्थिति या विकार है, जो अलग-अलग व्यक्तियों को अलग-अलग तरीके के प्रभावित करता है। ऑटिज़्म में ज़्यादतर लोगों को दूसरों से बातचीत करने, बोलने और व्यवहार करने में परेशानी होती है। इस स्थिति को (ADHD) ‘ध्यानाभाव और अतिसक्रियता’ विकार कहा जाता है।

इसके अलावा ऑटिज्म के कारण बच्चों को लिखने और पढ़ने में परेशानी होती है। ऑटिज़्म से पीड़ित व्यक्ति को अंग्रेजी या हिंदी वर्णमाला का कोई एक अक्षर लिखने में परेशानी होती है या उस अक्षर को बार-बार गलत लिखने की आदत होती है। कभी-कभी ऑटिस्टिक बच्चे को वर्णमाला के सारे अक्षर धुंधले या हवा में लहराते हुए नज़र आते हैं, जिसकी वजह से उन्हें अक्षरों को लिखने में और याद रखने में परेशानी होती है। साथ ही बोलने और दोहराने में भी परेशानी का सामना करना पड़ता है क्योंकि अक्सर जब कोई ध्वनि साफ सुनाई नहीं देती तो उच्चारण करना भी कठिन हो जाता है।

ऑटिज़्म में कुछ बच्चे बहुत देर तक एक ही काम को दोहराते रहते हैं, जब तक कि उन्हें दूसरा काम न दिया जाए या रुकने को न कहा जाए। ऑटिस्टिक बच्चा बहुत देर तक एक ही जगह खड़ा रहना पसंद करेगा या दीवार से सिर मारना जैसी कोई क्रिया तब तक करता रहेगा, जब तक कि उसे आकर रोका न जाए।
ऑटिज़्म के ये कुछ सामान्य लक्षण हैं, हालांकि अलग-अलग लोगों में इसके अलग-अलग लक्षण भी हो सकते हैं। बहुत से मामलों में ऐसा भी हुआ है कि एक व्यक्ति ऑटिज़्म के साथ पूरी ज़िंदगी बिता देता है और उसे खबर भी नहीं होती कि उसे ऑटिज़्म है।

विश्व स्वलीनता दिवस या आत्मकेंद्रित जागरूकता दिवस (Vishv Swalinta Divas ya Vishv Aatmkendrit Jagrukta Divas)

ऑटिज़्म डे, विश्व आत्मकेंद्रित जागरूकता दिवस या विश्व स्वलीनता दिवस, ऑटिस्टिक लोगों के लिए सम्मान और उनका साथ देने की एक अपील है। संयुक्त राष्ट्र कहता है कि वर्ल्ड ऑटिज़्म डे, ऑटिस्टिक लोगों को सही करने का दावा नहीं करता, पर हमारे समाज में उन लोगों के साथ जैसा व्यवहार किया जाता है, उस सोच को बदलने का एक छोटा-सा प्रयास है।

विश्व आत्मकेंद्रित जागरूकता दिवस ऑटिज़्म से पीड़ित लोगों के साथ एक समान व्यवहार करने के लिए, उनकी मदद करने के लिए और उनमें जो हुनर है, उसे दुनिया के सामने लाने के लिए मनाया जाता है। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने सर्वसम्मति से 2 अप्रैल को विश्व ऑटिज़्म जागरूकता दिवस के रूप में घोषित किया, ताकि ऑटिज़्म से पीड़ित लोगों के जीवन में सुधार करने में मदद करने की ज़रूरत पर ध्यान दिया जा सके, जिससे वे इस दुनिया के एक अभिन्न अंग के रूप में पूरा और सही जीवन जी सकें।

कब है वर्ल्ड ऑटिज़्म डे? (Kab hai World Autism Day?)

ऑटिज़्म से पीड़ित बच्चों और लोगों के लिए सम्मान और सहयोग का भाव रखने और समाज में उनके साथ होने वाले भेदभाव से निजात दिलाने के लिए, हर साल 2 अप्रैल को वर्ल्ड ऑटिज़्म अवेयरनेस डे मनाया जाता है। इस बार वर्ल्ड ऑटिज़्म अवेयरनेस डे 2 अप्रैल रविवार के दिन है।

हम लड़ सकते हैं ऑटिज़्म से (Hum lad sakte hain Autism se)

जैसा कि हम जानते हैं ऑटिज़्म जन्म से ही एक व्यक्ति के जीवन में घर बना चुका होता है। ऑटिज़्म के होने की बहुत-सी वजहों में सबसे पहली वजह है आनुवंशिकता। यानी अगर किसी व्यक्ति को ऑटिज़्म है तो इसमें कोई शक नहीं कि उसके बच्चे में भी ऑटिज़्म मौजूद हो। अगर मां-बाप ऑटिस्टिक हैं तो बच्चे को ऑटिज़्म होने के चांसेज 80% हैं।

ऑटिज़्म की एक बड़ी वजह पर्यावरण में मौजूद वायु और जल प्रदूषण भी है। हवाओं के साथ शरीर में जाने वाले खतरनाक रसायन, दूषित जल गर्भ में ही एक बच्चे को ऑटिज़्म का शिकार बना सकते हैं। गर्भावस्था के दौरान नशीली चीज़ों को खाने या पीने से भी एक बच्चे में ऑटिज़्म हो सकता है। इसलिए हमें अपने पर्यावरण को स्वच्छ और साफ रखने पर ध्यान देना चाहिए ताकि हम अपने बच्चों को ऑटिज़्म जैसे विकार से बचा सकें। साथ ही गर्भवती महिलाओं को नशीले पदार्थो से दूरी बना कर रखनी चाहिए। अपने खान-पान का पूरा ध्यान रखना चाहिए ताकि होने वाला शिशु मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ पैदा हो।

हमें ऑटिज्म अवेयरनेस की ज़रूरत क्यों है? (Humein Autism Awareness ki zarurat kyun hai?)

हम एक ऐसे समाज में रहते हैं, जहां हम हमसे थोड़ा-सा अलग व्यवहार करने वाले व्यक्ति को स्वीकार नहीं करते और उसे समाज का हिस्सा मानना भी पसंद नहीं करते। वहीं जिन लोगों को ऑटिज़्म है, वो समाज में रहने के लिए और अपनी जगह बनाने के लिए रोज़ एक अनदेखी लड़ाई लड़ रहे हैं। बहुत-से ऑटिस्टिक लोग, जिन्हें बचपन से ही दोस्त बनाने में और लोगों से बात करने में परेशानी होती है, ऐसे लोगों को हमारा समाज अलग-अलग टैग दे देता है।

यहां पढ़े-लिखे लोगों को समाज में सम्मान दिया जाता है, वही जब ऑटिज़्म से जूझ रहे बच्चे पढ़ने दिक्कत महसूस करने की वजह से पढ़ नहीं पाते, तो उन्हें समाज में कोई सम्मान नहीं दिया जाता। पर क्या आप जानते हैं, भले ही ऑटिज़्म से पीड़ित लोगों को लिखने-पढ़ने और व्यवहार करने में परेशानी होती हो, लेकिन को अपनी रचनात्मक दुनिया में बहुत माहिर होते हैं। उन्हें अगर कोई रचनात्मक काम बड़े प्यार और अपनेपन के साथ सिखाया जाए तो वो बहुत अच्छी तरह सीख लेते हैं। चित्र बनाना हो या संगीत बजाना, ऑटिस्टिक व्यक्ति इन कामों में खूब माहिर होते हैं।

ऑटिज़्म से पीड़ित लोगों के इन हुनर को दुनिया के सामने लाने के लिए और सामान्य लोगों को ये समझाने के लिए कि ऑटिस्टिक व्यक्ति भी सामान्य लोगों की तरह अपना जीवन जी सकता है और यहां तक कि अपनी रोज़ी-रोटी भी खुद कमा सकता है। वर्ल्ड ऑटिज़्म अवेयरनेस डे या विश्व आत्मकेंद्रित जागरूकता दिवस मनाया जाता है, ताकि हम सब एक साथ मिलकर ऑटिज़्म के खिलाफ इस जंग को जीत सकें। इसके लिए हमें तो बस ऐसे लोगों को सम्मान भरी नज़रों से देखना है और ज़रूरत पड़ने पर उनका साथ देना है, जो इस विकार का शिकार हैं।

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