पृथ्वी दिवस

कैसे हुई पृथ्वी दिवस मनाने की शुरुआत और क्यों है ये ज़रूरी?

पिछले 50 सालों से हमारे पर्यावरण के स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए, हर साल दुनिया भर में विश्व पृथ्वी दिवस मनाया जाता है। विश्व पृथ्वी दिवस एक मुहिम है ताकि हम अपनी धरती माता की रक्षा के लिए आगे आ सकें।

धरती को हम माता कहते हैं, पर वही माता आज हमारी गलतियों का खामियाजा भुगत रही है। हमें पृथ्वी ने हमें अपनी गोद में जगह दी है, खाने के लिए खाना और पीने के लिए साफ पानी दिया है। हमें पेड़ दिए ताकि हम खुली हवा में सांस ले सकें और हमारी जल-वायु शुद्ध रह सके। पर इन सबके बदले में हमने उसे सिर्फ प्रदूषण दिया और उसकी प्राकृतिकता से छेड़छाड़ की। आज हम इंसानों की वजह से ही हमारी पृथ्वी माता खतरे में आ गई है। भूमि की उत्पादकता दिन प्रति दिन कम होती जा रही है। अगर हमने जल्द ही इसकी तरफ ध्यान नहीं दिया, तो यह हमारे लिए बहुत नुकसानदेह साबित हो सकता है।

इस नुकसान को रोकने के लिए और पिछले 50 सालों से हमारे पर्यावरण के स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए, हर साल दुनिया भर में विश्व पृथ्वी दिवस (World Earth Day) मनाया जाता है। विश्व पृथ्वी दिवस एक मुहिम है ताकि हम अपनी धरती माता की रक्षा के लिए आगे आ सकें। तो चलिए सोलवेदा के साथ जानते हैं, कैसे हुई विश्व पृथ्वी दिवस की शुरुआत और इस दिवस की हमें कितनी ज़रूरत है।

पृथ्वी दिवस की शुरुआत (Prithvi Divas ki shuruaat)

पृथ्वी दिवस मनाने का विचार सबसे पहले 1969 में यूनेस्को सम्मेलन में शांति कार्यकर्ता, ‘जॉन मैककोनेल’ ने दिया। इस दिन को मनाने का मुख्य उद्देश्य पृथ्वी का सम्मान और रक्षा करना था।

1972 में स्टॉकहोम में मानव पर्यावरण पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन हुआ, जिसने लोगों को अन्य जीवित प्रजातियों और पृथ्वी पर मौजूद हर प्राकृतिक साधन के बीच संबंध के बारे में बताया कि पृथ्वी पर रहने वाले हर जीव-जंतु एक दूसरे पर निर्भर हैं, इसलिए हमें एक-दूसरे की रक्षा करनी होगी।

1990 में हेन्स ने वैश्विक पृथ्वी दिवस का आयोजन किया। इस कार्यक्रम में 140 देशों के 20 करोड़ से अधिक लोगों ने भाग लिया था। इसके बाद, 1992 में, एजेंडा 21, पर्यावरण और विकास पर रियो घोषणा और वनों के रख-रखाव के लिए बने नियमों को रियो डी जनेरियो पृथ्वी शिखर सम्मेलन में, 178 से ज़्यादा सरकारों ने अपना लिया। पृथ्वी दिवस या वर्ल्ड मदर अर्थ डे (World Mother Earth Day) के लिए यह पहला प्रमुख सम्मेलन था, जिसमें पृथ्वी की सुरक्षा के लिए सभी देशों ने अपने सुझाव पेश किए। तब से, पर्यावरण संरक्षण के सभी प्रयासों में तेजी से बढ़ोतरी हुई। 2002 में जोहान्सबर्ग में पृथ्वी शिखर सम्मेलन हुआ। 2008 को अंतर्राष्ट्रीय ग्रह वर्ष के रूप में मनाने की घोषित हुई और इसके साथ ही संयुक्त राष्ट्र आधिकारिक मातृ पृथ्वी दिवस मनाने की शुरुआत भी हुई। वर्तमान समय में, पृथ्वी दिवस नेटवर्क (ईडीएन) 190 देशों में 20,000 साझेदारों और संगठनों में फैला हुआ है।

विश्व पृथ्वी दिवस की ज़रूरत (Vishwa Prathvi diwas ki jarurat)

1970 में 22 अप्रैल को पहला पृथ्वी दिवस मनाया गया था। पृथ्वी ने हमें कितना कुछ दिया है, ये बात मुझे दोबारा बताने की ज़रूरत तो नहीं है, क्योंकि हम सब ही जानते हैं कि, पृथ्वी के होने से ही हम सब का जीवन अस्तित्व जुड़ा है। पर फिर भी हमारा पर्यावरण बिगड़ता जा रहा है। बर्फ़ के ग्लेशियर ऋतु-चक्र बिगड़ने से पिघलते जा रहे हैं, जिसकी वजह से बाढ़ जैसी समस्याएं हमारे सामने आती रहती हैं।

संसाधनों से छेड़छाड़, जैसे- वनों की अंधाधुंध कटाई, ग्लोबल वार्मिंग का मुख्य कारण तो है ही साथ ही इसके चलते भूखमरी जैसी परेशानियां भी झेलनी पड़ती हैं। आज के दौर में महासागरों में प्लास्टिक बहुत ज़्यादा भर गया है, जो इस पानी में रहने वाले जीव-जंतुओं की घटती संख्या का मुख्य कारण बन गया है।

बढ़ती जनसंख्या के लिए ज़्यादा से ज़्यादा किसानी होने से और जमीन को उपजाऊ बनाने के लिए केमिकल्स का उपयोग, जमीन की उत्पादकता को छीन ही रहा है। इसके अलावा यह वन्यजीवों की जगह लेकर, उन्हें बेघर भी कर रहा है। अपने फायदे के लिए पशुओं का इस्तेमाल और अंधा-धुंध वायु प्रदूषण या जल प्रदूषण करने वाले संसाधनों का इस्तेमाल करना तो जैसे एक आम बात हो चली है। हम सब अपने फायदे में इतने ज़्यादा व्यस्त हो चुके हैं कि हमें अपनी पृथ्वी माता का दर्द तो दिख ही नहीं रहा।

हाल के दिनों में बैंगलोर जैसे महानगर में पानी का अकाल पड़ना हमारे लिए प्राकृतिक संदेश है कि अगर हमने अब भी अपनी पृथ्वी की तरफ ध्यान नहीं दिया, तो हमें इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ेगी।

लोगों में पृथ्वी और पर्यावरण के लिए सम्मान, हमदर्दी और इसकी सुरक्षा की जागरूकता बढ़ाने के लिए ही हमें पृथ्वी दिवस की ज़रूरत है। विश्व पृथ्वी दिवस या अंतरराष्ट्रीय पृथ्वी दिवस के ज़रिए, हम सबको पृथ्वी की सुरक्षा के लिए आगे आना होगा, और समय रहते पर्यावरण पर पड़ने वाले बहुत बड़े संकट को टालना होगा।

कब है इंटरनेशनल मदर अर्थ डे? (Kab hai International Mother Earth Day?)

हर साल 22 अप्रैल को अंतरराष्ट्रीय पृथ्वी दिवस या वर्ल्ड मदर अर्थ डे मनाया जाता है। 17 अप्रैल से 22 अप्रैल तक विश्व पृथ्वी दिवस सप्ताह मनाया जाता है। इसका मकसद सभी लोगों को पर्यावरण और पृथ्वी पर बढ़ते खतरों के प्रति जागरूक करना है। इसके लिए कई तरह के अभियान चलाए जाते हैं।

वर्ल्ड मदर अर्थ डे पर पर्यावरण की रक्षा करने का प्रण लें। आर्टिकल पर फीडबैक कमेंट में ज़रुर दें। ऐसे ही और आर्टिकल पढ़ने के लिए सोलवेदा से जुड़े रहें।

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