इमोशनल इंटेलिजेंस को विकसित कैसे किया जाए, इसे समझने से पहले यह समझना जरूरी है कि ये आखिर है क्या? ‘इमोशनल इंटेलिजेंस’ खुद की और दूसरों की भावनाओं को पहचाने, समझने और मैनेज करने की क्षमता है। इसमें काफी कुछ शामिल होता है जैसे, दूसरों के प्रति सहानुभूति महसूस करना, सही ढंग से बात-चीत करना, तनाव और चिंता को मैनेज करना और जरूरत पड़ने पर अपनी भावनाओं और तर्कों के आधार पर कोई फैसला करना। एक रिसर्च में यह देखा गया है कि “बेहतर भावनात्मक बुद्धिमत्ता वाले लोग और कॉलेज के स्टूडेंट्स, सामाजिक कार्यों और रिश्तों को लेकर अधिक सकारात्मक होते हैं और उन्हें कम विरोधी और झगड़ालू माना जाता है।”
इमोशनल का मतलब है भावनात्मक रूप से और इंटेलिजेंस का मतलब है बुद्धिमता यानि ‘भावनात्मक बुद्धिमत्ता’। इन दो शब्दों में ही इसकी पूरी परिभाषा छिपी है। हालांकि, अक्सर लोग इमोशनल इंटेलिजेंस और इंटेलिजेंस कोशेंट को एक ही समझ लेते हैं। इंटेलिजेंस कोशेंट को ‘आईक्यू’ कहा जाता है। इसका मतलब है कि आप किसी गणित के सवाल, रीजनिंग, किसी पहेली या किसी अन्य समस्या को कितनी जल्दी सॉल्व कर पाते हैं। यह पूरी तरह से आपके करियर से जुड़ा हुआ है। यह भी काफी जरूरी है, लेकिन यह भावनात्मक बुद्धिमत्ता से काफी अलग है। भावनात्मक बुद्धिमत्ता पूरी तरह से आपकी भावनाओं के इर्द-गिर्द घूमती है और यह आपको करियर में आगे बढ़ने में भी मदद करती है।
जिंदगी में आगे बढ़ने के लिए इमोशनल इंटेलिजेंस को काफी जरूरी माना जाता है। जिन लोगों की भावनात्मक बुद्धिमत्ता अच्छी होती है, वे जिंदगी में बड़ी से बड़ी मुश्किलों से बाहर निकलने में कामयाब रहते हैं। ऐसे लोगों के रिश्ते और दोस्ती आसानी से नहीं टूटती। कोई भी इंसान इमोशनल इंटेलिजेंस के साथ पैदा नहीं होता है। यह कई चीजों पर निर्भर करता है जैसे,आपकी परवरिश कैसी हुई है, आपके आस-पास का माहौल कैसा है, आप किस तरह सोचते हैं आदि। लेकिन, भावनात्मक बुद्धिमत्ता को विकसित किया जा सकता है। आइए, देखते हैं खुद के अंदर इमोशनल इंटेलिजेंस को विकसित करने के तरीके।
जिंदगी में आगे बढ़ने के लिए इमोशनल इंटेलिजेंस को विकसित करने के 6 तरीके निम्न हैं:
खुद के बारे में जागरूक बनें
भावनात्मक बुद्धिमत्ता को बढ़ाने का सबसे पहला स्टेप है, खुद के बारे में जागरूक बनना। सबसे पहले आपको खुद की भावनाओं को समझना पड़ेगा। आपको यह देखना पड़ेगा कि अलग-अलग परिस्थितियों में आपका व्यवहार और आपके विचार किस तरह से बदलते हैं? अगर कोई तनाव की बात होती है, तो उसपर आपकी प्रतिक्रिया कैसी होती है? क्या आप खुशी के मौके पर हद से ज्यादा खुश और दुख के वक्त में हद से ज्यादा दुखी हो जाते हैं? कुल मिलाकर बात ये है कि इमोशनल इंटेलिजेंस बढ़ाने के लिए आपको खुद के व्यवहार, विचार और प्रतिक्रिया पर गौर करना पड़ेगा।
प्रेरणा लेना है बहुत जरूरी
जिंदगी में किसी भी तरह से आगे बढ़ने के लिए, प्रेरणा लेने की काफी जरूरत पड़ती है। जब बात आपके भावनात्मक बुद्धिमत्ता की हो, तो इसे विकसित करने के लिए भी आपको प्रेरणा के स्त्रोत की जरूरत पड़ेगी। आपकी जिंदगी में जो भी आपका रोल मॉडल है, उससे प्रेरणा लेने की कोशिश करें। रोल मॉडल आपकी मां, आपके पिता, कोई सेलिब्रिटी या फिर किसी किताब का कोई कैरेक्टर भी हो सकता है। उनके संघर्षों के बारे में जानने से आपको अपनी जिंदगी के संघर्षों से लड़कर, आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलेगी।
खुद के लिए नियम बनाएं
दूसरों के बनाए गए नियम को फॉलो करना अक्सर हमें बोझ लगता है। लेकिन, जब आप खुद के लिए नियम बनाते हैं, तो इन्हें फॉलो करना और भी मुश्किल हो सकता है, क्योंकि इन्हें फॉलो करने का आप पर कोई प्रेशर नहीं होता। हालांकि, यह जितना भी मुश्किल हो लेकिन इमोशनल इंटेलिजेंस को विकसित करने के लिए बहुत जरूरी है। खुद के लिए एक रूटीन सेट करें जिसमें योगाभ्यास करना, किताबें पढ़ना, टहलना, कोई अच्छा काम करना, प्राणायाम करना आदि शामिल हो। कोशिश करें समय-समय पर कुछ नया करने की, ताकि आपकी भावनात्मक बुद्धिमत्ता बेहतर हो सके।
ब्रेक लेना न भूलें
अक्सर हम खुद को एक ब्रेक देना भूल जाते हैं। ऐसा बिल्कुल जरूरी नहीं है कि आप हर वक्त अपने दिमाग को किसी काम में उलझाकर रखें। कई बार लगातार काम करने के प्रेशर में हम गलत फैसले करते हैं। इसलिए जरूरत पड़ने पर शांति से बैठें, सांस लें और दिमाग को खाली करें। किसी भी तरह के तनाव और चिंता को मन से बाहर निकालने की कोशिश करें। इससे आपके दिमाग का प्रेशर कम होगा, जो आपकी भावनात्मक बुद्धिमत्ता को विकसित करने में मदद करेगा।
दूसरों की भावनाएं भी रखती हैं मायने
भावनात्मक बुद्धिमत्ता विकसित करने के लिए दूसरों की भावनाओं का ख्याल रखना भी बहुत जरूरी है। यहां दूसरों की भावनाओं का मतलब सिर्फ इंसानों से नहीं, बल्कि जानवरों और पेड़-पौधों से भी है। दूसरों के दुख से क्या आप दुखी होते हैं या फिर आपको कोई फर्क नहीं पड़ता, अन्य लोग जब मुसीबत में होते हैं, तो क्या आप मदद करने की इच्छा रखते हैं, जब कोई किसी कुत्ते को मार रहा होता है, तो क्या आपको इससे कोई फर्क पड़ता है या फिर आपका लगाया हुआ कोई पेड़ जब आपको फल देने लगता है, तो इससे आप खुश महसूस करते हैं या नहीं? इस तरह की बातें ही दर्शाती हैं कि आप दूसरों की भावनाओं के प्रति कितने संवेदनशील हैं।
सोशल स्किल्स बढ़ाएं
इमोशनल इंटेलिजेंस (ईआई) को विकसित करने के लिए सोशल स्किल्स को बढ़ाना बहुत जरूरी है। अपने दिमाग और विचारों को खुला रखें, एक अच्छे श्रोता बनें, एक अच्छा वक्ता बनने की कोशिश करें, लोगों से बात करने में न हिककिचाएं। इन सभी सोशल स्किल्स को सीखकर आप ईआई विकसित होते हुए महसूस करेंगे। समाज से एक मजबूत कनेक्शन बनाना भावनात्मक बुद्धिमत्ता के लिए बेहद जरूरी है। सामाजिक भावनाओं से आप जितना अधिक जुड़ेंगे, उतना ही बेहतर आप अपनी भावनात्मक बुद्धिमत्ता को बनाएंगे।
इमोशनल इंटेलिजेंस जिंदगी में हमें आगे बढ़ने में मदद करता है। इसके साथ ही सही तरीके से सोचने और फैसले करने में भी मदद करता है।
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