अनीता प्रताप, अनसंग पुस्तक

अनीता प्रताप और महेश द्वारा लिखित पुस्तक अनसंग

यह पुस्तक मशहूर हस्तियों या प्रसिद्ध लोगों की कहानियों को नहीं बल्कि 'अनसंग' यानि आम लोगों की कहानियों को सामने लाती है। प्रत्येक कहानी एक ऐसे नायक की है जो आपकी और मेरी तरह वास्तविक है।

जब आप पहली बार ‘अनसंग’ उठाते हैं और इसके पन्नों को पलटते हैं तो किताब की सुंदरता आपको कॉफी टेबल बुक का एहसास देती है। हर पेज फोटो जर्नलिस्ट महेश भट्ट द्वारा खींची गई जीवंत तस्वीरों और पत्रकार अनीता प्रताप द्वारा लिखी गई कहानियों से सुसज्जित है।

चित्र भी सुंदरता में कुछ कम नहीं है, हर चित्र अपनी कहानी खुद ही बयां करता है। बुक कवर कहता है कि यह साधारण भारतीय को एक श्रद्धासुमन है, जिन्होंने अपने आसपास के लोगों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए खुद को समर्पित कर दिया है। इस पुस्तक के तमाम चित्र पाठक को आश्चर्यचकित करते हैं।

जैसे-जैसे आप अनीता प्रताप व महेश की इस किताब पढ़ते जाते हैं आप भारत के विभिन्न हिस्सों से 9 आम आदमियों की कहानियों से रू-ब-रू होते जाते हैं। सभी 9 कहानियों में कहने लायक कथाएं हैं। ऐसी कहानियां जो आपको प्रेरित करेंगी और आपके जीवन के उद्देश्य मात्र पर प्रश्न उठाएंगी। यह पुस्तक प्रख्यात या प्रसिद्ध लोगों की कहानियां नहीं बल्कि ‘अनाम और अनकहे’ लोगों की कहानियां सामने लाती हैं। प्रत्येक कहानी का एक नायक है जो आपके और मेरे जैसा ही वास्तविक व्यक्ति (Real person) है।

मानवाधिकारों की रक्षा करने के लिए लेह या जॉर्ज पुलिकुथिल में कृत्रिम ग्लेशियरों का निर्माण करने वाले चेवांग नोरफेल की कहानी को ही ले लीजिए या फिर सुभाषिनी मिस्त्री की कहानी को, जिन्होंने गरीबों के लिए अस्पताल बनाने का अपना सपना पूरा किया क्योंकि मिस्त्री ने इलाज के अभाव में अपने पति को खो दिया था। वह अपने पति के इलाज के लिए पैसे नहीं जुटा सकी थी।

अनीता प्रताप की ‘अनसंग’ में नॉर्फ़ेल, पुलिकुटियिल, मिस्त्री और अन्य अनाम लोग ऐसे लोग नहीं हैं जिनके पास ‘सब कुछ’ हो, वे सम्मान के साथ बड़े नहीं हुए हैं, वे समाज के मध्यम या निचले स्तर से आते हैं। इन सबके बावजूद उन्होंने अपने तरीके से समाज पर अपना प्रभाव डाला है। यह उनकी दृष्टि है, उन्होंने इसे दृढ़ संकल्प, प्रतिबद्धता और निस्वार्थ समर्पण के द्वारा प्राप्य बनाया है। इन अनाम नायकों के लिए चीज़ें आसान नहीं थी, आवश्यकता पड़ने पर उन्हें शासन, प्रशासन और यहां तक कि समाज से भी लड़ना पड़ा। ‘अनसंग’ आपको उम्मीद बंधाती है कि चीज़ें बदल सकती हैं। यह इस बात को भी रेखांकित करती है कि कैसे परिवर्तन हम से शुरू हो सकता है। अगर हम परिवर्तन के लिए मन में निश्चय कर लें तो कुछ भी असंभव नहीं है।

‘अनसंग’ में परिवर्तन लाने की इच्छा रखने वालों के लिए 98 प्रेरणादायक पृष्ठ हैं। अनीता प्रताप व भट्ट की जोड़ी ने 130 करोड़ की जनसंख्या वाले देश में से 9 रत्न तलाश किए हैं, इनमें से प्रत्येक ने जो उपलब्धि हासिल की है, उसका हमारे लिए आरामदायक घरों में बैठकर अनुमान लगाना बहुत ही कठिन है। अनीता प्रताप ने जहां विवरणात्मक वर्णन के जरिए कहानी पेश की है, वहीं भट्ट के मोनोक्रोमैटिक चित्र कहानी का चित्रण इस प्रकार करते हैं, जैसे आपने उनकी सफलता की कहानी अपनी आंखों से देखी हो।

जब मैंने पुस्तक समाप्त की तो मुझमें एक बेहतर नागरिक बनने की ललक पैदा हुई। प्रत्येक कहानी इतनी शक्तिशाली थी कि मैंने अपने आप से सवाल किया कि क्या मैंने अपने जीवन में कुछ सार्थक किया है? इसने मुझे एहसास दिलाया कि मैं और मेरे आस-पास के लोग आसपास की घटनाओं के प्रति कितने उदासीन हैं। हम उस अवस्था को स्वीकार करते हैं जिसमें हम और हमारा समाज है, एक बार भी यह सोचे बिना कि जिस क्रांति की हमें आवश्यकता है, वह हम भी ला सकते हैं। पुस्तक कला का एक छोटा सा स्पंदन है जिसे मैं प्रेरणा की तलाश करने और परिवर्तन लाने का दृष्टिकोण रखने वाले प्रत्येक व्यक्ति को पढ़ने की सलाह दूंगी।

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