रश्मि बंसल, स्टे हंग्री स्टे फूलिश

उद्यमी कैसे बनें; रश्मि बंसल की पुस्तक ‘स्टे हंग्री, स्टे फूलिश’

हर उद्यमी और उसका काम अलग होता है, रश्मि बंसल की इस पुस्तक के हर अध्याय की कहानी भी अलग है। लेकिन, उन सबमें एक सामान्य बात है- कभी हार न मानना।

जो उद्यमी कभी हार नहीं मानता और सभी कठिनाइयों को झेलते हुए आगे बढ़ता रहता है उसकी कहानी प्रेरक होती है। सपनों के साथ शुरू हुआ सफर जब यथार्थ में बदल जाए तो क्या कहना! उद्यमी (Entrepreneur) बनने के लिए इच्छुक लोग इससे प्रेरणा पाते हैं। जिन्होंने बड़ा सपना देखने का साहस किया और दृढ़निश्चय व हिम्मत के साथ आगे बढ़ते हुए नए शिखर तक पहुंचे। यदि आप उनके सफर पर गौर करें तो आप भी सफलता के कदम चूम सकते हैं।

जो अपनी राह पर चलते हुए मंज़िल तक पहुंच गए उनकी कहानियों की किताबें अक्सर हमारे लिए प्रेरक होती हैं। रश्मि बंसल की ऐसी ही अंग्रेजी की किताब है ‘स्टे हंग्री, स्टे फूलिश’। पुस्तक में अहमदाबाद के आईआईएम के ऐसे 25 छात्रों की कहानियां हैं जिन्होंने आकाश छूने की हिम्मत दिखाई। हर अध्याय अलग हैं, जैसे कि हर उद्यमी और उनका काम अलग होता है। लेकिन उन सबमें एक सामान्य बात है – कभी हार न मानना। पुस्तक लक्ष्य तक पहुंचने की कहानियां बयां करती है। यह पुस्तक 2008 में प्रकाशित हुई और कहते हैं कि उसकी 5,00,000 से अधिक प्रतियां बिक चुकी हैं। इस पुस्तक से युवाओं में आत्मविश्वास जगता है, वे बड़े सपने देखना शुरू करते हैं और अपनी धरोहर खड़ी करते हैं।

स्टे हंग्री, स्टे फूलिश के उद्यमशील बनने के कुछ पाठ यहां प्रस्तुत है; ताकि आप अपने सफर में उसका उपयोग कर सकें।

अपनी आंख और अपना दिमाग खुला रखें (Apni aankh aur dimag khula rakhen)

रश्मि बंसल ने अपनी पुस्तक में लिखा है, ‘कल्पनाएं कहीं से भी आ सकती हैं। आप नहाने के टब में बैठे हो और उसी क्षण में नई कल्पना कौंध जाती है। आप बस में सफर कर रहे हो या डाइनिंग टेबल पर बैठे हो तब भी ऐसा हो सकता है।‘ यदि आप अपनी आंखें और अपना दिमाग खुला रखे तो यह संभव है। इससे नए अवसर दिखाई देंगे और आप कुछ महत्त्वपूर्ण पा लेंगे। स्टीव जॉब्स और एलन मस्क जैसे कुछ बेहद सफल उद्यमियों के बारे में सोचें। उन्होंने अपनी कल्पनाओं को आज जो कुछ है वहां तक ही सीमित नहीं रखा है। वे ऐसे विकास कार्य को जन्म देना चाहते हैं जो हमारा जीवन हमेशा के लिए बदल दे। कुछ बड़ा और दूसरों से हटकर करने की इन उद्यमियों की बुनियादी पहल से आईफोन और इलेक्ट्रिक कार आ सकीं। अपना दिमाग खुला रखकर आप भी आकाश को छूने की कामना रख सकते हैं।

अपने काम से प्रेम करें (Apne kaam se prem kare)

स्टे हंग्री, स्टे फूलिश’, सफलता के विभिन्न पहलुओं को उजागर करते हुए कहती हैं सबसे पहले आप अपने काम से प्रेम करें। रश्मि बंसल कहती हैं, ‘‘यदि आप अपने काम से प्रेम करते हैं और उससे आपके जीवन को अर्थ प्राप्त होता है तो आपको कठिन समय में भी काम करने में मज़ा आएगा। वह आपके दिल के करीब होगा और आप सक्रिय बने रहेंगे। आप कभी हताश नहीं होंगे।’’ आप जिस काम से प्रेम करते हैं ऐसा काम करना सबसे बड़ा उपहार होता है। वह तो कोई लॉटरी जीतने जैसा होता है। किसी काम के प्रति जुनून और उसमें अपने को न्योछावर कर देने से बड़ी बात किसी के लिए और क्या होगी? उद्यमी भी इसके कहां अपवाद होंगे? यदि आप अपने उद्यम के सफर पर निकलना चाहते हैं तो ऐसा उद्यम खड़ा करें जिसके प्रति आप जुनून की हद तक उत्सुक हैं। यह जरूरी नहीं है कि वह कुछ बहुत बड़ा हो। यदि आप रसोई में रुचि रखते हैं या आप संगीत प्रेमी हैं तो आप अपने जुनून को करिअर में बदल सकते हैं। आपको अपने लिए केवल सही राह खोजनी होगी और वहां तक पहुंचने के लिए प्रयास करने होंगे।

बड़े सपने देखने का कोई समय नहीं होता (Bade sapne dekhne ka koi samay nahi hota)

उद्यमशीलता करने का मन बनाने की कोई उम्र नहीं होती। आज आप 9 से 5 नौकरी कर रहे हो लेकिन कल आप अपना उद्यम खड़ा करने की तैयारी कर रहे होंगे। यह इसपर निर्भर होता है कि आपको जो अवसर मिलते हैं आप उनका कितना उपयोग करते हैं।

कर्नल सैंडर्स के रूप में विख्यात हरलैंड डेविड सैंडर्स ने 65 वर्ष की उम्र में केंटुकी फ्राइड चिकन (केएफसी) नाम से रेस्तरां खोला। गॉर्डन बाउकर जब 52 साल के थे तब वो स्टारबक्स के सह संस्थापक बने। हेनरी फोर्ड ने 40 वर्ष की उम्र में फोर्ड मोटर्स की स्थापना की। स्टे हंग्री, स्टे फूलिश में रश्मि बंसल लिखती हैं, ‘‘इन उद्यमियों ने इस राह पर आने के बारे में सोचा तक नहीं था लेकिन जब अवसर आया तो उन्होंने उसका उपयोग कर लिया। उनकी कहानियों से पता चलता है कि यह सब सोच आपमें पैदाइशी होना जरूरी नहीं है। आप उम्र के किसी भी पायदान पर उद्यमशील मानसिकता विकसित कर सकते हैं।’’

धीरज रखें और लक्ष्य को पाने की कोशिश करते रहें (Dhiraj rakhe or lakshya ko pane ki koshish karte rahe)

उद्यमशीलता धीरज का खेल है। यदि आप इसे समझ लेते हैं तो नाकामयाबी से आप टूटेंगे नहीं, क्योंकि आप जानते हैं कि सफलता पाने में समय लगता है। आपके समक्ष कठिनाइयां आएंगी, कभी तो लगेगा कि यह सब छोड़ दें। लेकिन यदि आप धीरज बनाए रखते हैं और कठिनाइयों के बावजूद अपने लक्ष्य को पाने की कोशिश करते हैं तो यकीन मानिए कि एक दिन आप अपने सपनों को साकार होता देखेंगे। धीरज के बारे में रश्मि बंसल लिखती हैं,‘‘यदि आप किसी चीज़ को पाने के लिए लम्बे समय तक जूझते रहते हैं तो कभी न कभी आपका भाग्य आपका अवश्य साथ देगा। यदि आप भाग्यशाली हैं तो 5 साल में ही सब कुछ कर लेंगे और आप सामान्य भाग्यशाली हैं तो इसके लिए 10 साल लग सकते हैं। यदि आपका भाग्य बिलकुल ही साथ नहीं दे रहा हो तो लक्ष्य को पाने में 15 साल भी लग सकते हैं।’’ भाग्य तो सफलता का दूसरा नाम है। कम से कम उद्यमियों के शब्दकोश में तो इसका यही अर्थ है।

भरोसे की छलांग लगाएं

जोखिम उठाने की क्षमता उद्यमियों का सबसे बड़ा गुण होता है। आप कितना जोखिम उठा सकते हैं इस पर आपकी सफलता का पैमाना निर्भर करता है। हर उद्योग में आप देखेंगे कि जो जोखिम उठाते हैं वे ही नया रास्ता बनाने वाले होते हैं। रश्मि बंसल ने आपकी हिम्मत और भरोसे के महत्व को रेखांकित किया है। वह लिखती हैं, ‘‘उद्यमशीलता ऐसी ही छोटी-छोटी दर्जनों भरोसे की छलांगों से विकसित होती है। हर दिन छलांग लगाएं। अक्सर यह विपरीत हो जाती है। सब तो सही था फिर भी ऐसा कैसे हुआ यह आप नहीं कह सकते। आपकी राह में ऐसा तो होना ही है।’’ अतः जब तक आप बड़ी छलांग नहीं लगाएंगे तब तक आपको अपने सहजबोध और हिम्मत के भरोसे ही रहना होगा। यह बात ज्यादातर बार गलत साबित नहीं होती।

निष्ठा की अपेक्षा सक्षमता का अधिक महत्त्व

निष्ठा और सक्षमता का मिश्रण मत कीजिए। जब आप अपने उद्यम को अगले चरण पर ले जाते हैं तब दोनों का अपना महत्व होता है। आपको ऐसे लोगों की जरूरत होगी जो काम को कुशलता के साथ कर सकें। सक्षम टीम के बिना आप उस मुकाम तक नहीं पहुंच सकते जहां आप जाना चाहते हैं। रश्मि बंसल कहती हैं, ‘‘जब निवेशकों की बात आती है या फिर जहां तक आपके अपने लोगों का संबंध आता है निष्ठा महत्त्वपूर्ण हो जाती है, लेकिन सक्षमता का फिर भी अधिक महत्त्व है।’’ ध्यान रखें कि आपके आसपास के लोग ऐसे हो जो समस्याओं से मार्ग निकालने का माद्दा रखते हो और शांत रहते हुए समाधान प्रस्तुत कर सकते हो।

आप अपना प्रयोजन तय करें

स्टे हंग्री, स्टे फूलिश की लेखिका रश्मि बंसल लिखती हैं, ‘‘पहले अपना प्रयोजन तय करें, साधन अपने आप मिल जाएंगे।’’ यदि आपका प्रयोजन तय हो तो मानिए कि आपने अपनी आधी लड़ाई जीत ली है। प्रयोजन से चुनौतियों का कुशलता से सामना करने की ताकत मिलती है। इससे हर सुबह उठते समय आपको प्रेरणा मिलती है और दिनभर आपमें एक तरह का जोश बना रहता है। सफल उद्यमी बनने के लिए पहले अपना प्रयोजन तय करें। इससे आपके उद्यम की नींव मज़बूत होगी और आप क्या चाहते हैं इसे जानने में सहायता मिलेगी। जब आप अपना प्रयोजन तय कर लेते हैं तब आप अपने मार्ग को स्पष्ट रूप से पहचान लेते हैं। इससे आपको संकटों को झेलने में मदद मिलेगी। चूंकि आपने अपना लक्ष्य विशेष तय किया है, इसलिए स्वाभाविक है कि आप उसे पाने की राह भी जानते होंगे।

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