रहीम के दोहे और उससे मिलने वाली सीख

रहीम के दोहों से मिलती है सही रास्ते पर चलने की सीख

हिंदी साहित्य में रहीम दास जी के योगदान को कभी भूलाया नहीं जा सकता है। उनके दोहों (Rahim ke dohe) को पढ़कर न केवल हम बड़े हुए हैं, बल्कि जीवन के हर पड़ाव पर सीख भी लेते रहे हैं। उनके दोहों से हमें सही रास्ते पर चलने की सीख मिलती है। आइए, इस लेख में हम उनके दोहों और उससे मिलने वाली सीख के बारे में जानते हैं। पढ़ें ये खास आर्टिकल।

रहीम दास जी का पूरा नाम ‘अब्दुर्रहीम ख़ान-ए-ख़ाना’  था। वे भारत के सबसे प्रसिद्ध कवियों में से एक रहें। वे मुगल सम्राट अकबर के खास थे। उनके काव्य (Rahim ke dohe) से हमें रामायण, पुराण के साथ-साथ गीता और महाभारत के किस्सों से जुड़ी सीख भी मिलती है। ‘रहीम ग्रंथावली’ के काव्य को पढ़कर हम जीवन की कई जरूरी सीख ले सकते हैं। उनकी रचनाओं में भक्ति रस और ईश्वर के प्रति प्रेम भी है।

उनकी प्रसिद्ध रचनाओं और काव्यों में, संस्कृत काव्य, रहीम दोहावली/सतसई, सवैये, बरवै, फुटकर बरवै, नगर शोभा, राग पंचाध्यायी, नायिका भेद, श्रृंगार, सोरठा, फुटकर कवितव, सोरठा आदि खास हैं। उनके दोहों में वे खुद को ‘रहिमन’ नाम से लिखते हैं, जिससे दोहों की सुंदरता और बढ़ जाती है।

रहीम के दोहे (Rahim ke dohe) और उससे मिलने वाली सीख:

प्यार के रिश्ते नाजुक होते हैं, उन्हें टूटने से बचाना चाहिए

“रहिमन धागा प्रेम का, मत तोरो चटकाय।

टूटे पे फिर ना जुरे, जुरे गांठ परी जाय”।।

इस दोहे का यह अर्थ है कि प्यार के रिश्ते काफी नाजुक होते हैं। ऐसे में उनकी कद्र करनी चाहिए, उन्हें गंवाना नहीं चाहिए। यदि ये रिश्ते टूट जाए, तो इन्हें जोड़ना मुश्किल होता है। किसी टूटी रस्सी की तरह, अगर किसी रिश्ते को जोड़ भी लिया जाए, तो रस्सी के समान ही इसमें गांठ रह जाती है। ऐसे में हमें रिश्तों को टूटने से बचाना चाहिए।

वस्तु चाहे छोटी हो या बड़ी, उसके महत्व को समझना चाहिए

“रहिमन देखि बड़ेन को, लघु न दीजिए डारी।

जहां काम आवे सुई, कहा करे तरवारी।।“

इस दोहे का मतलब ये है कि बड़ी वस्तु को देखकर छोटे सामान को नहीं फेंकना चाहिए, क्योंकि जहां पर सुई की ज़रूरत होती है, वहां तलवार उस जरूरत को पूरा नहीं कर सकती है। इस दोहे से हमें यही सीख मिलती है कि सामान चाहे छोटा हो या बड़ा, उसकी ज़रूरत को समझना चाहिए। किसी भी सामान को फेंकना नहीं चाहिए, क्योंकि सुई को छोटा समझकर अगर फेंक दिया, तो तलवार से हम सुई का काम नहीं कर पाएंगे।

मन के कष्टों को मन में ही रखना चाहिए

“रहिम निज मन की बिथा, मन ही राखो गोय।

सुनि अठिलैहैं लोग सब, बांटी न लैहैं कोय।“

रहीम के इस दोहे (Rahim ke dohe) का मतलब यह है कि हमें अपनी परेशानियों के बारे में दूसरों को नहीं बताना चाहिए। ऐसा इसलिए है क्योंकि अगर हम अपनी परेशानियों के बारे में दूसरों को बताएंगे तो वे हमसे हमारा दुख बांटने की जगह हमारा मजाक उड़ाएंगे। इसलिए लोगों की कोशिश यही होनी चाहिए कि वे अपने कष्टों का हल खुद ढूंढें। आज के समय में ऐसे लोग बेहद कम हैं, जो आपकी परेशानी का हल निकालने में आपकी मदद करेंगे।

प्यार, नशा, दुश्मनी को छुपाना मुमकिन नहीं है

“खैर, खून, खांसी, खुसी, बैर, प्रीति, मदपान।

रहिमन दाबे न दबै, जानत सकल जहान।“

रहिमन जी, इस (Rahim ke dohe) दोहे से यही बताना चाहते हैं कि हम अपने जीवन में कुछ चीजें कभी छिपाकर नहीं रख सकते हैं जैसे, खैरियत, दुश्मनी, किसी के प्रति प्यार, शराब का सेवन, खुशी आदि। एक न एक दिन लोगों को इसका पता चल ही जाता है। अगर किसी से दुश्मनी है, तो न चाहते हुए भी लोगों को इसका पता चल ही जाता है। इसके अलावा अगर कोई शराब का सेवन करता है, तो न चाहते हुए भी दूसरे लोग इसके बारे में जान ही जाते हैं।

हमेशा बुरे समय के लिए तैयार रहने की सीख

“समय पाय फल होता है, समय पाय झरी जात।

सदा रहे नहीं एक सी, का रहीम पछितात।“

इस दोहे का अर्थ ये है कि समय का पहिया हमेशा घूमता है। यदि अच्छा समय चल रहा है, तो बुरा समय भी आएगा। समय हमेशा एक जैसा नहीं रहता है। पेड़ की मदद से उन्होंने इसका उदाहरण दिया है, वे बताते हैं कि पेड़ पर एक खास समय में ही फल आता है और फिर फल झड़ जाता है। इंसान की जिंदगी भी कुछ ऐसी ही है, कभी खुशी तो कभी गम। ऐसे में किसी बात को लेकर पछताने का कोई फायदा नहीं है। कुल मिलाकर कहें, तो हमें खुशी के वक्त न तो ज्यादा खुश होना चाहिए और संकट आने पर न ही ज्यादा दुखी होना चाहिए।

छोटों को हमेशा माफ करने की सीख

“छिमा बड़न को चाहिए, छोटन को उतपात।

कह रहीम हरी का घट्यौ, जो मृगु मारी लात।।”

रहिमन के इस दोहे का यही अर्थ है कि उम्र में जो बड़े हैं, उन लोगों को हमेशा अपनी उम्र से छोटे लोगों को माफ करना चाहिए। छोटे उम्र के लोगों की प्रवृत्ति है कि वे उत्पात मचाते हैं, थोड़े बदमाश होते हैं। बावजूद इसके बड़े लोगों को उनको माफ कर देना चाहिए। ठीक उसी प्रकार जिस प्रकार एक छोटा-सा कीड़ा अगर हमला भी करता है, तो उससे हमें कोई नुकसान नहीं होता। इससे हमें यही सीख मिलती है कि हमें छोटे लोगों की गलती पर उन्हें माफ करने के साथ-साथ, उन्हें प्यार से समझाने की कोशिश करनी चाहिए।

आपको कैसे लगे रहीम के ये दोहे, हमें कमेंट करके बताएं। ऐसे ही प्रेरक दोहे, किस्से, कहानियों को जानने और उनसे सीख लेने के लिए सोलवेदा हिंदी पर पढ़ते रहे लेख।

X

आनंदमय और स्वस्थ जीवन आपसे कुछ ही क्लिक्स दूर है

सकारात्मकता, सुखी जीवन और प्रेरणा के अपने दैनिक फीड के लिए सदस्यता लें।