जयशंकर प्रसाद की रचनाओं से हमें मिलती है आदर्श जीवन की प्रेरणा

जयशंकर प्रसाद की रचनाओं से हमें मिलती है आदर्श जीवन की प्रेरणा

जयशंकर प्रसाद की रचना हिंदी साहित्य के लिए किसी ग्रंथ से कम नहीं हैं। उनके द्वारा लिखी गई कविताओं, कहानियों व नाटक से हमें काफी कुछ सीखने को मिलता है। उन्होंने हमें जीवन जीने के हर पहलुओं की जानकारी अपनी रचनाओं के माध्यम से दी है।

जयशंकर प्रसाद को कौन नहीं जानता होगा। वे हिंदी साहित्य के जाने-माने कवि होने के साथ-साथ नाटककार व कथाकार थे। उनकी कविताएं, नाटक, उपन्यास और कहानी अपने-अपने क्षेत्रों में प्रसिद्ध कृतियां रही हैं। उन्होंने वेद, पुराण, साहित्य का गंभीर रूप से अध्ययन किया था। छायावाद के ब्रह्मा नाम से फेमस जयशंकर प्रसाद हिंदी के सर्वक्षेष्ठ नाटककार माने जाते थे। जयशंकर प्रसाद की रचना हिंदी साहित्य के लिए किसी ग्रंथ से कम नहीं है। उनके द्वारा लिखी गई कविताओं, कहानियों व नाटक से हमें काफी कुछ सीखने को मिलता है। उन्होंने हमें जीवन जीने के हर पहलुओं की जानकारी अपनी रचनाओं के माध्यम से दी है। जब हम जयशंकर प्रसाद की बात कर ही रहे हैं, तो यहां उनका जीवन परिचय जानना भी ज़रूरी हो जाता है। जयशंकर प्रसाद का जन्म 30 जनवरी 1889 को वाराणसी के सरोयवर्धन में हुआ था। उनके पिता का नाम देवी प्रसाद था।

आज हम इस लेख के माध्यम से यह बताने का प्रयास करेंगे कि जयशंकर प्रसाद की लिखी कविताओं, नाटक व कहानियों से हमें क्या सीख मिलती है। तो इन चीजों के बारे में जानने के लिए इस लेख को अंत तक पढ़ें।

कामायनी से हमें मनोवैज्ञानिक विकास की मिलती है जानकारी

कामायनी हिंदी भाषा का महाकाव्य है। इसमें जयशंकर प्रसाद ने प्रतीकात्मक पात्रों के द्वारा इंसान के मनोवैज्ञानिक विकास के बारे में बताया है। इसके माध्यम से जयशंकर प्रसाद ने बताने का प्रयास किया है कि इंसान का जब विकास हो रहा होता है, तो वो किन-किन दौर से गुजरता है। इस दौरान उनका मनोवैज्ञानिक रूप से कैसे विकास होता है। जो कि इंसान के जीवन जीने के तरीकों को कैसे प्रभावित करता है।

इस छंद में विरह की सच्ची पीड़ी झलकती है

जो धनीभूत पीड़ा थी, मस्तक में स्मृति–सी छायी।
दुर्दिन में आंसू बनकर, वह आज बरसने आयी।।

जयशंकर प्रसाद की कई कविताओं से हमें प्रेम और आनंद की गहराई के बारे में समझने को मिलता है। उन्होंने अपनी कविताओं में प्रेम में वियोग और संयोग दोनों को दर्शाया है। आंसू उनका सबसे प्रसिद्ध वियोग काव्य है, जिसमें उन्होंने प्रेमियों के बिछड़ने पर होने वाले दर्द को अपने शब्दों से लोगों के बीच प्रस्तुत किया है।

हिमाद्रि तुंग श्रृंग कविता से मिलती है देशप्रेम की प्रेरणा

हिमाद्री तुंग श्रृंग से, प्रबुद्ध शुद्ध भारती स्वयं प्रभो समुज्ज्वला, स्वतंत्रता पुकारती
अमर्त्य वीर पुत्र हो, दृढ प्रतिज्ञा सोच लो प्रशस्त पुण्य पंथ है, बढ़े चलो बढ़े चलो
असंख्य कीर्ति रश्मिया, विकीर्ण दिव्य दाह सी सपूत मात्रभूमि के, रुको न शूर साहसी

हिमाद्रि तुंग श्रृंग कविता जयशंकर प्रसाद की सबसे फेमस कविता में से एक है। इस कविता के माध्यम से कवि ने लोगों में देशप्रेम की प्रेरणा जगाते हैं। इस कविता को पढ़ने से खुद हमारे अंदर देश के प्रति सच्ची देशभक्ति की ललक पैदा हो जाती है। इसके अलावा भी जयशंकर प्रसाद ने देशभक्ति को लेकर कई कवितांए लिखीं, जो उस समय स्वतंत्रता सेनानियों को शक्ति प्रदान करते थे।

कानन कुसुम में जयशंकर प्रसाद ने अभिव्यक्ति की बात की है

जयशंकर प्रसाद ने कानन कुसुम के माध्यम से अनुभूति और अभिव्यक्ति की बात की है। इसमें उन्होंने लोगों के अभिव्यक्ति की बात की है और उसे व्यक्त कैसे किया जाए उसके बारे में बताया है। जयशंकर प्रसाद की सबसे खास बात यह रही है कि उन्होंने खड़ी बोली और ब्रजभाषा का ज्यादा से ज्यादा प्रयोग किया है। इसके माध्यम से उन्होंने आंचलिकता को हिंदी साहित्य में जगह दिलाया है।

आदर्श प्रेम को प्रेम पथिक में दर्शाया

प्रेम पथिक जयशंकर प्रसाद की बेहद चर्चित कृति में से एक है। इसमें उन्होंने आदर्श प्रेम की परिभाषा को समझाया है। उन्होंने प्रेम क्या होता है उसके बारे में बताया है। प्रेम पथिक प्यार का एक सच्चा रूपांतरण है, जिसमें उन्होंने प्रेम की बात करते हुए उस समय के समाज को भी दर्शाया है। प्रेम पथिक उन्होंने तब लिखा जब समाज आज की तरह मॉर्डन नहीं था। उन्होंने अपने समय से आगे जाकर पाठकों को बताया कि सच्चा प्रेम और आदर्श प्रेम क्या होता है।

जयशंकर प्रसाद ने जो भी लिखा उसमें पूरा जीवन समाया हुआ है। उन्होंने देशप्रेम से लेकर सुंदरता, प्रेम, दर्शन, प्रकृति और धर्म सभी को अपनी रचनाओं में समाहित किया है। उन्होंने अपनी रचनाओं में भारतीय साहित्य के साथ-साथ यहां की संस्कृति को बहुत ही प्रभावी ढंग से प्रस्तुत किया है। जो कि हमारे लिए किसी दर्शन से कम नहीं है। उन्होंने नाटकों और गीत के जरिए भारतीय जीवन को हमारे सामने रखा, जो कि समाज के लिए आईने की तरह है। उन्होंने अपनी रचनाओं में भारत को सबसे आगे रखा। उन्होंने अपनी रचनाओं में देश के प्रति प्रेम को प्रदर्शित करते हुए आज भी लोगों के बीच देशप्रेम को फैला रहे हैं। जयशंकर प्रसाद अपनी रचानाओं में प्रकृति की भी सजीवता से वर्णन करते हैं। उन्होंने प्रकृति के विविध पक्षों को भी अपनी रखनाओं में दिखाया है। उन्होंने प्रकृति की सुंदरता को भी दिखाया है, तो उसकी विकृति को भी हमारे सामने अपनी रचनाओं के माध्यम से रखा है।

यहां हमने जयशंकर प्रसाद की कुछ रचनाओं का ही जिक्र किया है। लेकिन, उनकी लिखी हर रचना से हमें कुछ न कुछ सीखने को मिलता है। इनकी रचना जीवन के सभी पहलुओं को टच करते हुए हमें आदर्श इंसान बनने की ओर अग्रसर करता है।

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