बच्चों को पढ़ना

घर पर बच्चों को क्यों पढ़ाना चाहिए, जानिए 7 बेहतरीन कारण

कहा जाता है कि जो छोटे बच्चे पढ़ना नहीं जानते। उनके लिए सोते समय बेड टाइम कहानियां सुनना (Bed time story listening) एक जादुई अनुभव होता है। जो आने वाले कई वर्षों तक उनके साथ रहता है।

किताबें पढ़ना (Reading books) नई दुनिया के दरवाज़े खोलने जैसा है। आप जब किताब पढ़ते हैं, तो आप उस समय उस कहानी के किरदार को जी रहे होते हैं। उनके सफर के साक्षी बनते हैं। भावनाओं को महसूस करते हैं। उनकी खुशी में खुश होते हैं। जिन बच्चों को पढ़ना नहीं मालूम है उनके लिए भी सोते समय कहानियां सुनना एक जादुई अनुभव होता है। जो उनके साथ हमेशा रहेगा।

बच्चों को तेज़ आवाज़ में कहानी सुनाने और पढ़ाने से उन्हें किताबों की दुनिया को समझने का मौका मिलता है। जैसा कि अमेरिकी लेखक व एस्ट्रोनॉमर कार्ल सेगन ने कहा हैएक सबसे बड़ा उपहार जो बड़े बच्चों व समाज को दे सकते हैं वह है बच्चों को पढ़ाना या उनके लिए किताबें पढ़ना।बच्चों को पढ़ाने से उनकी कल्पनाओं को पंख मिलता है। साथ ही मेंटली व इमोशनली डेवलप्मेंट भी होता है।

वर्ष 2015 में प्री स्कूल के बच्चों पर रिसर्च हुआ था। जिसका विषय था “घर में पढ़ने का माहौल व मस्तिष्क की सक्रियता”। रिसर्च में पाया गया कि जिन बच्चों को माता-पिता घर पर बोलबोल कर पढ़ाते हैं, उनका मस्तिष्क ज्यादा सक्रिय रहता है। इसके अलावा वर्ष 2016 में जामा पीडियाट्रिक्स के प्रकाशित एक अध्ययन से पता चला कि बच्चे इलेक्ट्रॉनिक गेम खेलते समय उतना सक्रिय भाव नहीं दिखाते, जितना कि वे पारंपरिक खिलौनों-किताबों को खेलते व पढ़ते समय दिखाते हैं।

तो आइए, बच्चों को पढ़ाने, खासतौर पर बोल-बोल कर पढ़ाने के फायदों को जानें।

बच्चों का ज्ञानबोध मज़बूत होता है

पढ़ना दिमाग के लिए व्यायाम है।  जब बच्चों को पढ़ाने के लिए तेज़ आवाज़ में प्रैक्टिस कराते हैं, तो वे न सिर्फ उसे ध्यान से सुनते हैं, बल्कि शब्दों को महसूस भी करते हैं। इसमें ब्रेनवर्क भी शामिल है। इस प्रक्रिया से बच्चों में बुद्धिमता विकसित होती है, जो आगे चलकर बच्चों के विकास में सहायक बनते हैं। आप जब बोलबोल कर कहानी पढ़ते हैं, तो बच्चे की कल्पना शक्ति मजबूत होती है। साल 2015 में अमेरिकन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स ने अध्ययन किया। इसमें प्री स्कूल के छात्रों के मानसिक विकास के क्षेत्रों में हुई गतिविधि व उनकी काल्पनिक दुनिया के विकास के बारे में बताया है।  यही वजह है कि जब आप अपने बच्चों को पढ़ाते हैं, तो आप उन्हें अकादमिक कामयाबी के लिए तैयार कर रहे होते हैं। बच्चों को पढ़ाने के दौरान एक बच्चा बोले गए और लिखे गए शब्दों के बीच के संबंध को सीखता हैकहानी की ध्वनि को लेकर उसकी जागरूकता बढ़ जाती हैबिना रुके बोलने और कल्पना करने की प्रक्रियाएं भी मजबूत होती है।

भाषा का विकास और सुधार

बोलबोल कर किताब पढ़ाना भी बच्चों को पढ़ाने के लिए बहुत फायदेमंद है। इससे उनकी भाषा विकसित होती है। रिसर्च के अनुसार यह भाषा व बाकी विषयों से जुड़े हुनर के विकास में मदद करता है। बच्चे मुख्य रूप से सुनकर भाषा सीखते हैं व नए शब्द को चुनने, शब्दों का सही उच्चारण करने और शब्द का सही प्रयोग सीखने की कला उनमें विकसित होती है। इससे उनकी रोजमर्रा की शब्दावली बढ़ती है और वे सही वाक्य संरचना को सीखते हैं। इससे उन्हें बात करने व लिखकर बात कहने में मदद मिलती है। इंस्टीट्यूट फॉर एक्सीलेंस इन राइटिंग के अध्यक्ष एंड्रयू पुडेवा कहते हैं “बच्चों को अच्छा वक्ता बनने में मदद करने का सबसे अच्छा तरीका है कि जितना संभव हो सके उन्हें बोल-बोल कर पढ़ाएं।”

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भावनाओं और मूल्यों से परिचय

साहित्य बच्चों को खुद अनुभव किए बिना कुछ देखने और सीखने के लिए प्रोत्साहित करता है। 2013 में हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के डेविड कॉमर किड और यूनिवर्सिटी डिगली स्टडी डि ट्रेंटो के इमानुएल कास्टानो ने संयुक्त रिसर्च किया। उसके अनुसार कथा साहित्य पढ़ने से संवेदना सहानुभूति का विकास होता है और यह बच्चों पर भी लागू होता है। किताबें आसानी से बच्चों को दूसरी सामाजिक विषयों के लिए प्रोत्साहित कर उनकी क्षमता को बढ़ाती हैं। यह मां-बाप द्वारा सुनाई गई कहानी व उसके किरदारों से बच्चों को साहस, बलिदान व बहादुरी जैसी ठोस भावनाओं पर चर्चा करने का मौका भी देता है।  जैसा कि ब्रिटिश लेखक सीएस लुईस लिखते हैं ” इतना मुमकिन है कि बच्चे कहानियों से क्रूर दुश्मनों के किरदारों को जानेंगे। मुमकिन है कि कम से कम किताबें पढ़ने से बच्चों ने बहादुर शूरवीरों व उनके साहसिक कारनामों के बारे में  समझा होगा।” पढ़ने की आदत से कुछ संवेदनशील मुद्दों पर मां-बाप और बच्चों के बीच एक खुलापन भी आता है और बच्चों की झिझक दूर होती हैकिताब के बिना ऐसा करना थोड़ा मुश्किल होता है।  घर के किसी बड़े के साथ पढ़ने से बच्चों को कठिन भावनात्मक परिस्थितियों को दूर करने व उनके बारे में बोलने में भी मदद मिलती है।

टेस्ट स्कोर में होता है सुधार

बच्चों को पढ़ाने की आदत डालकर वो जितना पढ़ेंगे भविष्य में उनके अकादमिक जीवन में वह उतना ज्यादा काम आएगा। टीचर अक्सर कहते हैं कि घर पर की जाने वाली गतिविधियां बच्चों के लिए क्लासरूम में सप्लीमेंट की तरह काम आती हैमातापिता बच्चों को वह दे सकते हैं, जो स्कूल की पढ़ाई नहीं दे सकती है। घर पर बच्चों को पढ़ाना, निश्चित रूप से उनमें से एक है। जब माता-पिता कम उम्र में ही बच्चों को पढ़ाना शुरू करते हैं, तो वे उनको अकादमिक सफलता के लिए तैयार करते हैं। मेलबर्न यूनिवर्सिटी द्वारा किए 6 साल के अध्ययन से संकेत मिलता है कि बच्चों को पढ़ाना, भाषा व गणित में उनके अच्छे नतीजे लाने के साथ सकारात्मक रूप से जुड़ा हुआ है।

बच्चों में समझ विकसित होती है

बच्चों को पढ़ाने के लिए प्रयोग किए गए शब्दों व वाक्यों को समझने और उन्हें दूसरों को समझाने के लिए बहुत अधिक दिमागी ताकत लगती है। बच्चे पढ़ते समय न सिर्फ किरदारों व उनकी बातचीत को समझते हैं, बल्कि उस भावना और व्याख्या को भी समझते हैं, जिसमें उन्हें पढ़ाया या बताया जाता है। पढ़ाने के बाद बच्चों के साथ चर्चा करने से उनकी समस्या सुलझाने की क्षमता में भी सुधार होता है। आपके बोलने के लहजे व पढ़ने का तरीका, बच्चों के दिमाग में कहानी को एक फिल्म में बदल देता है। साक्षरता विशेषज्ञ कैथरीन स्टार्क का सुझाव है “जब माता-पिता बच्चों से इमेज व चैप्टर के आधार पर पढ़ाने से पहलेउसके दौरान व बाद में सवाल पूछते हैं, तो इससे उनकी पढ़ने की समझ कौशल में काफी सुधार होता है।

बच्चों में एकाग्रता बढ़ती है

न्यूरोसाइंटिस्ट सुसान ग्रीनफील्ड का सुझाव हैबच्चों को पढ़ाने से उनमें ध्यानएकाग्रता को बढ़ावा मिलता है।वह आगे कहती हैं “हर कहानी की एक शुरुआत होती है, फिर बीच का भाग आता है व आखिरी में कहानी का अंत होता है। वह एक ऐसी संरचना में बुनी हुई होती है, जो बच्चों के दिमाग को सीक्वेंस में सोचने, कारणों को जानने और उसके असर व प्रभाव को जोड़ने के लिए प्रोत्साहित करती है। फोन, लैपटॉप या टेलीविजन जैसे डिजिटल उपकरणों के साथ जुड़ने के मुकाबले, पढ़ना या कहानी सुनने से बच्चे ध्यान लगाकर और समय लेकर सोचते व समझते हैं। इसलिए पढ़ने वाले और सुनने वाले को हर शब्द पर ध्यान देने और ध्यान केंद्रित करने के साथ शब्दों के बीच विराम देने की ज़रूरत होती है। कहानी के बाकी हिस्सों के साथ फिट होने की कोशिश करते हुए खासकर बच्चों में कहानी सुनने व उसे बयां करने का अभ्यास लंबे समय के लिए उनकी एकाग्रता व ध्यान में सुधार करता है। ज्यादा देर तक एकाग्र रहने से बच्चों को स्कूल के विषय, उनके होमवर्क व असल ज़िंदगी में बेहतर प्रदर्शन करने में मदद मिलती है।

रिश्तों को मिलती है मजबूती

बच्चों को कहानी सुनाने के सामान्य फायदों के साथ-साथ इसमें न दिखने वाले कई फायदे भी हैं। भविष्य में माता-पिता को ये फायदे दिख सकते हैं। जैसे कि एक अच्छी कहानी सुनते हुए बच्चे के चेहरे पर आने वाली खुशी या कहानी में आगे क्या होगा है, इसको लेकर उनका उत्साह किसी भी खुशी से कहीं बढ़कर होता है। बच्चों को पढ़ाना, उनके साथ रिश्ते मजबूत करने और उन्हें समझने का अच्छा तरीका है। इससे अभिभावकों को पता भी चलता है कि कौन सी चीज़ें उन्हें हंसा सकती हैं और कौन सी रुला सकती हैं। बच्चे भी अपने माता-पिता के साथ अच्छा समय बिताकर और अटेंशन पाकर अच्छा महसूस करते हैं।

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