घर वापस आना

घर वापसी

उसे वहीं शांति मिली जिस जगह को वह पीछे छोड़कर गया था। घर वापसी की ये कहानी जानने के लिए पढ़ें ये लेख।

वह जीवन की दहलीज़ पर खड़ा था। वह उस रेखा पर खड़ा था जो उसके घर की और बाहरी दुनिया की सुरक्षा को बांटती थी। वह पिछले दिन की तरह तकलीफ से भरा एक और दिन नहीं बिता सकता था। न ही वह अपने अभागे और बोरिंग साथियों के साथ दर्द और फालतू भरे गॉसिप का एक और दिन आगे जारी रखना चाहता था। वहीं वो न ही ऐसी नीरसता का एक और दिन बिताना चाहता था।

कभी-कभी वह भाग जाना चाहता था। वह अपनी कार, अपने घर, अपनी पत्नी और बच्चों, हर चीज़ को पीछे छोड़कर बस भाग जाना चाहता था ताकि वह एक नई शुरुआत कर सके। साहसिक कार्यों और कल्पनाओं से भरी उसकी कुछ कर गुजरने की एजवेंचर्स सोच उसे पुकार रही थी। अलॉर्म की आवाज़ सुन वो हर दिन सुबह 7 बजे तो उठता, फिर हमेशा की तरह ही वास्तविकता के गहरे दलदल में फंसाते जाता था।

लेकिन, आज का दिन कुछ अलग ही था। आज का दिन उसका था और वह अपने निर्णय के मुताबिक इसे बिताने जा रहा था। वह अपनी अंतर आत्मा की आवाज़ सुन सकता था। पीछे पलटने के बाद वह कमरे के अंदर गया, अपनी टाई हटाई फिर अपनी निक्कर पहनी, अपनी पत्नी और बच्चों को बताया कि वह इस नौकरी को छोड़ रहा है और इसके बाद वह पलंग पर लुढ़क गया।

पहले के 6 महीनों के दौरान कभी उसे परमानंद, तो कभी भय और चिंता की अनुभूति हुई। कुछ दिन तो बेहद सुहावने थे। इन दिनों वह अपने बच्चों के साथ खेला-कूदा, पढ़ाई की, धूप में लेटा, अपनी पत्नी के साथ बहुत ही अच्छा समय बिताया और भी इसी तरह की बहुत सी सुखद बातें उसने महसूस की। कुछ दिन तो बेहद दुखद थे। वह उस समय बेहद ज़्यादा घबरा जाता था जब उसकी पत्नी उससे आगे की योजना के बारे में पूछती थी, अपने नौकरी पेशा दोस्तों के साथ मुलाकात से भी उसका दिल कांप उठता था और यहां तक कि उसके बैंक बचत खाते में घटती नकदी को देखकर उसके अंदर भय का वातावरण बन जाता था। धीरे-धीरे उसने महसूस किया कि खुशी प्रदान नहीं करने वाली इन सब चीज़ों से मुंह मोड़ने के बावजूद उसे शांति नहीं मिल पाई थी।

शांति की प्राप्ति के लिए बेताब उसने एक दिन अपना बैग पैक किया और घर छोड़ दिया। हिल स्टेशन पर जाने के बाद उसने वह कमरा लिया जहां से नदी का नज़ारा दिखाई देता था। पिछले 6 महीनों के दौरान उसने पुस्तकें पढ़ीं, खाना पकाया और पहाड़ियों पर लंबी यात्राएं की। वह बहुत खुश था हां, उसे बहुत अच्छा लग रहा था। लेकिन उसका चित्त तो अभी भी शांत न था।

जल्दी ही घर वापसी (Homecoming) कर वह अपने शहर आ गया। उसकी पत्नी ने उसे दोनों बांहें फैलाकर गले लगाया और बच्चे भी उससे लिपट गए। यहां तक कि उसे अपनी पुरानी नौकरी भी मिल गई।

घर वापसी के पहले दिन उसने अपने चारों ओर देखा और पाया कि हर चीज़ बदल चुकी थी। घर वापसी पर उसे इस बात पर अचरज हुआ कि उसका जीवन कितना सुखद हो गया था। वह बड़े मनोयोग के साथ नौकरी पर जाने लगा, अब उसे अपना परिवार भार नहीं, बल्कि उसके शरीर का ही एक भाग महसूस होता था।

घर वापसी होने पर उसे शांति महसूस हुई जिसे वह छोड़ गया था। अपने पुराने जीवन को अपना नया जीवन बनाने में उसे एक वर्ष का लंबा समय लग गया। घर से काम के लिए निकलते हुए उसने सोचा कभी-कभी, इंसान को आराम की भी आवश्यकता होती है। उसने ऐसा सोचा और मुस्कुराते हुए घर की दहलीज़ को पार कर गया।

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