यादगार सफर घर का सफर

घर के लिए एक यादगार सफर…

बातचीत करते हुए प्रियंका रीता के इंट्रेस्ट और जीवन के प्रति उसकी अपनी सोच के बारे में जानकर काफी प्रभावित हुई। लेकिन, दोनों के बीच चल रही बातचीत पर थोड़ी देर के लिए ब्रेक लग गया, जब रीता की छोटी बेटी का अचानक से फोन आया।

ऑफिस में दिनभर कामकाज निपटाने के बाद थकी-हारी प्रियंका ने घर के सफर के लिए एक शेयर्ड कैब बुक की, कार की पिछली सीट पर बैठ गई। जब तक कोई दूसरा पैसेंजर आया, तब तक वह अपने ख्यालों में डूबी रही। जब दूसरी सवारी आ गई, तो प्रियंका ने अनजान पैसेंजर की तरफ देखा। वह एक बुजुर्ग महिला थी। वह महिला अपने एक हाथ में ड्राइंग शीट होल्डर, जबकि दूसरे हाथ में अपना बैग पकड़ा था। थोड़ी देर बाद प्रियंका ने बुजुर्ग महिला को अपने होल्डर से एक ड्राइंग शीट निकालकर अपनी गोद में रखते हुए देखा। प्रियंका ने महिला की मदद करने की बजाय हैरान नज़र से देखा। इसके बाद महिला भी उसे देखकर मुस्कुरा उठी और बड़े ही प्यार से कहा-“मुझे लगता है कि आपको यह पेंटिंग पसंद है।”

“वाकई ये पेंटिंग बेहद खूबसूरत है और मुझे बहुत पंसद आई,” प्रियंका ने प्रशंसा भरे लहज़े में जवाब दिया। इसके बाद खुद को मुखातिब करते हुए उसने कहा, वैसे मेरा नाम प्रियंका है, आपसे मिलकर बहुत खुशी हुई।

“मेरा नाम रीता है। आपसे इस तरह मिलना मेरे लिए भी किसी सुखद क्षण से कम नहीं है”, बुजुर्ग महिला ने जवाब दिया। इसके बाद दोनों के बीच बातचीत का सिलसिला शुरू हो गया। घर के यादगार सफर के दौरान धीरे-धीरे बातचीत फेरवरेट पेंटिंग से शुरू होकर पसंदीदा कलाकार, किताबें, थियेटर और जीवन के विभिन्न पहलुओं तक जा पहुंची।

घर के सफर के दौरान बातचीत के क्रम में प्रियंका रीता के इंट्रेस्ट और जीवन के प्रति उसकी अपनी सोच के बारे में जानकर काफी प्रभावित हुई। लेकिन, दोनों के बीच चल रही बातचीत पर थोड़ी देर के लिए ब्रेक लग गया, जब रीता की छोटी बेटी का अचानक से फोन आ गया। दरअसल, वह रात के लिए खाना तैयार कर रही थी, उसी सिलिसिले में रेसिपी के बारे में जानकारी ले रही थी। इससे पहले की दोनों के बीच फिर से बातचीत शुरू होती, रीता ने बड़े ही धैर्यपूर्वक अपनी बेटी को सभी जानकारी दे दी।

“लगता है आपकी बेटी डिनर की तैयारी कर रही है?” प्रियंका ने पूछा।

“जी, सही कहा आपने। वह रात के लिए खाना तैयार कर रही है। वह घर के कामों में अक्सर मेरा हाथ बंटाती है। दरअसल, कुछ साल पहले उसके पापा का निधन हो गया, तभी से वह मेरे साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रही है”, रीता ने बातचीत के क्रम में इसका खुलासा किया। “अपनी बेटी की बदौलत ही आज मैं पेंटिंग कर सकती हूं। एक्टिंग क्लासेस जा सकती हूं। वे सारे काम करती हूं, जिन्हें मैं अपने जीवन में हमेशा करना चाहती थी।”

रीता की बातें सुनकर प्रियंका सोचने लगी, कितनी समानता है उसकी और रीता की ज़िंदगी में। उसकी मां भी तो एक विधवा थी। उसने अपने बच्चों के पालन-पोषण में ही अपनी सारी ज़िंदगी गुजार दी, लेकिन हम लोगों में से किसी बच्चे ने उसकी अकांक्षाओं और महत्वाकांक्षाओं के बारे में जानने की कभी कोशिश नहीं की। प्रियंका मन ही मन लज्जित महसूस करने लगी और अपनी मां के त्याग को पहचान नहीं पाने को लेकर खेद जताने लगी। रीता के घर से पहले उसे रास्ते में उतरना था। इससे पहले की उतरने का समय आए, दोनों लोगों ने अपना-अपना फोन नंबर शेयर किया। स्टैंड पर पहुंचने के बाद कैब रूकी, लेकिन कार से बाहर निकलने से पहले प्रियंका के चेहरे पर मुस्कुराहट थी और कहा-“रीता आप पहली ऐसी शख्स हैं, जिससे मेरी मुलाकात हुई। वह महिला जो अपने जीवन इस तरह जी रही है, जैसे हमें जीना चाहिए। कैसे हम लोगों ने अपना घर का सफर तय कर लिया, बात करते-करते कुछ पता भी नहीं चला। मुझे बहुत अच्छा लगा।

“शुक्रिया..प्रियंका। उम्मीद है कि हम लोग फिर मिलेंगे,” रीता ने जवाब दिया और गुड बॉय कहा।

ज्यों ही प्रियंका अपने घर के दरवाजे की तरफ आगे बढ़ी, तो उसके दिलो-दिमाग में दो बातें घूम रही थीं। पहली उसकी मां, जिसे गले लगाने के लिए देर तक इंतजार न करना पड़े और दूसरा, उसके घर का यादगार सफर। घर के इस सफर में रीता जीवन जीने का एक नया नज़रिया देकर चली गई।

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