घर की हीरो

मेरे घर की हीरो

झुमके महंगे लग रहे थे। लक्ष्मी को वो कहां से मिले? क्या वह उन्हें कहीं से चुराकर लाई थी? यह सोचकर नीलम का दिल बैठ गया।

नीलम थोड़ी चिंतित और थोड़ी गुस्से में थी। लगभग आधी रात हो चुकी थी और आज वह देर रात तक जगी हुई थी। अपने छोटे से कमरे की खिड़की के पास स्ट्रीट लैंप की रोशनी में बैठी हुई वह उन एक जोड़ी सुनहरे झुमको को देख रही थी।

वे एक फूल के आकार के थे, जिसमें बीच में एक चमकदार लाल क्रिस्टल लगा हुआ था। वे बहुत खूबसूरत थे लेकिन शायद असली सोने से नहीं बने थे, वे सोने के हैं या नहीं यह तो वह निश्चित तौर पर तो नहीं बता सकती थी, लेकिन वे बहुत महंगे लग रहे थे। नीलम को ये झुमके अपनी बेटी लक्ष्मी के स्कूल बैग में मिले थे।

बैग में झुमके देखकर उसकी भौहें तन गई, वह अपनी चटाई पर बैठ गई और उसने चोम्बू (पानी को उठाने का बर्तन) से लेकर पानी का एक घूंट पिया। उसका दिमाग तेज़ी से दौड़ रहा था। वह सोचने लगी कि लक्ष्मी को बालियां कहां से मिल सकती थी? वह पड़ोस के गांव के एक सरकारी स्कूल में पढ़ती थी। उसके पास ऐसे दोस्त नहीं थे जो उसे इस तरह के उपहार दे सके। न ही उसने उसे इन्हें खरीदने के लिए इतने पैसे दिए थे।

यह सब सोचकर नीलम का दिल बैठ गया। क्या उसकी बेटी ने इसे किसी से चुराया था या किसी दुकान से इसे उठा लिया था? क्या इसमें मेरी भी कोई गलती थी? क्या मेरे पालन पोषण में ही कोई कमी रह गई थी? उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था। यही सब सोचकर वह इतनी चिंतित हो गई थी कि वह तर्कसंगत तरीके से सोच भी नहीं पा रही थी।

नीलम ने अपनी बेटी को अच्छे संस्कारों के साथ पाला था और उसे अच्छे और बुरे की समझ दी थी। अपने पति की मृत्यु के बाद सेवह काफी हद तक अपने दम पर जी रही थी। लक्ष्मी के लिए वो उसकी घर की हीरोथी। अपने पति को खोने के बाद नीलम ने अपार साहस और प्रयास के साथ खुद को संभाल लिया था। अपने घर की हीरो बेटी की पढ़ाई (Hero daughter’s education) जारी रखने के लिए वह अलग-अलग काम करती थी। उसने वे झुमके उठाकर वहीं वापस रख दिए जहां से उसे वे मिले थे, उसने सुबह अपनी बेटी से बात करने का फैसला किया और वापस जाकर सो गई।

उसके माथे पर एक कोमल चुंबन देते हुए उसकीबेटी ने उसे नींद से उठाया। लक्ष्मी उसके बगल में घुटने टेककर बैठी हुई थी, उसके चेहरे पर एक बड़ी सी मुस्कराहट थी। “गुड मार्निंग, अम्मा,” उसने अपनी मां नीलम से कहा

अपनी आंखें मलते हुए नीलम जाग गई और बोली “क्या मैं देर तक सोती रही? क्या समय हुआ है?”

बिना कुछ बताए, लक्ष्मी ने नीलम को कसकर गले लगाया और कहा, “जन्मदिन मुबारक हो, अम्मा!”

“क्या-ओह अच्छा!” नीलम ने कहा। मैंने वर्षों से अपने जन्मदिन का हिसाब नहीं रखा था।

“यह तुम्हारे लिए है,” लक्ष्मी ने कहा, उसकी तरफ बढ़ाए हुए उसके एक हाथ में सोने के झुमके थे।

नीलम के चेहरे पर एक दर्द भरी मुस्कान आ गई और उसने कहा, “लेकिन मेरे बच्चे, तुम्हें ये कहां से मिले?”

“मैंने उन्हें स्कूल में जीती गई पुरस्कार राशि से खरीदा है,” लक्ष्मी ने कंधे उचकाते हुए कहा, “क्या आप अपने जन्मदिन का उपहार देखने के लिए उत्साहित हैं?”

“क्या? ये झुमके मेरे जन्मदिन का उपहार थे।”

घर की हीरो लक्ष्मी ने एक बार फिर से मुस्कुराते हुए अपनी मां के हाथ में एक प्रमाण पत्र दिया। इस पर लिखा हुआ था: सर्वश्रेष्ठ छात्र के लिए प्रवीणता पुरस्कार (प्रोफिशिएंशी अवॉर्ड फार बेस्ट स्टूडेंट)।

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