उनकी यादों में

सालों के प्यार को भुलाना, नहीं होता आसान

कुछ मिनट बाद मैंने उसे गेट के सामने खड़ा देखा, बिलकुल खोया-खोया। चेहरे पर एक बच्चे जैसी मासूमियत के साथ, वह झिझकते हुए वापस आए और पूछा, “ मुझे सड़क पर किस ओर जाना चाहिए, दाएं या बाएं?।” कहानी को अंत तक जानने के लिए पढ़ें ये लेख।

इसकी शुरुआत कार की चाबी के गुम होने और अपने फोन नंबर को भूलने जैसी छोटी-छोटी बातों से हुई।

मैंने मज़ाक में कहा, ‘मेरी जान, आप बूढ़े हो रहे हैं।’

“कौन कहता है? मैं तो अभी जवान हूं। और यदि मैं बूढ़ा हो रहा हूं, तो आप भी जवान नहीं हैं, मिस्सी।” वह मुझे चिढ़ाते और अपने साथ नृत्य करने के लिए और करीब कर लेते।

हमने स्कूल में एक साथ अपना जन्मदिन मनाया और हम कॉलेज में की गई हर बदमाशी में बराबर के भागीदार थे। हमने अपनी अल्हड़ जवानी में फ्रैंक सिनाट्राके गीतों को साथ में सुना था। फिर दोनों एक-दूसरे से बेतहाशा प्यार करने लग गए और फिर हमने रात भर ‘स्ट्रेंजर’ गीत पर नृत्य भी किया और फिर शादी कर हमेशा के लिए जीवन साथी बन गए।

कूकर की सीटी की आवाज़ ने मेरी यादों को तोड़ दिया।

मैंने उनसे पूछा, ‘क्या आपने सुपरमार्केट से किराना खरीदा’।

जवाब मिला, ‘अभी नहीं। मैं अभी भी सोफा झाड़ रहा हूं।’’

आधे घंटे बाद मैंने उन्हें याद दिलाने के लिए कमरे में झांका। वह खिड़की से बाहर देख रहे थे।

मैं पीछे से गई और उनका कंधा थपथपाया। वह चौंके और कहा, ‘हां, हां। मैं अभी बाज़ार जा रहा हूं’।

कुछ मिनट बाद मैंने उन्हें गेट के सामने खड़ा पाया, बिलकुल खोए हुए। अपने चेहरे पर एक बचपन की मासूमियत के साथ। वह झिझकते हुए वापस आए और पूछा, ‘मुझे सड़क पर किस ओर जाना चाहिए, दाएं या बाएं?।

हमने अपनी सारी ज़िंदगी इसी इलाके में ही गुजारी है। इन बीते वर्षों में एक दिन भी वह अपना रास्ता नहीं भूले थे। कुछ अटपटा सा लग रहा था। डॉक्टरों की सलाह और परीक्षणों ने पुष्टि की कि वह अल्जाइमर का एक साफ मामला था। यह बीमारी मेरे पति के मस्तिष्क की कोशिकाओं में लगातार फैल रही थी। यह जानकर मैं टूट गई थी।

कुछ महीने बाद वह मेरे पास आए और मुझसे पूछा कि मैं कौन हूं। मैं बस यह कर सकती थी कि उनकी बड़ी भूरी आंखों की गहराई में झांकू और प्रार्थना करूं कि भगवान हिम्मत दे कि वह हार न मानें। मुझे घुटन-सी महसूस हुई और मैंने खुद को अपने कमरे में बंद कर लिया और अपनी आंखें बंद करके खूब रोई। मैं उनकी यादों में (Unki yadon main) नहीं थी यह जानकर मैं दुखी थी। मैं अपने प्यार को भूलते हुए नहीं देख सकती थी, मैं उनकी यादों में सदा रहना चाहती थी।

कुछ दिन तक मैं दुखी और असहाय महसूस करती रही और फिर मैं एक सिपाही की तरह उनकी याददाश्त को बचाने के लिए लड़ती रही ताकि मैं उनकी यादों में रह सकूं। जब वह सुबह उठ के याद करते थे कि मैं कौन हूं, मेरा दिल हर बार रोता था कि क्या इस तरह मैं उनकी यादों में से गायब हो जाऊंगी। लेकिन समय के साथ मैं एक मूक दर्शक में बदलती जा रही थी। मैं घोर वास्तविकता को स्वीकार करना सीख रही थी कि शायद मैं उनकी यादों में नहीं हूं।

हमारी शादी की 50वीं सालगिरह पर मैं चर्च जाने के लिए तैयार हो रही थी और मैंने रेडियो चालू कर दिया था। वह अचानक अपनी आंखों में चमक लेकर मेरे पास आए। उन्होंने कहा,  ‘मिस्सी, तुम बहुत खूबसूरत लग रही हो। क्या हम नाचें?’।

मैं हैरान थी कि उन्हें मेरा घरेलू नाम याद था, मैं आज भी उनकी यादों में शामिल थी! जब वह मुझे मिस्सी पुकारते थे तो मुझे उन पर बहुत प्यार आता था। मेरी आंखों में खुशी के आंसू आ गए और मैंने उन्हें कसकर गले लगा लिया।

वहां सिनाट्रा रेडियों में गुनगुना रहे थे और यहां वे मेरे कानों में फुसफुसाएं, “फॉरएवर, ऑलवेज़।”

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