अमर प्रेम कहानी

अमर प्रेम की एक कहानी

सही और गलत के मिले-जुले विचारों के साथ वह दुविधा में बैठकर यही सोच रही थी कि क्या लोग इसी को अमर प्रेम कहते हैं।

साफ-सुथरी सफेद शर्ट पहने एक बुजुर्ग को उसने सड़क की दूसरी ओर देखा, जो भीख मांग रहा था। ज्यादातर लोगों ने उन्हें दुत्कार कर भगा दिया। कुछ लोगों ने तो उन्हें बहुत गलत तरीके से डांटा। जैसे ही उसने बुजुर्ग की ओर देखा, तो वह उसकी ओर चला आया। परेशान दिख रहे बुजुर्ग ने झिझकते हुए कहा- क्या आप मुझे 100 रुपए उधार दे सकती हैं। मुझे इसकी सख्त जरूरत है। मैं वादा करता हूं कुछ दिनों में वापस कर दूंगा। यहां मेरा फोन नंबर लिखा है। लड़की को उस पर विश्वास नहीं हुआ। लेकिन अचानक कुछ ऐसा हुआ कि उसने अपने पर्स से 100 रुपए का नोट निकाला और उन्हें दे दिया। बुजुर्ग ने उसे धन्यवाद कहा और तेज़ी से चला गया।

ज़रूरतमंद की मदद करना उसे अच्छा लगता था। लेकिन सड़क के नीचे जो उसने देखा उससे वह चौंक गई। यह वही आदमी था, जो एक महंगे रेस्टोरेंट में अपनी उम्र की एक महिला के साथ बैठा था। वे प्रेमी-प्रेमिका की तरह लग रहे थे। पहले तो उसे भरोसा नहीं हुआ कि उसने क्या देखा। उसने एक अजनबी को अपने दयालु स्वभाव का फायदा उठाने देने के लिए खुद को बहुत कोसा।

हालांकि, अभी बहुत देर नहीं हुई थी। वह उसकी नज़रों के सामने था। वह उसे सबक सिखाना चाहती थी। वह गुस्से में रेस्टोरेंट में चली गई और दोनों को देखने के लिए एक कोने में बैठ गई। इसी दौरान बुजुर्ग की नज़र उस पर पड़ी, वह चौंक गया और शर्मिंदा होकर देखने लगा। वह जैसे ही उसके पास जाने वाली थी, तो उसने देखा कि बुजुर्ग उसकी ओर आ रहा है।

“मैं रिक्वेस्ट करता हूं, प्लीज आप शांत हो जाइए। वहां बैठी मेरी पत्नी को इस बारे में कुछ भी पता नहीं होना चाहिए।” उसके सामने बैठते हुए बुजुर्ग ने धीमी आवाज़ में कहा। आपको ऐसा लग सकता है कि मैंने झूठ बोला था, लेकिन मेरे पास और कोई विकल्प नहीं था। प्लीज मुझे एक मौका दें, जिससे मैं आपको सारी बातें बता सकूं। हालांकि, वह बहुत गुस्से में थी। इसके बावजूद उसने बुजुर्ग को समझाने का मौका देने का फैसला किया।

बुजुर्ग ने कहा- आज हमारी शादी की 40वीं एनिवर्सरी है। मैं पत्नी को उसके पसंदीदा रेस्टोरेंट में लाकर सरप्राइज देना चाहता था। इसके लिए मैंने कुछ पैसे बचाए थे। लेकिन जैसे-जैसे समय बीता, तो मुझे एहसास हुआ कि पैसे कम हो जाएंगे। मैं उसे शर्मिंदगी में नहीं डालना चाहता था। इसलिए मैंने ऐसा किया, जिसकी मैंने कभी कल्पना भी नहीं की थी।

बुजुर्ग को लग रहा था कि लड़की उसकी बातों पर विश्वास नहीं कर रही है, फिर भी उसने बातों का सिलसिला जारी रखा। मेरा इरादा आपके पैसे लेकर भागने का नहीं था। आपके पास मेरा फोन नंबर है। मैं वादा करता हूं कि मैं अगले सप्ताह तक आपके पैसे लौटा दूंगा। आपने मेरी जो मदद की, उसके लिए मैं आभारी हूं। प्लीज तब तक मेरी पत्नी से कुछ मत कहना।

बुजुर्ग की बातें सुन वह चौंक गई। उसे कुछ भी समझ नहीं आ रहा था कि वह कैसी प्रतिक्रिया दे। यह भावनाओं का अजीब सा मिलाजुला रूप था, जिसमें गुस्सा और आश्चर्य दोनों था। एक तरफ वह इस बात से परेशान थी कि उससे मदद लेने के लिए बुजुर्ग ने झूठ बोला था। वहीं दूसरी ओर अपनी पत्नी की खुशी के लिए बुजुर्ग के इस हद तक जाने के लिए उसके पास कोई शब्द नहीं था। सही और गलत के अपने विचारों के साथ वह यही सोच रही थी कि क्या लोग इसी को अमर प्रेम (Immortal love) कहते हैं?

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