अगर माफ कर दिया, तो गले लग जाओ ना!

अगर माफ कर दिया, तो गले लग जाओ ना!

वक्त एक बेशकीमती चीज है, जिसके न मिलने पर किसी भी रिश्ते में दरार आनी लाजमी है। लेकिन उस दरार को भरने के लिए प्यार भरा एक खत ही काफी है…

बनारस के एक छोटे से कस्बे में रहने वाला अनिल मुंबई में नौकरी करता था, लेकिन उसका पूरा परिवार बनारस में ही रहता था। वह शैली से प्यार करता था। शैली पेशे से एक पत्रकार थी, जो बनारस में ही नौकरी करती थी। शैली एक मत्वाकांक्षी किस्म की लड़की थी, जिसे अपनी पहचान बनाने का जूनून था। इसलिए शैली ने अनिल को अपने दिल की सारी बातें बता दी थी कि वह अपनी नौकरी किसी भी कीमत पर नहीं छोड़ेगी।

परिवार की रजामंदी से दोनों वैवाहिक बंधन में बंध गए। शादी के चार दिन बाद अनिल ने शैली से कहा कि “वह नौकरी छोड़ कर अभी उसके साथ चले और मुंबई में रह कर नौकरी तलाशे।” जिससे शैली बहुत दुखी हुई और अनिल के प्रस्ताव को ठुकराते हुए कहा “वह बनारस में रह कर मुंबई के लिए नौकरी तलाशेगी, उसके बाद ही मुंबई शिफ्ट होगी।” क्योंकि, शैली अपने करियर को ब्रेक नहीं देना चाहती थी। जिससे नवदम्पति के बीच तनाव हो गया। अनिल मुंबई चला गया और शैली ने फिर से ऑफिस जॉइन कर लिया।

शैली ने मुंबई में नौकरी ढूंढने में दिन-रात एक कर दिया, लेकिन उसे सफलता तीन महीने बाद मिली। एक दिन कॉल पर जब शैली ने अनिल को अपने मुंबई की जॉब के बारे में बताया, तो उसकी खुशी का ठिकाना न रहा। एक-एक दिन गिनते शैली मुंबई पहुंच गई। एयरपोर्ट पर गुलाब का गुलदस्ता लिए अनिल, उसका बेसब्री से इंतजार कर रहा था। एयरपोर्ट से बाहर आते ही अनिल ने अपनी पत्नी को गले से लगा लिया।

मुंबई पहुंचने के तीन दिन बाद ही शैली ने अपना नया ऑफिस जॉइन कर लिया। शुरुआती कुछ दिन तो सब ठीक रहा। लेकिन धीरे-धीरे अनिल और शैली के बीच में मन-मुटाव रहने लगा। इसका एक कारण यह भी था कि शैली की जॉब ऐसी थी कि उसके घर लौटने का वक्त तय नहीं था। जिससे वे एक-दूसरे को वक्त नहीं दे पाते थे। वैसे तो यह एक छोटी बात थी, लेकिन रिश्ते को प्रभावित करने के लिए काफी थी। एक रात शैली काफी देरी से घर आई और अनिल के सब्र का बांध टूट गया। इस बात पर दोनों के बीच बहस हो गई। शैली रोते हुए सोने चली गई।

अगली सुबह शैली जल्दी उठ कर अनिल के लिए लंच तैयार करने लगी। लंच बॉक्स पैक करते समय शैली ने उसमें एक चिट्ठी डाल दी। अनिल अपनी पत्नी से बिना कुछ कहे ऑफिस चला गया। जब उसने लंच बॉक्स खोला तो चिट्ठी देखी। जिसमें शैली ने लिखा था-

डियर अन्नु,

मुझे आपसे लड़ना बिल्कुल भी नहीं पसंद। मैं जानती हूं कि हम एक-दूसरे को वक्त नहीं दे पा रहे हैं, इसलिए हमारे बीच में ये तनाव है। मैं छुट्टी लेने का सोच रही हूं और अपना पूरा वक्त आपको देना चाहती हूं। पर ये सब कैसे करूं समझ नहीं आ रहा। हो सके, तो मुझे माफ कर दीजिएगा।

आपकी पसंदीदा पनीर की सब्जी बनाई है, खा के जरूर बताना कैसी बनी है?

आपकी शैली

चिट्ठी पढ़ते ही अनिल के चेहरे पर मुस्कान आ गई। लेकिन शाम को घर पहुंचने के बाद भी अनिल ने शैली से बात नहीं की। जब अनिल के लंच बॉक्स को धुलने के लिए शैली ने खोला तो उसमें एक चिट्ठी देखी। शैली को लगा कि अनिल ने उसकी चिट्ठी नहीं पढ़ी। लेकिन जब उसने चिट्ठी खोली तो वह अनिल ने लिखी थी-

मेरी प्यारी बेगम साहिबा

नाराज तो मैं हूं, क्योंकि दूसरे कपल्स की तरह हम दोनों हनीमून पर अभी तक नहीं गए। तो अब वक्त है हनीमून पर जाने का। अगले दो हफ्ते के लिए छुट्टी ले लो, हम तुम्हारे सपनों के शहर जयपुर जाएंगे।

वैसे माफी तुम्हें नहीं, मुझे मांगनी चाहिए। अगर माफ कर दिया हो तो गले लग जाओ ना!

तुम्हारा बुद्धु पति

खत पढ़ने के बाद शैली दौड़ते हुए जा कर पति से लिपट गई। अनिल ने शैली को गले लगाते हुए कहा कि, “गुस्से में खाना बहुत अच्छा बनाती हो।” दोनों खिलखिला के हंस पड़े।

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