विश्व दयालुता दिवस

विश्व दयालुता दिवस: दया बदल सकती है किसी की ज़िंदगी

दया की यही तो ताकत होती है। दया किसी की ज़िंदगी संवार सकती है और बचा भी सकती है। दया एक ऐसा भाव है जो किसी स्कूल में जाकर नहीं सीखा जा सकता। ये भाव तो हमारे मन के अंदर से किसी अंकुरित बीज में से पौधे की तरह निकलता है।

आठ साल के रौनी ने जब अपनी छत पर एक चिड़िया को ज़ख्मी देखा तो उसने उसे तुरंत अपनी गोद में उठा लिया और मम्मी के साथ मिलकर उसके घायल पैर पर मरहम लगाकर पट्टी की। उसको बाजरे के दाने भी खिलाएं और फिर उसे छत के एक सुरक्षित कोने में रख दिया। अगली सुबह जब रौनी उस चिड़िया को देखने आया तो वो उस कोने में नहीं थी। रौनी को घबराहट हुई की वो नन्हीं चिड़िया कहां गई पर फिर उसने जैसे ही छत की मुंडेर पर देखा वहां वही चिड़िया उड़ने की कोशिश कर रही थी और कुछ ही देर में अपने पंख फैला कर खुले आसमान में उड़ गई।

रौनी ने उस नन्हीं चिड़िया को नई ज़िंदगी दी। अगर रौनी उसको घायल देखकर भी उसके हाल पर छोड़ देता तो शायद वो चिड़िया कुछ ही देर में दर्द से तड़प कर मर जाती। मगर, रौनी के मन में चिड़िया के लिए जो दया भावना आई, उसने उस चिड़िया को बचा लिया।

दया की यही तो ताकत होती है। दया किसी की ज़िंदगी संवार सकती है और बचा भी सकती है। दया एक ऐसा भाव है जो किसी स्कूल में जाकर नहीं सीखा जा सकता। ये भाव तो हमारे मन के अंदर से किसी अंकुरित बीज में से पौधे की तरह निकलता है।

दया की भावना कैसी होती है? (Daya ki bhawana kaisi hoti hai?)

दया दूसरे की तरफ अपनापन, स्नेह और उसके दर्द को अपने पर महसूस करना है। जिस इंसान के अंदर दया की भावना मौजूद होती है, वो सही मायने में इंसान कहलाता है। दया में बदले की इच्छा नहीं होती वो बिना किसी स्वार्थ के मन में आती है।

किसी दूसरे की तकलीफ़ को खत्म कर देना, उसकी मदद करना, उसे अपने जैसा ही समझना दया है। जैसे रौनी ने नन्हीं चिड़िया के दर्द को महसूस किया और अपनी मां के साथ मिलकर उसके दर्द को ठीक किया, यह दया भाव की वजह से ही तो संभव हुआ। हम सब में भी दया की भावना होनी बहुत ज़रूरी है क्योंकि एक छोटी-सी दया किसी की ज़िंदगी बदल सकती है।

विश्व दयालुता दिवस क्यों मनाया जाता है? (Vishv Dayaluta Divas kyon manaya jata hai?)

दयालुता दिवस के अवसर पर, विश्वभर में छोटे से लेकर बड़े, सभी प्रकार के दयालुता के प्रयासों की सराहना की जाती है और ऐसा करने के लिए प्रोत्साहन दिया जाता है। ऐसा लोगों को एक-दूसरे से जोड़ कर रखने और दूसरों के प्रति बैर और ईर्ष्या जैसे भावों को खत्म करने के लिए किया जाता है।

आजकल सब अपनी-अपनी ज़िंदगी में इतने व्यस्त हो गए हैं कि उन्हें किसी और की तरफ ध्यान देने की ज़रूरत महसूस नहीं होती। अपनी परेशानियों के आगे दूसरों के दर्द दिखते ही नहीं हैं। इसलिए दयालुता दिवस एक मुहिम है, जिससे सब लोग दूसरों के दर्द को भी महसूस करें और ज़रूरतमंद लोगों की मदद हो सके।

विश्व दयालुता दिवस का इतिहास (History of World Kindness Day in hindi)

विश्व दयालुता दिवस को 1988 से ही एक इंटरनेशनल हॉलिडे (International Holiday) के रूप में हर साल 13 नवंबर को मनाया जाता है, जो कि वर्ल्ड काइंडनेस मूवमेंट (World Kindness Movment) आंदोलन का ही एक भाग है। इसे भारत के साथ-साथ कई अन्य देशों जैसे यूएसए, कनाडा, जापान, ऑस्ट्रेलिया, यूएई आदि में भी मनाया जाता है।

यूएसए, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया आदि के कुछ संगठनों ने समाज में दयालुता को बढ़ावा देने के लिए एक सम्मेलन (Conference) का आयोजन किया और उसमें एक साथ भाग लिया। इस ईवेंट के बाद से ही वर्ल्ड काइंडनेस डे (World Kindness Day) को दुनिया भर में मनाया जाने लगा।

आपको ये आर्टिकल कैसा लगा हमें कमेंट करके ज़रूर बताएं। ऐसे ही आर्टिकल पढ़ते रहें सोलवेदा हिंदी पर।

टिप्पणी

टिप्पणी

X

आनंदमय और स्वस्थ जीवन आपसे कुछ ही क्लिक्स दूर है

सकारात्मकता, सुखी जीवन और प्रेरणा के अपने दैनिक फीड के लिए सदस्यता लें।