उत्पादकता

उत्पादकता के हुनर को सीखिए

सफलता पर लाखों किताबें होने के बावजूद लोग कार्यक्षमता में कमी की शिकायत करते हैं, जो उन्हें उस सफलता (Success) से दूर खींचती है, जो वे चाहते हैं।

अर्नेस्ट हेमिंग्वे (Ernest Hemingway) उत्पादकता अपने साहित्यिक कार्यों के साथ मछली पकड़ने के अपने प्रेम के लिए भी जाने जाते थे। बेहतर उत्पादकता (Better Productivity) के लिए सुबह जल्दी उठने वाले अर्नेस्ट हेमिंग्वे उठते ही लिखना शुरू कर देते थे। जब उनके लेखन की आदत के बारे में पूछा गया, तो ‘द ओल्ड मैन एंड द सी’ के लेखक ने कहा “जब मैं किसी किताब या कहानी पर काम कर रहा होता हूं तो मैं सुबह जितनी जल्दी हो सके लिखता हूं। तब आपको परेशान करने वाला कोई नहीं होता है और सुबह की ठंडक में आप अपने काम पर आते हैं और लिखते ही गर्म महसूस करने लगते हैं … वह कहते हैं कि अगर आपने सुबह 6 बजे कार्य शुरू किया है, तो आप दोपहर तक या उससे पहले ही अपने कार्य को खत्म कर सकते हैं।” विकास के सिद्धांत के संस्थापक चार्ल्स डार्विन (Charles Darwin) प्रतिदिन केवल 5 घंटे ही शोध करने में बिताते थे। स्टीफन किंग (Stephen King) प्रतिदिन लगभग 2,000 शब्द ही लिखते हैं। हालांकि, इन सभी महापुरुषों ने बेहतर उत्पादकता के लिए अपना सारा समय काम पर नहीं बिताया था, लेकिन वह अत्यधिक उत्पादक थे।

डार्विन, हेमिंग्वे और किंग के रचनात्मक दिमागों ने मैनेजमेंट (Management) की किताबों में जगह पाने और उत्पादकता की कला में महारत हासिल की थी। मार्क ट्वैन ने एक बार कहा था “आगे बढ़ने का रास्ता है काम को शुरू करना और शुरू करने का रास्ता आपके जटिल भारी कार्यों को छोटे प्रबंधनीय कार्यों में अथवा करने लायक आसान भागों में उसके हिस्से करके, उस कार्य के पहले हिस्से से शुरुआत करना होता है।”

हालांकि, सफलता पर लाखों किताबें उपलब्ध हैं, फिर भी लोगों को कम उत्पादकता की शिकायत करते हुए पाया जाता है। इस प्रकार वह उस सफलता से और अधिक दूर चले जाते हैं, जिसे वह पाना चाहते हैं। अध्ययनों से पता चलता है कि काम पर बिताए जाने वाले घंटे बढ़ गए हैं, लेकिन फिर भी उत्पादकता में गिरावट आई है। लोग अपने कामकाज में आज घंटों बिताते हैं, पर उत्पादकता पिछले दिन की तुलना में कम होती है। भव्य योजनाएं और कार्य सूची भी होती है फिर भी समय सीमाएं खत्म हो जाती हैं और कार्य अधूरा रह जाता है। मन योजनाएं बनाने में महत्वाकांक्षी होता है, लेकिन इन योजनाओं में बहुत कम ही योजनाएं कार्यों में परिवर्तित होती हैं। हर कोई अपने लिए हुए कार्यों को अपना 100 प्रतिशत देकर बेहतर बनाने का प्रयास करता है, लेकिन हममें से कई तो इसे पूरा करने के लिए भी संघर्ष करते हैं। एक संदेश जो इन वार्तालापों में स्पष्ट दिखाई देता है, वह यह है कि हमें एक सचेत निर्णय लेने की ज़रूरत है। कोई भी ऑनलाइन पाठ्यक्रम, टेड टॉक्स, वार्तालाप, किताबें और ऑनलाइन मेंटरशिप प्रोग्राम हमें हमारी कार्य सूचियों के हिसाब से काम करने में मदद नहीं कर सकता है, जब तक कि हम स्वयं उन्हें पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध नहीं होते हैं।

एक ही कहानी अलग-अलग मोड़ पर खुद को दोहराती है। हम घर के काम करने, कपड़े धोने और किराने का सामान लाने के लिए सप्ताहांत की प्रतीक्षा करते हैं। शुक्रवार तक यह योजना लागू रहती है। शनिवार सुबह आई नहीं कि हम इसे थोड़ा टालना शुरू कर देते हैं। घरेलू कामों को सुबह से शाम की ओर धकेला जाता है। आप पूछेंगे, क्यों? आराम करना और टीवी देखना भी तो उतना ही महत्वपूर्ण है न। रविवार दोपहर तक इन कामों को स्थगित कर दिया जाता है और फिर बिना काम पूरा हुए ही सप्ताहांत समाप्त हो जाता है और यह हमारे भीतर एक असुविधा और असंतोष की भावना छोड़ जाता है।

तो हम अनुत्पादक (Unproductive) क्यों बने? सबसे बड़ा कारण हर चीज़ को टालने की आदत, विलंब – यह हमारी अलमारी में बैठा हुआ एक खूंखार राक्षस है। मनुष्य को आदतन शिथिलीकरण कर्ता अर्थात हर बात को कल पर टालने वाला माना जाता है। ब्रायन ट्रेसी (Brian Tracy) अपनी विख्यात किताब ‘ईट दैट फ्रॉग! 21 ग्रेट वेस टू स्टॉप प्रोक्रस्टिनेटिंग एंड गेट मोर डन इन लेस टाइम (विलंब को रोकने और कम समय में अधिक काम करने के 21 शानदार तरीके)’ में ट्वैन के लिखे एक शानदार कोट का उल्लेख करती हैं, जो कहते हैं: “सुबह उठकर एक जीवित मेंढक खाइए और बाकी सारा दिन इससे बुरा और कुछ भी नहीं हो सकता आप के साथ।”

मेंढक के एक सरल उदाहरण का उपयोग करके ट्वैन हमें दिन के पहले भाग में ही सबसे कठिन कार्य को समाप्त करने की सलाह देते हैं। अन्यथा संभव है कि इसे अगले दिन पर छोड़ दिया जाएगा। अगली बार जब आप अपने कार्यस्थल पर उस मेंढक को घूर रहे होंगे तब आपको पता होगा कि दूसरे विचार के मन में आए बिना बस आपको उसे खाना ही पड़ेगा।

किसी ने ठीक ही कहा है “कथनी की तुलना में करनी ज़्यादा असरदार होती है।” सफल लोगों को अपने कार्यों का एहसास, योजनाओं के माध्यम से होता है। अक्सर वह विफलता ही होती है जो लक्ष्य और इसकी उपलब्धि के बीच के अंतर को समझने में मदद करती है। कार्यवाही परिणाम की जननी है। चाहे कितने ही बड़े इरादे क्यों न हों पर कोई नतीजा नहीं है तो इरादा एक मौका नहीं बन सकता है।

काम को टालने का एक और प्रमुख कारण आज की दुनिया का विकर्षणों से भरा पड़ा होना है। सोशल नेटवर्किंग, मनोरंजन स्थल, टेलीविज़न या ब्रेकिंग न्यूज़, हर एक घंटे में हम ऐसी चीज़ें करते हैं जो हमारी दिनचर्या के लिए आवश्यक नहीं है। अध्ययन से पता चला है कि मस्तिष्क विचलित होने का आदी है। हर बार जब आप नई जानकारी प्राप्त करते हैं तो मस्तिष्क डोपामाइन छोड़ता है। एक ऐसी दुनिया जहां सूचना स्वतंत्र रूप से बहती है, कोई विचलित होने से कैसे बच सकता है? तो इसकी चाबी है चयनात्मक होना। किसी दिए गए क्षण में आपको क्या करना है आप इसी पर ध्यान दीजिए। अगर उसैन बोल्ट अपने आस-पास की चीज़ों से विचलित होता तो वह आज दुनिया का सबसे तेज़ धावक नहीं होता।

उत्पादकता की कला में महारत हासिल करने के लिए कोई शॉर्टकट नहीं है। उत्पादक होना दृढ़ता, अभ्यास और प्रतिबद्धता के बारे में है। एक बार जब आप प्रतिबद्ध हो जाते हैं, तब आपको लगातार अभ्यास करने की आवश्यकता होती है। उत्पादकता के लिए अभ्यास क्रिया से ही संभव है। आखिरकार इवेलिन वॉ ने जो कहा था वह बात आज सच मालूम होती है, “आपके कार्य और सिर्फ आपके कार्य ही तय करते हैं कि आप कितने लायक हैं।”

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