मुश्किल दौर में अपना संयम बनाए रखने के लिए अपनाएं ये 6 तरीके

मुश्किल दौर में संयम बनाए रखने के लिए अपनाएं ये तरीके

मुश्किल की घड़ी में शांति बरकरार रखना अपने आप में एक कौशल है। ये कौशल ही लोगों की भीड़ में भी बता देता है कि इसमें से विजेता कौन है। यह एक ऐसा गुण है, जो ज़िंदगी को बचाने और तर्कसंगत फैसले लेने आपकी सहायता कर सकता है। वो भी तब, जब इसकी ज़रूरत महसूस होती है।

जब कभी कोई मुश्किल की घड़ी आती है, तो आमतौर पर हमारे ज़ेहन में सबसे पहले एक ही काम सूझता है। वह और कुछ नहीं करते, बस हम सभी लोग घबरा जाते हैं। हमारी नींद गायब होनी शुरू हो जाती है। हर छोटी-सी-छोटी चीज़ के बारे कुछ ज्यादा ही सोचने लगते हैं और निरंतर तनाव में रहने लगते हैं। इसकी वजह से हम पूरी तरह टूट कर बिखरने लगते हैं। इसमें कोई हैरानी की बात नहीं है कि हम अक्सर खुद को एक हताश और निराशा भरे माहौल में डूब जाते हैं। दूर-दूर तक कहीं भी उम्मीद की किरण नज़र नहीं आती है। जीवन में आने वाले इस तरह के मुश्किल भरे दौर के दरम्यान कोई कैसे शांत और सुकून पूवर्क रह सकता है। मिसाल के तौर, जब लंबे समय से चला आ कोई रिश्ता अचानक खत्म हो जाता है या किसी की नौकरी छूट जाती है और कर्ज का बोझ सिर पर चढ़ा हो या जब हम शेयर मार्केट में पैसा डूबे देते हैं, ये चंद उदाहरण है, जो हमारी चिंता और तनाव की बड़ी वजह बन सकते हैं। साथ ही ये हमारी सुकून भरी जिंदगी में उथल-पुथल ला देते हैं।

इतिहास साक्षी है कि सभी महान व्यक्ति चाहे वह कोई सफल इंसान हो, नेता हो या कोई उद्यमी, सभी लोगों ने अपने मुश्किल भरे दौर में अपना संयम बरकरार रखा और स्थिति को भांपते हुए बड़े ही सोच-विचार कर परिस्थितियों का सामना किया। इन व्यक्तियों ने कभी अपना धैर्य नहीं खोया और आवेश में आकर कोई फैसला नहीं लिए। इसकी बजाय इन लोगों की मनोवैज्ञानिक मुस्तैदी और मानसिक तत्परता ने उन्हें तनाव मुक्त रहने और किसी भी तरह के प्रेशर के बीच बैलेंस रहने के लायक बनाने में मदद की।

मुश्किल (Difficult) की घड़ी में शांति बरकरार रखना अपने आप में एक कौशल है। ये कौशल ही लोगों की भीड़ में भी बता देता है कि इसमें से विजेता कौन है। यह एक ऐसा गुण है, जो जिंदगी को बचाने और तर्कसंगत फैसले लेने आपकी सहायता कर सकता है। वो भी तब, जब इसकी जरूरत महसूस होती है। लेकिन, सबसे अच्छी बात ये है कि कोई भी व्यक्ति सही नजरिया और अपने समर्पण भाव की बदौलत संयम बरकरार रखने की कला सीख सकता है। साथ ही वह जीवन में शांत और आत्मविश्वासी रहने के गुण को भी हासिल करने में सफल हो सकता है। इस लेख में जानें उन तरीकों के बारे में, जो संकट की घड़ी में आपका संयम बरकरार रखने में मदद कर सकते हैं।

मुश्किल की घड़ी में गहरी सांस लें (Mushkil ki ghadi mein gehri saans len)

अगर सुबह-सुबह कोई अशुभ समाचार सुनने को मिले, तो घबराने की बजाय आप थोड़ी गहरी सांस लें। यह आपके संयम को बरकरार रखने, शांतचित रहने और संतुलित बनाने के लिए सबसे पहला और प्रभावशाली तरीका है। हार्वर्ड के रिसर्च के मुताबिक, जब आप अंतर्मन से गहरी सांस लेते हैं, तो इससे आपको सकारात्मक भावनाओं की अनुभूति हो सकती है। साथ ही यह आपकी स्मरण शक्ति के लिए भी काफी फायदेमंद हो सकता है।

आपका ध्यान भंग करने वाले विचारों और उत्तेजनाओं से निजात दिलाने में भी सहायक है। अगर आप गहरी सांस लेते हैं तो यह आपको तनाव से कोसों दूर रखने और आपके मन-मस्तिष्क को शांत रखने में काफी मददगार साबित हो सकता है। इससे आप खुले दिमाग से चीजों को देख-समझ सकते हैं। इसलिए आगे से जब भी आपको लगे कि आप किसी चीज को लेकर परेशान हैं, तो यह उपाय अपना सकते हैं। साथ ही आगे कोई भी फैसला लेने से पहले थोड़ी देर ठहरें और फिर गहरी सांस लें।

अधिक सोचें (Adhik na sochen)

जब कोई काम हमारे मन मुताबिक नहीं होता है, तो दिमाग में नकारात्मक ख्याल आने शुरू हो जाते हैं। फिर इसको लेकर हम लोग कुछ ज्यादा ही सोचने लगते हैं। धीरे-धीरे हम  सोच के गहरे समुद्र में समा जाते हैं और खुद को फंसा हुआ महसूस करने लगते हैं। एक बार जब आप इस सोच की गहराई में डूब जाते हैं तो उससे पार पाना काफी मुश्किल काम लगता है। अधिक सोचने के चक्कर में आपकी सारी एनर्जी और शांति पूरी तरह भंग हो जाती है। मुश्किल की घड़ी में संयम बरकरार रखने के लिए आपको सबसे पहले अपने विचारों पर नियंत्रण रखने की आवश्यकता है। इस बात का ख्याल रखें कि इस तरह की सोच आपको कभी सकारात्मकता की ओर से ले जा सकती है। इससे सिर्फ और सिर्फ आपका कीमती समय बर्बाद होता है। आपका यह व्यवहार आपको तनावग्रस्त बना सकता है। अगर आपने आज से ही अधिक सोचना बंद कर दिया, तो यकीन मानिए आपकी आंतरिक शांति और संयम कभी भंग नहीं हो पाएगी और खुद भी अंदर से मजबूत महसूस करेंगे।

अपनी सकारात्मकता बरकरार रखें (Apni sakaratmak barkarar rakhen)

शांत रहने का मतलब चुपी साधना नहीं है, बल्कि शांत रहने के मायने यह है कि आप विपरीत परिस्थितियों का सामना करते हुए कितनी देर तक खुद को सकारात्मक बनाए रख पाते हैं। यह एक नेतृत्वशाली व्यक्ति की सबसे बड़ी और सबसे अहम खूबियों में से एक है, जो तमाम विपरीत परिस्थितियों से जूझने के बाद भी अपना शांति और संयम बरकरार रखता है। उम्मीद की किरण देखने और आशावादी बने रहने में ही सकारात्मकता है। यह एक तरह से आशावादी बनने रहने और जीवन में सकारात्मक दृष्टिकोण रखने से जुड़ा है। दरअसल, आने वाले दिन में क्या होगा, किसी को पता नहीं है और न ही आप उसे बदल सकते हैं। फिर भी अपनी सोच, अपनी प्रतिक्रिया और अपनी परिस्थितियों को देखने के नजरिए में आप फेरबदल कर सकते हैं। इसलिए अगर आप चाहते हैं कि आप शांतचित और संयमित रहें तो आपके हालात कितने ही खराब क्यों न हो, हमेशा आगे बढ़ने का प्रयास जारी रखना चाहिए। हमेशा जीवन के सुनहरे पक्ष को देखना सीखें।

उन लोगों से बात करें, जिन पर आप विश्वास करते हैं (Un logon se baat karen, jin par aap vishwas karte hain)

मुश्किल की घड़ी में अगर आप अपने बूते शांत नहीं रह पाते हैं, तो आप कुछ ऐसे लोगों की तलाश करें, जिन पर आपको पूरा भरोसा है। इस स्थिति में चाहें तो आप अपने सबसे करीबी दोस्त या रिश्तेदार को कॉल कर सकते हैं। उन लोगों के साथ अपनी पीड़ा और परेशानी को शेयर कर सकते हैं। यह बात अपने मन से बिल्कुल निकाल दें कि वे लोग आपके बारे में क्या सोचेंगे। वे ऐसे लोग हैं जो आपसे काफी गहरा लगाव रखते हैं और आपका हमेशा भला ही सोचते हैं। जब आपकी जिंदगी में कुछ अच्छा नहीं चल रहा हो और भीतर पूरी तरह उथल-पुथल मची हो तो वे आपके साथ चट्टान की भांति खड़े हो सकते हैं। इसके अलावा आप ऐसे लोगों को बताएं कि उनकी सलाह आपके लिए कितनी मायने रखती है। अगर आप चाहते हैं कि वे सिर्फ सुनें, तो उन्हें जरूर बताएं. कभी-कभार अपने अंदर की भड़ास निकाल देने के ही हम सामान्य हो पाते हैं। एक बार जब अंदर से यह कुंठा बाहर निकल जाती है तो हम काफी सजग हो जाते हैं और चीजों को अधिक तर्कसंगत और निष्पक्ष रूप से देखने की क्षमता विकसित कर पाते हैं।

अपने दिलोदिमाग को खुला रखें (Apne dilo-dimag ko khula rakhen)

कई सूचनाएं काफी सुखद होती हैं, जिसे सुनने के बाद मन प्रसन्न हो जाता है। लेकिन, कई सूचनाएं ऐसी होती हैं, जिसे सुनना काफी मुश्किल भरा होता है। ये आपको भीतर से इस कदर झकझोर देती हैं कि आप असहाय महसूस करने लगते हैं। साथ ही आप इनसे काफी अभिभूत हो जाते हैं। ऐसे विपरीत हालात में खुद को शांत और संयमित रखना ही सबसे उपयुक्त विकल्प है। इससे पहले कि आप नकारात्मकता के गहरे दलदल में फंसें, आपको अपने भीतर की शांति को संभालने के लिए कोई उपाय करना शुरू कर दें। जब भी आपको लगें कि आपके नकारात्मक विचार आप पर हावी हो रहे हैं, तो तुरंत आप बाहर टहलने के लिए निकल जाएं। साथ ही अपने दिलो-दिमाग को नकारात्मक सोच से उबारने के लिए थोड़ी देर तक दौड़ें। आपको यकीन नहीं होगा कि प्रकृति के बीच बिताए आपके ये 20 मिनट आपके लिए कितना फायदेमंद साबित हो सकता है। हार्वर्ड हेल्थ पब्लिशिंग की मानें, तो प्रकृति के बीच कुछ पल व्यतीत करने से तनाव वाले हार्मोन को कम करने में काफी मदद मिलती है। आप मन शांतचित और संयमित रहेगा, जो आपसे कोसों दूर थे। प्रकृति के बीच रहने से आपके नकारात्मक विचारों को शांत करने में भी मदद मिलती है। आप इन विचारों को त्याग क आशावादी बनें। अगर आप ऐसा करते हैं तो पाएंगे कि आप पहले से बेहतर महसूस कर रहे हैं और चीजों को बेहतर ढंग से सोच-समझ पा रहे हैं।

इस बारे में विचार करें कि आप क्या नियंत्रित कर सकते हैं (Iss bare mein vichar karen ki aap kya niyantrit kar sakte hain)

मुश्किल घड़ी में शांति और संयम बरकरार रखने का एक सबसे बेहतर उपाय यह है कि आप खुद से सवाल करें कि आप शांति बनाए रखने के लिए क्या कर सकते हैं और भंग होने की स्थिति में आप इसे कैसे नियंत्रित कर सकते हैं। आमतौर पर उन चीजों को लेकर कुछ ज्यादा ही सोचने लगते हैं जो हमारे सामर्थ्य से बाहर की बात होती है। मिसाल के तौर पर मौसम, खाने का स्वाद या हमारे साथ काम करने वाले लोग हमारे बारे में क्या राय रखते हैं। दरअसल, इन चीजों को आप बदल नहीं सकते हैं। काम के दौरान अपना सर्वश्रेष्ठ देना,आपके हाथ में हो सकता है। लेकिन, इसके लिए एवज में जो प्रतिक्रिया और आलोचना मिल सकती है, वह आपके हाथ में नहीं है। आप चाहें तो यूरोप घूमने की योजना बना सकते हैं, यह आपके हाथ में भी है। लेकिन, अचानक से ऐसी कोई बात हो जाती है, जिससे यात्रा टालनी पड़ जाती है, यह आपके हाथ में नहीं है। इस फर्क को समझना बहुत जरूरी है। जब भी लगे कि आप विपरीत परिस्थितियों के बीच फंस गए हैं, तो सबसे पहले अपने आप से सवाल करें कि आप इस स्थिति पर कैसे काबू पा सकते हैं। अगर हां, तो क्या चिंता मात्रा ही इसका एकमात्र समाधान है? अगर आप इस तरह के सवाल खुद से पूछते हैं तो ये आपको अपनी शांति बरकरारर रख पाने और तर्कसंगत और आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ने के लिए प्रेरित कर सकते हैं।

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