बातचीत शुरू करें

कुछ कहें, कुछ सुनें: स्वस्थ रहना है तो दिल खोलकर बात करें

हममें से जाने कितने ही लोग ऐसे होंगे जो दूसरों की तुलना में मानसिक रूप से इतने मजबूत नहीं है, ऐसे में उन्हें एक साथ की ज़रूरत होती है। उन्हें ऐसे इंसान की ज़रूरत होती है जो उन्हें समझ सके और भावनात्मक सहानुभूति दे सके।

हम लोगों में से जाने कितने ही लोग ऐसे हैं, जो बहुत सारे लोगों के बीच रहने के बावजूद भी खुद को अकेला महसूस करते हैं। इतने सारे लोगों के बीच होने के बाद भी, यह अकेलापन इसलिए है, क्योंकि उन सब लोगों में से ऐसा एक भी शख्स नहीं जिससे हम अपने मन की सारी बातें खुल कर कह सकें। या यूं कहें कि हमने उस भीड़ में से कभी ऐसा इंसान चुनने की कोशिश ही नहीं की, जिससे हम अपना सुख-दुख बांट सकें।

ऐसा सिर्फ हमारे साथ ही नहीं दुनिया में मौजूद हर इंसान के साथ होता है कि उसे एक इंसान की ज़रूरत होती है, जिससे वो अपने मन की सारी बातें कह सके। एक-दूसरे से खुलकर बातचीत करना, न केवल हमारे मन को हल्का करता है, बल्कि मानसिक तौर पर हमें स्वस्थ रहने में मदद करता है।

एक-दूसरे से बातचीत करना इतना ज़रूरी है कि इस बात का महत्व समझने के लिए एक दिन मनाया जाता है, जिसे हम बातचीत शुरू करने का दिन या (Start the Conversation Day) के नाम से जानते हैं। बातचीत शुरू करने का दिन मुख्य रूप से मानसिक स्वास्थ्य की देखभाल के लिए मनाया जाता है। तो चलिए इस दिन से संबंधित और बातें जानते हैं, साथ ही बातचीत करना कितना ज़रूरी है इसके बारे में भी बात करते हैं।

स्टार्ट द कन्वर्सेशन डे क्यों मनाते हैं? (Start The Conversation Day kyun manate hain?)

हर साल 3 जुलाई को बातचीत शुरू करने का दिन मनाया जाता है। इस दिन को मनाने का उद्देश्य, अपने किसी जानने वाले या किसी दोस्त से उनके मानसिक स्वास्थ्य के बारे में बातचीत करना है। हममें से जाने कितने ही लोग ऐसे होंगे जो दूसरों की तुलना में मानसिक रूप से इतने मजबूत नहीं है, ऐसे में उन्हें एक साथ की ज़रूरत होती है। उन्हें ऐसे इंसान की ज़रूरत होती है जो उन्हें समझ सके और भावनात्मक सहानुभूति दे सके। इसलिए अपने दोस्तों और परिवार के लोगों से हमेशा बातचीत करना बहुत ज़रूरी है, ताकि उन्हें हमारे रहते कभी अकेलापन महसूस न हो और उन्हें पता चले कि हम उनकी परवाह करते हैं।

यह दिन केवल अपने खास लोगों से ही नहीं बल्कि दूसरों से भी, बिना किसी हिचकिचाहट या बिना किसी डर के संवाद या बातचीत करने के लिए प्रोत्साहित करता है। यह दिन एक-दूसरे को समझने का दिन है, एक-दूसरे से बातें करने का दिन है और मानसिक रूप से बीमार लोगों को समाज का हिस्सा बने रहने देने का दिन है। उनका साथ दें, उन्हें समझें और भावनात्मक जुड़ाव महसूस होने दें।

बातचीत शुरू करने के दिवस का इतिहास (Baatcheet shuru karne ke divas ka itihaas)

इस दिन के इतिहास के बारे में कोई सटीक जानकारी तो इतिहास में नहीं दी गई है, पर इस दिन को मनाने का मुख्य उद्देश्य मानसिक स्वास्थ्य सप्ताह से शुरू होता है। इस दिन का महत्व यही है कि हम सब एक-दूसरे के मानसिक स्वास्थ्य का ख्याल रखें और एक दूसरे से बातचीत करना न छोड़ें। कहते हैं कि हर व्यक्ति को अपनी भावनाओं को नियंत्रित करना आना चाहिए, पर जब भावनाओं का बोझ बढ़ जाए तो उसे कह कर हल्का हो जाना भी ज़रूरी है। और इस बोझ को हल्का बातचीत के माध्यम से किया जा सकता है।

हमारे अपनों को है हमारी ज़रूरत (Humare apnon ko hai humari zaroorat)

कई बार, कुछ लोगों के बहुत नज़दीक रहने के बाद भी हम यह नहीं जान पाते कि भावनात्मक रूप से वे लोग कैसा महसूस कर रहे हैं या वे अपने अंदर ही अंदर कैसे हालातों से लड़ रहे हैं। इस बात की जानकारी हमें जब होती है तब तक या तो परिस्थिति हमारे हाथ से निकल चुकी होती है या कोई अनहोनी घट चुकी होती और तब हमारे पास सिवाय अफसोस के कुछ नहीं बचता। 

इसलिए समय रहते हमें यह जान लेना चाहिए कि अपनों से बातचीत करना कितना ज़रूरी है। बातचीत करना नेगेटिविटी को दूर करना है और यह हमें सकारात्मकता की ओर ले जाता है। इसलिए हमेशा अपने करीबियों से समय-समय पर उनके हाल-चाल पूछते रहें। उन्हें यह एहसास कराते रहे कि आप हमेशा उनके साथ हैं। बातचीत करने के बहाने ढूंढते रहें। उनके मन की बात बाहर लाने के लिए उन्हें पूरा विश्वास और भरोसा दें। 

हमने अपने दिल की कही क्या? (Humne apne dil ki kahi kya?)

हममें से कुछ लोगों की आदत ऐसी होती हैं, जो हमेशा दूसरों के दुख-सुख बांटने के लिए तैयार रहते हैं और अपनी बारी आने पर अकेले ही सब कुछ सहना पसंद करते हैं। अकेले सब कुछ सहकर बहादुरी दिखाना अच्छी बात है पर दूसरों से अपने मन का दुख-सुख बांटना उससे भी अच्छी बात है। 

हमें कभी भी किसी भी हालात में दूसरों से बातचीत करना बंद नहीं करना चाहिए। जब हम दूसरों को मानसिक सहयोग देते हैं, तो दूसरे बहुत हद तक अच्छा और हल्का महसूस करते हैं, वैसे ही हमें भी मानसिक रूप से अच्छा और हल्का महसूस करने की ज़रूरत होती है। बहुत बार ऐसा होता है कि हम दूसरों से अपने मन की बात कहना तो चाहते हैं पर यह सोच कर रुक जाते हैं कि क्या पता सामने वाला हमारी बातें सुनना भी चाहता है या नहीं? पर मैं आपको बता दूं कि हर इंसान दूसरे की बात सुनने के लिए तैयार होता है, हमें तो बस एक बार कोशिश या शुरुआत करनी होती है। एक-दूसरे से बातचीत करना मन को बहुत हल्का कर देता है, और हमें शारीरिक रूप से भी स्वस्थ रहने में मदद करता है। बातचीत करने के बाद की खुशी (Happiness) मन को सुकून देती है। 

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