कृतज्ञता का अर्थ है किसी के प्रति आभार व्यक्त करना या धन्यवाद करना। कृतज्ञता आपको सकारात्मक सोचने, कठिन परिस्थितियों से लड़ने, शांत रहने, खुश रहने में मदद कर सकती है। आप आभार व्यक्त करके अपनी परिस्थिति को अपनाने और दूसरों के प्रति ईर्ष्या भाव को खत्म कर सकते हैं। आभारी होने से आप कठिन समय का भी आसानी से सामना कर सकते हैं। जीवन में बेहतर परिणाम के लिए एक्सपर्ट आभार जताने का अभ्यास करने की सलाह देते हैं, जिससे आपको जीवन जीने का सही तरीका सिखाती है और कई अवसरों के साथ आपका दरवाजा खटखटाती है।
एम्मन्स और मैकुलॉ के अध्ययन के मुताबिक, कुछ लोगों को आभार लिखने के लिए एक डायरी रखने के लिए कहा गया, “जो लोग साप्ताहिक आधार पर कृतज्ञता (Thankfulness) अपनी डायरी में नोट करने का अभ्यास करते थे, वे कम बीमार रहते थे। अपने जीवन को लेकर सकारात्मक महसूस करते थे और अपने अतीत की परेशानियों को याद करने की बजाय अपने भविष्य को बेहतर बनाने के बारे में सोचते थे।” कृतज्ञता एक औषधि जैसी है, जो जीवन के प्रति आपके नज़रिए को ही नहीं बदलती है बल्कि आपको सेहतमंद भी रखती है।
यूसी सैन डिएगो स्कूल ऑफ मेडिसिन के विशेषज्ञों ने अपने शोध में आभार और स्वास्थ्य के बीच में सीधा रिश्ता पाया है। रिसर्च के लेखक पॉल जे मिल्स, रोजाना कृतज्ञता का अभ्यास करने वाले लोगों के बारे में लिखते हैं कि, “उनमें एक बेहतर बदलाव देखने को मिला, जैसे- डिप्रेशन में कमी, थकान में कमी और बेहतर नींद आना। आभार व्यक्त करने से मैं खुद में और आस-पास में तनावमुक्त जुड़ाव महसूस करता हूं।”
जिस तरह आपको एक अच्छी आदत को अपनाने के लिए उसे बार-बार दोहराना होता है, उसी तरह से ही कृतज्ञता भी आपके प्रयास से धीरे-धीरे आपकी आदत बन जाएगी। यहां पर 9 सरल तरीके दिए गए हैं, जिससे आप अपने ग्रेटीट्यूड को अपनाते हुए जीवन को बेहतर बना सकते हैं।
आत्म परीक्षण के लिए करें खुद से सवाल (Aatm parikshan ke liye karen khud se sawal)
खुद से कुछ सवाल करें, जैसे- ‘क्या मैंने उन्हें शुक्रिया कहा?’ ‘मैं आज किन बातों के लिए खुश हूं?’ ‘क्या मैं अपने जीवन से खुश हूं?’ जब आप ऐसे सवाल करेंगे, तो आपको समझ आएगा कि आपको क्या करना है और क्या नहीं! हम अक्सर अपने जीवन में कुछ बड़ा हासिल करने की कोशिश में अच्छी चीज़ों को दरकिनार कर देते हैं। आत्म परीक्षण करने से आप आज में जीते हैं और हर छोटी चीज़ के लिए ग्रेटीट्यूड व्यक्त करते हैं।
डायरी में आभार लिखने की आदत डालें (Dairy mein aabhar likhne ki aadat dalen)
आप अपने जीवन की छोटी से बड़ी हर वो चीज़ एक डायरी में लिखें और उनके प्रति आभार व्यक्त करने का अभ्यास करें, जिससे आपको खुशी मिलती है। अब यह चाहे प्रमोशन जैसी बड़ी चीज़ हो या पसंदीदा संगीत सुनने जितनी छोटी बात हो। यह आभार व्यक्त करने के सबसे अच्छे तरीकों में से एक है। इस डायरी में अपनी रोज़ की घटनाएं लिखें और आप जिन बातों के लिए कृतज्ञ हैं, वो लिखें। इससे आप तनावमुक्त और बेहतर महसूस करेंगे।
दूसरों की मदद करने के लिए रहें तैयार (Dusron ki madad karne ke liye rahen tyaar)
बिना किसी स्वार्थ या कारण के दूसरों की मदद करना एक तरह से स्वयंसेवा ही है, जब आप दूसरों के प्रति दया भाव रखते हैं, तो बदले में आपको आत्मसंतुष्टि मिलती है। यह अपनों को कुछ वापस देने और नए लोगों से मिलने व उन्हें समझने का एक बेहतरीन ज़रिया है।
अक्सर हम स्वयंसेवा का मतलब आपदा या बुरे वक्त में किसी की मदद करना ही समझते हैं। लेकिन अब आप अपना नज़रिया बदल लीजिए, क्योंकि इसके और भी तरीके हैं। जैसे- समुद्र तट पर पड़े प्लास्टिक की बोतलें उठाना, सड़कों की सफाई में भाग लेना, पंछियों के लिए पानी और दाना रखना या बेघरों के लिए खाने की व्यवस्था करना। यहां पर आपकी स्वयंसेवा छोटी या बड़ी नहीं, बल्कि आपकी कृतज्ञता और दया भाव को दर्शाती है।
खुशियां बांटने से बढ़ती है (Khushiyan batane se badhti hai)
आपने सुना ही होगा कि खुशियां बांटने से बढ़ती है। यह खुशियां छोटी हो या बड़ी अपने परिवार और दोस्तों से सबकुछ साझा करना चाहिए और इन उपलब्धियों का आभार व्यक्त करना चाहिए। आप उन्हें बताए कि आप उनके प्रेम और सहयोग के लिए कितने कृतज्ञ है। जब आप ऐसा करते हैं, तो आप बहुत अच्छा महसूस करेंगे। साथ ही आपको समझ में आएगा कि आप जीवन में अकेले नहीं है, यही वो लोग हैं जो ज़रुरत के वक्त आपकी सहायता करेंगे। यही सोच ही आपको खुद पर भरोसा करने और सफलता हासिल करने के लिए प्रेरित करेगी।
कृतज्ञता का अभ्यास ध्यान कर करें (Kritagyata ka abhyas dhyan ka karan)
आजकल मेडिटेशन यानि कि ध्यान लगाना सबसे अच्छा व्यायाम माना जाता है। जब बात आभार व्यक्त करने जैसी अच्छी आदत की आती है, तो यह बहुत ज़रूरी हो जाता है। यह कृतज्ञता अभ्यास करने का एक अच्छा तरीका है। मेडिटेशन न तो बहुत मुश्किल है और ना ही आपको इसके लिए किसी विशेष वातावरण या उपकरण की ज़रुरत होती है। यह आप टहलते घूमते या बिस्तर पर लेटे हुए भी कर सकते हैं। इसके लिए केवल आप उन चीज़ों के बारे में सोचना है, जिनके आप शुक्रगुजार हैं। जब भी आप अपने इन पलों के बारे में सोचते हैं, तो आप अपने पूरे जीवन के मूल्य व नैतिकता को समझ पाते हैं। कृतज्ञता मेडिटेशन हर रोज करने से आप अपने जीवन के प्रत्येक छोटे बड़े पहलू के लिए कृतज्ञ महसूस करते हैं। जो आपके मानसिक स्वास्थ्य के लिए अच्छा है।
सभी छोटी चीज़ों की सराहना करें (Sabhi choti chizon ki sarahna karen)
आपने हमेशा अपनी किसी बड़ी जीत के लिए आभार व्यक्त किया होगा, लेकिन छोटे पलों को आपने कितना सराहा है। इन छोटी चीज़ों के प्रति खुशी को व्यक्त करिए, इन्हीं लम्हों में असली खुशी छुपी हुई है। छोटे पलों से मतलब है, जैसे सुबह जल्दी उठने की खुशी, खुद के लिए कुछ टेस्टी बनाना, अच्छे मौसम में टहलना, आपके जॉब की खुशी। अपने जीवन के प्रत्येक पल के लिए आभार व्यक्त करें। इन सभी को हल्के में लेने की बजाय कृतज्ञता व्यक्त करें कि आप कितने भाग्यशाली हैं।
जीवन के अच्छे पहलू को देखें (Jivan ke achhe pahlu ko dekhen)
जब तक जीवन में सबकुछ सही चलता है, तब तक हम खुश और आभारी होते हैं। लेकिन जैसे ही हम बुरे वक्त से गुजरते हैं, वैसे ही हम कृतज्ञता को नहीं दर्शा पाते हैं। इस बारे में बौद्ध धर्म में भी कहा गया है कि चुनौतियां या प्रतिकूल परिस्थिति ही हमें एक मज़बूत व्यक्ति बनाती है। अगर आप इस विचारधारा को अपने जीवन में उतार लें। खराब परिस्थितियों में भी जीवन के अच्छे पहलू को देखने का नज़रिया हमें सकारात्मक रास्ता दिखाता है।
जिनकी आप परवाह करते हैं, उनसे बात करें (Jinki aap parwah karte hain unse baat karen)
जिस तरह से किसी को हंसता हुआ देख हंसी और रोता देख रोना आ जाता है, उसी तरह से भावनाओं की कृतज्ञता भी है। यदि आप कभी क्रोधित या उदास होते हैं, तो उस पल कृतज्ञ रह पाना काफी मुश्किल हो सकता है। ऐसी स्थिति में आपको उन लोगों से बात करनी चाहिए, आप जिनकी परवाह करते हैं। उनके साथ बिताए हुए यादगार अच्छे पलों के बारे में बात करिए। इससे न सिर्फ आपका मूड फ्रेश होगा, बल्कि दोनों के बीच में इमोशनल बॉन्डिंग भी बढ़ेगी।
परफेक्ट होने से बेहतर है सुधार पर फोकस करना (Perfect hone se behtar hai sudhar par focus karna)
जब आपके पास समय सीमित हो और किसी काम को पूरा करना हो, तो आप एक अलग ही दबाव महसूस करेंगे। आप उस दबाव में भी काम को परफेक्ट करने का पूरा प्रयास करते हैं। लेकिन हमें परफेक्शन की बजाय अपने काम के सुधार की तरफ देखना चाहिए। जब भी हम सुधार की ओर देखेंगे, तो पता चलेगा कि इससे आपके परिणाम में बेहतरी आ रही है। कई बार हम भविष्य के परिणाम को लेकर परेशान रहते हैं, लेकिन हमेशा याद रखिएगा कि या तो आप जीतते हैं या फिर सीखते हैं। सिर्फ यही सोच आपको आपकी सफलता और खुशियों की तरफ ले जाएगा।