खुशियों का खजाना

डिनर टेबल पर अच्छा खाना और परिवार का साथ, यही तो है खुशियों का खजाना

खाने के समय या फिर डिनर टेबल पर अच्छा खाना मिले भला ये कौन नहीं चाहता, हर किसी की ख्वाइश रहती है कि उसे खाने में स्वादिष्ट भोजन मिले। लेकिन, कई लोगों की ये चाहत होती है कि खाने की टेबल पर स्वादिष्ट भोजन के साथ परिवार वालों का साथ भी मिले।

जब भी मैं याद करती हूं कि मैंने परिवार के साथ खुशगवार दिन कब गुज़ारे थे, तो मुझे छुट्टियों के दिनों की याद आ जाती है। ऐसा सिर्फ इसलिए नहीं होता, क्योंकि मुझे नई-नई जगहों को तलाशना पसंद है, बल्कि ऐसा इसलिए भी है क्योंकि यही एकमात्र ऐसा समय होता था, जब हम परिवार के सभी सदस्य सुबह के नाश्ते से लेकर रात के खाने तक एक साथ होते थे और हम साथ मिलकर एक साथ खाना खाते थे। ये उन खास लम्हों में से एक था जब मेरे परिवार के सभी सदस्य काफी खुश थे। काश ऐसा होता कि हम अभी भी एक साथ घर पर डिनर टेबल पर बैठकर खाना खा सकते।

दुख की बात तो ये है कि ये कहानी सिर्फ मेरे परिवार की नहीं है। बल्कि कई लोगों के घरों में भी ऐसा ही होता है। सुबह का ब्रेकफास्ट बमुश्किल ही लोग एक साथ बैठकर कर पाते हैं। किसी को ऑफिस जाने की जल्दबाजी है, तो किसी को स्कूल जाने की। ले देकर संडे का लंच टाइम ही बचता है, लेकिन इस बीच भी परिवार के सदस्यों को कुछ न कुछ काम आ जाता है। लेकिन, डिनर का क्या? मुझे यकीन है कि हम में से ज्यादातर लोगों के पास रात्रि का ये भोजन साथ में नहीं करने का कुछ खास बहाना नहीं होगा। दुर्भाग्य की बात ये है कि कई मॉर्डन फैमिली के लोग भी एक साथ खाना नहीं खा पाते, ऐसा इसलिए है क्योंकि किसी को खाने के साथ अपना फेवरेट शो देखना है, तो किसी को कोई और काम करना है।

वैसे पहले की बात करें तो कई संस्कृतियों में इस बार का जिक्र है कि वे लोग परिवार के सदस्यों के साथ मिलकर खाना खाते थे। वहीं परिवार के साथ डिनर टेबल पर बिताए समय को वे लोग सबसे कीमती समय के रूप में भी देखते थे। खैर, लंडन में पढ़ने के दौरान मैं फ्रेंच फैमिली के साथ रहती थी। सबसे खास बात ये कि हर रोज रात में दोनों पति-पत्नि अपने दो नाबालिग बच्चों के साथ न केवल खाना बनाते थे, बल्कि साथ में खाते भी थे। इतना ही नहीं, जब भी उनके घर में कोई अतिथि आते थे, तो वे मुझे भी साथ में खाना खाने के लिए निमंत्रण देना नहीं भूलते थे। मैं शाकाहारी हूं, इसलिए वो मेरे लिए खासतौर पर शाकाहारी खाना बनाते थे, ताकि मैं भी उनके साथ खाना खा सकूं। जबकि फ्रेंच लोगों के लिए शाकाहारी खाना बनाना उतना आसान नहीं होता, बावजूद इसके वे खाना बनाते थे।

मेरी मकान मालिकिन ने मुझसे एक बार बोला था, हम फ्रेंच हैं, हमें खाना बनाना काफी ज्यादा पसंद है। इतना ही नहीं हमें दोस्तों और परिवार के सदस्यों के साथ खाना उससे भी ज्यादा पसंद है। हाल ही में मेरी बेटी को हायर स्टडीज के लिए होम टाउन छोड़ना पड़ा। बावजूद इसके मेरी बेटी ने भी इस परंपरा को नहीं छोड़ा। वो फोन कर मुझे बताती है कि आज भी वो अपने नए फ्लैटमेट्स, दोस्तों के साथ एक साथ खाना खाती है। दोस्तों के साथ खाना बनाने और साथ में खाना इंज्वाय करते समय की मेरी बेटी तो मुझे हर रोज फोटो भी भेजती है, मैं भी ये सब देख काफी खुश होती हूं। उसके साथ में रहने वाले बाकी के सदस्य सभी दूसरे देशों से हैं, कोई पुर्तगाल से है तो कोई अलजीरिया, जमैका और स्पेन से। बावजूद इसके सभी को एक साथ में भोजन करना काफी ज्यादा पसंद है।

मेरी मकान मालिकिन के अच्छे संस्कार ही हैं कि उन्होंने अपनी बेटी को अच्छे सीख दिए। यही वजह भी है कि उनकी बेटी न केवल खाना बनाती है, बल्कि अपने दोस्तों के साथ मिलकर खाना खाती भी है। ऐसा कर अकेले रहने के बावजूद उसने अपना एक परिवार भी बना लिया है। वहीं कभी कबार वो खाना ऑर्डर भी कर देती है। मैं तो इन्हें देखकर बस ये ही कहना चाहूंगी कि डायनिंग टेबल पर एक साथ खाने की परंपरा के कारण इनकी बेटी में अच्छे संस्कार आए हैं। एक शोध के अनुसार, हमें ये पता चला है कि वैसे परिवार के लोग जो साथ में खाना खाते हैं उनमें करीब 35 फीसदी बच्चों को बाहर का अनहेल्दी खाना पसंद नहीं आता है। वहीं, इनमें करीब 24 फीसदी बच्चे ऐसे हैं जिन्हें न्यूट्रीशन से भरपूर खाना बहुत पसंद होता है। भला इससे बेहतर और कौन सा तरीका हो सकता है डाइट के बारे में पता करने का, बल्कि बेहतर तरीका तो ये है कि खुद हेल्दी खाना बनाएं और खाएं।

अच्छा खाना खुद-ब-खुद ही परिवार के अन्य लोगों को डिनर टेबल की ओर खींच लाता है। वहीं, सभी भरपूर जोश के साथ डिनर टेबल पर खाने का लुत्फ उठाते हैं। वहीं कुछ लोगों के लिए डिनर टेबल पर साथ में खाना खाने का मतलब फैमिली बॉन्डिंग को और मज़बूत करना है। पेशे से आईटी प्रोफेशनल निखिल एमएम बताते हैं कि मुझे बचपन से ही परिवार के साथ में खाना बहुत पसंद है। मेरे अनुसार, डिनर टेबल एकमात्र ऐसी जगह होती है, जहां पर आप परेशानियों में हो तो वो शेयर कर सकते हैं और यदि आप किसी प्रकार की खुशी की बात शेयर करना चाहते हैं, तो वो भी कर सकते हैं। परिवार के साथ में हम बात करते-करते ये परवाह भी नहीं करते कि हम खा क्या रहे हैं, परिवार के साथ भोजन करने पर हमें पता भी नहीं चलता।

खैर, जो लोग साथ में खाते हैं उनके बीच की बॉन्डिंग काफी अच्छी होती है। एक अन्य शोध के अनुसार, चाइल्ड डेवलप्मेंट एक्सपर्ट एलिन गेलेंस्की ने करीब हजार बच्चों से बात कर एक सवाल पूछा, अगर मैं तुम्हें कोई भी एक चीज़ मांगने के लिए कहूं आपके पेरेंट्स के बारे में, तो आप क्या मांगोगे? इसपर ज्यादातर पैरेंट्स का यही मानना था कि उनके बच्चे यही जवाब देंगे कि हम चाहते हैं कि हमारे पेरेंट्स हमारे साथ ज्यादा से ज्यादा समय बिताएं। लेकिन, इस मामले में उनके पेरेंट्स गलत थे, उनके बच्चे तो ये चाहते थे कि हमारे माता-पिता टेंशन कम लें। वहीं, दिनभर काम करने की थकान के बाद डिनर टेबल पर उन्हें बच्चों से बात करना चाहिए।

ज़रूरी नहीं कि आप डिनर टेबल पर परिवार के सदस्यों के साथ लंबा समय बिताएं। बल्कि ज़रूरी तो ये है कि आप अपने चाहने वालों के साथ जो भी समय बिताएं क्वालिटी टाइम बिताएं। ‘द सिक्रेट ऑफ हैप्पी फैमिली’ के लेखक ब्रूस फिलस ने अपने टेड टॉक अजाइल प्रोग्रामिंग फॉर योर फैमिली में बताया कि अगर हम दिनभर अपने परिवार के साथ समय नहीं बिता पा रहे हैं, तो कोशिश करें कि रात के समय में परिवार के साथ खाएं। वहीं, मनोचिकित्सकों का ये मानना है कि परिवार के साथ अच्छा समय बिताने से परिवार के सदस्य एक दूसरे के प्रति न केवल सपोर्टिंग प्रवृत्ति के हो जाते हैं, बल्कि इमोशनली तौर पर भी जुड़ जाते हैं।

टेक्नोलॉजी कंसल्टेंट एमेर टनकोग्लू काफी व्यस्त रहने वाले इंसानों में से एक हैं। अपने रोज़मर्रा के कामकाज में ये कई क्लाइंट के साथ मीटिंग करते हैं, वहीं कुछ कामों को करने के लिए इनके पास सेट डेडलाइन्स भी होते हैं। इनके पास बमुश्किल ही समय मिल पाता है कि वो अपने बच्चों और पत्नी के साथ डिनर टेबल पर बैठकर खाना खा पाएं। बो बताते हैं कि, परिवार के साथ खाना खाना बेहद ही ज़रूरी है, वो भी टर्किश स्टाइल में। जब मैं बच्चा था तो परिवार के साथ खाने की परंपरा का पालन करता था। वो आज भी वो दिन याद हैं कि कितना अच्छा लगता था परिवार के साथ एक साथ खाना खाकर। यही वजह भी है कि मैं सप्ताहभर में ज्यादा से ज्यादा काम करता हूं ताकि मैं वीकेंड में पत्नी और बच्चों के साथ ब्रेकफास्ट के साथ डिनर का लुत्फ उठा सकूं।

वैसे लोग जो परिवार के साथ खाना खाते हैं, जैसे एमेर, निखिल और मेरी मकान मालिकिन के साथ उनकी बेटी, वे लोग इस बात से भली-भांति परिचित हैं कि परिवार के साथ खाना खाने के आखिर क्या मायने हैं। कई लोग इस बात से डरते हैं कि उन्हें अच्छा खाना बनाना नहीं आता, लेकिन परिवार के सदस्यों के लिए अच्छा खाना नहीं बना पाना, टेंशन लेने वाली बात नहीं है। अमेरिकी कलीनेरी प्रोफेशनल एलिजाबेथ डेविड ने अपनी किताब ‘ बुक ऑफ मेडिटेरियन फूड में बताया है कि ग्रेड फूड काफी सिंपल है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया है कि फूड फेंसी नहीं होना चाहिए, बल्कि सामान्य भोजन भी यदि परिवार के साथ मिलकर खाया जाए, तो उससे बेहतर और कोई खाना ही नहीं हो सकता है। फिजिकल और इमोशनल वेलबीइंग को लेकर इनका मंत्रा यही है कि सामान्य खाना पकाएं और अपने परिवार के साथ मिलकर उसे खाएं। इसी में सच्ची खुशी छिपी है।

साइकोलॉजिस्ट ने इस बात का पता लगाया है कि कई परिवार के लोग ऐसे हैं, जिनके पास खाना पकाने का समय ही नहीं है। वे खाना बाहर से ऑर्डर करके एक साथ खाते हैं। ऐसे में बाहर से मंगाया गया खाना, घर में बनाए गए खाने की तुलना में उतना पौष्टिक नहीं होता। बावजूद इसके परिवार के साथ में खाना खाना एक अच्छे माहौल को बनाता है। ऐसे में यदि आप परिवार के साथ खाना नहीं खाते हैं, तो उसके पीछे के कारण को जानिए।

कुछ जगह मेरे दिल में आज भी खास जगहों में से एक हैं। ये वो जगह नहीं है, जो कोई महंगा रिजॉर्ट था या फिर कोई महंगी जगह। बल्कि ये तो मेरी मकान मालिकिन का घर भी हो सकता है, जहां मैंने उनके साथ खानपान का लुत्फ उठाया। वहीं ये वो जगह और वो पल हो सकता है जब मैं खुशी-खुशी अपने पिता के प्लेट से उठाकर कुछ खाया हो, वहीं अपनी बहन की गलतियों के छिपाने के लिए मां से झूठ ही क्यों न बोला हो। मुझे आज भी याद है वो पल जब मैंने अपनी फ्रेंच मकान मालिकिन के साथ रेसिपी शेयर किया था। वहीं डायनिंग टेबल पर एक साथ खाना खाते हुए जहां मैंने उन्हें अपने देश की संस्कृति के बारे में बताया, वहीं उन्होंने भी मुझे अपने देश की राजनीति अन्य मुद्दों के बारे में बताया।

अच्छी यादें सिर्फ बड़े लम्हों व खास दिनों में ही हो ऐसा ज़रूरी नहीं है। अच्छी यादें रोज़मर्रा की छोटी-छोटी चीजों से भी हो सकती हैं। ठीक वैसे ही जैसा समय मैंने अपने परिवार के साथ डिनर टेबल पर खाना खाते हुए बिताया है, उस दौरान हमने मज़ाक करने के साथ एक-दूसरे के प्रति प्यार और एकता को महसूस किया है।

बस ज़रूरी है तो इतना ही कि इन्हीं छोटी-छोटी यादों को यादगार लम्हों में ढाल लें।

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