जिंदगी का प्लान ‘बी’ हो सकती है छोटी संपत्ति

ज़िंदगी का प्लान ‘बी’ हो सकती है छोटी संपत्ति

चाणक्य ने हमेशा हमें विषम परिस्थितयों के लिए तैयार रहना सिखाया है। संपत्ति बनाना इसी का उदाहरण है। भूमि को भी चाणक्य ने कई पैमानों पर उपयोग करना बताया है।

जीवन जीने कि लिए रोटी, कपड़ा और मकान ज़रूरी है। यह कहावत पिछले कई सदियों से चली आ रही है। इन आवश्यकताओं में कोई बदलाव नहीं हुआ। शायद सही भी है, क्योंकि रोटी तो मनुष्य को ज़िंदा रखने के लिए है और कपड़ा तन को ढकने के लिए। लेकिन, मकान का अर्थ किसी संपत्ति का मालिक होने से है। गांव हो या शहर जमीन किसी भी व्यक्ति के अस्तित्व की निशानी है। आज के समय में संपत्ति में निवेश करना एक चलन हो गया है।

लेकिन, चाणक्य का मत इस पर थोड़ा अलग है, वे रोटी, कपड़ा और संपत्ति को आश्रय का आधार मानते हैं। तीसरी सदी में ही चाणक्य ने अपने अर्थशास्त्र में इस बात पर जोर देते हुए लिखा था कि “वही जमीन अच्छी है, जो आपको आश्रय दे सके।”

अब वह जमीन कृषि उपयोगी है या मकान बनाने योग्य, इस पर भी चाणक्य के कई विचार हैं। चाणक्य का मानना था कि यदि भूमि कृषि के लिए अनुकूल है, तो उस भूमि पर 12 महीने पानी का एक स्रोत होना चाहिए। साथ ही भूमि की मिट्टी खनिजों से समृद्ध होनी चाहिए।

हालांकि, चाणक्य के आश्रय देने वाली भूमि का तात्पर्य उस जमीन पर आप घर बनाने से है, जिससे आप अपने अस्तित्व को एक नाम दे सकते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में यह आसान है, लेकिन शहरों का क्या, जहां पर आबादी सबसे ज्यादा है और जमीन कम। चाणक्य की यह नीति शहरों में रहने वाले लोगों के लिए कैसे लागू होगी? आइए जानते हैं;

शहर में हैं, तो कस्बे की ओर बढ़ें

सपनों की नगरी मुंबई में संपत्ति होना किसी सपने से कम नहीं है। मुंबई का नाम विश्व के सबसे महंगे शहरों में दर्ज है। अगर आपके पास मुंबई या इस जैसे किसी बड़े शहर में घर है तो आप काफी भाग्यशाली है। लेकिन, यदि आप सक्षम हैं, तो वहीं मत रुक जाइए, आगे बढ़िए और छोटी जगहों पर जमीन लीजिए।

ऐसा करने से आपके पास एक अतिरिक्त आश्रय होने के साथ एक निवेश भी रहेगा। आपके मन में सवाल होगा आखिर क्यों? इसका जवाब है कि अगर आप एक बड़े शहर में घर बना सकते हैं, तो आपके पास अपार क्षमता और संभावना है कि आप किसी छोटे स्थान पर भी जमीन ले सकते हैं। इसलिए एक निवेश के रूप में ही सही किसी छोटी जगह पर जमीन ज़रूर लें

जमीन का उपयोग करें

छोटी जगह पर जमीन लेने का मतलब यह बिल्कुल नहीं है कि उसे लेकर वैसे ही छोड़ दिया जाए। उस जमीन पर घर बनवाएं। छुट्टियों में या जब आपका मन करें, तब उसका इस्तेमाल करें। मेरे जानने में ऐसे कई लोग हैं, जिनके पास गांवों और छोटे शहरों में घर तो हैं, लेकिन वे उनका इस्तेमाल बिल्कुल नहीं करते हैं, जिससे उनकी ही जमीन का लाभ कोई और लेता है।

इसलिए, ज़रूरी है कि आपको कम से कम साल में दो बार अपने उस मकान में जाना चाहिए, जो आपने किसी छोटी जगह पर बनवाया है। इसके दो फायदे हैं- पहला यह कि आपके लिए रोज़मर्रा के जीवन में एक बदलाव हो जाएगा। दूसरा आपको किसी अलग जगह पर रहने की भी आदत होगी। ईश्वर न करें, लेकिन अगर भविष्य में आपको शहर छोड़कर गांव की तरफ आना पड़ा, तो आपके लिए आसान होगा। क्योंकि आप पहले से ही उस वातावरण के लिए अभ्यसत रहेंगे।

संपत्ति भविष्य को सुरक्षित करती है

भविष्य देखते सब हैं, लेकिन उसमें क्या घटित होगा, यह कोई नहीं जानता। हालांकि, हम सबके पास भविष्य को लेकर प्लान ज़रूर होते हैं। इसलिए इन प्लांस का बैकअप प्लान होना बहुत ज़रूरी है।

यदि कल को शहर में कोई भी आपदा आ जाती है, तो आपके पास रिवर्स माइग्रेशन का एक विकल्प होगा। इस प्रकार की विषम परिस्थितियों में आप आश्वस्त रहते हैं कि “कम से कम मेरे पास छत तो है। मैं अपनी ज़िंदगी एक नए सिरे से शुरू कर सकता हूं।”

कोविड-19 महामारी ने लोगों को पलायन करने के लिए मजबूर कर दिया। इस परिस्थिति में आर्थिक संकट और कई तरह की दिक्कत होना स्वाभाविक था। इन्हीं परिस्थितियों में बनाई हुई संपत्ति काम आती है

अर्थशास्त्री चाणक्य हमेशा अप्रत्याशित परिस्थितियों की रणनीति के लिए बात करते थे, उनका कहना था कि “…हमारी सोच से परे भविष्य की घटनाओं के लिए हमें सदैव एक विकल्प तैयार रखना चाहिए।” चाणक्य की इस बात का एक बेहतरीन विकल्प आपकी दूसरी संपत्ति हो सकती है।

डॉ राधाकृष्णन पिल्लई एक भारतीय मैनेजमेंट थिंकर है, लेखक और आत्म-दर्शन और चाणक्य आंविक्षिकी के संस्थापक हैं। डॉ पिल्लई ने तीसरी सदी ईसा पूर्व के ग्रंथ कौटिल्य के अर्थशास्त्र पर रिसर्च की है और इसे माॉडर्न मैनेजमेंट में शामिल किया है ।

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