क्या reverse migration एक बेहतर विकल्प है? जानें चाणक्य का विचार

क्या रिवर्स माइग्रेशन एक बेहतर विकल्प है? जानें चाणक्य के विचार

दो श्रेणियों के लोगों की समस्याएं भले ही अलग हो, लेकिन उनमें हमेशा से कुछ समान रहा है। वह समानता एक प्रश्न है- क्या मुझे घर वापस लौटना चाहिए और अपनी जन्मस्थली पर ही बस जाना चाहिए?

“मैंने अपने जीवन में सब कुछ कर लिया है और मुझे अभी बहुत कुछ करना बाकी है।” यह दो बातें हैं, जो किसी व्यक्ति के करियर की दो श्रेणियां हैं।

पहली श्रेणी में वह व्यक्ति है जिसने अपने करियर में बहुत कुछ हासिल कर लिया है- अच्छी तनख्वाह, उच्च पद, वैश्विक यात्राएं, भविष्य के लिए पैसे भी बचाए हैं और वर्तमान में उसे पैसे के लिए संघर्ष नहीं करना पड़ रहा है। वह एक अचीवर है।

दूसरी श्रेणी में वे लोग आते हैं, जो या तो अभी अपने करियर की शुरुआत कर रहे हैं या अपने करियर के बीच के सफर में हैं। उन्हें अभी और ज्यादा पैसा कमाना है, परिवार स्थापित करना है और उन पर वित्तीय जिम्मेदारियां भी हैं, लोन का ईएमआई भी है और साथ ही उच्च पदों पर प्रमोशन पाने की लालसा भी है। ये लोग संघर्षशील होते हैं।

उपरोक्त दोनों श्रेणियों के लोगों की समस्याएं भले ही अलग हो, लेकिन उनमें हमेशा से कुछ समान रहा है। वह समानता एक प्रश्न है- क्या मुझे घर वापस लौटना चाहिए और अपनी जन्मस्थली पर ही बस जाना चाहिए?

अक्सर देखा गया है कि लोग बेहतर अवसरों की तलाश के लिए पलायन करते हैं। चाहे वे गांव के लोग हों या शहर के। गांव का व्यक्ति शहर जाता है और शहर का व्यक्ति विदेशों में विकल्प तलाशता है। अंत में अपने फाइनेंशियल कारणों से वहीं बस जाता है।

दोनों श्रेणियों के व्यक्तियों की वित्तीय स्थिति चाहे जैसी हो, लेकिन वे रिवर्स माइग्रेशन के बारे में सोचते हैं। अपने जन्मस्थान पर वापस जाना चाहते हैं, अपनी जड़ों से जुड़ना चाहते हैं। इस स्थिति में आपको क्या करना चाहिए?

ऐसी असमंजस की स्थिति के लिए, चाणक्य ने सलाह दी है कि “धन और शक्ति दोनों गांव से आती हैं, जो सभी प्रकार के कार्यों का स्रोत है।”

चाणक्य के इस विचार से यह तात्पर्य है कि वास्तविक धन हमेशा ग्रामीण इलाके में होता है। गांव से सकारात्मक शक्ति भी आती है। आइए समझते हैं कि वास्तव में इसका क्या मतलब है।

21 वर्षों बाद जब महात्मा गांधी दक्षिण अफ्रीका से भारत वापस आए, तो उनके राजनीतिक गुरु गोपाल कृष्ण गोखले ने उन्हें भारत भ्रमण करने का सुझाव दिया। गांधी जी ने अपने गुरु कि बात मानी और ग्रामीण क्षेत्रों में दौरा करने लगे। इससे गांधी जी को देश के बारे में वास्तविक ज्ञान प्राप्त हुआ। इस यात्रा के दौरान महात्मा गांधी ने भारत को नए नज़रिए से देखा। उन्हें समझ में आया कि भारत के 6 लाख गांव ही इसकी असली ताकत थे। इसी दृष्टिकोण से प्रभावित होकर गांधी जी ने स्वतंत्रता आंदोलन को एक अलग आयाम से शुरू किया। गांधी जी ने इस यात्रा के बारे में जिक्र करते हुए कहा था, “असली भारत तो गांवों में बसता है।”

गांधी जी ने खादी आंदोलन के ज़रिए ग्रामीण अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने का प्रयास किया था। इस प्रकार से ग्रामीण सशक्त हुए और इसी कारण से महात्मा गांधी को राष्ट्रपिता का दर्जा भी मिला

हो सकता है कि आपको यह उदाहरण पुराना लगा हो और आपके मन में यह सवाल आ सकता है कि क्या गांवों में अभी भी उतनी ही शक्ति है? इस सवाल का जवाब आप किसी राजनेता से पूछिए, क्योंकि उन्हें पता है कि असली वोट बैंक तो गांवों में ही है। किसी उद्योगपति से पूछिए, तो उसका जवाब होगा कि कृषि उपज गांवों से आती है और खदानें व कारखाने भी वहीं मौजूद हैं। अब तो आप समझ गए होंगे कि यह पारंपरिक नहीं, बल्कि व्यावहारिक दृष्टिकोण है।

तो क्या यह सिद्धांत रिवर्स माइग्रेशन के निर्णय के लिए कैसे रहेगा? आइए, इस सवाल पर विस्तार से चर्चा करते हैं।

अपने अर्थशास्त्र को समझिए

चाणक्य एक अर्थशास्त्री थे और उन्होंने अक्सर वित्तीय पहलुओं के आधार पर ही निर्णय लिया। जब लोग शहरों और विकसित देशों में पलायन करते हैं, तो उनका उद्देश्य बेहतर आय की तलाश करना होता है। लेकिन, इसका दूसरा पहलू भी है।

वह यह है कि आय के साथ-साथ खर्चे भी बढ़ जाते हैं। असल में आप पैसे के लिए काम नहीं करते हैं, बल्कि पैसा आपसे काम करवाता है। इसलिए अच्छी आय होने के बावजूद भी आर्थिक गणना बेहद ज़रूरी है। धन कमाएं और उसे बचाएं। इसके साथ ही इस बात पर भी ध्यान दें कि आपकी आय से आपका और आपके परिवार का जीवन आराम से चल रहा है कि नहीं। इस सोच के साथ धन अर्जित करने पर आपक चिंतामुक्त जीवन बिता सकते हैं।

खुद के लिए अवसर बनाएं

अगर आप गांव में पलायन करने की सोच रहें तो, यह बात समझ लें कि सिर्फ रिवर्स माइग्रेशन ही काफी नहीं है। एक बार सोचिए कि गांव वापस जाकर क्या करेंगे? आप कुछ दिनों तक ग्रामीण प्रकृति, साफ हवा, सूर्योदय और सूर्यास्त का आनंद लेंगे। लेकिन, क्या यह पर्याप्त है। इसके बाद भी खुद को प्रोडक्टिव बनाए रखने के लिए आपको कुछ न कुछ करना होगा।

इसलिए, खुद के लिए अवसर का सृजन करें। कुछ नया शुरू करें, जैसे- नए तौर तरीकों से खेती कर आधुनिक किसान बनें, शिक्षा या स्वास्थ्य संबंधी सामाजिक हित के कार्यों में भी अपना योगदान दे सकते हैं। इसके अलावा कोई छोटा व्यवसाय शुरू कर सकते हैं, जिससे आप खुद को व्यस्त रख सकेंगे।

दुनिया सिमट चुकी है

कुछ दशकों पहले यही माना जाता था कि धनी और श्रेष्ठ लोग सिर्फ शहरों में होते थे। लेकिन, आज टेक्नोलॉजी और विकास के कारण दुनिया सिमट चुकी है। न्यूयॉर्क जैसे शहर में उपलब्ध वस्तुएं आज भारतीय गांव में आसानी से मौजूद होती है।

असल में, फर्क सिर्फ सोच का है, वरना आप गांवों में पैसे कमा कर भी दुनिया घूम सकते हैं, जिससे एक शहरी और ग्रामीण व्यक्ति में कोई अंतर नहीं होगा। चाणक्य को इस बात का आभास तीसरी सदी में ही पता चल गया था कि ऐसा समय आएगा जब लोगों को धन और शक्ति दोनों ही ग्रामीण क्षेत्रों में मिलेगी। तो आपके रिवर्स माइग्रेशन के प्रश्न का उत्तर है कि आपको रिवर्स माइग्रेशन कर लेना चाहिए, लेकिन उपरोक्त सुझावों के साथ।

डॉ राधाकृष्णन पिल्लई एक भारतीय मैनेजमेंट थिंकर है, लेखक और आत्म-दर्शन और चाणक्य आंविक्षिकी के संस्थापक हैं। डॉ पिल्लई ने तीसरी सदी ईसा पूर्व के ग्रंथ कौटिल्य के अर्थशास्त्र पर रिसर्च की है और इसे माॉडर्न मैनेजमेंट में शामिल किया है ।

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