रामनवमी के अवसर पर जगाएं अपने भीतर के राम को

रामनवमी के अवसर पर जगाएं अपने भीतर के राम को

राम राजा भी हैं, राम योद्धा भी हैं। राम प्रतापी भी हैं, राम धर्म प्रिय भी हैं। राम हमारे भी हैं और आपके भी। राम गांधी के भी हैं और राममनोहर लोहिया के भी हैं। राम मर्यादित व्यक्तित्व के स्वामी हैं।

हिंदू धर्म को मानने वालों के लिए ही नहीं बल्कि और भी लोगों के लिए राम सिर्फ भगवान ही नहीं हैं। राम आस्था के वो प्रतीक हैं, जो समाज के लिए आदर्श है। मां अपने बेटे में राम को देखना चाहती है, तो पत्नी अपने पति में। राम साध्य हैं, साधन नहीं। गांधी का राम सनातन, अजन्मा और अद्वितीय है। वह दशरथ के पुत्र और अयोध्या के राजा ही नहीं बल्कि वह निर्बल का सहारा भी हैं। राम कण-कण में हैं। कर्म के हर छोर में राम हैं। सबके अपने-अपने राम हैं। वाल्मिकी और तुलसी के राम में भी फर्क है। 

राम राजा भी हैं, राम योद्धा भी हैं। राम प्रतापी भी हैं, राम धर्म प्रिय भी हैं। राम हमारे भी हैं और आपके भी। राम गांधी के भी हैं और राममनोहर लोहिया के भी हैं। राम मर्यादित व्यक्तित्व के स्वामी हैं। राम भारत के उत्तर दक्षिण एकता के अकेले सूत्रधार हैं। राम का आदर्श, लक्ष्मण रेखा और मर्यादा है, लांघी तो अनर्थ और सीमा में रहे, तो खुशहाल और सुरक्षित जीवन। 

तो चलिए सोलवेदा हिंदी के इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे कि रामनवमी के अवसर पर आप अपने भीतर के राम को कैसे जगा सकते हैं। 

रामनवमी क्यों मनाई जाती है? (Ramnavami kyu manai jati hai?)

हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को राम भक्त, रामनवमी के रूप में मनाते हैं। इस दिन दीपोत्सव जैसी खुशियां मनाई जाती हैं। साथ ही पूजा-अर्चना करने के साथ ही श्रद्धालु व्रत भी करते हैं। उत्तर से दक्षिण तक फैले हिंदू धर्म के शास्त्रों के अनुसार इस दिन को बहुत ही शुभ माना जाता है। रामनवमी के दिन ही भगवान विष्णु ने राम के रूप में जन्म लिया था। भगवान राम अयोध्या के राजा दशरथ और कौशल्या के बेटे के रूप में धरती पर अवतरित हुए थे। इस साल रामनवमी 17 अप्रैल को है।

राम का अर्थ है- रम जाना (Ram ka arth hai ram jana)

स्टूडेंट्स के लिए ज्ञान उसका राम है। एक योगी के लिए उनकी सिद्धि ही राम है, तो जीवन के लिए ब्रम्हा ही राम है। अपने कर्म में ही रम जाना राम है। कवि के लिए उनका सर्वश्रेष्ठ कृति राम है, तो चित्रकार के लिए उसकी सबसे बेहतरीन पेंटिंग राम है। राम का मतलब ही है अपने काम में रम जाना। 

सही तरीके से कहा जाए तो अपने आप में, अपने कर्तव्य में और अपने काम में रम जाना ही, सही तरीके से राम को पाना है। यही वास्तविक रूप में राम की साधना है। ऐसा इसलिए क्योंकि राम कभी भी अपने उत्तरदायित्व, कर्तव्य और कर्म से दूर नहीं हुए। वे हमेशा इनका पालन करते रहें।

राम भगवान से अधिक आदर्श हैं (Ram bhagwan se adhik aadarsh hain)

राम भगवान (Lord Ram) थे, लेकिन जब वो धरती पर आए तो इंसान थे। उन्होंने यहां अपने सभी कर्तव्यों का पालन किया। चाहे गुरु हों या फिर माता-पिता राम ने सभी के आदेशों का हमेशा पालन किया। उन्हें बहुत कष्ट हुआ, लेकिन वे अपने उत्तरदायित्व और कर्तव्य के पथ से ज़रा सा भी नहीं भटके। उन्होंने प्रेरणा दी कि कष्ट उठाकर भी अपने कर्तव्यों का पालन करना चाहिए। यही एक सही इंसान का व्यवहार है। 

राम को भगवान होने के कारण नहीं पूजा जाता है बल्कि उनके गुणों के कारण उन्हें भगवान के रूप में पूजा जाता है। राम, धन और ताकत के पास नहीं मिलते हैं, वो तो मिलते हैं शबरी के कुटिया में। देखा जाए तो कर्म और भगवान एक दूसरे से जुड़े हुए हैं और हमारी सच्ची पूजा भी तभी होगी, जब हम राम के बताए गए मार्ग पर चलें और उनकी तरह सही कर्म करें। 

राम कहीं और नहीं बल्कि हमारे भीतर हैं (Ram kahin aur nahi balki humare bheetar hain)

राम हमारी मर्यादा में हैं। वो हमारे सत्य में और प्रेम में हैं। वो कभी हमारी अच्छाइओं में हैं, तो कभी हमारे संस्कारों में हैं। राम हमारी दया में भी हैं और हमारी शक्ति में भी। वो कर्तव्य भी हैं और आशा की उम्मीदों में भी हैं। राम नाम ही सत्य का प्रतीक है। वो सिर्फ बातें नहीं करते हैं, वो तो सभी उम्मीदों पर खड़े उतरते हैं। 

राम भारतीय समाज में मर्यादा, आदर्श, विनय और संयम के रूप हैं। राम के सारे काम इंसानों के हैं। वे सीता से बिछड़ने पर रोते हैं, बिलखते हैं। भाई से जब अलग होते हैं, तो विलाप करते हैं। इसलिए राम को हमें आत्मसात करने की ज़रूरत है। 

राम को कैसे जगा सकते हैं अपने भीतर? (Ram ko kaise jaga sakte hain apne bheetar?)

राम वो आदर्श का नाम है, जो सभी तरह से एक ऐसा व्यक्तित्व हैं, जिसे हर किसी को अपनाना चाहिए। राम को अपने अंदर जगाने के लिए ज़रूरी है, उनके आदर्शों और व्यक्तिक्त पर चलना। राम बनना इतना आसान नहीं है। राम के कार्यों को जब हम देखते हैं, तो हमें महसूस होता है कि उन्होंने किन आदर्शों पर अपना जीवन जिया है। राम लोकमंगलकरी हैं। राम को अपने भीतर समाहित करने के लिए ज़रूरी है कि हम सबसे पहले अपने कर्तव्यों और उत्तरदायित्व को समझें, सच्चाई की ओर चलें और समाज के आदर्श मानकों का सही से पालन करें, क्योंकि इन्हीं चीज़ों को अपनाकर राम असल मायने में हम सबके ‘राम’ बनें। 

इस आर्टिकल में हमने भगवान राम के आदर्शों और उनके विचारों के बारे में बताया। साथ ही रामनवमी के बारे में भी जानकारी दी। यह पढ़कर आपको कैसा लगा हमें कमेंट करके ज़रुर बताएं। इसी तरह के और भी ज्ञानवर्द्धक आर्टिकल पढ़ने के लिए सोलवेदा हिंदी से जुड़ें रहें।

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