जानवर और मनुष्य

सदियों पुराना है जानवरों और इंसानों का रिश्ता

विभिन्न संस्कृति और धर्मों में भगवान और जानवर को एक साथ जोड़कर देखा जाता है। इतिहास के पन्नों और संस्कृति के नजरिए से इस विषय के बारे में जानने के लिए पढ़ें ये खास लेख।

जानवर और मनुष्य के बीच का रिश्ता हमेशा से ही नाजुक रहा है। सदियों का यह बंधन जानवर और मनुष्य दोनों के लिए लाभदायक है। मानव ने जैसे-जैसे विकास किया वैसे-वैसे ही जानवर और मनुष्य के रिश्तों में भी निखार आया। इसी सफर में जानवर विभिन्न मानवीय धर्मों (Human Religions) का अंग बनते चले गए।

‘एनिमल वरशिप इन अफ्रीका’ के लेखक जोहान्स वेसेनबॉर्न के अनुसार आदि मानव ने धर्म की अवधारणा की मान्यता आने से काफी पहले ही जानवरों की उनके विशिष्ठ लक्षणों के कारण पूजा शुरू कर दी थी। समाज विकास के साथ दुनियाभर की पौराणिक कथाओं ने जानवर और धर्म के बीच के संबंध को आच्छादित करना शुरू कर दिया।

भगवान और जानवर के बीच की कड़ी की शुरुआत एक दंतकथा में देखी जा सकती है। प्रतिष्ठित लेखक एवं ग्रीक इतिहासकार डियोडोरस ने अफ्रीका की लोककथा का अध्ययन करते हुए पाया कि एक प्रचलित कथा के अनुसार, देवताओं को दैत्यों द्वारा धमकाया गया था और उन्हें छिपना पड़ा था। देवताओं ने इसके लिए जानवरों का रूप ले लिया और यहां से ही लोगों ने जानवरों की पूजा शुरू कर दी। इसके बाद दैत्यों का भय समाप्त होने के बाद भगवान बाहर निकले तब भी जानवरों की पूजा जारी रही। यह भगवान और जानवरों से जुड़ी एक अनूठी कथा है।

हालांकि सभी धर्म जानवरों को इस दृष्टि से नहीं देखते। बुतपरस्ती का पालन करने वाले प्रकृति के आध्यात्मिक सार में विश्वास करते हुए जानवरों को पूजते हैं, जबकि इब्राहीमी धर्म का पालन करने वाले यह नहीं मानते कि भगवान धरती पर जानवरों के रूप में अवतरित होते हैं।

आइए, हम कुछ ऐसे जानवरों पर एक नज़र डालते हैं, जिन्हें विभिन्न संस्कृति और धर्मों में भगवान और जानवर को साथ जोड़कर देखा जाता है।

उल्लू

सबसे चतुर जीवों में से एक उल्लू को हिंदुओं की मान्यता के अनुसार धन की देवी लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है। हिंदू पौराणिक कथा के अनुसार उल्लू की निशाचर प्रवृत्ति अज्ञानता और अंधकार का प्रतीक है। एक अन्य दंतकथा के अनुसार उल्लू लक्ष्मी के दूसरे हिस्से का प्रतिनिधित्व करता है, जो भगवान ब्रह्मा के मुख पर, जहां अंधियारा था वहां से प्रकट हुआ था। एक अन्य दंतकथा में देखा जाता है कि उल्लू का अर्थात स्वर्ग के राजा इंद्रदेव का दूसरा नाम है जो धन, शक्ति और ख्याति का प्रतिनिधित्व करता है। यहां पर भी भगवान और जानवर के संबंध को दर्शाया गया है।

अधिकांश हिंदू दंत कथाएं उल्लू को अंधकार का ही प्रतीक मानती हैं और देवी लक्ष्मी हमें अज्ञानता से निकलकर प्रकाश पथ पर जाने की प्रेरणा देती हैं।

यूनान में ज्ञान और साहस की देवी एथेना का भी उल्लू पूज्य है। एक किंवदंती के अनुसार या तो उल्लू देवी एथेना का वाहन है या फिर उसका प्रतिनिधित्व करता है। उल्लू के साथ देवी एथेना के जुड़ने के अनेक किस्से पौराणिक कथाकारों ने बताए हैं। इनमें से सबसे रोचक किस्सा मारिजा गिम्बुटास का है, जो एक पुरातत्ववेत्ता हैं। उनके अध्ययन के अनुसार देवी एथेना को मूलत: पुरानी यूरोपियन चिड़िया के रूप में देखा गया। यूनानी दंतकथाओं में एथेना से जुड़ी जानकारी में उल्लू को ज्ञान के साथ जोड़ा गया है, जो अंधकार में भी देख सकता है।

हंस

हंस को हिंदू ज्ञान की देवी सरस्वती का वाहन समझा जाता है। यही बात संगीत और कविता के यूनानी देव अपोलो के साथ जुड़ी है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार हंस बुराई और अच्छाई में अंतर समझने का प्रतीक है, क्योंकि उसके पास पानी मिले दूध में से सिर्फ दूध पीने की अद्भुत शक्ति होती है। इसी वजह से हंस को ज्ञान की देवी के साथ जोड़ा गया है।

एक यूनानी दंतकथा के अनुसार देव अपोलो को उनके पिता जीउस ने एक सुनहरा ताज, सुनहरी वीणा और हंसों से जुड़ा हुआ एक रथ भेंट किया था। कालांतर में यह पक्षी अब कविता की शक्तियों का प्रतीक बन गया है।

शेर और बाघ

हिंदू देवी दुर्गा के वाहन बाघ को उस असीमित शक्ति का प्रतीक माना गया है, जिसका उपयोग कर दुर्गा ने बुराई का नाश किया था। दुर्गा, शेर की भी सवारी करती हैं, जो अनियंत्रित प्रवृत्तियों जैसे गुस्से, अहंकार, खुदगर्जी, लालच और जलन का प्रतीक है। शेर पर सवार दुर्गा हमें इन दोषों को वश में रखने की सीख देती हैं।

यूनान में आनंद और परिपूर्णता तथा मदिरा के देवता डायोनिसस को भी बाघ और शेर से जुते हुए रथ की सवारी करते देखा जा सकता है। यह दोनों खतरनाक जानवर खतरे, अव्यवस्था और अप्रत्याशित प्रतिक्रियाओं का प्रतिनिधित्व करते हैं।

घोड़ा

सबसे खूबसूरत और शक्तिशाली घोड़ा अनेक पौराणिक कथाओं में स्थान पाता है। हिंदू देव सूर्यदेव सात घोड़ों के रथ की सवारी करते हैं। एक दंतकथा के अनुसार सूर्यदेव के रथ के सात घोड़े सात पाप और उन पर सूर्यदेव के  नियंत्रण का प्रतीक समझे जाते हैं।

इसी प्रकार यूनान की पौराणिक कथाओं में भी शक्तिशाली देव को घोड़े के साथ जोड़ा गया है। कहा जाता है कि समुद्र के देवता पोसाइडन ने अनाज की देवी डेमेटर को लुभाने के लिए घोड़े का सृजन किया था।  हालांकि पोसाइडन ने इसका उपयोग सवारी के लिए नहीं, बल्कि रूप धारण करने के लिए किया था।

बैल

हमारी सूची में अगला जीव भगवान शिव का वाहन बैल है जो भगवान और जानवर के अनोखे संबंध को दर्शाता है। नंदी के रूप में पहचाने जाने वाला बैल शिव का द्वारपाल भी है।

मिस्त्र में मान्यता है कि शिल्प एवं वास्तुशिल्प के भगवान पिताह, ने खुद को एपिस नामक पवित्र बैल में समाहित कर लिया था। यह बैल, जानवर की शक्ल में नहीं, बल्कि देव प्ताह के सेवक के रूप में जाना जाता है। जब भी वह देव पिताह की मेज़बानी करता था तो उसे पवित्र माना जाता था

हिरण

हम अब जंगल के सबसे सुशील जानवर हिरण के पास आ पहुंचे हैं। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार ज्ञान की देवी सरस्वती लाल हिरण का रूप लेती हैं। प्राचीन काल में विद्वानों को हिरण की खाल पहनते और खाल पर बैठकर अध्ययनरत देखा जा सकता था।

प्राचीन यूनान में शिकार, जंगल और पहाड़ की देवी आर्टेमिस को चार बारहसिंगों के रथ पर सवारी करते हुए देखा जा सकता है। एक दंतकथा के अनुसार अलोडाई भाइयों के नाम से पहचाने जाने वाले दो दैत्यों से देव भी घबराते थे। जब देवी आर्टेमिस को यह पता चला कि उन दोनों की मौत एक-दूसरे के हाथों से ही हो सकती है तो देवी, हिरण का रूप लेकर उस वक्त उन दोनों भाइयों के समक्ष आई जब वे शिकार में लगे हुए थे। दोनों ने अपने बाण आर्टेमिस की दिशा में चलाए और एक-दूसरे का वध कर बैठे।

चूहा

चूहा, बुद्धि के देवता गणेश का वाहन है। इसी अनूठे वाहन की वजह से गणेश जी दूर-दराज जाकर विघ्न हरने का काम करने में सफल हो पाते हैं। यह उदाहरण भगवान और जानवर के सुंदर संबंध को चित्रित करता है।

ग्रीक देवता अपोलो जोकि विपत्तियों के देवता हैं, वास्तव में एक वाहन के रूप में चूहे का उपयोग नहीं करते हैं, लेकिन यह फिर भी भगवान और जानवर (चूहे) से संबंधित हैं क्योंकि उन्होंने ट्रोजन के युद्ध के दौरान चूहों में बदल जाने वाले तीरों को चलाकर कहर बरपाया था।

बिल्ली

जब हम चूहे की बात करते हैं तो बिल्ली कैसे पीछे रह सकती। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, षष्ठी वनस्पति और प्रजनन की देवी है जो बच्चों की रक्षक है। काली बिल्ली को उनका वाहन माना जाता है और उन्हें अक्सर आठ शिशुओं के साथ एक बिल्ली की सवारी करते हुए चित्रित किया जाता है। यह भी भगवान और जानवर से संबंधित अद्भूत उदाहरण है।

नॉर्स देवी फ़्रीजा, प्रेम की देवी, को भगवान थोर द्वारा दिए गए दो विशाल धूसर रंग की बिल्लियों द्वारा खींचे गए रथ में सवार होने के लिए जाना जाता है। कहा जाता है कि अच्छी फसल के लिए किसान बिल्लियों के लिए प्रसाद छोड़ते हैं।

कुत्ता

हिंदू धर्म में मृत्यु के देवता यम के पास दो कुत्ते हैं, जिनके नथुने चौड़े हैं और वे अपनी आंखों से देवता यम के निवास की रखवाली कर रहे हैं। कहा जाता है कि ये कुत्ते यम के दूत के रूप में लोगों के बीच घूमते हैं।  ममीकरण और पुनर्जन्म के ग्रीक देवता अनुबिस का प्रतिनिधित्व एक काले कुत्ते द्वारा किया जाता है। कई जगहों पर, अनुबिस को एक इंसान के रूप में भी चित्रित किया गया है, जिसमे उसके चहरे को एक सीधे खड़े कान वाले शिकारी कुत्ते की तरह दिखाया गया है।

पक्षियों और जानवरों की अनूठी विशेषताओं ने मनुष्य को सदा मोहित किया है। यह तथ्य कि भगवान और जानवर जुड़े हुए हैं और उन्होंने हमेशा मानव का साथ दिया है। यह तथ्य मानव जीवन में जानवर और मनुष्य के संबंधों के महत्व को स्पष्ट रूप से उजागर करता है।

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