भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग

जानें 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग का रहस्य

भीमाशंकर मंदिर के पास से भीमा नदी भी निकलती है। शिव भक्तों में इस ज्योतिर्लिंग को लेकर खास आस्था है। माना जाता है कि सुबह सुर्योदय के समय अगर आप 12 ज्योतिर्लिंगों का नाम लेकर जाप करते हैं, तो आपके सभी कष्टों और पापों का निवारण हो जाता है।

हिंदू धर्म के धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग हैं, जो अलग-अलग हिस्सों में स्थापित हैं। इन्हीं 12 ज्योतिर्लिंग में से एक है भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग (Bhimashankar Jyotirlinga)। इनकी महिमा काफी विशेष है। मान्यता है कि इनके दर्शन मात्र से लोगों के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं। इसे मोटेश्वर महादेव के नाम से भी जाना जाता है। यह मंदिर पुणे में 3250 फीट की ऊंचाई पर स्थित है और विख्यात धार्मिक स्थलों में से एक हैं।

भीमाशंकर मंदिर के पास से भीमा नदी भी निकलती है। शिव भक्तों में इस ज्योतिर्लिंग को लेकर खास आस्था है। माना जाता है कि सुबह सुर्योदय के समय अगर आप 12 ज्योतिर्लिंगों का नाम लेकर जाप करते हैं, तो आपके सभी कष्टों और पापों का निवारण हो जाता है। इसके साथ ही भीमाशंकर ज्योर्तिलिंग के साथ कई सारी पौराणिक कहानियों भी जुड़ी हुई हैं। तो चलिए सोलवेदा हिंदी के इस आर्टिकल में हम आपको भीमांशकर ज्योर्तिलिंग के रहस्यों के बारे में बताएंगे।

भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग का रहस्य और पौराणिक मान्यता (Bhimashankar Jyotirling ka rahasya aur pauranik manyata)

शिव पुराण के अनुसार कुंभकुर्ण की मौत के बाद उसके पुत्र भीम का जन्म हुआ था। भीम सह्याद्रि पर्वत पर अपनी मां कर्कटी नामक राक्षसी के साथ रहता था। जब उसे पता चला कि उसके पिता की मृत्यु भगवान राम के हाथों हुई है, तो उसने पिता की मृत्यु का बदला लेने के लिए कठोर तपस्या की। इससे प्रसन्न होकर ब्रह्मा जी ने विजय होने का वरदान दिया। वरदान पाने के बाद भीमा राक्षस और ज़्यादा अत्याचारी हो गया। उसका खौफ देवताओं तक के मन में समा गया। उसने सभी तरह के पूजा-पाठ बंद करवा दिए। मदद के लिए सभी देवता भगवान शिव के पास गए।

भीम के अत्याचार से भगवान और इंसान को मुक्ति दिलाने के लिए भगवान शिव ने दुष्ट राक्षस भीम का संहार कर दिया और इस उसके अत्याचार की कहानी का अंत हो गया। इसके बाद भगवान शिव से सभी देवताओं ने उस स्थान पर शिवलिंग विराजमान रहने का आग्रह किया। भगवान शिव ने आग्रह को माना और वो उमाशंकर ज्योर्तिलिंग के रूप में आज भी यहां विराजमान हैं।

भीमाशंकर की कथा त्रिपुरासुर से भी है जुड़ी (Bhimashankar ki katha Tripurasur se bhi hai judi)

भीमाशंकर की कथा त्रिपुरासुर राक्षस से भी जुड़ी हुई है। त्रिपुरासुर से खुश होकर भगवान शिव ने उसे वरदान दिया था कि उसे कोई नर या फिर नारी नहीं मार सकेगा। वरदान मिलने के बाद त्रिपुरासुर का आतंक और भी बढ़ गया। उसके नाश के लिए भगवान शंकर ने अद्धनारीश्वर का रूप धारण किया और फिर उसका संहार किया। इस दौरान भगवान शिव और त्रिपुरासुर के बीच 15 दिनों तक भयंकर युद्ध चला। इसी दौरान जब भगवान बैठे, तो उनके जटा से जो पसीना निकला, उसी से भीमा नदी की उत्पति हुई। इसलिए भी इसे भीमाशंकर भी कहते हैं।

भीमाशंकर मंदिर का स्थापत्य कला (Bhimashankar Mandir ka sthapatya kala)

यह मंदिर नागर शैली में बना हुआ है। यहां पर आपको नागर शैली का प्राचीन और खूबसूरत मिश्रण देखने को मिलेगा। इस मंदिर में एक घंटा लगा हुआ, जो एक खास पहचान है। भीमांशकर मंदिर के गर्भगृह के सामने नंदी बाबा और कच्छप देव विराजमान हैं। मंदिर के प्रवेश द्वार पर बाईं ओर भगवान गणेश की मूर्ति है और दाईं ओर भगवान काल भैरव की मूर्ति है।

नाना फडणवीस ने बनवाया था मंदिर का शिखर (Nana Fadnavis ne banwaya tha mandir ka shikhar)

कहा जाता है कि इस मंदिर का शिखर नाना फडणवीस ने बनवाया था। महान मराठा शासक शिवाजी ने इस मंदिर की पूजा के लिए कई तरह की सुविधाएं प्रदान की। यह मंदिर 12 ज्योर्तिलिंगों में शामिल होने के लिए ही फेमस नहीं है बल्कि यहां आने भर से आपका मन प्रसन्न हो जाता है और आध्यात्मिक सुख और आनंद की अनुभूति होती है।

यहां माता पार्वती का कमलजा मंदिर भी है (Yaha Mata Parvati ka Kamlaja Mandir bhi hai)

जब आप भीमाशंकर जाएंगे, तो यहां पर देवी पार्वती का भी एक मंदिर है। इसे कमलजा मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। हिंदू धर्म ग्रंथों और शास्त्रों के अनुसार यहीं पर देवी ने राक्षस त्रिपुरासुर से युद्ध में भगवान शिव की सहायता की थी। युद्ध के बाद भगवान ब्रह्मा ने माता पार्वती की कमलों से पूजा की थी।

मंदिर के पास हैं कई कुंड (Mandir ke pass hai kai kund)

भीमाशंकर मंदिर के आसपास कई कुंड हैं। इनमें मोक्ष कुंड, सर्वतीर्थ कुंड, ज्ञान कुंड और कुषारण्य कुंड काफी खास हैं। मोक्ष कुंड को महर्षि कौशिक से जुड़ा हुआ माना जाता है और कुशारण्य कुंड से भीमा नदी का उद्गम हुआ है।

इस आर्टिकल में हमने भीमाशंकर ज्योर्तिलिंग के बारे में बताया। साथ ही इससे जुड़े रहस्यों के बारे में जानकारी भी दी। यह आर्टिकल पढ़कर आपको कैसा लगा हमें कमेंट करके ज़रूर बताएं। इसी तरह की और भी जानकारी के लिए पढ़ते रहें सोलवेदा हिंदी।

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