दक्षिण भारत का नया साल उगादि

दक्षिण भारत का नया साल उगादि है एक अनोखा त्योहार

हिंदू पंचांग के अनुसार उगादि पर्व चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को मनाया जाता है। इस तेलुगू पर्व को पूरे दक्षिण भारत में धूमधाम से मनाया जाता है। इस पर्व को हिंदू नववर्ष के आगमन की खुशी में मनाया जाता है।

भारत अपनी संस्कृति और पर्व-त्योहारों के लिए पूरे विश्व में जाना जाता है। भारत में जैसे अलग-अलग क्षेत्र में अलग-अलग भाषा बोली जाती है, वैसे ही यहां अलग-अलग क्षेत्र में खास तरह के त्योहार मनाए जाते हैं, जो उस क्षेत्र की पहचान बन जाते हैं। ऐसा ही एक खास पर्व है उगादि (Ugadi), जिसे दक्षिण भारत में महापर्व का दर्जा भी प्राप्त है। 

हिंदू पंचांग के अनुसार उगादि पर्व, चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा (हिंदू पंचांग की पहली तिथि) को मनाया जाता है। इस तेलुगू पर्व को पूरे दक्षिण भारत में धूमधाम से मनाया जाता है। इस पर्व को हिंदू नववर्ष के आगमन की खुशी में मनाया जाता है। कर्नाटक, केरल, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और कोंकणी समुदाय के लोग इसे युगादी, तमिलनाडु में उगादि, महाराष्ट्र में गुड़ी पड़वा, गोवा में संवत्सर पड़वा, राजस्थान में थापना, कश्मीर में नवरेह, मणिपुर में साजिबु नोंगमा पांबा के नाम से इस पर्व को मनाया जाता है। 

तो चलिए सोलवेदा हिंदी के इस आर्टिकल में हम आपको उगादि पर्व के महत्व के बारे में बताएंगे। साथ ही हम आपको यह पर्व कब मनाया जाता है और कैसे मनाया जाता है, इसके बारे में बताएंगे। 

उगादि पर्व का महत्व (Ugadi parv ka mahatv) 

उगादि का संस्कृत में मतलब है नए युग का शुभारंभ। हिंदू धर्म में मान्यता है कि इसी दिन ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना की थी। उत्तर भारत में इसी दिन से चैत्र नवरात्रि की शुरुआत होती है। आंध्र प्रदेश में इस दिन ब्रह्मा जी की पूजा की जाती है। इस दिन के शुभ होने के कारण बहुत से व्यापारी नये व्यवसाय की भी शुरुआत इस दिन पर करते हैं। उदागि पर्व के अवसर पर लोग अपने घरों को सजाते हैं और सूर्योदय से पहले ही उठकर नहाने के बाद नए कपड़े पहनते हैं। वहीं, घर के गेट को आम के पल्लव और फूलों से सजाते हैं। साथ ही साथ घर के बाहर या फिर घर में ही रंगोली बनाते हैं।

वसंत के आगमन का प्रतीक भी माना जाता है उगादि (Vasant ke aagman ka Pratik bhi mana jata hai Ugadi) 

माना जाता है कि उगादि पर्व के दिन सुख, शांति, समृद्धि और सौभाग्य का आगमन होता है। इस पर्व को वसंत ऋतु यानी सावन के आगमन का भी प्रतीक माना जाता है। वहीं, फसल के मौसम की भी शुरुआत इस दिन होती है। कहा जाता है कि भगवान राम और युधिष्ठिर का राज्याभिषेक भी इसी दिन हुआ था। 

क्यों मनाते हैं उगादि? (Kyun manate hain Ugadi?) 

दक्षिण भारत के इस पर्व को मनाये जाने के पीछ बहुत-सी कहानियां प्रचलित हैं। ऐसी ही एक कहानी है कि ब्रह्मपुराण के अनुसार वैसे तो भगवान शिव ने ब्रह्मा जी को श्राप दिया था कि उनकी पूजा धरती पर नहीं की जाएगी, लेकिन आंध्र प्रदेश में उगादि के शुभ पर्व पर चतुरानन की पूजा की जाती है। मान्यता है कि इस दिन भगवान ब्रह्मा ने दुनिया की रचना की थी। दूसरी मान्यता है कि इसी दिन विष्णु भगवान ने मत्स्य अवतार लिया था। 

उगादि के अवसर पर ब्रह्माजी की करें पूजा (Ugadi ke avsar par brahma ji ki karein puja) 

हिंदू विधि के अनुसार इस पर्व के दिन सुबह में सवेरे उठ जाएं। उठने के बाद स्नान करके नए कपड़े पहनकर हाथ में फूल, चावल, जल लेकर ब्रह्माजी को स्मरण करें। ब्रह्माजी की पूजा करने के लिए सबसे पहले चौकी पर उनकी प्रतिमा या तस्वीर रखें। ब्रह्माजी की रोली, चंदन, अक्षत, हल्दी, मेहंदी, अबीर, गुलाल, मिठाई आदि से पूजा करें। 

उगादि पर बनता है स्पेशल काढ़ा (Ugadi par banta hai special kadha) 

इस पर्व में जो सबसे खास व्यंजन बनता है, वो है उगादि पचड़ी काढ़ा चड़ी। इसे छह अलग-अलग सामग्री से बनाया जाता है, जो है – कच्चा आम, नमक, काली मिर्च, इमली, नीम के फूल और गुड़। इस व्यंजन को उगादि के अवसर पर बनाने का मुख्य मकसद होता है इंसान के जीवन में सभी भावनाओं के मिश्रण का संदेश देना। पूजा के बाद सभी को यह काढ़ा पिलाया जाता है। साथ ही इसे आस-पास के लोगों के बीच भी बांट जाता है। माना जाता है कि इस काढ़ा को पीने से मौसम में होने वाले बदलाव के कारण होने वाली बीमारियों से बचा जा सकता है। इसके अलावा भी इस पर्व पर कई अलग तरह के पकवान भी बनते हैं। 

इकट्ठा होकर लोग सुनते हैं पंचांग (Ikattha hokar log sunte hain panchang)

मान्यता है कि उगादि के दिन ही सूर्य की किरणें पहली बार धरती पर पड़ी थीं। इस दिन सभी लोग एक साथ इकट्ठा होकर नए साल का पंचांग सुनते हैं। साथ ही यह भी जानते हैं कि आने वाले साल में उनकी खेती कैसी रहेगी। इस दिन लोग अपने प्रियजनों को उपहार भी देते हैं। साथ ही पूजा करने के लिए या फिर भगवान के दर्शन करने के लिए मंदिर भी जाते हैं। यह पर्व पूरे भारत में अलग-अलग परंपराओं से मनाया जाता है। आइए हम भी इस बार उगादि का त्योहार धूम-धाम से मनाएं

इस आर्टिकल में हमने उदागि पर्व के बारे में बताया। आर्टिकल पढ़कर आपको कैसा लगा हमें कमेंट करके ज़रूर बताएं। इसी तरह के और भी आर्टिकल पढ़ने के लिए जुड़े रहें सोलवेदा हिंदी से।

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